Isuri ईसुरी

ईसुरी का जन्म चैत्र शुक्ल १० संवत १८९५ विक्रमी को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मऊरानीपुर के गांव मेंढ़की में हुआ था। उनका पूरा नाम हरताल ईसुरी था। इनके पिता का नाम भोलेराम अरजरिया था। वे कारिन्दा स्वरुप चतुर्भुज जमींदार के पास कार्य करते थे। उन्हें बगौरा बहुत प्रिय था। उनका निधन अगहन शुक्ल ६ संवत १९६६ विक्रमी सन १९०९ में हुआ था। भारतेन्दु युग के लोककवि ईसुरी पं. गंगाधर व्यास के समकालीन थे और आज भी बुंदेलखंड के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं। ईसुरी की रचनाओं में ग्राम्य संस्कृति एवं सौंदर्य का वास्तविक चित्रण मिलता है।
उनकी ख्‍याति फाग के रूप में लिखी गई उन रचनाओं के लिए हैं, जो विशेष रूप से युवाओं में बहुत लोकप्रिय हुईं। ईश्वरी की रचनाओं के माध्यम से उनकी योग्यता, व्यावहारिक ज्ञान का बोध होता है। ईश्वरी की रचनाओं में निहित बुन्देली लोक जीवन की सरसता, मादकता और सरलता और रागयुक्त संस्कृति की रसीली रागिनी से मदमस्त करने की क्षमता है। ईश्वरी की रचनाएँ प्रगति वर्द्धक जीवन श्रंगार, सामाजिक परिवेश, राजनीति, भक्तियोग, संयोग, वियोग, लौकिकता, शिक्षा चेतावनी, काया, माया पर आधारित हैं। गौरी शंकर द्विवेदी ने उनकी फागों का प्रथम संकलन तैयार किया था। ईसुरी को बुंदेलखंड में जितनी ख्याति प्राप्त हुई उतनी किसी कवि की नहीं है। ग्राम्य संस्कृति का पूरा इतिहास केवल ईसुरी की फागों में मिलता है। उनकी फागों में प्रेम, शृंगार , करुणा, सहानुभूति, हृदय की कसक एवं मार्मिक अनुभूतियों का सजीव चित्रण है। ईसुरी की फागों में दिल को छूने और गुदगुदाने की अद्भुत क्षमता है। अपनी काल्‍पनिक प्रेमिका रजऊ को संबोधित करके लिखी गई रचनाओं के लिए ईसुरी को आलोचना और लोकनिंदा का सामना भी करना पड़ा।

ईसुरी की फाग : ईसुरी

Isuri Ki Phaag : Isuri

  • तुम खों छोड़न नहि विचारें
  • बैठी बीच बजार तमोलिन
  • मोरी रजऊ से नौनों को है
  • उनकी होय न हमसों यारी
  • दिल की राम हमारी जानें
  • जुवना दए राम ने तोरें
  • कैयक हो गए छैल दिमानें
  • ऎंगर बैठ लेओ कछु काने
  • अब रित आई बसन्त बहारन
  • पतरें सोनें कैसे डोरा
  • जो तुम छैल, छला हो जाते
  • इक दिन होत सबई का गौनों
  • बखरी बसियत है भारे की
  • इन पै लगे कुलरियाँ घालन
  • जब से रजऊ ने पैरी अंगिया
  • ऎसी पिचकारी की घालन
  • देखी रजऊ काउनें नइयाँ
  • जौ जी रजउ-रजउ के लानैं
  • तुमखों देखौ भौत दिनन सें
  • पग में लगत महाउर भारी
  • रोजई मुस्का कें कड़ जातीं
  • तोरे नैना मतबारे
  • ऐसी हती रजउ की सानी
  • बाँकी रजउ तुमारी आँखें
  • जाके होत विधाता डेरे
  • मिलती कभऊं अकेली नइयाँ
  • जब सें गए हमारे सईयाँ
  • मिलकै बिछुर रजउ जिन जाओ
  • ईसुरी की रचनाएँ : ईसुरी

    Isuri Ki Rachnayen : Isuri

  • जीवन श्री जगन्नाथ जाल सें निनोरौ
  • रसना राम राम कह जारी
  • मैंने मन मुदरी मैं गाड़ौ
  • भजमन राम सिया भगवानै
  • लैवौ राम नाम इक सच्चा
  • जिनकौ सेर-सवेरे खइये
  • दीपक दया धरम को जारौ
  • रोमैं लयें रागनी जी की
  • मस्त मतवारे दानवारे गज
  • साजौ पत जोजन की
  • जिनको बजत हुकुम को बाजा
  • मोये बल रात राधका जी कौ
  • राधा अलबेली को आनन
  • बरसौं जामैं बृज बै जाबै
  • छैला छलन चलौ नव काजर
  • आली मनमोहन के मारै
  • जसुदै दैंन उरानों जइये
  • नैनन साभरिया लग रैहै
  • मइया तुम नाहक खिसयातीं
  • गुदना हरें गोद गुदनारी
  • सुन्दर सेत सरद को चन्दा
  • बागन भये बसन्त अबईयाँ
  • अवरित आई बसन्त बहारन
  • मद अब देत करेजे जारें
  • उरजौ ना स्याम कही मानों
  • सारी चोर-बोर कर डारी
  • रंग डारो ना लला को अलकन में
  • केसर भई राधिका रानी
  • अटकी पीरे पटवारे सैं
  • जब से मन मोहन बिछुरे हैं
  • जोगिन भई राधिका गोरी
  • पाती किशन चन्द की आई
  • गोरी कठिन होत है कारे
  • कारे सबरे होत बिकारे
  • ऊधौ रूप राधकाजू कौ
  • हो गई स्याम बिछुरतन जीरन
  • तुम खाँ देखौ भौत दिनन में
  • ऐसी बोलो कौनऊँ बानी
  • बखरी रैयत है भारे की
  • हंसा फिरैं बिपत के मारे
  • तन कौ कौन भरोसों करनैं
  • तेरो मन पापी तन नौंनों
  • तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ
  • सबसें बौलौ रस की बानी
  • रइयो करन हार से डरते
  • नाते रिस्ते सम्पदा
  • हौनी कवउँ न जात अनूठी
  • हौनी दो पग चलत अँगरैं
  • उदना रेख करम में खाँची
  • पाई खुदा के घर की कीनैं
  • जीके जब जैसे दिन आये
  • जौ लों जग में राम जियावैं
  • माँगे चार मिलें ना भाई
  • राखें मन पंछी ना रानें
  • जिदना मन पंछी उड़ जानैं
  • जग में बिना यार कौ को है
  • ढप सौ ढाल सरीसौ चइये
  • यारी बेवकूपन सें करबौ
  • हमना तुम खाँ बदी विचारैं
  • यारौ पर नारी से बरकौ
  • एक दिन चूक जात सब कोई
  • गाँजौ पियो न प्रीतम प्यारे
  • चौपर है राजन के लानैं
  • इनपे लगे कुलरियाँ घालन
  • आसौ दे गऔ साल करौंटा
  • मारत बिना अन्न हर सालै
  • जानै कौन जमानों आऔ
  • आ गऔ बेईमानी कौ पारौ
  • आऔ जौ कलजुग कौ पारौ
  • दारौ आऔ देस सें
  • घरी घरी पै ईसुरी
  • ना छेड़री कामनी
  • देखत स्याम माँग पै मोये
  • पग में लगत महाउर भारी
  • तिलकी परन तिलन सें हलकी
  • बाँके बजैं पैजनाँ धुनके
  • बूँदा मनकौ हरन तुमारौ
  • साँकर कन्नफूल की लटकें
  • नैना परदेसी सें लरकें
  • नैना ना मारौ लग जै हैं
  • तोरे नैनाँ हैं मतवारे
  • दोई नेंनन की तरवारें
  • हमखों बिसरत नई बिसारी
  • कड़तन लागौ मूड़ दिरौंदा
  • बसती बसत लोग बहुतेरे
  • यारी होत मजा के लानैं
  • मारग आदी रातलों हेरी
  • तुमनें मोह टोर दऔ सँइँयाँ
  • हमखों कर डारो बैरागी
  • हमसें दूर तुमारी बखरी
  • विधना करी देह न मेरी
  • दिल रहौ दाबनी में बसकें
  • जादू सो कर गई हेरन में
  • पिया लै दो हमें हरियल सारी
  • दिन बूड़ौं विदेसी ना जारे
  • काजर काय पे दइये कारे
  • सूजैं इन आँखन अलबेली
  • नीकौ नई रजऊ मन लगवौ
  • मिलकें रजऊ बिछुर जिन जाऔ
  • जौ जी रजऊ रजऊ के लानें