Kunwar Akhlaq Mohammed Khan Shahryar कुँवर अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान (१६ जून १९३६ – १३ फ़रवरी २०१२), जिन्हें उनके तख़ल्लुस या उपनाम शहरयार से ही पहचाना जाना जाता है, भारतीय शिक्षाविद और भारत में उर्दू शायरी के दिग्गज थे। शहरयार का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक मुस्लिम राजपूत परिवार में १९३६ में हुआ था। १९६१ में उर्दू में स्नातकोत्तर डिग्री लेने के बाद उन्होंने १९६६ में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू के व्याख्याता के तौर पर काम शुरू किया। वह यहीं से उर्दू के विभागाध्यक्ष के तौर पर १९९६ में सेवानिवृत्त हुए।
शहरयार ने गमन और आहिस्ता-आहिस्ता आदि कुछ फ़िल्मों में गीत लिखे, लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा लोकप्रियता १९८१ में बनी फ़िल्म उमराव जान से मिली। "इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं," "जुस्तजू जिस की थी उसको तो न पाया हमने," "दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये," "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता" - जैसे गीत लिख कर हिंदी फ़िल्म जगत में शहरयार बेहद लोकप्रिय हुए हैं।
पुरस्कार एवं सम्मान : यह वर्ष २००८ के लिए ४४वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे गये। समकालीन उर्दू शायरी के जगत में अहम भूमिका निभाने वाले शहरयार को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, दिल्ली उर्दू पुरस्कार और फ़िराक सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया। शहरयार उर्दू के चौथे साहित्यकार हैं जिन्हें ज्ञानपीठ सम्मान मिला। इससे पहले फ़िराक गोरखपुरी, क़ुर्रतुल-एन-हैदर और अली सरदार जाफ़री को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है।।

हिन्दी ग़ज़लें : अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

Ghazals in Hindi : Akhlaq Mohammed Khan Shahryar

  • अक्स को क़ैद कि परछाईं को ज़ंजीर करें
  • अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो
  • आसमाँ कुछ भी नहीं अब तेरे करने के लिए
  • आहट जो सुनाई दी है हिज्र की शब की है
  • आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई
  • आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ
  • आँधी की ज़द में शम-ए-तमन्ना जलाई जाए
  • इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
  • उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
  • उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
  • ऐसे हिज्र के मौसम कब कब आते हैं
  • कब समाँ देखेंगे हम ज़ख़्मों के भर जाने का
  • कहता नहीं हूँ लोगो मैं कर के दिखाऊँगा
  • कहने को तो हर बात कही तेरे मुक़ाबिल
  • कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
  • कारोबार-ए-शौक़ में बस फ़ाएदा इतना हुआ
  • किस किस तरह से मुझ को न रुस्वा किया गया
  • किस फ़िक्र किस ख़याल में खोया हुआ सा है
  • खुले जो आँख कभी दीदनी ये मंज़र हैं
  • गर्द को कुदूरतों की धो न पाए हम
  • गुज़रे थे हुसैन इब्न-ए-अली रात इधर से
  • गुलाब जिस्म का यूँही नहीं खिला होगा
  • जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है
  • जहाँ पे तेरी कमी भी न हो सके महसूस
  • जहाँ मैं होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
  • जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है
  • जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था
  • जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
  • जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा
  • ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से
  • ज़मीं से ता-ब-फ़लक धुँद की ख़ुदाई है
  • ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें
  • ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो' थी नहीं कुछ कम है
  • तमाम ख़ल्क़-ए-ख़ुदा देख के ये हैराँ है
  • तिरे क़रीब जो चुपके खड़ा हुआ था मैं
  • तिलिस्म ख़त्म चलो आह-ए-बे-असर का हुआ
  • तुझ से बिछड़े हैं तो अब किस से मिलाती है हमें
  • तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को
  • तेरी साँसें मुझ तक आते बादल हो जाएँ
  • तेरे वा'दे को कभी झूट नहीं समझूँगा
  • तेरे सिवा भी कोई मुझे याद आने वाला था
  • दयार-ए-दिल न रहा बज़्म-ए-दोस्ताँ न रही
  • दाम-ए-उल्फ़त से छूटती ही नहीं
  • दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए
  • दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
  • दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूँ कितना है
  • दिल में रखता है न पलकों पे बिठाता है मुझे
  • देख दरिया को कि तुग़्यानी में है
  • धूप के दश्त में बे-साया शजर में हम थे
  • नज़र जो कोई भी तुझ सा हसीं नहीं आता
  • नशात-ए-ग़म भी मिला रंज-ए-शाद-मानी भी
  • नहीं रोक सकोगे जिस्म की इन परवाजों को
  • निकला है चाँद शब की पज़ीराई के लिए
  • निस्बत रहे तुम से सदा हज़रत निज़ामुद्दीन-जी
  • पहले नहाई ओस में फिर आँसुओं में रात
  • फ़ज़ा-ए-मय-कदा बे-रंग लग रही है मुझे
  • बहते दरियाओं में पानी की कमी देखना है
  • बुनियाद-ए-जहाँ में कजी क्यूँ है
  • बे-ताब हैं और इश्क़ का दावा नहीं हम को
  • भटक गया कि मंज़िलों का वो सुराग़ पा गया
  • भूली-बिसरी यादों की बारात नहीं आई
  • मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है
  • मा'बद-ए-ज़ीस्त में बुत की मिसाल जड़े होंगे
  • मिशअल-ए-दर्द फिर एक बार जला ली जाए
  • मोम के जिस्मों वाली इस मख़्लूक़ को रुस्वा मत करना
  • ये इक शजर कि जिस पे न काँटा न फूल है
  • ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
  • ये क्या हुआ कि तबीअ'त सँभलती जाती है
  • ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
  • ये क़ाफ़िले यादों के कहीं खो गए होते
  • ये जगह अहल-ए-जुनूँ अब नहीं रहने वाली
  • ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा
  • लाख ख़ुर्शेद सर-ए-बाम अगर हैं तो रहें
  • वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
  • शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
  • शम-ए-दिल शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा
  • शहर-ए-जुनूँ में कल तलक जो भी था सब बदल गया
  • शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है
  • सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
  • सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
  • सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
  • हज़ार बार मिटी और पाएमाल हुई है
  • हम पढ़ रहे थे ख़्वाब के पुर्ज़ों को जोड़ के
  • हमारी आँख में नक़्शा ये किस मकान का है
  • हवा का ज़ोर ही काफ़ी बहाना होता है
  • हवा चले वरक़-ए-आरज़ू पलट जाए
  • हर ख़्वाब के मकाँ को मिस्मार कर दिया है
  • हँस रहा था मैं बहुत गो वक़्त वो रोने का था
  • हुजूम-ए-दर्द मिला ज़िंदगी अज़ाब हुई
  • हिन्दी नज़्में : अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

    Hindi Nazmein : Akhlaq Mohammed Khan Shahryar

  • अजीब काम
  • अपनी याद में
  • अब के बरस
  • अहद-ए-हाज़िर की दिल-रुबा मख़्लूक़
  • आख़िरी साँस
  • आरज़ू
  • इक़्तिदार से महरूम लोगों के नाम
  • इंतिशार से घबरा कर
  • उम्मीद ओ बीम
  • एक और मौत
  • एक और साल गिरह
  • एक काली नज़्म
  • एक ख़ुश-ख़बरी
  • एक नज़्म
  • एक मंज़र
  • एक लम्हे से दूसरे लम्हे तक
  • एक सियासी नज़्म
  • एतराफ़
  • कच्चे रस्तों से
  • खेल का नतीजा
  • ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में
  • ख़्वाब
  • ख़्वाब का दर बंद है
  • गुनाह-ए-आदम
  • गुम-शुदा
  • चलो तुम को....
  • चुपके से इधर आ जाओ
  • जिस्म की कश्ती में आ
  • ज़वाल की हद
  • ज़िंदा रहने का ये एहसास
  • तन्हाई
  • तम्बीह
  • दरिया-ए-ख़ूँ
  • नए अहद का नया सवाल
  • 'नजमा' के लिए एक नज़्म
  • नज़्म
  • नफ़ी से इसबात तक
  • नया अमृत
  • नया उफ़क़
  • नया खेल
  • पहले सफ़्हे की पहली सुर्ख़ी
  • पैग़ाम
  • फिर सफ़र बे-सम्त बे-मंज़िल हुआ
  • फ़रार
  • फ़रेब-दर-फ़रेब
  • फ़ैसले की घड़ी
  • बाज़-पुर्स
  • मुझ को मिलना है 'वहीद-अख़्तर' से
  • मुनज़्ज़म मनाज़िर से आगे
  • मेरी ज़मीं
  • मौत
  • रतजगों का ज़वाल
  • रात जुदाई की रात
  • ला-ज़वाल सुकूत
  • ला-ज़वाल होने का
  • वापसी
  • वामांदगी-ए-शौक़
  • वो कौन था
  • वो मोड़
  • साए
  • सैगंधी