Girija Kumar Mathur
गिरिजा कुमार माथुर
गिरिजाकुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले
के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं।
उनके पिता देवीचरण माथुर अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी
लिखा करते थे। माता लक्ष्मीदेवी भी शिक्षित थीं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। १९४१ में
उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में
उनका विवाह कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ।वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी,
बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए। उनके द्वारा रचित तार सप्तक, मंदार, मंजीर,
नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित
हुए हैं। उनका लिखा गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।१९९१ में "मै वक्त के
सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा व्यास सम्मान प्रदान किया गया।
गिरिजा कुमार माथुर की रचनाएँ
गिरिजा कुमार माथुर की प्रसिद्ध कविताएँ
Hindi Poetry Girija Kumar Mathur
Selected Hindi Poetry Girija Kumar Mathur