सोहर : बुन्देली लोकगीत

Sohar : Bundeli Lok Geet

	

अंगना में बाजे बधैया

अंगना में बाजे बधैया, बाजे हो बधैया यशोदा जी के द्वारे। रार करें पानी में हिलोरें, खेले को मांगे जुन्हैया। यशोदा जी के द्वारे तुम जिन सोच करो मनमोहन देहैं चांद ल्याकें यशोदा के द्वारे गोरी नंद गोरी यशोदा, तुम काय मोहन कारे। अंगना...

अवध में जन्मे राम सलोना

अवध में जन्मे राम सलोना बंधनवारे बंधे दरवाजे कलश धरे दोऊ कोना। अवध... रानी कौशिल्या ने बेटा जाये राजा दशरथ के छौना अवध... रानी कौशिल्या ने कपड़े लुटाये राजा दशरथ ने सोना। अवध... हीरा लाल जड़े पलना में नजर लगे न टोना। अवध...

आज भई मोरे मन की

आज भई मोरे मन की, सुनो सैंया सासो न आवे हमारो का बिगरे, चरुजा चढ़ाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज... तुम उठके पिया चूल्हा जलइयो, हम चरुआ धर लैहें, सुनो सैंया। आज... जिठनी न आवे हमारो का बिगरे, लड्डू बंधाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज... तुम उठ के पिया मेवा ले अइयो, हम लड्डू बांध लैहें, सुनो सैंया। आज... ननदी न आवें हमारो का बिगरे, संतिया धराई बच जैहें, सुनो। सैंया... तुम उठके पिया गोबर ले आइयो, हम संतिया धर लैहें, सुनो सैंया। आज... पड़ोसन न आवे हमारो का बिगरे, सोहर गबाई बच जैहें, सुनो सैंया। आज... तुम उठके पिया ढोलक बजइयो, हम सोहर गा लैहें, सुनो सैंया। आज...

ऊपर बादल घुमड़ाये हो

ऊपर बादल घुमड़ाये हो, नीचे गोरी पनियां खों निकरी। ऊपर... जाय जो कइयो उन राजा ससुर से, अंगना में कुइयां खुदाव हो, तुम्हारी बहू पनियां खों निकरी। ऊपर बादल... जाय जो कइयो उन राजा जेठ से, सोने के घइला मंगाव हो, तुम्हारी बहू पनियां खों निकरी। ऊपर बादल... जाय जो कइयो उन राजा नन्देऊ से, मुतियन कुड़री जड़ाव हो, तुम्हारी सरहज पनियां खों निकरी। ऊपर बादल... जाय जो कइयो उन राजा देवर से, रेशम की रस्सी मंगाव हो, तुम्हारी भौजी पनियां खों निकरी। ऊपर बादल... जाय जो कइयो उन राजा साहब से, कुंअला पे गर्रा डराव हो, तुम्हारी धना पनियां खों निकरी, ऊपर बादल घुमड़ाये हो, नीचे गोरी पनियां खों निकरी।

गलियन-गलियन फिरे मनहारिन

गलियन-गलियन फिरे मनहारिन ले लियो कोऊ ललन को खिलौना अपने महल से यशोदा रानी बोली दे जाओ तुम ललन को खिलौना। गलियन... आओ मनिहारिन, बैठो आंगन में का तुम लाईं, ललन को खिलौना। गलियन... छोटी सी बंशी दे दो लाल खों प्यारो लागो ये ही खिलौना। गलियन... थाल भर मोती जशोदा लाईं खुश होकर दे दीन्हो खिलौना। गलियन... जुग जुग जीये यशोदा तेरा लालन फिर लाऊं मैं लालन ओ खिलौना। गलियन...

जशोदा के महलन बेग चलो री

जशोदा के महलन बेग चलो री। महल के अंदर बेग चलो री। बंदनवारे बंदे अति सोहें लगी आम की धौरें। जशोदा... सोने के कलश धरे अति सोहें उनहू की ऊंची पौरें। जशोदा... अरे हाथ गुलेरी एड़िया महावर नाइन फिरी दौड़ी-दौड़ी। जशोदा... कोई सखी गावे कोई बजावे कोई नाचें दै दै तारी। जशोदा... कोई सखी गोरी कोई कारी कोई सखी लड़कौरी। जशोदा...

जो बंदनवारो कहां लये जातीं

जो बंदनवारो कहां लये जातीं, किते लये जाती हैं। जो... नगर अयोध्या में सुत भये सजनी, राजा महीपत के नाती, उतईं जातीं राजा दशरथ के पुत्र भये हैं रघुकुल वंश उजार दई बाती, उतईं लये जातीं रानी कौशिल्या की कूख जुड़ानी राजा दशरथ की छाती, उतई लये जातीं सब सखियन खों दान दये हैं फूली नाहिं समाती। उतईं...

झूलें नंदलाल झुलाओ सखी पालना

झूलें नंदलाल झुलाओ सखी पालना काहे के तोरे बनो पालना, काहे के लागे फंुदना। झूलें नन्दलाल... अगर चंदन के बने हैं पालना, रेशम की डोरी रुपे के लागे फंुदना। झूलें नन्दलाल... को झूलें को जो झुलावे, को जो बलैया लेत मुख चूमना। झूलें नन्दलाल... कान्हा झूले, सखिया झुलावें, यशोदा बलैया नंद मुख चूमना। झूलें नन्दलाल...

नंद घर बजत बधाए लाल

नंद घर बजत बधाए लाल हम सुनकें आए। मथुरा हरि ने जनम लिया है, गोकुल बजत बधाए। लाल हम... कौना ने जाए जशोदा खिलाए, बाबा नंद के लाल कहाए। लाल हम... सोरा गऊ के गोबर मंगाए, कंचन कलश धराये। लाल हम... चंदन पटली धरायी जशोदा, चौमुख दियल जलाये। लाल हम... हीरालाल लुटाए यशोदा, मनमोहन को कंठ लगाये। लाल हम... नन्द घर बजत बधाए, लाल हम सुनकें आए।

पलंग पर रोय रहयो, मेरो नंदलाला

पलंग पर रोय रहयो, मेरो नंदलाला बुला दो सासो को, बुला दो सासो को दादी कह टेर रहयो, मेरो नंदलाला। पलंग... बुला दो जिठनी खों, बुला दो जिठनी खों वो ताई कह टेर रहयो, मेरो नंदलाला। पलंग... बुला दो ननदी को, बुला दो ननदी को बुआ-बुआ टेर रहयो, मेरो नंदलाला। पलंग... बुला दो देवर को, बुला दो देवर को, वो चाचा कह टेर रहयो, मेरो नंदलाला। पलंग...

पहले पहर को सपनो

पहले पहर को सपनो, सुनो मोरी सासो जी महाराज। राम लखन दोऊ भइया, अंगन बिच तप करें महाराज। ननदी लयें बेला भर तेल, सांतिया लिख रही महाराज। भौजी बैठी मांझ मंझौटे, हार नौने गुह रही महाराज। इतने में आ गई बारी ननदी, विहंस के बोलिये महाराज। भौजी हुए लालन तुम्हारे, हार हम लै लैहें महाराज। चूमो बैयां तुम्हरी हथुरिया, घिया गुड़ मुँह भरो महाराज। सुनो बारी ननदी हमारी, हार तुम लै लियो महाराज।

पिया कैसे झुलाऊं रस के बिजना

पिया कैसे झुलाऊं रस के बिजना, बेंदी के बोझ लिलाट दुखत है, हरवा को भर सहो जाय न। पिया... कंगन को बोझ कलाई दुखत है, मुंदरी को भार सहो जाय न। पिया... साड़ी को बोझ मोरी कमर दुखत है, माहुर के भार उठे पग ना। पिया... काजल के बोझ मोरी आँख दुखत है, काम करत नहीं दोऊ नैना। पिया...

बधइयां बाजै माधौ जी के

बधइयां बाजै माधौ जी के गोकुल बाजें बृंदावन बाजें और बाजे मथुरैया। बारा जोड़ी नगाड़े बाजें और बाजे शहनैया। बधइयां... गोपी गावें ग्वाला बजावें नाचें यशोदा मैया। बधइयां... बहिन सुभद्रा बधाव ले आई नित उठ अइये जेई अंगना। बधइयां... नंद बाबा अंगनइयां।

बधाये नन्द के घर आज

बधाये नन्द के घर आज, सुहाये नन्द के घर आज। टैरो टैरो सुगर नहनिया, घर-घर बुलावा देय बधाये... अपने-अपने महलिन भीतर, सब सखि करती सिंगार पटियां पारे, मांग संवारे, वेंदी दिपत लिलार। बधाये... आवत देखी सबरी सखियां, झपट के खोले किवाड़ बूढ़न-बड़ेन की पइयां पड़त हूं, छोटेन को परणाम। बधाये... बाबा नन्द बजारे जइयो, साड़ी सरहज खों ले आओ पहिनो ओढो सबरी सखियां, जो जी के अंगे भाये। बधाये... पहिन ओढ़ ठांड़ी भई सखियां, मुख भर देतीं आशीष जुग-जुग जिये माई तेरो कन्हैया, राखे सभी को मान। बधाये...

मथुरा में जन्मे नंद के कुमार

मथुरा में जन्मे नंद के कुमार... खुल गई बेड़ी खुल गये किवाड़ जागत पहरुआ सो गयें द्वार। मथुरा... गरजे ओ बरसे घटा घनघोर ले के वासुदेव चले गोकुल के द्वार। मथुरा... बाढ़ी वे जमुना आई चरणन लाग छू के चरणाबिंद हो गई पार। मथुरा... देवकी के मन में आनंद अपार गोकुल में हो रहो मंगलचार। मथुरा...

राजा दशरथ के चारों लाल

राजा दशरथ के चारों लाल दिन-दिन प्यारे लगें अंगना में खेलें चारों भैया, चलत घुटरुअन चाल, दिन-दिन प्यारे लगे। राजा... खुशी भई है तीनऊ मैया। दशरथ खुशी अपार, दिन-दिन प्यारे लगे। राजा... गुरू की दीक्षा लेके उनने मारे निशाचर तमाम, दिन दिन प्यारे लगें। राजा... स्वयंबर भयो जनक नगर में ब्याहे चारों-भाई, दिन-दिन प्यारे लगें। राजा... ब्याह के आये अवध नगर खों खुशी भये नर नारि, दिन-दिन प्यारे लगें। राजा...

लूटन चलो श्याम की अमरैयां

लूटन चलो श्याम की अमरैयां। कहना कन्हैया प्यारे जन्म लियो हैं हां कहना बाजे बधैयां लूटन... मथुरा कन्हैया प्यारे जन्म लिवो हैं गोकुल बाजे बधैयां। लूटन... कहां तो बाजे ढोलक मंजीरा कहां बाजे शहनैयां। लूटन... मथुरा बाजे ढोलक मंजीरा गोकुल बाजे शहनैयां। लूटन...

श्री रामचन्द्र जन्म लिये

श्री रामचन्द्र जन्म लिये चैत सुदि नौमी। दाई जो झगड़े नरा की छिनाई कौशिल्या जी की साड़ी लैहों, सोर की उठाई। श्री... नाइन झगड़े नगर की बुलाई कौशिल्या जी को हार लैहों, महल की पुताई। श्री... पंडित जो झगड़ें वेद की पढ़ाई दशरथ जी को घोड़ा लैहों वेद की पढ़ाई। श्री... ननदी जी झगड़े आँख की अंजाई तीन लोक राज लैहों सांतिया धराई। श्री...

सो जा वा रें वीर

सो जा वा रें वीर, तुम तो सो जाओ वा रे वीर। बीरन की बलैयां ले गईं जमुना के तीर।। वर पे डाले पालना, पीपल पे डारी डोर। जो लों कन्हैंया सोवन लागे ऊपर बोली मोर। सो लो मोरे लाड़ले, तुम जब लो होने भोर। आवत-जावत झोंका देहों, कबहूं न टूटे डोर। माई गई है मायके, बीरन गये ससुराल। भैया गयें हैं चाकरी, भाभी ठांढ़ी द्वार। ताती-ताती खीर बनाईं, जामे डारो घी। दो कौर खा लो लाड़ले, ठण्डो पड़ जाये जी।

हम पहिरे मूंगन की माला

हम पहिरे मूंगन की माला, हमारी कोऊ गगरी उतारो कहां गये मोरे सैंया गोसंइयां, कहां गये वा रे लाला, हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे... एक हाथ मोरी गगरी उतारो, दूजे घूंघट संभालो, हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे... एक हाथ मोरी गगरी उतारो, दूजे से चूनर संभालो, हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे... एक हाथ मोरी गगरी उतारो, दूजे से लालन संभालो, हमारी कोऊ गगरी उतारो। हम पहिरे...

हमखों तो चिन्ता हो रही

हमखों तो चिन्ता हो रही, पिया कैसे मनाऊं सबको। सासो हमारे घर आयेंगी पिया, चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी पिया। कैसे मनाऊं उनको। हमखों... काहे की चिन्ता तुम करो धना, चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी धना। अपने नैहर के कंगना, तुम देना पहिनाय उनको। हमखों... जिठानी हमारे घर आयेंगी, भला लड्डू बंधाई नेग मांगेंगी अपने नैहर के झुमका जिठनी, रानी को देना पहिनाय। हमखों... ननदी हमारे घर आयेंगी, भला छठिया धराई नेग मांगेंगी अपने नैहर के कंगना, ननदी रानी को देना पहिनाय। हमखों... देवर हमारे घर आयेंगे धना, बंशी बजाई नेंग मांगेगे धना। तुम देना मनाय उनको। हमखों...

हमरे हुए नन्दलाल

हमरे हुए नन्दलाल, चली आना ननदिया। चांदी के गहने न लाना ननदिया, सोने के हमरे रिवाज री। चली... सूती कपड़े न लाना ननदिया, रेशम के हमरे रिवाज री। चली... काठ का पलना न लाना ननदिया, चन्दन का हमारे रिवाज री। चली... लड़के बच्चे न लाना ननदिया, अकेले का हमरे रिवाज री। चली... रुपये पैसे न मांगो ननदिया, खाली जाने का रिवाज री। चली... हमरे हुए नन्दलाल...।

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