लोकोक्तियाँ एवं कहावतें

( इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ )

इक कंचन इक कुचन पे, को न पसारे हाथ : सोने पर और स्त्री के शरीर पर कौन हाथ नहीं पसारता। कुच – स्तन।

इक तो बड़ों बड़ों में नाँव, दूजे बीच गैल में गाँव, ऊपै भए पैसन से हीन, दद्दा हम पै विपदा तीन : कोई सज्जन अपनी तीन विपदाएं बता रहे हैं – एक तो लोग हमें धनी समझते हैं (इसलिए सहायता मांगने आते हैं), दूसरे मुख्य मार्ग पर गाँव स्थित है (इसलिए अधिक लोग हमारे घर आते हैं) और तीसरे यह कि अब हम पर अब धन नहीं रहा।

इक तो बुढ़िया नचनी, दूजे घर भया नाती : बुढ़िया नाचने की शौक़ीन थी और ऊपर से घर में पोते का जन्म हो गया तो वह नाचे ही जा रही है। किसी सुअवसर पर अधिक प्रसन्न होने वालों पर व्यंग्य।

इक नागिन अरू पंख लगाई : एक खतरनाक चीज़ जब और खतरनाक हो जाए.

इकली लकड़ी ना जले, नाहिं उजाला होय : अकेला व्यक्ति कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकता।

इक्का, वकील और गधा, पटना शहर में सदा : किसी भुक्तभोगी ने पटना शहर की तारीफ़ यह कह कर की है कि वहाँ इक्के, वकील और गधे हमेशा मिलते है।

इक्के चढ़ कर जाए, पैसे दे कर धक्के खाए : इक्के की सवारी में धक्के बहुत लगते थे, उस पर मजाक।

इज्जत भरम की, कमाई करम की, लुगाई सरम की : जो आदमी जितनी हवा बना कर रखता है उस की उतनी अधिक इज्जत होती है, कमाई अपने भाग्य से होती है या अपने कर्म से होती है (यहाँ करम का अर्थ कर्मफल अर्थात भाग्य से भी है और उद्यम से भी) और स्त्री लज्जाशील ही अच्छी होती है। भरम – भ्रम।

इज्जत वाले की कमबख्ती है : जिसकी कोई इज्जत नहीं उसे कोई चिंता नहीं, प्रतिष्ठित व्यक्ति को ही अपनी साख बचाने के लिए सब झंझट करने पड़ते हैं।

इडिल-मिडिल की छोड़ आस, धर खुरपा गढ़ घास : पहले जमाने में आठवाँ पास को मिडिल पास कहते थे। जिस का मन पढ़ाई में न लग रहा हो उस से बड़े बूढ़े कह रहे हैं कि तुम तो खुरपा पकड़ो और घास खोदो।

इतना ऊपर न देखो की सर पर रखा टोप ही नीचे गिर जाय : आदमी को अपनी हैसियत से ज्यादा का सपना नहीं देखना चाहिए।

इतना नफा खाओ जितना आटे में नोन : व्यापार में थोड़ा ही मुनाफा खाना चाहिए। ज्यादा मुनाफाखोरी से व्यापार चौपट हो सकता है और लोगों की हाय भी लगती है।

इतना हंसिए की रोना न पड़े : सफलता मिलने पर या किसी शुभ अवसर पर बहुत अधिक खुश नहीं होना चाहिए। समय बड़ा बलवान है, कभी भी पलट सकता है।

इतनी बड़ाई और फटी रजाई : जो लोग डींगें बहुत हांकते हैं और अन्दर से खोखले होते हैं।

इतनी सी जान गज भर की जबान : जब कोई लड़का या छोटा आदमी बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करता है.

इत्तेफाक से कुतिया मरी, ढोंगी कहे मेरी बानी फली : कुतिया तो इत्तेफाक से मरी थी, ढोंगी बाबा को यह कहने का मौका मिल गया कि देखो मैंने श्राप दिया इसलिए मर गई। संयोग का फायदा उठाने वाले कुटिल लोगों के लिए।

इधर का दिन उधर उग आया : आशा के विपरीत लाभ किसी और को हो गया।

इधर काटा उधर पलट गया : सांप के लिए कहते हैं कि वह काटते ही पलट जाता है तभी उसका जहर चढ़ता है। इस कहावत को धोखेबाज आदमी के लिए प्रयोग करते हैं जो धोखा देता है और अपनी बात पर कायम नहीं रहता।

इधर कुआं उधर खाई। (आगे कुआं पीछे खाई) (इधर गिरूँ तो कुआं, उधर गिरूँ तो खाई) : जब व्यक्ति किसी ऐसी परिस्थिति में फंस जाए जिसमें दोनों ही विकल्प खतरनाक हों तब यह कहावत प्रयोग की जाती है। इंग्लिश में कहते हैं Between the devil and the deep sea.

इधर तलैया उधर बाघ। दोनों ओर संकट का होना।

इधर न उधर यह बला किधर : जब कोई अत्यधिक बीमार व्यक्ति न मरे न ही ठीक हो, तब कहते हैं। 

इन तिलों में तेल नहीं : निचुड़ा हुआ आदमी।

इन नैनन का यही विसेख, वह भी देखा यह भी देख : इन आँखों की विशेषता यही है कि ये अच्छा भी देखती हैं और बुरा भी। तात्पर्य है कि व्यक्ति को अच्छे बुरे सभी तरह के दिन देखने पड़ते हैं।

इनकी नाक पर गुस्से का मस्सा : जो लोग हर समय गुस्से में रहते हैं उन पर व्यंग्य।

इन्दर की जाई पानी को तिसाई : जाई – बेटी, तिसाई – प्यासी (तृषित)। वर्षा के देवता इंद्र की पुत्री पानी को तरस रही है। जहाँ किसी वस्तु की अधिकता होनी चाहिए वहाँ उसकी कमी हो तो।

इन्दर राजा गरजा, म्हारा जिया लरजा : बरसात आने पर गल्ले का व्यापारी घबरा रहा है कि सामान कहाँ रखूँ, जो भीग कर खराब न हो। (कुम्हार के लिए भी)।

इब्तदाये इश्क है रोता है क्या, आगे- आगे देखिए होता है क्या : किसी काम को शुरू करने पर जो लोग ज्यादा उत्साह दिखाते हैं या ज्यादा घबराते हैं उन के लिए।

इमली बूढ़ी हो जाए पर खटाई नहीं छोड़ती : बूढ़ा होने पर भी व्यक्ति का स्वभाव नहीं बदलता।

इराकी पर जोर न चला, गधी के कान उमेठे : इराकी – घुड़सवार। ताकतवर पर वश न चले तो कमज़ोर पर ताकत दिखाते हैं।

इर्ष्या द्वेष कभी न कीजे, आयु घटे तन छीजे : किसी से ईर्ष्या करने पर उसका कोई नुकसान नहीं होता, अपना स्वास्थ्य खराब होता है और आयु कम होती है। दूसरों की सुख समृद्धि देख कर जलना नहीं चाहिए, मन में संतोष रखना चाहिए।

इलाज से बड़ा परहेज : परहेज का महत्त्व दवा से भी अधिक है। इंग्लिश में कहावत है – Prevention is better than cure।

इल्म का परखना और लोहे के चने चबाना बराबर है : किसी की सही योग्यता जान पाना बहुत कठिन है।

इल्म थोड़ा, गरूर ज्यादा : अल्पज्ञानी और अहंकारी व्यक्ति के लिए।

इल्लत जाए धोए धाय, आदत कभी न जाए : गन्दगी तो धोने से छूट सकती है पर गन्दी आदत कभी नहीं छूटती। इंग्लिश में कहते हैं – Old habits die hard।

इल्ली मसलने से आटा वापस नहीं मिलता : इल्ली कहते हैं अनाज में पलने वाले लार्वा को। यह बहुत तेज़ी से अनाज को खाता है। लेकिन अगर हम गुस्से में इल्ली को मसल दें तो वह अनाज वापस नहीं मिल सकता। किसी ने हमारा नुकसान किया हो तो उस को मार देने से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती।

इश्क और मुशक छिपाए नहीं छिपते : प्रेम और दुश्मनी छिपाने से नहीं छिपते (प्रकट हो ही जाते हैं)। रहीम ने इसे और विस्तार से इस प्रकार कहा है – खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीत, मदपान; रहिमन दाबे न दबें, जानत सकल जहान। कत्थे का दाग, खून, खांसी, ख़ुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब पीना ये सब छिपाने से नहीं छिपते।

इश्क का मारा फिरे बावला : प्रेम का रोग जिसको लग जाए वह उचित अनुचित का बोध खो देता है।

इश्क की मारी कुतिया कीचड़ में लोटती है : विशेषकर दुश्चरित्र स्त्री की ओर संकेत है कि वह अपने प्रेमी को पाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

इश्क की मारी गधी धूल में लोटे : गधी को भी इश्क हो जाए तो वह अपने काबू में नहीं रहती। प्रेम करने वालों पर व्यंग्य।

इश्क के कूचे में आशिक की हजामत होती है : प्रेम के चक्कर में आदमी लुट जाता है।

इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के : इश्क के चक्कर में पड़ कर अच्छे खासे कामकाजी लोग भी बरबाद हो जाते हैं। प्रेम के अलावा कोई और परेशानी होने पर भी लोग मजाक में ऐसा बोलते हैं।

इश्क मुश्क खांसी ख़ुशी, सेवन मदिरा पान, जे नौ दाबे न दबें, पाप पुण्य औ स्यान : (बुन्देलखंडी कहावत) स्यान – चालाकी; प्रेम, शत्रुता, खांसी, ख़ुशी, मदिरा सेवन, पाप, पुण्य और चतुराई, ये सब छिपाने से नहीं छिपते।

इश्क में शाह और गधा बराबर : अर्थात दोनों की ही अक्ल घास चरने चली जाती है।

इस घर का बाबा आदम ही निराला है : किसी घर के रीति रिवाज़ दुनिया से अलग हों तो।

इस दुनिया के तीन कसाई, पिस्सू, खटमल, बामन भाई : ये तीनों ही लोगों का खून चूसते हैं।

इस देवी ने बहुत से भक्त तारे हैं : किसी कुलटा स्त्री के प्रति व्यंग्य।

इस मुर्दे का पीला पाँव, के पीछे पीछे तुम भी आओ : कुछ चोर सोने की मूर्ति चुरा कर उस की अर्थी बना कर ले जा रहे थे। संयोग से पैर के ऊपर ढंका कपड़ा कुछ उघड़ गया और मूर्ति का पैर दिखने लगा। किसी आदमी ने यह देख कर सवाल पूछा। चोरों को लगा कि इस आदमी को शक हो गया है तो उस से बोले कि तुम भी साथ आ जाओ, तुम्हें भी हिस्सा दे देंगे। किसी घोटाले के उजागर होने पर घोटाला करने वाला हिस्सा देने की बात कहे तो यह कहावत कही जाती है।

इस हाथ घोड़ा, उस हाथ गधा : जो आदमी जल्दी खुश हो जाए और उतनी ही जल्दी नाराज भी हो जाए।

इस हाथ ले, उस हाथ दे : इस का अर्थ दो प्रकार से है – एक तो यह कि धन संपत्ति के लिए अधिक लोभ और मोह नहीं करना चाहिए, यदि हम समाज से बहुत कुछ लेते हैं तो समाज को बहुत कुछ देना भी चाहिए। दूसरा यह कि उधार ली हुई रकम जितनी जल्दी हो सके लौटा देनी चाहिए। कुछ लोग पूरी कहावत इस प्रकार बोलते हैं – क्या खूब सौदा नकद है, इस हाथ ले उस हाथ दे।

इहाँ कुम्हड़बतिया कोऊ नाहीं, जे तर्जनी देखि मुरझाहीं : यहाँ कोई छुईमुई की पत्तियाँ नहीं है जो तुम्हारी उँगली देख कर मुरझा जाएंगी। राम ने जब शिवजी का धनुष तोड़ दिया तो परशुराम आ कर बहुत क्रोधित होने लगे। तब लक्ष्मण ने उन को ललकारते हुए यह कहा। कहावत का अर्थ है कि आप अपने को बहुत बलशाली समझते हो पर हम भी आप से कम नहीं है।

इहाँ न लागहिं राउर माया : यहाँ आप की जालसाजी नहीं चलेगी। राउर – आपकी।

इंचा खिंचा वह फिरे, जो पराए बीच में पड़े : जो दूसरों के मसलों में बीच में पड़ता है वह खुद ही परेशानी में पड़ जाता है (अपनी टांगें खिंचवाता है) ।

इंतजार का फल मीठा : प्रतीक्षा करने के बाद जो चीज़ मिलती है वह अधिक अच्छी लगती है।

इंशाअल्लाहताला, बिल्ली का मुँह काला : मुसलमान लोगमुँह से कोई अशोभनीय बात निकल जाए तो ऐसा कहते हैं।

इंसान अपने दुःख से इतना दुखी नहीं है जितना औरों के सुख से है : अर्थ स्पष्ट है।

इंसान जन्म से नहीं कर्म से महान होता है : अर्थ स्पष्ट है।

इंसान बनना है तो दारू पियो, दूध तो साले कुत्ते भी पीते हैं : यूँ तो शराब पीने वाले अपने आप को सही ठहराने के लिए बहुत से बहाने बताते हैं पर इस से ज्यादा मजेदार शायद ही कोई होगा।

( ई )

ई बुढ़िया बड़ी लबलोली, चढ़े को मांगे डोली : किसी अपात्र व्यक्ति द्वारा अनुचित सुविधाएं मांगने पर।

ईख की गांठ में रस नहीं होता : गन्ना बहुत रस से भरा होता है पर उसकी भी गाँठ में रस नहीं होता। किसी भी व्यक्ति में सभी अच्छाईयाँ नहीं होतीं थोड़ी बहुत कमियाँ भी होती हैं।

ईतर के घर तीतर, बाहर बाधूँ कि भीतर (घड़ी बाहर घड़ी भीतर)। किसी इतराने वाले व्यक्ति के हाथ कोई बड़ी चीज़ लग गई है। कभी घर में रखता है कभी बाहर सबको दिखाता घूमता है।

ईद खाई बकरीद खाई, खायो सारे रोजा, एक दिना की होरी आई, घर घर मांगे गूझा : मुसलमान के लिए व्यंग्य में कह रहे हैं कि उसने ईद पर, बकरीद पर और तीसों रोजों में खूब माल खाए। अब एक दिन की होली आई है तो घर घर जा कर गुझिया मांग रहा है।

ईद पीछे चाँद मुबारक : बेमौके काम।

ईन मीन साढ़े तीन। कोई बहुत छोटा परिवार या संस्था।

ईश रजाय सीस सबही के। ईश्वर सभी के सर झुकाता है।

ईश्वर उनकी सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं। अर्थ स्पष्ट है।

ईश्वर की गति ईश्वर जाने। भगवान की माया वे स्वयं ही समझ सकते हैं। इंग्लिश में कहते हैं Mysterious are the ways of God।

ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया। ईश्वर की बनाई दुनिया में कहीं ख़ुशी है कहीं दुःख।

ईश्वर देखा नहीं तो बुद्धि से तो जाना जा सकता है : ईश्वर का साक्षात दर्शन नहीं हो सकता, बुद्धि के द्वारा ही ईश्वर के अस्तित्व की पहचान हो सकती है।

ईश्वर राखे जैसे तैसे रहो खुश : अर्थ स्पष्ट है।

ईश्वर लड़ने की रात दे बिछड़ने का दिन न दे। घरवालों या दोस्तों से थोड़ी बहुत लड़ाई भले ही होती रहे, कभी बिछड़ना न पड़े।

ईस जाए पर टीस न जाए : किसी से ईर्ष्या न भी करो तो भी उस की सम्पन्नता देख कर मन में टीस तो होती है।

ईंट का घर, मिट्टी का दर। बेतुका काम। घर तो ईंट का बनाया पर दरवाज़ा मिट्टी का बना दिया।

ईंट की देवी, रोड़े का प्रसाद : जैसी देवी वैसा प्रसाद।

ईंट की लेनी पत्थर की देनी : कठोर बदला चुकाना, मुँह तोड़ जवाब देना.

ईंट खिसकी दीवार धसकी : एक ईंट खिसकने से ही दीवार गिर सकती है। समाज और संगठन में एक एक व्यक्ति महत्वपूर्ण है, इसलिए किसी की अवहेलना नहीं करना चाहिए।

ईंट मारेगा छींट खाएगा। (पाथर डारे कीच में उछरि बिगारे अंग) : कीचड़ में ईंट फेंकने से अपने ऊपर छींटें आती हैं। नीच व्यक्ति को छेड़ने पर अपना ही नुकसान होता है।

( उ )

उगता नहीं तपा, तो डूबता क्या तपेगा : जिसने युवावस्था में कोई प्रसिद्धि पाने लायक कार्य नहीं किया वह वृद्धावस्था में क्या करेगा।

उगता सूरज तपे : जब व्यक्ति कामयाबी की सीढियों पर चढ़ रहा होता है वह बहुत रौब दिखाता है।

उगते सूरज को सभी नमस्कार करते हैं : जब व्यक्ति उन्नति कर रहा होता है तो सभी उसका आदर करते हैं।

उगले सो अंधा खाए तो कोढ़ी : (सांप छछूंदर की गति) किसी ऐसी स्थिति में फंस जाना जिस में दोनों प्रकार से संकट हो। (सांप के विषय में कहा जाता है कि यदि वह छछूंदर को पकड़ ले तो बहुत संकट में पड़ जाता है, यदि वह उसे उगल दे तो अंधा हो जाएगा और अगर निगल ले तो कोढ़ी हो जाएगा)।

उगे सो अस्ते, जन्मे सो मरे : जो उदय होता है वह अस्त भी होगा (चाहे सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र हों या साम्राज्य) और जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को अवश्य प्राप्त होगा। अपने अच्छे समय में कभी अभिमान नहीं करना चाहिए।

उघरे अंत न होहि निबाहू, (कालनेमि जिमि रावन राहू) : धोखे का काम अधिक समय नहीं चलता (अंत में खुल जाता है), जिस प्रकार कालनेमि, रावण और राहु के साथ हुआ।

उजड़े घर का बलेंड़ा : किसी बर्बाद हुए व्यापार या संस्था का एकमात्र जिम्मेदार आदमी। (बलेंड़ा – छप्पर में लगने वाली लम्बी लकड़ी)।

उजड़े न टिड्डी का घर, नाम वीरसिंह : गुण के विपरीत नाम।

उजला उजला सभी दूध नहीं होता : सभी सफ़ेद चीज़ दूध नहीं होतीं। अर्थ है कि केवल देखने से किसी वस्तु के गुणों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता : इंग्लिश में कहते हैं – All that glitters is not gold.

उजले उजले सब भले उजले भले न केस, नारि नवे न रिपु दबे न आदर करे नरेस : और सब चीजों का उज्ज्वल होना अच्छा है पर बालों का उजला (सफ़ेद) होना नहीं। बाल सफ़ेद हों तो स्त्री नहीं दबती, शत्रु भय नहीं खाते और राजा भी आदर नहीं करते।

उज्ज्वल बरन अधीनता, एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो, निरे कपट की खान : बगुले के लिए कही गई पहेली नुमा कहावत। उजला रंग, एक पैर पर खड़े होकर दो चीज़ों में ध्यान लगाए हैं। देखने में भगत लगते हैं पर निरे कपट की खान हैं। ढोंगी साधुओं और नेताओं के लिए भी।

उज्ज्वलता मन उज्जवल राखे, वेद पुरान सकल अस भाखैं : चरित्र की शुद्धता से मन भी उज्ज्वल रहता है। वेद पुराण सभी ऐसा कहते हैं। भाखैं – भाषित करते हैं।

उठ दूल्हे फेरे ले, हाय राम मौत दे : आलसी होने की पराकाष्ठ। दूल्हे से कहा जा रहा है कि उठ फेरे ले, वह कह रहा है हाय राम! क्या मौत आ गई।

उठ बंदे, वही धंधे : सुबह सो कर उठते ही आदमी को काम धंधे की चिंता सताने लगती है।

उठ बे बंदर, बैठ बे बंदर : जोरू के गुलाम का मजाक उड़ाने के लिए।

उठती मालिन और बैठता बनिया : मालिन जब दुकान समेट कर घर जा रही होती है तो निबटाने के लिहाज से सामान सस्ता दे देती है, और बनिया जब दुकान खोलता है तो बोहनी के चक्कर में सामान सस्ता दे देता है।

उठी पैठ आठवें दिन ही लगती है : यहाँ पैठ का अर्थ साप्ताहिक बाज़ार से है। अवसर एक बार हाथ से निकल जाने पर दोबारा जल्दी हाथ नहीं आता।

उठो सासू जी आराम करो, मैं कातूं तुम पीस लो : बहू को सास के आराम का बड़ा ध्यान है। कह रही है, तुम आराम से चक्की पीसो,  सूत कातने जैसा कठिन काम मैं कर लेती हूँ।

उड़ता आटा पुरखों को अर्पण : चक्की में से उड़ते आटे को पुरखों को अर्पण करने का ढोंग।

उड़ती उड़ती ताक चढ़ी : किसी उड़ती खबर को महत्त्व मिल जाना।

उड़द कहे मेरे माथे टीका, मुझ बिन ब्याह न होवे नीका : उड़द की दाल पर छोटा सा निशान होता है। उड़द के बिना बड़े और कचौड़ी नहीं बन सकतीं इसलिए कोई भी आयोजन फीका रहेगा।

उड़द लगे न पापड़ी, बहू घर में आ पड़ी : शादी विवाह जैसे समारोहों में बड़ियाँ व कचौड़ियाँ बनती हैं जिन में उड़द की दाल का प्रयोग होता है। किसी के विवाह आदि में कोई समारोह न किया जाए और लोगों को दावत न मिले तो लोग मजाक उड़ाने के लिए इस प्रकार बोलते हैं।

उढ़ली बहू बलैंड़े सांप दिखावे : उढ़ली माने दुश्चरित्रा स्त्री। इस प्रकार की बहू छप्पर में साँप बता कर लोगों का ध्यान उस तरफ लगा देती है और खुद घर से निकल जाती है। कोई कामचोर या बेईमान आदमी बहाने बनाए तो यह कहावत कही जाती है।

उत तेरा जाना मूल न सोहे, जो तुझे देख के कूकुर रोवे : यदि कहीं जाने पर आपको देख के कुत्ता रोता है तो इसे भारी अपशकुन मानें।

उत से अंधा आय है, इत से अंधा जाय, अंधे से अंधा मिला, कौन बतावे राय : जहाँ सारे लोग अज्ञानी हों वहाँ राह कौन दिखाएगा।

उतना खाए जितना पचे : खाने में संयम रखने के लिहाज से भी कहा गया है और रिश्वतखोरों को भी सलाह दी गई है।

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई : 1 : एक बार बेज्जती हो गई तो फिर वह मान सम्मान लौट कर नहीं आ सकता। 2. जिस का सम्मान चला जाए वह कुछ भी कर सकता है।

उतरती नदी किनारे ढाए : बाढ़ के बाद जब नदी का पानी उतरता है तो किनारों को ढहा देता है। संकट खत्म होते होते भी हानि पहुँचा सकता है इसलिए संकट बिल्कुल समाप्त होने तक सावधान रहना चाहिए।

उतरा घांटी, हुआ माटी : स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन भी गले से नीचे उतर कर मिट्टी के समान महत्वहीन हो जाता है।

उतरा पातर, मैं मियां तू चाकर : पातर – कर्ज़। कर्ज़ उतारने के बाद अब मैं तुम से क्यों दबूं।

उतरा हाकिम कुत्ते बराबर (उतरा हाकिम चूहे बराबर)। पद खोने के बाद हाकिम को कोई नहीं पूछता।

उतारने से ही बोझ उतरता है : सर पर रखा बोझ हो या कोई क़र्ज़, वह प्रयास करने से ही उतरता है।

उतावला दो बार फिरे : जल्दबाजी में आगे बढ़ने वाले को दो बार लौट के आना पड़ता है और अधिक समय लगता है।

उतावला सो बावला, धीरा सो गम्भीरा : जल्दबाजी करने वाला अक्सर मूर्खतापूर्ण कार्य कर देता है। धैर्य से काम करने वाला गंभीर व्यक्ति ही सफल होता है।

उतावली कुम्हारन, नाखून से मिट्टी खोदे : जल्दबाजी में फूहड़पन से काम करना।

उतावली नाइन उंगली काटे : नाई की कुशलता की परीक्षा नहरनी से नाखून काटने में होती है। नाइन अगर जल्दबाजी में काम करगी तो नाखून के साथ उंगली भी काट देगी।

उतावले मारे जाते हैं, वीरों के गाँव बसते हैं : जल्दबाजी करने वाले सही योजना न बनाने के कारण युद्ध में हार जाते हैं जबकि वीर पुरुष समझदारी से युद्ध जीत कर गाँव व शहर बसाते हैं।

उत्तम खेती जो हल गहा, मध्यम खेती जो संग रहा : जो खुद हल चलाता है उस की खेती सब से अच्छी होती है और जो हलवाहे के साथ में रहता है उसकी खेती मध्यम (कुछ कम सफल) होती है।

उत्तम खेती मध्यम बान, अधम चाकरी भीख निदान : घाघ के अनुसार खेती सर्वोत्तम कार्य है, व्यापार मध्यम और नौकरी निम्न श्रेणी का काम है और यदि कोई काम न कर सको तो भीख मांग कर काम चलाओ।

उत्तम गाना, मध्यम बजाना : गायकी सर्वश्रेष्ठ है, वाद्य बजाना उसके बाद आता है।

उत्तम विद्या लीजिए। तदपि नीच में होए : यदि किसी छोटे व्यक्ति में कोई गुण हो तो उससे सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए।

उत्तम विद्या लीजिये जदपि नीच में होय, पड़यो अपावन ठौर में कंचन तजे न कोय : किसी निम्न कुल के व्यक्ति, निर्धन या अनपढ़ से भी यदि कोई उत्तम बात सीखने को मिले तो सीखनी चाहिए। सोना यदि गंदे स्थान पर पड़ा हो तो भी उसे छोड़ थोड़े ही देते हैं।

उत्तम से उत्तम मिले, मिले नीच से नीच, पानी में पानी मिले, मिले कीच में कीच : व्यक्ति अपनी संगत स्वयं ही ढूँढ़ लेता है। उत्तम व्यक्ति उत्तम लोगों की संगत पसंद करता है और नीच व्यक्ति नीच लोगों की संगत ढूँढता है।

उत्तर गुरु दक्खन में चेला, कैसे विद्या पढ़े अकेला : जब कोई दो व्यक्ति बहुत दूर दूर हों तो आपस में संवाद हीनता की स्थिति बन जाती है।

उत्तर जायं कि दक्खन, वे ही करम के लच्छन : जिन का भाग्य साथ नहीं देता वे बेचारे कहीं भी जाएँ असफल ही होते हैं।

उत्तर रखे बतावे दक्खन बाके अच्छे नाही लच्छन : जो व्यक्ति बात का उल्टा जवाब देता है वह विश्वास योग्य नहीं होता।

उथली रकाबी फुलफुला भात, लो पंचों हाथ ही हाथ : कंजूस की बेटी की शादी हुई तो उसने उथली प्लेट में फूला फूला भात परोस दिया ताकि देखने में ज्यादा लगे। कोई खिलाने पिलाने में कंजूसी करे तो यह कहावत कहते हैं।

उथले कहि के गहरे बोरें : उथला पानी बता कर गहरे में डुबो देने वालों के लिए।

उथले पानी की मछली : कम संसाधनों में परेशानी से गुजारा करने वाले के लिए।

उदधि बड़ाई कौन है, जगत पियासो जाय : समुद्र में कितना भी पानी क्यों न हो उससे किसी की प्यास नहीं बुझती। कोई व्यक्ति कितना भी धनवान या ज्ञानवान क्यों न हो, यदि किसी के काम न आ सके तो उसका बड़प्पन बेकार है।

उदधि रहे मर्याद में बहे उलटो नव नीर : समुद्र जिसमें अथाह जल है वह तो गंभीर रहता है पर बरसात में इकठ्ठा होने वाला पानी उल्टा सीधा बहता है। अर्थ है कि जो पुराने खानदानी धनवान या विद्वान होते हैं वे तो गंभीर होते हैं पर नया धन या नई विद्या अर्जित करना वाला व्यक्ति बहुत दिखावा करता है।

उद्यम के सर लक्ष्मी, पंखा कीसी ब्यार : उद्यमी व्यक्ति के सर पर लक्ष्मी स्वयं पंखा ले कर हवा करती है। (अर्थात उस की दासी बन कर रहती है)

उद्यम से दलिद्दर घटे : कर्म करने से ही दरिद्रता घटती है।

उद्यम ही सफलता की कुंजी है : कोई नया काम आरम्भ करे या किसी का कोई चलता हुआ काम हो, दोनों ही अवस्थाओं में उद्यम करने से ही सफलता मिलती है। इंग्लिश में  कहावत है – Every man is the architecht of his own fortune.

उधार का खाना, फ़ूस का तापना : जैसे आग लगाने के बाद फूस एक दम ख़तम हो जाता है वैसे ही उधार के पैसे से यदि खाओगे पियोगे तो वह एक दम ख़तम हो जाएगा। अर्थ है कि उधार लेना व्यापार के लिए तो ठीक है (जिससे कमा कर आप वापस कर सकते हैं), पर उधार के पैसे से गुलछर्रे नहीं उड़ाने चाहिए।

उधार का गड्ढा समन्दर से गहरा : एक बार उधार ले कर उससे उऋण होना बहुत कठिन है।

उधार का बाप तकादा :  उधार लोगे तो तकादा झेलना ही पड़ेगा। तकादा – पैसा वापस माँगना।

उधार काढ़ व्यौहार चलावे, छप्पर डारे ताला, साले संग बहिनी को पठावे, तीनहुं का मुँह काला : उधार ले कर सामाजिक लेन देन करना, छप्पर पर ताला डालना और साले के संग अपनी बहन को कहीं भेजना, ये तीनों मूर्खतापूर्ण कार्य हैं।

उधार की कोदों खाएं, ठसक से मरी जाएं : कोदों एक घटिया अनाज माना जाता है वह भी उधार ले कर खा रही हैं और घमंड दिखा रही हैं।

उधार की जूती, खैरात का नाड़ा, पढ़ दे मुल्ला ब्याह उधारा : गाँठ में कुछ नहीं है पर मियाँ जी ब्याह करने चले हैं। सब काम उधार हो रहा है। पास में पैसा न होने पर भी महंगे शौक करने वालों के लिए।

उधार दिया और ग्राहक गंवाया (उधार दिया, गाहक खोया) : जिस ग्राहक को उधार दिया वह फिर दूकान पर नहीं आता (लौटाना न पड़े इस चक्कर में)।

उधार दीजे, दुश्मन कीजे : किसी को उधार देना गलत है क्योंकि जब आप अपना पैसा वापस मांगेंगे तो वह आपका दुश्मन हो जाएगा। (उधार देना, लड़ाई मोल लेना)। इंग्लिश में कहावत है – Borrowing is sorrowing.

उधार प्रेम की कैंची है : ऊपर वाली कहावत के समान।

उधार बड़ी हत्या है : उधार लेना और देना दोनों ही परेशानी का कारण बनते हैं।

उधार बेचें न मांगने जाएं : न उधार माल बेचेंगे, न तकादे करते फिरेंगे।

उधार लाएं और ब्याज पर दें : एक के बाद दूसरी उस से भी बड़ी गलती करना।

उधार लेना और देना दोनों फसाद की जड़ : अपनी झूठी शान दिखाने के लिए उधार ले कर खर्च करने वाले लोग बाद में परेशानी उठाते हैं और उधार देने वाले उस की उगाही को ले कर परेशानी उठाते हैं। इंग्लिश में कहावत है – Neither a borrower nor a lender be.

उधारिया पासंग नहीं देखता : जो व्यक्ति माल उधार ले रहा है वह तोलने में थोड़ी बहुत बेईमानी को नजर अंदाज़ कर देता है। पासंग – तराजू के पल्लों को बराबर करने के लिए लगाया गया वजन।

उधेड़ के रोटी न खाओ, नंगी होती है : रोटी को उधेड़ कर नहीं खाना चाहिए इस बात को ज्यादा ही जोर दे कर कह दिया गया है। एक अर्थ यह भी हो सकता है कि जो भी खाते हो उसे दाब ढक कर खाओ दिखा कर नहीं।

उन धारी है देह वृथा जग में, जिन नेह के पंथ में पाँव न दीन्हों : जिनके मन में प्रेम नहीं है उनका जन्म लेना बेकार है।

उपजति एक संग जल माही, जलज जोंक जिमि गुण विलगाही : कमल का फूल और जोंक दोनों जल में उत्पन्न होते हैं पर उनके गुणों में जमीन आसमान का फर्क है। इसी प्रकार एक घर या एक समाज में पैदा होने वाले दो लोगों में बहुत अंतर हो सकता है।

उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन : दूसरों की कमियाँ बताना बड़ा आसान है पर कठिन परिस्थिति में स्वयं आगे बढ़ कर समाधान करना बहुत कठिन है।

उपला जले गोबर हँसे : कंडे को जलता देख कर गोबर हँसता है। यह भूल जाता है कि कल उसे भी उपला बन कर जलना है।

उपास न त्रास, फलार की आस : उपास – उपवास, फलार – व्रत में खाया जाने वाला फलाहार। व्रत नहीं रखा, कोई कष्ट नहीं उठाया और बढ़िया फलाहार की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

उपास से मेहरी के जूठ भला : (भोजपुरी कहावत) उपास – उपवास। भूखा रहने से अपनी पत्नी का जूठा खाना अच्छा।

उम्मीद पर दुनिया कायम है : व्यक्ति हमेशा अच्छे की आशा करता है इसी आशावाद पर संसार चल रहा है।

उलझना आसान, सुलझना मुश्किल : समस्याएं पैदा करना आसान होता है पर उनका हल निकालना मुश्किल।

उलटा पुलटा भै संसारा, नाऊ के सर को मूंडे लुहारा : संसार में बहुत कुछ उल्टा पुल्टा भी होता है, जैसे नाई का सर अगर लुहार मूंडे तो।

उलटी गंगा पहाड़ चली : 1. उलटी रीत। 2.असंभव सी बात। (हास्यास्पद भी)

उलटी बाकी रीत है, उलटी बाकी चाल, जो नर भौंड़ी राह में, खोवे अपना माल : अपनी मूर्खता से अपना माल गंवाने वाले व्यक्ति के लिए कहावत है।

उलटे बाँस बरेली को : एक समय में बरेली बांसों की मंडी थी। (कुछ हद तक अभी भी है)। उस समय यदि कोई बांस ले कर बरेली आता तो यह कहावत कही जाती। कहावत का अर्थ है कि जहाँ जिस चीज़ की बहुतायत है वहाँ उसे ले कर जाना बेतुकी बात है।

उलटो जो बादर चढ़े, विधवा खड़ी नहाए, घाघ कहैं सुन भड्डरी, वह बरसे वह जाए : घाघ कवि कहते हैं कि यदि बादल हवा के विरुद्ध बह कर आ रहा है तो जरूर बरसेगा और यदि विधवा स्त्री खड़ी हो कर नहा रही है तो वह जरूर किसी के साथ भाग जाएगी। (पुराने समय में विधवा विवाह को समाज स्वीकार नहीं करता था)।

उलायता चोर सही सांझे ऐड़ा : जल्दबाजी में आदमी गलत काम कर बैठता है। चोर जल्दबाजी कर रहा है तो शाम को ही चोरी करने निकल पड़ा। उलायता – जल्दबाज।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे : कोई आदमी गलत काम कर रहा है। आप टोकते हैं या समझाते हैं तो वह उल्टा आप से लड़ने लगता है। ऐसे में यह कहावत कही जाती है।

उल्लू के बेटा भया, गदहा नाम धरा : (भोजपुरी कहावत) मूर्ख लोगों की सन्तान भी मूर्ख ही होती हैं।

उसकी किस्मत क्या जागे जो काम करे से भागे : जो काम से जी चुराए उसकी किस्मत नहीं जाग सकती।

उस कूकुर से बच कर रहे, जा को जगत कटखना कहे : बदनाम और झगड़ालू व्यक्ति से बच कर रहना चाहिए।

उस को सीख न दो कभी जो हो मूरख नीच, लोह मेख नाहीं धंसे कबहूँ पाथर बीच : जो मूर्ख या नीच व्यक्ति हो उसे शिक्षा देने का प्रयास मत करो। पत्थर में कभी लोहे की कील नहीं धंस सकती।

उस जातक से करो न यारी, जिस की माता हो कलहारी : जिस बच्चे की माँ झगड़ालू हो उस से दोस्ती मत करो।

उस नर को न सीख सुहावे, प्रीत फंद में जो फंस जावे। जो इश्क के फंदे में फंस गया उसे सीख अच्छी नहीं लगती।

उस्ताद, हज्जाम, नाई, मैं और मेरा भाई, घोड़ी और घोड़ी का बछेड़ा और मुझको तो आप जानते ही हैं : कहीं कोई चीज़ बंट रही थी। वहाँ एक ही आदमी (नाई) कई नाम बता बहुत सारी लेने की कोशिश कर रहा है।

उंगलियों से नाखून अलग नहीं होते : जो अपने हैं वे अपने ही रहते हैं।

उंगली पकड़ाई पाहुंचा पकड़ लिया : किसी की थोड़ी सी सहायता की तो वह पीछे ही पड़ गया।

उंगली सूज कर अंगूठा नहीं बन सकती : किसी वस्तु की मूलभूत प्रकृति नहीं बदल सकती।

उंगली हिलाने से किसी का भला होता हो तो मना क्यूँ करें : अपने बिना प्रयास किये किसी का भला होता हो तो क्या हर्ज़ है।

( ऊ )

ऊजड़ खेड़ा, नाम निवेड़ा : बिलकुल निरक्षर व्यक्ति का नाम विद्याधर।

ऊजड़ हो घर सास का, बैर करे हर बार, पीहर घर सूयस बसे, जब लग है संसार : सास वैर करती है इसलिए उसका घर उजड़ जाए। पीहर (मायके) से इतना प्रेम है कि उसका सुयश जब तक संसार रहे तब तक रहने की कामना कर रही हैं। (इन्हें यह नहीं मालूम है कि सास का घर उजड़ेगा तो अपना भी तो नुकसान होगा)।

ऊत के निन्नानवे, बारह पंजे साठ : मूर्ख आदमी के लिए। (उससे पूछा निन्यानवे कितने होते हैं – बोला बारह पंजे)।

ऊत गाँव में कुम्हार ही महतो : सामान्यत: गाँव में कुम्हार की विशेष इज्जत नहीँ होती लेकिन मूरखों के गाँव में कुम्हार को भी बहुत महत्व दिया जा सकता है।

ऊत घोड़ी के घोंचू बछेड़े : माँ बाप मूर्ख हों तो सन्तान भी मूर्ख होती है।

ऊधो की पगड़ी माधो के सर : किसी की चीज़ किसी को देना या किसी का दोष किसी और के मत्थे मढ़ देना।

ऊधौ का लेना न माधौ का देना : झंझटों से मुक्त होना।

ऊन छीलते तेरह जगहे कटी बिचारी भेड़ : गरीब आदमी को लोग लूटते भी हैं और चोट भी पहुँचाते हैं।

ऊपर भरे नीचे झरे, उसको गोरखनाथ क्या करे : (राजस्थानी कहावत) खाने पीने वाला परन्तु संयमहीन। पहले के लोग यह मानते थे कि चालीस सेर खाने से एक सेर खून बनता है और एक सेर खाने से एक बूँद वीर्य। जो संयम नहीं रख सकता वह कितना भी खा ले स्वस्थ नहीं हो सकता।

ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती : ईश्वर जब पापों की सजा देता है तो व्यक्ति कुछ समझ ही नहीं पाता कि यह क्या हुआ कैसे हुआ।

ऊपर से बाबाजी दीखे नीचे खोज गधे के : खोज – पंजे के निशान। एक मठ के बाबाजी दिन में तो लोगों को उपदेश दिया करते थे और रात में खेतों में से ककड़ियां चुरा कर खाते थे। किसी को शक न हो इसके लिए उन्होंने विशेष प्रकार के जूते बनवाए थे जिनसे मिट्टी में गधे के पैर के निशान (खोज) बन जाते थे। एक दिन एक किसान रात में अपने खेत में छिप कर बैठ गया और उस ने बाबा जी को पकड़ लिया। जब कोई खुराफाती आदमी धर्मात्मा बनने का ढोंग करे तब यह कहावत कही जाती है।

ऊसर का खेत, जैसे कपटी का हेत : ऊसर खेत में फसल नहीं हो सकती और कपटी से मित्रता कभी सफल नहीं हो सकती। हेत – प्रेम।

ऊसर खेत में केसर : किसी असंभव बात के लिए यह कहावत कही जा सकती है।

ऊसर बरसे तृन न जमे : ऊसर खेत में वारिश हो तो भी कुछ पैदा नहीं होता। मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता।

ऊँच अटारी मधुर बतास, कहें घाघ घर ही कैलास : ऊंचा मकान और ठंडी हवा का आनंद जिस को प्राप्त हो उस के लिए घर पर ही कैलाश पर्वत है।

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उपजी सो भई हमारी : ऊबड़ खाबड़ क्यारी में कुछ बोया है तो जो कुछ भी उग आए वही नफ़ा है।

ऊँची दुकान, फीके पकवान : जहाँ कहीं तड़क भड़क व दिखावा तो बहुत हो पर माल घटिया मिल रहा हो वहाँ इस कहावत का प्रयोग करते हैं।

ऊँचे चढ़ कर देखा, तो घर घर बाही लेखा : हर घर में कुछ न कुछ खटपट व कलह होती है। (चाहे बाहर से न दिखती हो)।

ऊँट अपनी पूँछ से मक्खी नहीं उड़ा सकता : बड़े से बड़े व्यक्ति को भी अपने छोटे छोटे कामों के लिए किसी की सहायता लेनी पडती है।

ऊँट का मुँह ऊँट ही चूमे : बड़े आदमियों से बड़े ही संबंध बना सकते हैं।

ऊँट का रोग रैबारी जाने : रैबारी – ऊँटों का विशेषज्ञ। जो जिस काम का विशेषज्ञ है वही उस काम को ठीक से कर सकता है।

ऊँट का होंठ कब गिरे और कब खाऊँ : ऊँट का होंठ देख कर लगता है कि जैसे गिरने वाला है। लोमड़ी बैठी सोच रही है कि कब होंठ गिरे और कब खाने को मिले। व्यर्थ की आशा करने वालों पर व्यंग्य।

ऊँट की चोरी झुके-झुके, (ऊँट की चोरी निहुरे निहुरे) : कोई छोटी सी चीज़ चुरा कर तो आप झुक कर भाग सकते हैं पर ऊँट की चोरी झुके झुके नहीं कर सकते। कोई चुपचाप बहुत बड़ी चोरी करने का प्रयास करे तो।

ऊँट के गले में बिल्ली : 1. बहुत लम्बा दूल्हा और छोटी सी दुल्हन। बेमेल जोड़ी। 2. ऊंट और बिल्ली की एक कहानी भी है। एक आदमी का ऊंट खो गया। उसने ऐलान करवाया कि अगर ऊंट मिल गया तो उसे लाने वाले के हाथों दो टके में बेच देगा। जिस आदमी को ऊंट मिला वह इस उम्मीद से उस के पास आया कि दो टके में ऊंट खरीद लेगा। पर वह आदमी बहुत चालाक था। उसने ऊंट के गले में एक बिल्ली बांध दी और कहा कि ऊंट के साथ बिल्ली को भी लेना जरूरी है जिसकी कीमत सौ अशर्फियाँ है। इस तरह उस ने अपना ऊंट बचा लिया। किसी अच्छी चीज़ के साथ एक ख़राब चीज़ जबरदस्ती लेनी पड़ रही हो तो यह कहावत कही जाएगी।

ऊँट के ब्याह में गधा गवैया : दो मूर्खों का समागम।

ऊँट के मुँह में जीरा : बहुत अपर्याप्त सामग्री।

ऊँट को उठते ही सरपट नहीं दौड़ना चाहिए : ऊँट बेडौल होता है इसलिए उठते ही भागेगा तो गिर जाएगा। किसी काम के आरम्भ में बहुत तेजी नहीं दिखानी चाहिए।

ऊँट को किसने छप्पर छाए : घोड़े के लिए घुड़साल और गाय के लिए गौशाला बनाई जाती हैं पर ऊंट को खुले में ही रहना होता है। किस को क्या मिलेगा यह उस के भाग्य पर निर्भर होता है।

ऊँट को निगल लिया और दुम को हिचके (ऊँट निगल जाए, दुम पे हिचकियाँ ले) : बहुत बड़ा घोटाला करने वाला यदि छोटे से गलत काम को मना करे तो।

ऊँट गए सींग मांगे, कानौ खो आए : ऊंट के कान बहुत छोटे होते हैं। कहा जाता है कि ऊंट भगवान से सींग मांगने गया था और कान भी गंवा दिए।

ऊँट गुड़ दिए भी बर्राए, नमक दिए भी बर्राए : जिसकी आदत बड़बड़ाने की होती है वह हर परिस्थिति में शिकायत ही करता रहता है।

ऊँट चढ़ के मांगे भीख : जिस की भीख मांगने की आदत हो वह ऊंट पर चढ़ कर भी भीख ही मांगेगा।

ऊँट तेरी गर्दन टेढ़ी, कि मेरा सीधा क्या है : कुटिल व्यक्ति सब ओर से कुटिलता से भरा हुआ ही होता है।

ऊँट दुल्हा गधा पुरोहित : दो एक से बढ़ कर एक मूर्ख लोग मिल जाएं तो।

ऊँट न कूदे, बोरे कूदें, बोरों से पहले उपले कूदें : जहाँ अफसर कुछ न बोले लेकिन उस के नीचे के कर्मचारी ज्यादा तेजी दिखाएँ।

ऊँट रे ऊँट तेरी कौन सी कल सीधी : ऊंट कभी इस करवट बैठता है तो कभी उस करवट। उस से पूछ रहे हैं कि तेरी कौन सी करवट तेरे लिए सीधी है। (जैसे इंसान के लिए दाहिनी करवट सीधी मानी जाती है)। ऐसे व्यक्ति के लिए जिस की हरकतें विश्वास योग्य न हों।

ऊँट लँगड़ाये और गधा दागा जाये : दागना – लोहे की छड़ गरम कर के शरीर के किसी हिस्से से छुआना। ऐसा माना जाता है कि ऊँट लंगड़ा हो जाय तो गधे को दागने से ठीक हो जाता है। किसी को लाभ पहुँचाने के लिए दूसरे का नुकसान करना।

ऊँट लदने से गया तो क्या पादने से भी गया : जो आदमी किसी काम का नहीं रहता वह फ़ालतू बकवास तो कर सकता है।

ऊँट लदे गधा मरा जाए : किसी दूसरे के कष्ट से व्यर्थ में परेशान होना।

ऊँट लम्बा पर पूँछ छोटी। कोई भी व्यक्ति सब तरह से पूर्ण नहीं हो सकता।

ऊंघते को ठेलते का बहाना : कोई व्यक्ति ऊंघता ऊंघता गिरने को हुआ। तब तक किसी का हल्का सा धक्का लग गया। अब वह गिर गया तो दूसरे को दोष दे रहा है कि तूने मुझे गिरा दिया। अपनी गलती से काम बिगड़े पर दूसरे को दोष देना।

ऊंचे कुल क्या जनमिया जो करनी उच्च न होय, कनक कलश मद सों भरी साधुन निंदे सोय : यदि करनी अच्छी न हो तो ऊँचे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ। यदि सोने का घड़ा शराब से भरा हो तो साधु उसकी निंदा करते हैं।

ऊंचे गढ़ों के ऊंचे ही कंगूरे : बड़े लोगों की बड़ी बातें।

ऊंट का पाद, न जमीन का न आसमान का : किसी ऐसे आदमी के लिए जिस की गिनती किसी भी जमात में न हो सके। असभ्य भाषा है पर कहावतों में चलती है।

ऊंट का सुहाली से क्या भला होगा : सुहाली – मैदा की पतली पापड़ी। सुहाली कितनी भी अच्छी क्यों न हो ऊंट के लिए बेकार है क्योंकि न तो वह उसका स्वाद जानता है और न ही उसका सुहाली से पेट भरेगा।

ऊंट की पकड़, कुत्ते की झपट, खुदा इनसे बचाए : ये दोनों ही बहुत खतरनाक होती है।

ऊंट की बरसात में कमबख्ती : कीचड़ में चलने में ऊंट को बहुत परेशानी होती है इसलिए।

ऊंट को दगते देख मेंढकी ने भी टांग फैला दी : कहावत का अर्थ है किसी छोटे आदमी द्वारा अपने से बहुत बड़े आदमी की बराबरी करने की कोशिश करना।

ऊंट को बबूल प्यारा : घटिया सोच वाले व्यक्ति को घटिया वस्तुएं ही प्रिय होती हैं।

ऊंट घी देने पर भी बलाबलाए और फिटकरी देने पर भी बलबलाए : जिन की असंतुष्ट रहने की आदत है वे कैसे भी संतुष्ट नहीं होते।

ऊंट चढ़े पे कमरिया अपने आप मटके : (बुन्देलखंडी कहावत) ऊंट चलता है तो उस पर बैठे सवार की कमर न चाहते हुए भी मटकने लगती है। उच्च पद पाने पर व्यक्ति अपने आप ही इतराने लगता है।

ऊंट जब भागे तब पच्छम को। नासमझ और जिद्दी आदमी के लिए।

ऊंट न खाए आक, बकरी न खाए ढाक : सामान्य लोक विश्वास है कि ऊंट सब तरह के पेड़ पौधे खा लेता है पर आक के पेड़ को नहीं खाता। इसी प्रकार बकरी ढाक के पत्ते नहीं खाती।

ऊंट पर से गिरे, भाड़ेती से रूठे : अपनी असावधानी से ऊंट पर से गिर गए और भाड़े पर ऊंट देने वाले पर नाराज हो रहे हैं। अपनी कमी के लिए दूसरों को दोष देना।

ऊंट बलबलाता ही लदता है : जो लोग कोई काम करने में लगातार अनिच्छा और नाखुशी जाहिर करते रहते हैं उनके लिए।

ऊंट बहे, गधा थाह ले : नदी इतनी गहरी है कि ऊँट बह गया पर गधा यह जानने की कोशिश कर रहा है की पानी कितना गहरा है। जहाँ बड़े बड़े बुद्धिमान किसी समस्या का हल न खोज पा रहे हों वहाँ कोई मूर्ख व्यक्ति अपनी अक्ल लगाए तो।

ऊंट बुड्ढा हुआ पर मूतना न आया : उम्र बढ़ने के साथ भी यदि किसी व्यक्ति को काम करने का ढंग न आए तो यह कहावत कहते हैं।

ऊंट मरा, कपड़े के सिर : व्यापार में जो भी नुकसान होता है, उसे दाम बढ़ा कर ही वसूला जाता है। यदि कपडे के व्यापारी का ऊंट कपड़ा लाते समय रास्ते में मर गया तो उस की कीमत कपडे का दाम बढ़ा कर ही वसूल की जाएगी।

( ए, ऐ )

ए कूकुर तुम दुर्बल काही, दस घर की आवाजाही : कुत्ते से कोई पूछता है कि तुम दुबले क्यों हो, वह कहता है, क्या करूँ, पेट भरने के लिए दस घरों में आनाजाना पड़ता है।

ए माँ मक्खी, के बेटा उड़ा दे, माँ माँ दो हैं : बहुत ही आलसी व्यक्ति पर व्यंग्य।

एक अंडा, वह भी गंदा : कोई एक चीज़ हो वह भी खराब हो।

एक अकेला, दो ग्यारह (एक अकेला दो का मेला) : यदि दो लोग मिल कर काम करें तो उनकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

एक अनार सौ बीमार : अधिकतर लोग भ्रमवश यह समझते हैं कि अनार बीमारियों को दूर करता है। कहावत का अर्थ है कि बीमारियों को दूर करने वाला अनार तो एक ही है पर बीमार बहुत सारे हैं, कैसे सब का इलाज हो? जहाँ आवश्यकता से बहुत कम साधन उपलब्ध हों वहाँ यह कहावत कही जाती है।

एक अहारी सदा व्रती, एक नारी सदा जती : दिन में एक बार भोजन करने वाला व्रती माना जाता है और एक ही स्त्री रखने वाला ब्रह्मचारी माना जाता है।

एक अहीर की एक ही गाय, ना लागे तो छूछी जाय : किसी अहीर के पास एक ही गाय है। वह किसी दिन दूध न दे तो बहुत परेशानी की बात है। जैसे घर में कोई एक ही कमाने वाला हो, जिस दिन काम नहीं कर पाया उस दिन फाका करना पड़ेगा।

एक आँख फूटे तो दूसरी पर हाथ रखते हैं : कोई एक बड़ा नुकसान होने पर व्यक्ति दूसरे नुकसान से बचने का उपाय तुरंत ही करता है।

एक आँख से रोवे, एक आँख से हँसे : झूठ बोलने वाले बहरूपिये व्यक्ति के लिए।

एक आंसू, लाख फ़साने : लाख बार अपना दुखड़ा सुनाने के मुकाबले एक आंसू अधिक बात कह देता है।

एक इतवार के व्रत से जनम का कोढ़ नहीं जाता : कोई एक व्रत या पूजा पाठ कर लेने से सारे संकट नहीं मिट जाते। (कुछ लोग मानते हैं कि इतवार के व्रत रखने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

एक इल्ली सौ मन अनाज बिगाड़े। एक लार्वा बहुत सारे अनाज को बर्बाद कर सकता है, क्योंकि वह तेजी से अनाज को खाता है और गंदगी करता है। इसी प्रकार किसी भी संगठन या समाज को एक ही गलत आदमी बदनाम कर सकता है।

एक ओर चार वेद, एक ओर चतुराई : पोथियों का ज्ञान चतुराई की बराबरी नहीं कर सकता।

एक और एक ग्यारह होते हैं : इस कहावत का अर्थ है कि यदि दो लोग मिल कर काम करें तो उनकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

एक और एक तो दो होवें, पर एका हो तो ग्यारह हों : एकता में बहुत शक्ति है।

एक करे सब लाजैं : घर या समाज में एक आदमी की गलती से सब को लज्जित होना पड़ता है।

एक कहो न दस सुनो : यदि हम किसी को भला-बुरा न कहेंगे तो दूसरे भी हमें कुछ न कहेंगे.

एक की दारू दो : अकेलेपन की एक ही दवा है, एक से दो हो जाओ। दारु – दवा।

एक की सैर, दो का तमाशा, तीन का पिटना, चार का स्यापा : एक आदमी की मौज होती है, दो हो जाएं तो काम कुछ नहीं केवल तमाशा होगा, तीन में मार पीट झगड़ा और कहीं चार मिल गए तब तो रोने पीटने ही पड़ जाएंगे। यह कहावत उन कहावतों की एकदम उलट है जिनमें एक और एक ग्यारह और जमात में करामात जैसी बातें बताई गई हैं। इस बारे में एक कहानी कही जाती है। एक व्यक्ति के चार बेटे थे। उनको एकता का महत्त्व समझाने के लिए उसने उन चारों को एक एक लकड़ी दी और उसे तोड़ने कहा। सबने फ़ौरन लकड़ी तोड़ दी। फिर उसने चार लकड़ियाँ बाँध कर गट्ठर बना दिया और तब तोड़ने को कहा। तब उसे कोई नहीं तोड़ पाया। उसने लड़कों को समझाया कि मिल कर रहोगे तो सब का फायदा होगा। उसकी इस बात का जबाब देने के लिए छोटा लड़का पाँच गमले ले कर आया। एक गमले में चार छोटे छोटे सूखे सूखे पौधे लगे थे, और चार गमलों में एक एक भरा पूरा पौधा लगा था। उसने कहा – देखो बापू! अलग अलग रहने में ही तरक्की है।

एक की सैर, दो का तमाशा, तीन का मेला, चार का झमेला : एक काम को अधिक लोग करें तो काम नहीं होता।

एक कील ठोंके दूसरा टोपी टाँगे : पहले वाला आदमी कोई काम करता है और बाद वाले उसका फायदा उठाते हैं।

एक कुंजड़न नहीं आएगी तो क्या हाट नहीं भरेगा : कुंजड़न – सब्जी बेचने वाली। जो आदमी यह समझता हूं कि उसके न आने से सब काम रुक जाएंगे उसको सीख देने के लिए।

एक कुत्ते को रोता देख सब कुत्ते रोवें (कुत्ते को सुन कर कुत्ता रोवे) : बिना सोचे समझे एक दूसरे की नकल करने वालों पर व्यंग्य।

एक के दूने से सौ के सवाए भले : अधिक लाभ के चक्कर में पड़ के धन गँवाने से अच्छा है कम लाभ वाला सुरक्षित निवेश।

एक खजेली कुतिया सौ कुत्तों को खजेला करे : एक कुतिया को खुजली हो तो उस से सौ कुत्तों को खुजली हो सकती है। समाज में एक गलत व्यक्ति अनेक लोगों को गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सकता है।

एक खम्बे से दो हाथी नहीं बंध सकते : कोई दो शक्तिशाली लोग एक व्यक्ति के अधीन नहीं रह सकते।

एक खसम नहिं होवे जिसके सहस खसम हो जाएं : जिस स्त्री का पति नहीं रहता उस पर जोर जमाने वाले हजार लोग हो जाते हैं। सहस – सहस्त्र, हजार।

एक खाए मलीदा, एक खाए भुस : अपना अपना भाग्य, एक व्यक्ति हलवा खा रहा है और एक भूसा खाने को बाध्य है।

एक गाँव में नकटा बसै, छिन में रोवै छिन में हंसै : नकटे व्यक्ति की मजाक उड़ाने के लिए बच्चों की कहावत।

एक घड़ी की नाक कटाई, सारे दिन की बादशाही (एक घड़ी की बेहयाई, सारे दिन का आराम) : किसी काम के लिए मना कर देने में कुछ देर बेशर्मी दिखानी पड़ती है पर फिर बहुत आराम रहता है।

एक घर तो डायन भी छोड़ देती है : डायन के बारे में कहा जाता है कि वह बच्चों को खा जाती है, लेकिन एक घर वह भी छोड़ देती है। जो घूस खोर बिना घूस लिए कोई काम करने को राजी न हों उन्हें उलाहना देने के लिए यह कहावत कही जा सकती है।

एक घर में सौ मर्द खुशी से रह सकते हैं, दो औरतें चैन से नहीं रह सकतीं : स्त्रियों में आपसी डाह की प्रवृत्ति को दर्शाने के लिए।

एक चन्द्रमा नौ लख तारा, एक सखी और नग्गर सारा : असंख्य तारे होते हुए भी एक चन्द्रमा ही प्रकाश देता है। नगर में असंख्य लोग होते हुए भी एक सखी (दानी व्यक्ति) को ही कीर्ति मिलती है।

एक चादर जने पचास, सभी करें ओढ़न की आस : उपयोग में आने वाली वस्तुएँ कम और जरूरतमंद बहुत अधिक।

एक चुप सौ को हरावे : दस लोग आप को बुरा कह रहे हों, यदि आप चुप रहते हैं तो वे अंततः चुप हो जाते हैं।

एक चुप हजार सुख : कोई कितना भी क्रोध दिलाने की कोशिश करे यदि आप उस समय चुप रहते हैं तो बहुत सुखी रहते हैं। इंग्लिश में कहावत है – Silence is golden।

एक जंगल में दो शेर : दो दबंग लोग एक स्थान पर एक साथ नहीं रह सकते।

एक जना झख मार मरे, पांच का काम पांचै करें : जो काम पांच आदमियों के करने का है उसे एक आदमी कितना भी प्रयास करें नहीं कर सकता।

एक जना नाखून काटे, चार जने नेहन्ना लाएँ : नेहन्ना या नहरना एक लोहे का छोटा सा औजार होता था जिस से नाई लोग नाखून काटते थे। कहावत में कहा गया है कि छोटे से काम में फ़ालतू में बहुत से लोग लग रहे हैं।

एक जो होए सो बुद्धि सिखाइये, कूपहि में यहाँ भांग पड़ी है : जहाँ एक व्यक्ति मूर्खतापूर्ण हरकतें कर रहा हो वहाँ उसे बुद्धि सिखाने का कार्य किया जा सकता है, यहाँ तो ऐसा लगता है कि कुएं में ही भांग पड़ी है (सब के सब दीवाने हैं)।

एक जोरू का जोरू, एक जोरू का भतार, एक जोरू का सीसफूल, एक टांग का बार : अलग अलग तरह के पति गिनाए गए हैं। एक पत्नी का गुलाम है एक स्वामी, एक पत्नी के लिए शीशफूल (माथे का गहना) के समान प्रिय और महत्वपूर्ण है और एक टांग के बाल की तरह तुच्छ और अवांछित।

एक जोरू सारे कुनबे को बस है : एक स्त्री पूरे परिवार को संभालती है।

एक झूठ के सबूत में सत्तर झूठ बोलने पड़ते हैं : झूठी बात को सिद्ध करने के लिए बहुत से झूठ बोलने पड़ते हैं। इंग्लिश में कहावत है – One lie makes many।

एक झूठ छिपाने के लिए दस झूठ बोलने पढ़ते हैं : एक झूठ को छिपाने के लिए दूसरा झूठ, फिर उसे छिपाने के लिए एक और झूठ, इस प्रकार झूठ पर झूठ बोलने पड़ते हैं।

एक टका दहेज, नौ टका दक्षिणा : विवाह में जितना दहेज दिया गया उससे कई गुना अधिक पंडित जी दक्षिणा मांग रहे हैं।

एक कौड़ी मेरी गांठी, चूड़ा बनवाऊं या माठी : मेरे पास बहुत थोड़े से पैसे हैं, उसमें क्या क्या अरमान पूरे कर लूँ। मेरी गांठी – मेरी गाँठ में (मेरे पास), माठी – बांह में पहनने वाला आभूषण।

एक टका मेरी गांठी, मगद खाऊं के माठी : मगद – शादी ब्याह में बनने वाले बेसन के बड़े लड्डू, माठी – बड़ी मठरी। जेब में थोड़े से पैसे हैं उसमें क्या क्या शौक पूरे कर लें।

एक ठौर बोली, एक ठौर गाली : वही बात कहीं पर सामान्य बोलचाल की भाषा मानी जाती है और कहीं पर गाली।

एक तरफ चार वेद एक तरफ चातुरी, एक तरफ सब मंतर एक तरफ गात्तरी : गात्तरी – गायत्री मंत्र। अर्थ स्पष्ट है।

एक तवे की रोटी क्या पतली क्या मोटी : (एक तवे की रोटी, क्या मोटी क्या छोटी)। एक कुटुम्ब के मनुष्यों में बहुत कम अन्तर होता है.

एक तिनके से हवा का रुख मालूम हो जाता है : हवा किधर को चल रही है, यह मालूम करना है तो घास के तिनके को देखिये। वह उधर को ही झुका होगा।

एक तीर से दो शिकार : जब कोई एक ही काम करने से दो प्रयोजन सिद्ध हो जाएँ तो। इंग्लिश में कहावत है – To kill two birds with one stone.

एक तो अंधे को खिलाओ, फिर घर छोड़ के आओ : असहाय व्यक्ति की मदद करने की कोशिश करो तो उस में भी बड़ी मुसीबतें हैं।

एक तो कानी बेटी की माई, दूजे पूछने वालों ने जान खाई : बेटी कानी है इसी का माँ को बहुत कलेस है ऊपर से पूछने वाले और जान खाते रहते हैं।

एक तो गड़ेरन, दूसरे लहसुन खाए : एक तो गड़ेरन वैसे ही गन्दी रहती है ऊपर से लहसुन खाती है जिससे और बदबू आती है

एक तो डाकिन ऊपर से जरख पे चढ़ी : जरख – लकड़बग्घा। लोक विश्वास है कि डाकिन की सवारी लकड़बग्घा है इसीलिए उसे जरखवाहिनी भी कहते हैं। डाकिन अकेली ही बच्चों को खा जाती है ऊपर से लकड़बग्घे पर सवार हो तो क्या कहने।

एक तो डायन दूजे ओझा से ब्याह : एक तो डायन वैसे ही खतरनाक होती है ऊपर से ओझा से शादी करके और खतरनाक हो गई है।

एक तो डायन, दूसरे हाथ लुआठ (जलती हुई लकड़ी) : भयंकर चीज़ का और भयंकर हो जाना। (इक नागन अरु पंख लगाईं)।

एक तो था ही दीवाना, उस पर आई बहार : कोई आदमी वैसे ही पगलाया हुआ हो और ऊपर से बहार का मौसम आ जाए तो उसका बौरानापन और बढ़ जाता है।

एक तो भालू, दूसरे कांधे कुदाल : भयंकर चीज़ का और भयंकर हो जाना।

एक तो मियाँ बावले, दूजे खाई भाँग, तले हुआ सर, ऊपर हुई टांग : एक तो मियाँ वैसे ही पगले थे ऊपर से भांग खा ली तो बुरा हाल हो गया। समझदार व्यक्ति के मुकाबले यदि कोई कम अक्ल आदमी नशा कर ले तो बहुत अधिक नुकसान है।

एक तो शेर, ऊपर से बख्तर पहने : शेर वैसे ही इतना खतरनाक और अजेय ऊपर से कवच और पहन ले।

एक थैली के चट्टे बट्टे : एक ही परिवार के लोग एक से होते हैं।

एक दम में हजार दम : एक आदमी हजार लोगों का पेट पाल सकता है।

एक दम, हजार उम्मीद : जब तक सांस है तब तक हजार उम्मीदें रहती हैं।

एक दर बंद, हजार दर खुले : यदि किसी को सहायता देने का एक रास्ता बंद कर दिया जाए तो उसके लिए अन्य बहुत सी संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं।

एक दिन का दिखावा, हजार दिन का सियापा (एक दिन की शोभा, सहस दिन का रोबा) : विवाह आदि बड़े आयोजन में लोग झूठी शान दिखाने के लिए क़र्ज़ ले कर अनाप शनाप खर्च करते हैं और फिर उन्हें बहुत समय तक उस की भरपाई करनी पड़ती है।

एक दिन पाहुना, दूजे दिन अनखावना, तीजे दिन अपने घर भला : अनखावना – खीझ पैदा करने वाला। कोई अतिथि पहले दिन प्रिय लगता है और दूसरे दिन उससे खीझ होने लगती है। तीसरे दिन उसे अपने घर चला ही जाना चाहिए।

एक दिन मेहमान, दो दिन मेहमान, तीजे दिन बलाए जान : घर आया हुआ मेहमान एक दिन अच्छा लगता है, दूसरे दिन भी झेल लिया जाता है, तीसरे दिन तो वह मुसीबत लगने लगता है। इंग्लिश में कहावत है – Two days guest, third day a pest.

एक दीप से जले दूसरा। (चिराग से चिराग जलता है) : 1. ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित होने वाला एक व्यक्ति दूसरे को प्रकाशित करता है। 2. एक मनुष्य से दूसरा मनुष्य जन्म लेता है।

एक देखा राजा ढोर, मारे शाह और छोड़े चोर : भ्रष्ट शासक पर व्यंग्य।

एक देश का बगला, दूजे में बकलोल : एक ही व्यक्ति को कहीं पर बुद्धिमान समझा जाता है और कहीं पर मूर्ख।

एक न शुद दो शुद : जहां एक मुसीबत गले पड़ी है वहाँ एक और सही।

एक नकटा सौ को नकटा करे : यह कहावत एक कहानी पर आधारित है। एक व्यक्ति की नाक धोखे से कट गई। उसे बड़ी चिंता हुई कैसे सबको मुंह दिखाएगा। फिर उसने सोचा कि यदि सब  नकटे हो जाएं  तो उसे कोई नहीं  चिढ़ाएगा।  उसने सबसे कहना शुरू किया कि नाक कटने के बाद उसे स्वर्ग दिखाई दे रहा है। बहुत से लोगों ने स्वर्ग देखने के लालच में नाक कटवा ली। अब नकटे ने उन सब से कहा कि अगर तुम्हें बेइज्जती से बचना है तो सब से कहो कि तुम्हें भी स्वर्ग दिख रहा है जिससे सब लोग अपनी नाक कटा लें।

एक नजीर सौ नसीहत : सौ उपदेश देने के मुकाबले एक उदाहरण पेश कर के दिखाना अधिक कारगर होता है। इंग्लिश में कहावत है – Example is better than precept।

एक नथ और दो बहुएँ, बात कैसे पटेगी : चीज़ एक हो और दावेदार दो हों तो बहुत मुश्किल आती है।

एक नन्नो सौ लफड़ा टाले : किसी काम के लिए एक बार न कह देने से बहुत से झंझटों से बचा जा सकता है। नन्नो – ‘न’

एक नयन अमृत झरे, एक नयन में बिष भरे : मन में कुछ ऊपर से कुछ। लाड़ का दिखावा पर मन में जहर।

एक नाक दो छींक, काम बनेगा ठीक : किसी काम से पहले कोई छींक दे तो यह अपशकुन होता है पर यदि कोई व्यक्ति दो बार छींके तो वह शुभ शकुन माना जाता  है।

एक नाहीं, सत्तर बला टाले (एक नाहीं, सौ दुःख हरे) : किसी काम को मना कर देने से बहुत सी परेशानियाँ कम हो जाती हैं। इस कहावत में उन लोगों को नसीहत दी गई है जो किसी काम को मना न कर पाने के कारण मुसीबत में पड़ जाते हैं।

एक नींबू मनों दूध फाड़ देता है : 1. एक छोटी सी युक्ति बहुत बड़े बड़े काम कर सकती है। 2. एक कुटिल आदमी पूरे समाज को दो फाड़ कर सकता है।

एक नीम, सौ कोढ़ी : ऐसा मानते हैं कि नीम की पत्तियों को उबाल कर उसका पानी लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। कहावत में कहा गया है कि नीम एक है और कोढ़ी बहुत सारे हैं। (एक अनार सौ बीमार)।

एक नूर आदमी, हजार नूर कपड़ा : व्यक्ति की सुन्दरता में कपड़ों का बहुत अधिक महत्त्व है। इंग्लिश में कहावत है – Clothes make a man.

एक ने कही दूजे ने जानी, नानक कहें दोनों ज्ञानी : वैसे तो शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है लेकिन इस बात को मजाक के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति किसी दूसरे कम बुद्धि वाले व्यक्ति को कोई ऐसी बात बता रहा हो जिसे वह बड़े ज्ञान की बात समझता हो तो मजाक में यह कहावत कही जाती है।

एक पंथ दो काज : एक ही रास्ते पर जाने से दो काम हो जाएँ तो। एक काम से दो लाभ होना।

एक पग उठावे और दूसरे की आस नहीं : जीवन इतना क्षण भंगुर है कि एक पग रखने के बाद दूसरे का भी भरोसा नहीं है।

एक पजामा दो भाई, फेरा फेरी कचहरी जाई : अत्यधिक निर्धनता की स्थिति।

एक पड़े लोटते हैं, दूसरे चोखी मांगते हैं : दो शराबियों में से एक जमीन पर लोट रहा है, दूसरा और दारु मांग रहा है। दो नालायक लोग एक से बढ़ कर एक हों तो।

एक पहिए से गाड़ी नहीं चलती : घर गृहस्थी एक व्यक्ति से नहीं चल सकती।

एक पाख दो गहना, राजा मरे कि सेना : एक पाख (कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष) में दो ग्रहण पड़ें तो बहुत अशुभ होते हैं।

एक पापी सारी नाव डुबोए (एक के पाप से नाव डूबे) : ऐसा मानते हैं कि नाव में कोई पापी बैठा हो तो उस के पाप के बोझ से नाव डूब जाती है। किसी एक व्यक्ति के कर्मों का फल बहुत से लोगों को भुगतना पड़े तो।

एक पूत को पूत और एक आँख को आँख नहीं कहा जाता : एक पुत्र होना और एक ही आँख पर्याप्त नहीं होते।

एक पूत मत जनियो माय, घर रहे या बाहर जाय : पुत्र एक से अधिक होना चाहिए। यदि एक पुत्र को काम के लिए परदेस जाना पड़े तो दूसरा तो साथ में रहेगा।

एक पूत, ढाई हाथ कलेजा : एक पुत्र होने से ही व्यक्ति की हिम्मत बहुत बढ़ जाती है।

एक पेड़ हर्रे, सब गाँव खांसी : ऐसा मानते हैं कि हरड़ (हर्र) खाने से खांसी कम हो जाती है। समस्या यह है कि हर्र का एक ही पेड़ है और सारे गाँव को खांसी है। आवश्यकता अधिक और साधन कम।

एक पैसे की खोज में चवन्नी का तेल जले : छोटे से लाभ के लिए उससे कई गुना खर्च।

एक प्राण दो पिंजर : एक दूसरे से अत्यधिक प्रेम करने वालों के लिए।

एक फूल खिलने से बहार नहीं आती : किसी एक घर में ख़ुशी हो इस का अर्थ यह नहीं होता कि समाज में सुख शान्ति है।

एक फूल से माला नहीं गूँथी जावे : 1. समाज के महत्वपूर्ण कार्य अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता। 2. किसी आयोजन में अकेले आदमी से शोभा नहीं होती है।

एक फूहड़ दूजी के घर गई, जा कुठला सी ठाड़ी भई : कुठला – अनाज रखने का मिटटी का बड़ा सा बर्तन। फूहड़ स्त्रियों पर कटाक्ष किया गया है कि एक फूहड़ स्त्री दूसरी फूहड़ स्त्री के घर गई। न कोई आचार व्यवहार न कोई काम की बात बस फूहड़ की तरह खड़ी हो गई।

एक बंदरिया के रूठे क्या अयोध्या खाली होवे : कुछ लोग अपने को बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं और सोचते हैं कि उन के चले जाने से सारे काम रुक जाएंगे, ऐसे लोगों को उनकी हैसियत बताने के लिए यह कहावत कही जाती है।

एक बनिये से बाजार नहीं बसता : समाज की अर्थ व्यवस्था एक व्यक्ति से नहीं चल सकती।

एक बांबी में दो सांप : दो दबंग लोग एक स्थान पर नहीं रह सकते।

एक बार खाय योगी, दो बार खाय भोगी, तीन बार खाय रोगी : पहले के लोगों का विश्वास था कि खाना जितनी कम बार खाया जाए उतना ही अच्छा है। सामान्य लोग दो बार खाना खाते थे, तीन बार खाना केवल राजा महाराजा ही खाते थे।

एक बार खावे नेमी धेमी, दो बार खावे बड़ा (व्यस्क), तीन बार खावें बालक बूलक, चार बार खावे गधा : नियम पालन करने वाले योगी दिन में एक बार भोजन करते हैं, सामान्य वयस्क लोग दो बार और बालक तीन बार। इस से अधिक बार तो केवल गधे ही खाते हैं।

एक बार जाय योगी, दो बार जाय भोगी, तीन बार जाय रोगी : खाने के अलावा शौच जाने में भी यही सिद्धांत लागू होता है।

एक बार ठगाए, सहस बुद्धि आए : धोखा खा कर ही व्यक्ति बुद्धिमान बनता है।

एक बार भूले सो भूला कहाए, बार बार भूले सो मूरख कहाए : भूल चूक सभी से हो सकती है लेकिन एक बार भूलकर जो उससे शिक्षा ले वह समझदार कहलाएगा और जो उसी गलती को बार बार करे वह मूर्ख कहलाएगा।

एक बिहारी सौ पर भारी : बिहार के लोगों ने अपने खुद की प्रशंसा की है।

एक बुरे से बुराई नहीं होती : आम तौर पर अकेला आदमी दुष्टता पूर्ण कार्य नहीं करता, बहुत से गलत लोग मिल कर गलत काम करते हैं।

एक बुलावे तेरह धावे : ब्राह्मणों के लिए कहा गया है, एक बुलाओ तो तेरह आते हैं।

एक बेटी लाइ, दूजी मिठाइ, तीसरी होय तो तीनों बलाइ। एक या दो बेटियां प्रिय लगती हैं लेकिन अगर तीन हो जाएं तो तीनों मुसीबत लगने लगती हैं।

एक बैल इक्यावन खूँटा : जब एक व्यक्ति से कई स्थानों पर काम करने को बोला जाए।

एक भेड़ कुएं में पड़े तो सौ जा पड़ें : जो लोग बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग करे किसी का अंधानुसरण करते हैं उनके लिए (जैसे आजकल के कलियुगी बाबाओं के भक्त)।

एक मखौल, सौ गाली : किसी को सौ गाली देने से अधिक बुरा है उसका मजाक उड़ाना।

एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है : एक गलत व्यक्ति से सारा समाज बदनाम होता है। एक गलत व्यक्ति से बहुत से लोग गलत बातें सीखते हैं।

एक मरता सौ पर भारी : जो अपनी जान की परवाह किए बगैर लड़ता है वह अकेला ही सौ पर भारी होता है।

एक माला के मनके : सारे लोग एक से हों तो।

एक मास ऋतु आगे धावे : ऋतु बदलने से एक महीने पहले ही मौसम में उसके अनुरूप परिवर्तन दिखाई देने लगता है।

एक मुँह दो बात : अपनी बात पर स्थिर न रहना।

एक मुर्गी नौ जगह हलाल नहीं होती : एक कर्मचारी एक साथ कई जगह काम नहीं कर सकता। इसको इस तरह भी प्रयोग कर सकते हैं कि किसी एक आदमी से दफ्तर के हर कर्मचारी को रिश्वत नहीं मांगनी चाहिए।

एक मौनी सौ लबारों को हराए : लबार – अपनी झूठी तारीफ़ करने वाला। एक चुप रहने वाला सौ लबारों पर भारी पड़ता है।

एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं (एक म्यान में दो खड्ग, दीठा सुना न कान) : एक घर में या एक संगठन में दो जबर लोग एक साथ नहीं रह सकते।

एक राम इक रावन्ना, एक छत्री इक बामन्ना, बा ने बा की त्रिया हरी, बा ने बा की लंक जरी, बात को बन गयो बातन्ना, तुलसी लिख गए पोथन्ना : रामायण का उदाहरण दे कर मजेदार ढंग से कहा गया है कि कैसे बात का बतंगड़ बन जाता है। एक राम थे और एक रावण, एक क्षत्रिय थे और एक ब्राह्मण। एक ने दूसरे की स्त्री का अपहरण किया तो दूसरे ने उसकी लंका जला दी। इतनी सी बात का बतंगड़ बना कर तुलसीदास पोथी लिख गये। कहावतों की बात का किसी को बुरा नहीं मानना चाहिए।

एक रोता सौ को रुलाए : एक व्यक्ति के दुःख को देख कर सौ व्यक्ति दुखी होते हैं।

एक लख पूत सवा लख नाती, ता रावण घर दिया न बाती : किसी अत्यंत ऐश्वर्यशाली किन्तु अहंकारी व्यक्ति के पूर्ण विनाश हो जाने पर इस लोकोक्ति का प्रयोग किया जाता है.

एक लिखा और सौ वाचा : सौ बार कही हुई बात का इतना मूल्य नहीं है जितना एक लिखी हुई बात का।

एक लोटा सात भाई, बेरा बेरी पैखाना जाई : अत्यंत निर्धनता की स्थिति। अत्यधिक कंजूस लो का मजाक उड़ाने के लिए भी इस प्रकार की कहावतकही जाती है।

एक शेर शिकार करे, सौ लोमड़ियाँ पेट भरें (एक शेर शिकार करे, बहुतों के पेट भरें) : एक शक्तिशाली व्यक्ति बहुत से लोगों को आश्रय और जीविका दे सकता है।

एक सवार दो घोड़ों पर सवारी नहीं कर सकता : एक व्यक्ति दो विरोधाभासी संस्थाओं का सदस्य नहीं बन सकता।

एक सियार हुआँ हुआँ, सबहिं सियार हुआँ हुआँ : जंगल में जब एक सियार हुआ हुआ बोलता है तो सभी सियार बोलने लगते हैं। यदि किसी एक मूर्ख व्यक्ति की बात का समर्थन बहुत से मूर्ख लोग करें तो व्यंग में यह कहावत बोली जाती है। आजकल संसद की कार्यवाही के दौरान ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं।

एक से दो भले : कहीं जाना हो या कोई काम करना हो तो एक आदमी के मुकाबले दो अच्छे रहते हैं।

एक से भले दो, दो से भले चार : जितने अधिक लोग उतना अधिक आनंद आएगा और काम अच्छा होगा। इंग्लिश में कहावत है – The more, the merrier.

एक सेर की मुंडी हिले, एक तोले की जबान न हिले : जो लोग मुँह से बोले बिना सिर्फ सर हिला कर जवाब देते हैं उन के लिए।

एक हड्डी सौ कुत्ते (एक बोटी सौ कुत्ते) : जहाँ पर आवश्यकता अधिक हो और उपलब्धता कम।

एक हरदसिया, सबरा गाँव रसिया : हरदसिया नाम की कोई एक ही सुंदर कन्या है और गाँव के सभी लड़के उसे वरना चाहते हैं। जहाँ मांग अधिक और उपलब्धता कम हो।

एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, चार हल राज : एक हल की खेती सत्यानाश, दो हल की काम चलाऊ, तीन हल सही सही और चार हल उत्तम।

एक हांडी तेरह चीजें मांगे : रसोई की एक हंडिया को पकाने के लिए तेरह प्रकार की वस्तुएं चाहिए होती हैं।

एक हाथ देना, दूजे हाथ लेना : किसी को कुछ देना और हाथ की हाथ बदले में कुछ और ले लेना।

एक हाथ से घर चले, सौ हाथ से खेती : घर का काम एक व्यक्ति के करने से पूरा हो सकता है परन्तु खेती में बहुत लोगों को लगना पड़ता है।

एक ही बिल के चूहे : एक घर के सभी सदस्य निकृष्ट वृत्ति के हों तो।

एक हुस्न आदमी, हजार हुस्न कपड़ा, लाख हुस्न जेवर, करोड़ हुस्न नखरा : व्यक्ति की सुन्दरता को अच्छे कपड़े हजार गुना बढ़ाते हैं, अच्छे गहने लाख गुना बढ़ाते हैं और उस की भाव भंगिमा करोड़ गुना बढ़ाती हैं।

एकनारी यथा ब्रह्मचारी : जो एक नारी तक सीमित रहते हैं वे भी ब्रह्मचारी के समान हैं। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिनके लिए यह मजबूरी है (एक से अधिक नारी मिल ही नहीं सकती) उनकी कोई तारीफ़ नहीं है। जो लोग एक से अधिक नारियों के उपलब्ध होने पर भी एक तक ही सीमित रहते हैं उन्हीं को ब्रह्मचारी माना जाएगा।

एकला सो बेकला : बेकल – बेचैन। अकेला आदमी घबराहट और बेचैनी का शिकार हो सकता है इसलिए कोई भी काम मिल बांटकर करना चाहिए।

एकांत वासा, झगड़ा न झांसा : जो एकांत में रहते हैं उनके साथ झगड़े इत्यादि का कोई झंझट नहीं होता।

एकादशी की कसर द्वादशी को पूरी होती है : एकादशी के व्रत की कसर द्वादशी को खूब खा कर पूरी करते हैं।

एकै दार एकै चाउर, किसी को गुन, किसी को बाउर : वही दाल है और वही चावल, किसी को लाभ करता है और किसी को वायु पैदा करता है।

एकै नीम, सब घर सितलहा : चेचक को लोग शीतला माता का प्रकोप मानते हैं और नीम के पत्तों से झाड़ते हैं। कहावत में कहा गया है कि गाँव के सारे ग्नरों में चेचक निकली हुई है और एक ही नीम का पेड़ है। आवश्यकता बहुत अधिक और उपलब्धता बहुत कम।

एकै भले सपूत सों सब कुल भलो कहाय : एक योग्य संतान सारे कुल का नाम रोशन करती है।

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय, (रहिमन सींचे मूल को, फूलै फलै अघाय) : किसी भी कार्य के लिए सब से मुख्य जो व्यक्ति है उसी को साध लेने से सारा कार्य सिद्ध हो जाता है। जड़ को सींचने से पौधा फूलता फलता है, पत्तों पर पानी डालने से नहीं।

एकौ न आँख, कजरौठा नौ ठो : शक्ल सूरत कुछ भी नहीं है और सौन्दर्य प्रसाधन बहुत सारे इकट्ठे किए हैं। कजरौठा – काजल बना कर रखने की डिब्बी।

एक्के मियाँ खर खरिहान, एक्के मियाँ दर दोकान : जहाँ एक ही व्यक्ति पर बहुत सारी जिम्मेदारियां डाल दी जाएं।

एरे ताड़ वृक्ष, एतो बढ़ कर कहा कियो : ताड़ के पेड़ से पूछा जा रहा है कि तू ने इतना लम्बा हो कर क्या किया? ऊँचा पद पा कर किसी के काम न आने वालों के लिए व्यंग्य।

एहसान लीजे सब जहान का, न एहसान लीजे शाहेजहान का : राजा या बड़े अधिकारी का एहसान लेना ठीक नहीं।

ऐंचन छोड़ घसीटन में पड़े : ऐंचना माने खींचना, जैसे किसी को रस्सी का फंदा डाल कर खींचना। घसीटन माने घसीटना। कहावत का अर्थ है कि एक मुसीबत से निकल कर दूसरी में पड़ गए।

ऐब को हुनर चाहिए : कोई गलत काम करने के लिए भी होशियारी चाहिए। जैसे कहते हैं नक़ल के लिए भी अक्ल चाहिए।

ऐरे गैरे पचकल्यान (ऐरे गैरे नत्थू खैरे) : फ़ालतू और अशुभ आदमी। पचकल्यान एक प्रकार के घोड़े को कहते हैं जो अशुभ माना जाता है।

ऐरे गैरे, फ़सल बहुतेरे : खाने को मिल रहा हो तो बहुत से आलतू फ़ालतू और मुफ्तखोरे इकट्ठे हो जाते हैं।

ऐसी करनी न करे, जो करके पछिताए : ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो कर के पछताना पड़े। तात्पर्य यह है कि सब काम सोच समझ कर ही करना चाहिए।

ऐसी कही कि धोए न छूटे : इतनी लगने वाली बात कही।

ऐसी छठी बलबल जाएं, नौ नौ पटरी भातें खायं : बच्चे की छठी पर किसी ने बहुत बड़ा भोज दिया है तो लोग आशीर्वाद दे रहे हैं। ऐसी छठी की बलिहारी जाएं जहां खूब सारा खाने को मिल रहा है।

ऐसी बहू सयानी, कि उधार मांगे पानी : बहू इतनी चालाक है कि किसी से पानी भी मांगती है तो उधार मांगती है जिससे लोग उससे ली हुई चीज़ तुरंत लौटा दें।

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय, (औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय) : हम सभी को ऐसी वाणी बोलना चाहिए जो अपने मन के अहम् को और दूसरे के मन के क्रोध को शांत करे।

ऐसी रातों के ऐसे ही सवेरे : ऐसी परिस्थितियों के ऐसे ही परिणाम होते हैं।

ऐसी सुहागन से तो रांड ही भली : दुष्चरित्र विवाहिता स्त्री के लिए कहा गया है की ऐसी विवाहिता से तो विधवा ही भली।

ऐसी होती कातनहारी तो काहे फिरती मारी मारी : इतनी होशियार होती तो मारी मारी क्यूँ फिरती। (कातनहारी – सूत कातने वाली)।

ऐसे ऊत रिवाड़ी जाएं, आटा बेचें गाजर खाएं : रिवाड़ी राजस्थान में एक शहर है जहाँ गल्ले की मंडी लगती है। किसी मूर्ख व्यक्ति का मज़ाक उड़ाया जा रहा है कि ये अगर मंडी में जाएंगे तो आटा बेच कर गाजर खाएंगे।

ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सर से सींग : गधे के सर पर सींग का नामोनिशान भी नहीं होता उसी को लेकर कहावत बनी है। कोई बिल्कुल ही गायब हो जाए तो।

ऐसे घूमे जैसे नाई बिगड़े ब्याह में : यदि किसी विवाह में वर और वधु पक्ष में अनबन हो जाए, और मारपीट की नौबत आ जाए तो सबसे बुरा हाल विवाह तय कराने वाले नाई का होता है। वह दोनों के गुस्से का शिकार बनता है। कोई आदमी बहुत परेशान सा इधर उधर घूम रहा हो तो उसका मजाक उड़ाने के लिए।

ऐसे दाता से सूम भला, जो फट देय जबाब : जो लोग देने की बात कर के टालते रहते हैं उन से वह कंजूस अच्छा है जो फट से मना कर देता है।

ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय, (कहावत का पूर्वार्ध इस प्रकार है – दांत घिसे और खुर घिसे, पीठ बोझ न लेय) : जब कोई कर्मचारी किसी कार्य के योग्य नहीं रहता तो।

ऐसे ही हम ऐसा ही हमारा सगा, न हमारे सर पर टोपी न इस के तन पर झगा : जैसे हम वैसे ही हमारे रिश्तेदार। झगा – शरीर पर पहनने का कुर्ता नुमा वस्त्र।

ऐसो कोऊ नाहिं जग माहीं, जाको काम नचावे नाहीं : काम – कामदेव।इस संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसे कामदेव न सताते हों।

( ओ, औ )

ओई की रोटी ओई की दार, ओई की टटिया लगी दुआर : यह एक बुन्देलखंडी पहेलीनुमा कहावत है जिस का उत्तर है चना। चने की रोटी चने की दाल से खाओ और चने का पर्दा (टट्टर) बना कर दरवाजे पर लगाओ।

ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना : जब कोई कठिन काम हाथ में लिया है तो उस में आने वाली परेशानियों से क्या डरना।

ओखली में हाथ डाले, मूसली को दोष देवे : जाहिर है कि ओखली में हाथ डालोगे तो मूसल की चोट पड़ेगी। ऐसे में मूसल को क्या दोष देना। स्वयं गलती करके कष्ट उठाने वाला व्यक्ति यदि दूसरे को दोष दे तो।

ओछा आते भी काटे और जाते भी काटे : दुष्ट सुनार लेते समय भी कम तौलता है और देते समय भी।

ओछा आदमी निहोरे करने पर ज्यादा नखरे दिखाता है : ओछे आदमी से यदि किसी काम के लिए मनुहार करो तो वह और अधिक नखरे दिखाता है।

ओछा ठाकुर मुजरे का भूखा : मुजरा – झुक कर सलाम करना। ठाकुर से तात्पर्य यहाँ सामंतशाही व्यवस्था के उन बड़े लोगों से है जो जनता को गुलाम बना कर रखना चाहते थे।

ओछा बनिया, गोद का छोरा, ओछे की प्रीत, बालू की भीत, कभी सुख नहीं देते : अर्थ स्पष्ट है। (गोद का छोरा – गोद लिया हुआ लड़का)।

ओछी नार उधार गिनावे : ओछी बुद्धि वाली स्त्री उधार दी हुई छोटी छोटी चीजों को गिनाती है।

ओछी पूंजी, खसमो खाए : गलत तरीके से कमाया गया धन व्यक्ति का सर्वनाश कर देता है।

ओछी रांड उधार गिनावे : निकृष्ट किस्म की स्त्रियाँ हर समय अपने द्वारा किए गये एहसान गिनाती रहती हैं।

ओछी लकड़ी झाऊ की, बिन बयार फर्राए, ओछों के संग बैठ के, सुघड़ों की पत जाए : झाऊ का एक पेड़ होता है जो बिना हवा चले ही आवाज करता है, मतलब पेड़ बिना बात आवाज़ कर रहा है और हवा का नाम बदनाम हो रहा है। ओछे लोगों के साथ बैठ कर अच्छे लोगों का सम्मान कम होता है।

ओछे की प्रीत, कटारी को मरबो : ओछे मनुष्य की प्रीति और कटारी से मरना दोनों समान होते हैं।

ओछे की प्रीत, बालू की भीत : ओछे आदमी की प्रीत, रेत की दीवार की भांति क्षणभंगुर है। (भीत – दीवार)

ओछे की सेवा, नाम मिले न मेवा : ओछे आदमी की सेवा करने से कोई लाभ नहीं है। न तो नाम होगा और न ही कोई  इनाम मिलेगा।

ओछे के घर खाना, जनम जनम का ताना : छोटी सोच वाले व्यक्ति का एहसान नहीं लेना चाहिए, वह हमेशा आपको ताना मारता रहेगा।

ओछे के पेट में बड़ी बात नहीं पचती : ओछी बुद्धि वाले व्यक्ति के पेट में कोई बात नहीं पचती इसलिए उस को कोई महत्वपूर्ण या रहस्य की बात नहीं बतानी चाहिए।

ओछे के सर का जुआँ इतराए : ओछा  हाकिम स्वयं तो  अत्यधिक इतराता ही है उसके घर के सदस्य और नौकर चाकर और अपने  आपको तीसमारखां समझते हैं।

ओछे नर के पेट में रहे न मोटी बात, आध सेर के पात्र में कैसे सेर समात : आमतौर पर इसका बाद वाला हिस्सा ही बोला जाता है। अर्थ है कि किसी मूर्ख व्यक्ति में अधिक ज्ञान कहाँ से समा सकता है, या ओछा अधिक आदमी धन पाने पर इतराने लगता है।

ओछे पर एहसान करना, जैसे बालू में मूतना : बालू में पेशाब करने पर उसका निशान नहीं पड़ता इसी प्रकार ओछे व्यक्ति पर एहसान करो तो उस पर कोई असर नहीं होता।

ओछो मन्त्री राजै नासै, ताल बिनासै काई, सुक्ख साहिबी फूट बिनासै, घग्घा पैर बिवाई : ओछा मंत्री राज्य का विनाश कर देता है, तालाब को काई बिगाड़ देती है, राज्य और शासन को आपसी फूट खत्म कर देती है और बिबाई पैर को बेकार कर देती है।

ओछों के ढिंग बैठ कर अपनी भी पत जाए : ओछे व्यक्तियों के साथ बैठ कर अपना स्वयं का मान सम्मान कम होता है।

ओढ़नी की बतास लगी : स्त्री की गुलामी करने लगा। (ऐसे कहते हैं – फलाने को ओढ़नी की हवा लग गई है)। बतास – हवा।

ओनामासी धम बाप पढ़े न हम; ॐ नम: सिद्धं का अपभ्रंश : जो बच्चे पढ़ने से जी चुराते हैं उन के लिए।

ओलती का पानी मंगरे पर नहीं चढ़ता : ओलती – छप्पर का किनारा जहाँ से वारिश का पानी नीचे गिरता है। मंगरा – छत या छप्पर का ऊपरी भाग। कोई उलटी बात कर रहा हो तो उसे समझाने के लिए।

ओलती तले का भूत, सत्तर पुरखों का नाम जाने : घर के अन्दर का आदमी घर का सब हाल जानता है।

ओलों का मारा खेत, बाकी का मारा गाँव और चिलम का मारा चूल्हा कभी न पनपें : जो फसल ओले गिरने से बर्बाद हुई हो, जिस गाँव ने लगान न दी हो और जिस चूल्हे से कोयले निकाल कर बार बार चिलम भरी जाती हो, वे कभी नहीं पनपते।

ओस चाटे प्यास नहीं बुझती : कहावत का अर्थ है किसी को आवश्यकता से बहुत कम चीज़ मुहैया कराना।

ओस से घड़े नहीं भरते : अत्यंत सीमित साधनों से बड़े कार्य नहीं किए जा सकते।

औगुन ऊपर गुण करे, ताको नाम सपूत : सबसे श्रेष्ठ आदमी वही है जो बुराई का बदला भलाई से दे।

औघट चले न चौपट गिरे : गलत काम नहीं करोगे तो गिरने का डर नहीं होगा।

और किसहू की भूख न जानें, अपनी भूख आटा सानें : स्वार्थी व्यक्ति के लिए। और किसी की भूख की परवाह नहीं है, खुद को भूख लगी तो आटा मलने चले।

और की औषध है सजनी, सुभाव की औषध है न कछू : और बहुत सी बातों का इलाज है पर गलत स्वभाव का कोई इलाज नहीं है।

और की बुराई, अपने आगे आई : 1. किसी और द्वारा किये गये गलत काम का फल हमको मिला। 2. हमने दूसरे की बुराई की वही बाद में हमारे आगे आई।

और दिन खीर पूड़ी, परब के दिन दांत निपोड़ी : सामान्य दिनों में इतने गुलछर्रे उड़ाना कि त्यौहार के दिन जेब खाली रहे।

और बात खोटी, सही दाल रोटी : मनुष्य की सबसे प्रधान आवश्यकता भोजन है। जब तक पेट न भरे सारे नियम कायदे, धर्म अधर्म, रिश्ते नाते बेकार हैं।

औरत का काम प्यारा होता है चाम नहीं (चाम से क्या प्रीत, काम से प्रीत) : स्त्री की सुन्दरता कुछ दिन तक सब को आकर्षित कर सकती है, अंततः उस का आदर उस के काम से ही होता है।

औरत का खसम मर्द, मर्द का खसम रोज़गार : स्त्री का सहारा उसका पति होता है और पति का सहारा उसका रोज़गार जिससे वह घर चलाता है।

औरतों की मति चोटी में होती है : किसी दिलजले मर्द का कथन।

औरों की नजर इधर उधर, चोर की नजर बकरी पर : चोर का ध्यान केवल उसी चीज़ पर रहता है जिसे वह चुरा सकता है।

औरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत : खुद गलत काम करना व औरों को उपदेश देना.

औषध बाको दीजिये, जाके रोग शरीर : जिसको कोई बीमारी हो उसी को दवा देनी चाहिए।

औसत मेरा ज्यों का त्यों, कुनबा मेरा डूबा क्यों : गणित के एक शिक्षक अपने परिवार के साथ एक छोटी नदी पार कर रहे थे। नदी के बीच में पहुँच कर उन्होंने फीता निकाल कर नदी की गहराई नापी जो चार फुट थी। फिर उन्होंने अपनी, अपनी पत्नी की और बच्चों की लम्बाई नाप कर उसका औसत निकाला तो साढ़े चार फुट आया। उन्होंने सोचा सब निकल जाएंगे। परिवार जब नदी पार करने लगा तो पत्नी और बच्चे डूबने लगे। किनारे बैठे लोगों ने उन्हें बचाया। शिक्षक महोदय ने किनारे पहुँच कर सोचा कि हिसाब लगाने में कोई गलती तो नहीं हुई। फिर हिसाब जोड़ा तो वही साढ़े चार फुट आया। तब उन्होंने उपरोक्त बात कही। किसी पढ़े लिखे मूर्ख व्यक्ति द्वारा बिना बुद्धि का प्रयोग किए किताबी ज्ञान द्वारा कोई काम करने पर यह कहावत प्रयोग करते हैं।

औसर का चूका आदमी और डाल का चूका बन्दर फिर नहीं संभलते : बन्दर अक्सर एक डाल से दूसरी पर छलांग लगाते हैं। अगर कोई बन्दर डाल पकड़ने में चूक जाए तो संभल नहीं सकता। इसी का उदाहरण दे कर बताया गया है कि कोई व्यक्ति एक बार अवसर का लाभ उठाने से चूक जाए तो फिर वह अवसर हाथ नहीं आता।

औसर चूकी डोमनी, गावे ताल बेताल : यदि अवसर हाथ से निकल जाए तो व्यक्ति अत्यधिक परेशानी उठाता है। डोम जाति की स्त्रियाँ मांगलिक अवसरों पर गीत गा कर नेग माँगती हैं। अगर वह सही अवसर पर नहीं पहुँचे तो उसे कुछ इनाम नहीं मिलता।

औसर चूके, जगत थूके : यदि व्यक्ति सही अवसर पर चूक जाता है तो सभी उसकी थुक्का फजीहत करते हैं।

औंघते को ठेलने का सहारा : जरा सी सलाह से असमंजस दूर हो जाना। जो आदमी सोया हो उसे तो जोर से धक्का दे कर उठाना पड़ता है पर जो ऊंघ रहा हो वह हलके से ठेलने से ही सावधान हो जाता है।

औंधी खोपड़ी उल्टा मत : मूर्ख का विचार उल्टा ही होता है.

औंधे घड़े का पानी, मूरख की कही कहानी : जिस प्रकार उलटे रखे हुए घड़े में पानी नहीं होता उसी प्रकार मूर्ख की बात में कोई सार नहीं होता।

औंधे मुँह गिरे तो दंडवत : बिगड़े हुए काम को संभालने की चतुराई। अचानक आई परेशानी से भी लाभ उठाने की कला।

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