Subhash Mukhopadhyay सुभाष मुखोपाध्याय

सुभाष मुखोपाध्याय (12 फ़रवरी, 1919; - 8 जुलाई, 2003) भारत के बांग्ला कवि और साहित्यकारों में से एक थे। सन 1991 में सुभाष मुखोपाध्याय को 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। साल 2003 में उन्हें भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान हेतु 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया गया। सुभाष मुखोपाध्याय का जन्म कृष्णानगर, बंगाल प्रेसीडेंसी (आज़ादी पूर्व) में हुआ था। अपने समकालीन सुकांत भट्टाचार्य की तरह सुभाष मुखोपाध्याय ने कम उम्र में ही मजबूत राजनीतिक विश्वास विकसित कर लिया था। वह सामाजिक न्याय के लिए गहराई से प्रतिबद्ध थे और अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान ही वामपंथी छात्र राजनीति में सक्रिय थे। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद वह औपचारिक रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। इस प्रकार वे एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में प्रत्यक्ष अनुभव के साथ मुट्ठी भर साहित्यकारों में से एक बन गए। पद्य के अलावा सुभाष मुखोपाध्याय ने उपन्यास, निबंध और यात्रा वृत्तांत सहित गद्य की रचनाएँ भी लिखीं। वह पत्रकारिता में भी सक्रिय थे, उन्होंने दैनिक और साप्ताहिक समाचार पत्रों के संपादकीय कर्मचारियों में सेवा की। वह प्रमुख बंगाली साहित्यिक पत्रिका 'परिचय' के संपादक थे। वह बच्चों के लिए एक कुशल और लोकप्रिय लेखक भी थे। उन्होंने साठ के दशक की शुरुआत में कुछ वर्षों के लिए सत्यजीत रे के साथ संयुक्त रूप से बंगाली बच्चों की पत्रिका 'संदेश' का संपादन किया।
साहित्यिक परिचय- (पदातिक के बाद अग्निकोण (1948), चिरकुट (1950), फुलफुटुक (1961), जत दुरेई जाय (1962), काल मधुमास (1969), छेले गेछे बने (1972), एकटु पा चालिए, भाई (1979), जलसइते (1981), जा रे कागजेर नौकों (1989) तक की कविताएँ कवि सुभाष दा के साथ इस तरह जुड़ गयीं मानो ये जीवन का अनुषंग या उपक्रम नहीं, बल्कि अनिवार्य अंग हैं। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, अफ्रो-एशियन लोटस पुरस्कार (1977), कुमारान आशान पुरस्कार (1982), आनन्द पुरस्कार (1984), कबीर सम्मान (1987) आदि से अलंकृत सुभाष दा ने कविता के अलावा कथा-साहित्य, यात्रा-वृत्त, बाल साहित्य, और अनुवाद विधा में भी पर्याप्त लेखन कार्य किया है।

अग्निगर्भ : सुभाष मुखोपाध्याय - अनुवादक : रणजीत साहा

Agnigarbha : Subhash Mukhopadhyay - Translator : Ranjit Saha

  • मई का पहला दिन
  • प्रस्ताव-1940
  • निर्वाचन
  • यहाँ
  • पर्ची
  • सीमान्त की चिट्ठी
  • इस आश्विन में
  • स्वागत
  • हस्ताक्षर
  • आह्वान
  • चलो मैदान
  • घोषणा
  • एक कविता के लिए
  • राम राम
  • अग्निकोण
  • मैं आ रहा हूँ
  • बायें चलो, बायें
  • अग्निगर्भ (कविता)
  • आग के फूल
  • तोड़ना ही नहीं है सबकुछ
  • तमाशा देखो!
  • हुमक-हुमक कर
  • फूल खिले न खिले
  • जाना ही है
  • हम जाएँगे
  • पत्थर के फूल
  • चाहे जितनी दूर जाऊँ
  • कौन जाग रहा है
  • गिनती
  • दूर से देखना
  • पूर्वपक्ष
  • उत्तरपक्ष
  • चिड़िया की आँख
  • नाटक
  • होना ही है ऐसा
  • दीवारों के लिए
  • लील रहा है अन्धकार
  • यही तो
  • लाल गुलाब के लिए
  • सुबह की चिन्ता
  • घाट-पार के चित्र
  • जननी जन्मभूमि
  • यहाँ, इस तरफ
  • तिलक
  • नहीं भूल सकता
  • खड़िये के निशान में
  • यह ज़मीन
  • धूप में
  • खुले दरवाज़े से
  • ज़्यादा नहीं कुछ चाहिए
  • बच्चे चुरानेवाला
  • एक संवाद
  • देशनिकाला
  • तो फिर
  • अब
  • रेगिस्तानी हवा में
  • साध
  • सबका गान
  • बदल रहे हैं दिन
  • धर्म-यन्त्र
  • जाता हूँ