मंगतराम शास्त्री “खड़तल” Mangatram Shastri Khadtal

मंगत राम शास्त्री- जिला जींद के ढ़ाटरथ गांव में सन् 1963 में जन्म। शास्त्री (शिक्षा शास्त्री), हिंदी तथा संस्कृत में स्नातकोत्तर। साक्षरता अभियान में सक्रिय हिस्सेदारी तथा समाज-सुधार के कार्यों में रुचि। ज्ञान विज्ञान आंदोलन में सक्रिय भूमिका। “अध्यापक समाज” पत्रिका का संपादन। कहानी, व्यंग्य, गीत, रागनी एंव गजल विधा में निरंतर लेखन तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। “अपणी बोली अपणी बात” नामक हरियाणवी रागनी-संग्रह प्रकाशित।

हरियाणवी कविता : मंगतराम शास्त्री “खड़तल”

Haryanvi Poetry : Mangatram Shastri Khadtal

  • कहणे को तो सब तरियां के ठाट गाम्मां म्हं-ग़ज़ल
  • बिना खरची बिना परची मिलै रुजगार,क्या कहणे-ग़ज़ल
  • मींह् के कारण भींत बिचाल़ै पड़ी दराड़ां नै-ग़ज़ल
  • लालच म्हं जंगल़ कटवाये फेर् पूच्छै सै कड़ै गये-ग़ज़ल
  • जीवन म्हं तूं कुछ तो चज की कार कर-ग़ज़ल
  • वक्ता और सरोता की जिब एक्के भास्सा सै-ग़ज़ल
  • सै दरकार सियासत की इब फैंको गरम गरम-ग़ज़ल
  • जितने मेहनतकश किरसाण कमेरे सैं-ग़ज़ल
  • छोड़ कै खेती किसानी कित जाऊँ-ग़ज़ल
  • पहलम थी जिब आई लारी-ग़ज़ल
  • अपणा खोट छुपाणा सीख
  • किसान्नी खोटी कार सै (रागनी)
  • बाबत हरियाणा
  • बित्तै सै जिंदगी सारी
  • हाली की दुआली
  • ओढ़ चूंदड़ी पील़े रंग की
  • घाणी फोड़ रही थी जोट न्यूं आपस में बतलाई
  • सिपाही के मन की बात
  • सामण का स्वागत
  • झूठ कै पांव नहीं होते
  • सासड़ होल़ी खेल्लण जाऊंगी
  • अन्नदाता सुण मेरी बात
  • मैं टोहूं वो हरियाणा जित दूध-दही का खाणा है
  • इसा गीत सुणाओ हे कवि
  • प्राण-रवींद्रनाथ टैगोर
  • राजा जी जो जीत गया तो फेर भी तूं हारैगा रै
  • सुपने में देखी ऐसी बांकी नगरिया
  • जो आजादी मिली हमें वा रूंगे मैं ना थ्याई थी
  • तेरा जाईयो सत्यानाश राम
  • मेरा रूखा-सूखा खाणा
  • न्यारे-न्यारे भ्रम फेला कै
  • टोहूं मैं उस देश नै जहां हो सबका रूजगार
  • धनसत्ता नै निगल लिया सब
  • सै मशहूर नया नौ दिन
  • ना महफूज आबरू रहर्यी