पंडित लखमीचंद Pandit Lakhmi Chand

पंडित लखमी चंद (जन्म: 1903, मृत्यु: 1945) हरियाणवी भाषा के प्रसिद्ध कवि व लोक कलाकार थे। उन्हें प्यार और सत्कार से लोग दादा लखमी चंद के नाम से भी याद करते हैं । हरियाणवी रागनी व सांग में उनके उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें "सूर्य-कवि" कहा जाता है। उन्हें "हरियाणा का कालिदास" भी कहा जाता है। उनके नाम पर साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार दिए जाते हैं। भले ही वे गरीबी एवं शिक्षा संसाधनों के अभावों के बीच वे स्कूल नहीं जा सके, लेकिन ज्ञान के मामले में वे पढ़े-लिखे लोगों को भी मात देते थे।
पंडित लख्मीचंद जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
पंडित लख्मीचंद ने लगभग दो दर्जन ‘साँगों’ की रचना की, जिनमें ‘नल-दमयन्ती’, ‘हरीशचन्द्र’, ‘ताराचन्द’, ‘चापसिंह’, ‘नौटंकी’, ‘सत्यवान-सावित्री’, ‘चीरपर्व’, ‘पूर्ण भगत’, ‘मेनका-शकुन्तला’, ‘मीरा बाई’, ‘शाही लकड़हारा’, ‘कीचक पर्व’, ‘पदमावत’, ‘गोपीचन्द’, ‘हीरामल जमाल’, ‘चन्द्र किरण’ ‘बीजा सौरठ’, ‘हीर-रांझा’, ‘ज्यानी चोर’, ‘सुलतान-निहालदे’, ‘राजाभोज-शरणदे’, ‘भूप पुरंजन’ आदि शामिल हैं। इनके अलावा उन्होंने दर्जनों भजनों की भी रचना की।

  • जीवन परिचय : पंडित लखमीचंद
  • उपदेश व भजन : पंडित लखमीचंद
  • हरियाणवी कविता : पंडित लखमीचंद
  • किस्सा पूर्णमल : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा नल-दमयन्ती : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा सत्यवान-सावित्री : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा मेनका-शकुन्तला : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा राजा हरिश्चन्द्र : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा सेठ ताराचंद : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा शाही लक्कड़हारा : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा भूप पुरंजन : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा मीरा बाई : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा फूलसिंह-नौटंकी : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा राजा भोज-शरण दे : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा चाप सिंह : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा चन्द्रगुप्त-धर्ममालकी : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा चंदकिरण : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा चीर पर्व : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा जानी चोर : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा कीचक वध : पंडित लख्मीचंद
  • किस्सा पद्मावत : पंडित लख्मीचंद
  • उपदेश व भजन : पंडित लखमीचंद

    Updesh Va Bhajan : Pandit Lakhmi Chand

  • अकलबन्द इस दुनियां के
  • अष्ट वसु और ग्यारा रूद्र बारा सूर्य
  • आईए री आईए-2 तेरे भक्त खड़े दरबार
  • आओ हे मनावैंगे बसन्त सखी री
  • आडै परिन्दा भी ना फटैक बुढ़िया
  • आहरे नाएके क्यों कर ना मारे
  • इस मोह तृष्णा के बस मैं या फसगी ज्यान
  • इसी भक्तिनी हरीचरण की
  • उठो-उठो हे सखी
  • ऊंच नीच कर सब जीवों में
  • ओम भजन बिन जिन्दगी व्यर्था गई
  • करैंगे तै बोही जा के हाथ
  • कृष्ण जी अवतार धार कै
  • कृष्ण जी महाराज आज्या
  • कुटिल कुचलना एबदार नर
  • गऊ ब्राह्मण साधु की सेवा
  • गऊ माता की सेवा करियो
  • गंगा जी निस्तारैगी, मनै शरण लई
  • चमकै-चमकै री मां बिजली गगन मैं
  • जगत सै रैन का सपना रे
  • जब ब्रह्मचारी शादी करते
  • जड़ चेतन में व्यापक है तूं ही
  • जंगल मैं के चरण चली लग
  • जिननै करी दगा की कार
  • जिननै ना योग क्रिया का ज्ञान
  • ज्वाला तेरी आश लगी है
  • तनै रचा दिया जग सारा मैया हे
  • तुम गाओ राग मलाहर
  • तू भी चलै नै म्हारे साथ
  • दई उमर गवा रे, खेल के मैं
  • देवी कारज सारिए री
  • दो का साल महीना आसौज
  • धर्मसिंह कै चार चरण थे
  • नर करले भजन राम का
  • नर सोच समझ कै चाल
  • निर्गुण है अलख नाम सगुण में
  • परम हंस और शुकर स्वरूप जी
  • पृथ्वी की नदियों मैं उत्तम गंगे
  • प्रभु तेरी कुदरत से सब
  • पुरूष की मूर्ती पृथ्वी जल और वायु
  • फर्क नै खो दिए जी बन्दे
  • बन्दे करले भजन हरी का दिल नै
  • बालक छोडे़ रोवते
  • भजन बिन बन्दे काम नहीं
  • भूल गये रंग रास
  • मनुष्य जन्म मुश्किल से मिलता
  • मनुष्य जन्म ले करकै
  • मर्द व्यवाहरी नै सरता कोन्यां
  • मानज्यां मन बेईमान पछतावैगा
  • मेट मेरी भूल मनशा देवी तूं
  • मौत भूख का एक पिता है
  • म्हारा भारत खो दिया फर्क नै
  • ये मनुष्य विषय सुख मान कर
  • रंग-रंग के बणे मकान कोए
  • रै बन्दे तेरे भूल लागरी
  • लाख चौरासी खत्म हुए ना
  • लोक सम्पूर्ण लख अपणे मैं
  • विश्वास तेरा कृष्ण जी,हो नन्द लाला
  • वे नर हुए निधि तै पार
  • सजनों बेरा ना के चाला रै
  • सदा रे दिन नहीं बराबर जान
  • सब कहण-कहण के यार है
  • सै जिन्दगी दिन चार, होज्या पार
  • हे बन्दे तू ओस का पानी
  • हे त्रिलोकी भगवान
  • हैं सब बन्दे मेरे त्रिलोकी
  • हो बर्ण नहीं सकते प्रभु तेरी रजा मैं रजा
  • हरियाणवी कविता : पंडित लखमीचंद

    Haryanvi Poetry : Pandit Lakhmi Chand

  • अरे ज्ञान बिना संसार दुखी
  • अलख अगोचर अजर अमर
  • आधी रात सिखर तैं ढलगी
  • एक चिड़िया के दो बच्चे थे
  • कदे ना सोची आपतै
  • कर कै खाले ले कै देदे
  • कर जोड़ खड़ी सूं प्रभु
  • कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं
  • जगह देख कै बाग़ लगा दिया
  • तेरी झांकी के माहं गोल मारूं मैं
  • दुख मैं बीतैं जिन्दगी न्यूं
  • देखे मर्द नकारे हों सैं
  • भाईयो बेरा ना के चाला रै
  • मत चालै मेरी गेल तनै
  • माता बणकै बेटी जणकै
  • यो भारत खो दिया फर्क नै
  • रै संता सील सबर संतोष श्रधा शर्म
  • लाख-चौरासी खतम हुई
  • लाख चौरासी जीया जून मैं
  • लेणा एक ना देणे दो
  • समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे
  • सारा कुणबा भरया उमंग मैं
  • हो-ग्या इंजन फेल चालण तैं
  • हो पिया भीड़ पड़ी मैं नार मर्द की