Sohar Lok Geet सोहर लोकगीत

सोहर एक मंगल गीत है, जिसे संतान के जन्म और उससे संबंधित शुभ अवसरों पर गाया जाता है। इन गीतों में संतान के जन्म, उससे जुड़ी कहानियाँ और उत्सवों का सुंदर वर्णन मिलता है। विशेष अवसरों जैसे सतमासा (सात महीने पूरे होने का संस्कार) पर भी सोहर गाए जाते हैं। सोहरों में राम जन्म और कृष्ण जन्म की भी सुंदर कथाएँ मिलती हैं। रामनवमी (राम का जन्मदिवस) और कृष्णाष्टमी (कृष्ण का जन्मदिवस) के अवसर पर भजनों के साथ सोहर गाने की परंपरा है।

लोकगीत सोहर (ब्रज)

  • रानी देवकी ने जाये नंदलाल
  • दशरथ के चारों लाल
  • जनमे राम हुए री आनन्द में
  • श्याम झुलें पलना सो सजनी
  • पाँच पान पच बिड़ियाँ
  • सौंठ के लड्डू चरपरे हैं
  • कमर पीर होए राजा अब ना बचूँगी
  • कमर पीर ठीक हुई अब ना मरूँगी
  • कोई माँगे कढ़ाई न दे
  • मेरी जच्चा ने जाये शिरी कृष्ण जी
  • ब्रज में कान्ह हुए री अवतारी
  • नन्द घर बाजे बधइया
  • जच्चा तो मेरी भोली-भाली है रे
  • हमको तो पीर आवे, ननदी हँसती डोले
  • पलँग पर अब ना चढ़ूँगी महाराजा
  • मगन मन पूजन चली मोरी जच्चा
  • गोंद सौंठ के लड्डू मेरे बाबुल के
  • राजा ओ मेरे राजा के तुम महाराजा
  • कहाँ गँवाए मेरी रानी, गगरिया के मोती
  • बोले न चाले मिज़ाज करे
  • उठी मेरे राजा कमर में पीर उठी
  • द्वारे पे डाल लीनी खटिया, हाय रामा
  • मचल रही आज महलों में दाई
  • माँगे ननद रानी कँगना
  • सास तो दुबली हो गई
  • लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा लेऊँगी
  • बहू कौन कौन फल खाए
  • भए देवकी के लाल
  • जच्चा मेरी ने ज़ुलम किया
  • ब्रज में बजत बधाई
  • जनम लियो रघुरइया
  • खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ
  • देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं
  • जो मन में आए सोई ले ले ननदिया
  • तुझे चंदा कहूँ या लाल
  • का घर मौरे हैं अम्ब