लोकोक्तियाँ एवं कहावतें

( आ, आँ, आं )

आ गई तो ईद बरात नहीं तो काली जुम्मेरात : भाग्य ने साथ दिया तो मौज ही मौज वरना परेशानी तो है ही।

आ झगड़ालू राड़ करें, ठाली बैठे क्या करें : कुछ लोगों को झगड़ा करने का शौक होता है, उन के लिए कही गई कहावत।

आ पड़ोसन लड़ें : जो लोग बिना बात लड़ने पर उतारू रहते हैं उनके लिए।

आ बला गले लग : जबरदस्ती मुसीबत बुलाना।

आ बे पत्थर पड़ मेरे गाँव : जबरदस्ती मुसीबत मोल लेना।

आ बैल मुझे मार, सींग से नहीं तो पूंछ से ही मार : जबरदस्ती मुसीबत मोल लेना, अधिकतर इस का पहला भाग ही बोला जाता है।

आ रे मेरे लाले, सेंत का चन्दन तू भी लगा ले, औरों को भी बुला ले : 1.जहाँ कोई कीमती चीज़ मुफ्त में मिल रही हो, 2. किसी दुखी बाप का नालायक बेटे से कथन।

आ रै मेरा सम्पटपाट, मैं तनै चाटूं, तू मनै चाट : (हरियाणवी कहावत) दो निकम्मे व्यक्तियों का समागम होना।

आई तीज, बिखेर गई बीज, आई होली, भर ले गई झोली : अक्षय तृतीया के बाद एक के बाद एक त्यौहार होते है, होली के बाद जल्दी कोई त्यौहार नहीं होता।

आई तो रमाई, नहीं तो फ़कत चारपाई : मिल गया तो मौज कर लो नहीं तो शांति से बैठो, (रमाई मतलब धूनी रमाई, हुक्का चिलम आदि से तात्पर्य है)।

आई तो रोजी नहीं तो रोजा : भाग्य ने साथ दिया तो रोजी रोटी मिल जाएगी नहीं तो भूखे रहना पड़ेगा, मुसलमानों में रमजान के महीने में रोजे (व्रत) रखे जाते हैं।

आई थी बिल्ली, पूंछ थी गीली : सास और बहू पास पास लेटी थीं, सास ने कहा, जरा देख बाहर वर्षा तो नहीं हो रही ? बहू ने कहा अभी बिल्ली आई थी उसकी पूंछ गीली थी इसका मतलब वर्षा हो रही है। सास ने कहा जरा दीपक बुझा दे, बहू ने कहा आँखें बंद कर लो अंधेरा हो जाएगा । सास ने कहा जरा किवाड़ बंद कर दे, बहू ने कहा, दो काम मैंने कर दिए अब एक आप भी कर लो।

आई थी मांड को, थिरकन लगी भात को : अमीर लोगों के यहाँ जो चावल को मांड निकलता है उसे गरीब लोग मांग कर ले जाते हैं, कोई मांड मांगने आये और चावलों पर जोर जमाने लगे तब।

आई थी मिलने, बिठाली दलने : आप किसी से ऐसे ही मिलने जाएँ और वह आप को किसी काम में लगा ले, (दलने का मतलब दाल दलने से है)।

आई न गई, कौन नाते बहिन : जबरदस्ती रिश्ता जोड़ने वाले के लिए।

आई न गई, कौले लग ग्याभन भई : कोई कुआंरी या विधवा स्त्री गर्भवती हो गई और अपने को निर्दोष बता रही है, तो अन्य स्त्रियाँ उस से पूछ रही हैं कि तू कहीं आई गई नहीं तो यह कैसे हो गया । कोई दोषी व्यक्ति अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास करे तो, (कौले लग – गले लग के, ग्याभन – गर्भवती)

आई बहू आयो काम, गई बहू गयो काम : बहू के आते ही सारे काम दिखाई देने लगते हैं (बहू से कराने के लिए) और बहू के जाते ही काम दिखाई पड़ना बंद हो जाते हैं । संस्कृत में कहावत है – यावत् गृहणी तावत् कार्यं।

आई बहू, जन्मा पूत : दोहरी ख़ुशी, बहू घर में आई और पहली बार में ही पुत्र को जन्म दिया।

आई बी आकिला, सब कामों में दाखिला : कुछ लोग अपने को बहुत अक्लमंद समझते है और सब कामों में टांग अड़ाते हैं, उन का मजाक उड़ाने के लिए।

आई माई को काजर नहीं, बिलैय्या को भर मांग : बिलैया माने बिल्ली, यहाँ पराई औरत या दुष्ट पत्नी से तात्पर्य है ।अपनी माँ के लिए काजल भी नहीं है और बिल्ली के लिए ढेर सारा सिंदूर । अपने लोगों की उपेक्षा कर के दूसरों के काम करना । मां की उपेक्षा कर के पत्नी की गुलामी करना।

आई मुझको, ले गई तुझको : किसी कम आयु के व्यक्ति की असमय मृत्यु हो जाए तो बड़े बुजुर्ग ऐसे बोलते हैं।

आई मौज फ़कीर की, दिया झोपड़ा फूँक : (दी मढैया फूँक) बेफिक्रा और मनमौजी आदमी कुछ भी कर सकता है।

आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ : कोई असाध्य बीमारी।

आऊँ न जाऊं घर बैठी मंगल गाऊं : जो लोग सामाजिक आयोजनों में कहीं आते जाते नहीं हैं उन पर व्यंग्य।

आए का मान करो, जाते का सम्मान करो : घर में कोई भी आए उसका मान करना चाहिए । कोई छोटा आदमी हो तो भी उससे उचित व्यवहार करना चाहिए । जब कोई जा रहा हो तो उसको सम्मान के साथ विदा करना चाहिए।

आए की खुशी न गए का गम : उन लोगों के लिए जोकोई चीज़ मिलने पर बहुत प्रसन्न नहीं होते और कुछ खोने पर बहुत दुखी भी नहीं होते।

आए गए से पूछे बात, करे न खेती अपने हाथ : जो अपने हाथ से खेती न करे और आए गए लोगों से ही खेती का हाल पूछता रहे उसकी खेती कभी सफल नहीं हो सकती।

आए चैत सुहावन, फूहड़ मैल छुड़ावन : ऐसे व्यक्ति के लिए कहा गया है जो जाड़े भर नहीं नहाता और चैत आने पर मैल छुड़ाने बैठा है ।व्यवहार में ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं जो कभी कभी ही सफाई करता हो।

आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास : सांसारिकता में फंस कर अपने जीवन का उद्देश्य भूल जाना।

आए वीर, भागे पीर : 1.वीर पुरुषों के सामने भूत प्रेत सब भाग जाते हैं । 2. भूत प्रेत सब मन का वहम हैं जिन्हें वीर पुरुष नहीं मानते।

आए हैं सो जायेंगे, राजा, रंक, फ़कीर, (आया है तो जायगा क्या राजा क्या रंक) : सभी लोगों को इस दुनिया से जाना है; सीख यह है कि हमें अपने पद और धन का अहंकार नहीं करना चाहिए।

आओ तो घर आपका, जाओ तो वह रास्ता : प्रेम से आओ तो स्वागत है, रूठ कर जाओ तो रास्ता सामने है।

आओ निकम्मे कुछ तो करो, खाट उधेड़ कर रस्सी बुनो : निकम्मे आदमी को उलाहना देने के लिए।

आओ पूत सुलच्छने, घर ही का ले जाव : अपने कुपुत्र से दुखी होकर पिता कह रहा है कि तुम कुछ कमा कर तो नहीं ला सकते, घर का ही ले जाओ।

आओ बहन लड़ें, ठाली बैठी क्या करें : लड़ाकू स्त्रियों के लिए।

आओ बैठो गावो गीत, नहीं हमारे बताशों की रीत : जो लोग हमारे यहाँ विवाह आदि में आए हैं वो शौक से गाने वाने गाएं, हमारे यहाँ कुछ खिलाने पिलाने का रिवाज़ नहीं है।

आओ मित्तर जाओ मित्तर घर तुम्हारो है, चून होय तुम्हारे पास तो चूल्हा हमारो है : (बुन्देलखंडी कहावत) चतुर व्यक्ति आने वाले अतिथि को सीधे सीधे मना नहीं कर रहा है, कह रहा है कि हमारा चूल्हा तैयार है, बस आटा तुम ले आओ । चून – आटा।

आओ मियां खाना खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुलावो, आओ मियां बोझ उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो : खाने पीने के लिए फौरन तैयार परन्तु काम करने के लिए बहाने बनाना।

आओ मेरी हाट में, देऊं तेरी टाट में : लालची बनिया इस फ़िराक में रहता है कि कोई ग्राहक उसकी दूकान में आए और वह उसे ठगे।

आओ-आओ घर तुम्हारा, खाना माँगे दुश्मन हमारा : झूठा स्वागत सत्कार।

आक का कीड़ा आक में राजी, ढाक का कीड़ा ढाक में राजी : जो जिस परिवेश में रह रहा है वह उसी में संतुष्ट रहता है।

आक को सींचे पर पीपल को न सींचे : पक्षपात पूर्ण और बेढंगा काम।

आक में ईख और ईख में आक : निकृष्ट कुल में भी कभी कभी उच्च संस्कार वाले जन्म लेते हैं और उच्च कुल में नीच।

आकाश बांधू, पाताल बांधू, घर की टट्टी खुली : उन लोगों के लिए जो बड़ी बड़ी योजनाएं बनाते हैं और अपने घर में छोटा सा काम भी नहीं कर सकते । टट्टी का अर्थ है सींकों से बना हुआ पर्दा।

आकाश बिना खम्बों के खड़ा है : आकाश सत्य और धर्म के सहारे खड़ा है।

आकास बिजली चमके, गधा दुलत्ती झाड़े : जिस बात से कोई लेने देना नहीं और जिस में कुछ कर भी नहीं सकते उस पर बिना बात आक्रोश प्रकट करना।

आखिर शंख बजा लेकिन बाबाजी को पदा के : काम हुआ लेकिन कड़े परीश्रम के बाद।

आग और पानी को कम न समझें : थोड़ी सी भी आग बढ़ के विकराल रूप धारण कर सकती है और बाढ़ का पानी आज थोड़ा हो तो भी कल बढ़ कर बहुत नुकसान पहुँचा सकता है।

आग और वैरी को कम न समझो : आग और शत्रु को छोटा नहीं समझना चाहिए।

आग कह देने से मुँह नहीं जल जाता : अर्थ स्पष्ट है।

आग की लपटों को दीया जलाकर कौन देखे : जो सत्य स्वयं प्रकाशमान हो उसे सिद्ध करने की क्या आवश्यकता।

आग को दामन से ढकना : किसी खतरे को टालने के लिए ऐसा उपाय करना जिससे और बड़ा नुकसान हो सकता हो।

आग खाएगा तो अंगार उगलेगा : 1. गलत काम का नतीज़ा गलत ही होता है, 2. व्यक्ति अगर गलत शिक्षा ग्रहण करेगा तो गलत बातें ही बोलेगा।

आग खाओगे तो अंगार हगोगे : गलत तरीकों से कमाया हुआ धन अंततः व्यक्ति को कष्ट ही पहुंचाता है।

आग खाय मुँह जरे, उधार खाय पेट जरे : आग खाने से मुँह जल जाता है और उधार ले कर खाने पर उसे चुकाने की चिंता आदमी को ही जला देती है।

आग तापें चीलर मारें, एक साथ दो काम निबारें : होशियार लोग दो काम एक साथ कर लेते हैं।

आग बिना धुआँ नहीं : अगर कहीं धुआं दिख रहा है तो आग जरूर होगी ।अगर किसी परिवार में या संगठन के लोगों में बाहर से ही कुछ खटपट दिख रही है तो इस का मतलब यह है कि अंदरूनी क्लेश अवश्य होगा । इंग्लिश में कहावत है – There is no smoke without fire.

आग में तप के सोना और खरा हो जाता है : गुणवान व्यक्ति कठिनाइयों से जूझ कर और निखर जाता है।

आग लगन्ते झोपड़ी, जो निकले सो लब्ध : झोंपड़ी में आग लग गई हो तो जो कुछ भी बचा कर निकाल सको उसी में अपने को भाग्यशाली मानना चाहिए।

आग लगाकर पानी को दौड़े : पहले स्वयं कोई परेशानी पैदा करना और फिर उस का हल खोजने के लिए दौड़ भाग करना।

आग लगे को धूल बतावे : आग लगने पर धुआँ उठ रहा है, उसे धूल बता कर लोगों को धोखा दे रहे हैं या खुद को धोखे में रख रहे हैं ।जैसे देश पर बड़ा संकट हो और नेता लोगों को गुमराह करे।

आग लेने आए थे, क्या आए क्या चले : जब आग जलाने के लिए माचिस और लाइटर नहीं होते थे तब लोग पड़ोसी के घर से आग मांग कर लाते थे ।(जलता हुआ कोयला या लकड़ी) ।जो आदमी बहुत जल्दी में आए और चला जाए उसके लिए मजाक।

आग लेने रोज आवे, पर उपला कभी न लावे : जब माचिस का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग आस पड़ोस से आग मांग कर लाते थे (कोई जलता हुआ कोयला या कंडे का टुकड़ा) । कोई स्वार्थी व्यक्ति किसी के घर रोज आग मांगने जाए और उसी का कंडा रोज ले जाए तो।

आग से जले हुए जुगनुओं से डरते हैं : जो आग से जल चुका हो वह कोई भी चमकदार चीज़ देख कर डरता है।

आगामीर की दाई, सब सीखी सीखाई : अवध के नवाब गाजीउद्दीन के वजीर आगामीर एक बहुत चालाक आदमी थे । उनके नौकर चाकर भी बड़े खुर्रांट थे । किसी बड़े आदमी के शातिर नौकर पर व्यंग्य करने के लिए यह कहावत बोली जाती है।

आगाय सो सवाय (अगाई बोवाई, सवाई लवाई) : समय से पूर्व खेती के काम करने से सवाया लाभ होता है।

आगे आगे बामना, नदी ताल बरजन्ते : जीमने और दक्षिणा समेटने में ब्राह्मण आगे रहते है, जहां खतरा हो (जैसे नदी तालाब पार करना हो) तो कहते हैं कि यह शास्त्र में वर्जित है।

आगे को सुख समझ होय, बीती जो बीती : जो बीत गई उस की चिंता छोड़ कर आगे मिलने वाले सुखों पर ध्यान केन्द्रित करो।

आगे जाएं घुटने टूटें, पीछे देखें आँखें फूटें : किसी काम के दो विकल्प हैं और दोनों में ही बराबर संकट है।

आगे दौड़, पीछे छोड़ : आगे बढ़ने का प्रयास करो, पीछे जो गलतियाँ हुईं उनका दुःख मनाने में समय मत गंवाओ । बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले । इंग्लिश में कहावत है – Let bygones be bygones.

आगे नाथ न पीछे पगहा, सबसे भला कुम्हार का गदहा : बैल के नथुने में छेद कर के रस्सी डाल देते हैं जिसे नाथ (नथना) कहते है, हाथी के पिछले पैर में रस्सी या जंजीर बाँध देते हैं जिसे पगहा कहते हैं । गाय, भैंस, बैल और घोड़े के गले में बंधे रस्सी के फंदे को भी पगहा कहते है । धोबी के गधे को न तो नथा जाता है और न ही उस के पैर में पगहा पहनाया जाता है (क्योंकि वह स्वभाव से बहुत सीधा होता है) । कहावत का प्रयोग उन लोगों के लिए करते हैं जिन पर परिवार का कोई बंधन न हो । भोजपुरी में इसे इस प्रकार बोला जाता है – आगे नाथ ना पीछे पगहा, खा के मोटा भइले गदहा।

आगे पग से पत बढ़े, पाछे से पत जाए : अपने मार्ग पर आगे बढ़ने से व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है और पीछे हटने पर सम्मान कम होता है।

आगे बैजू पीछे नाथ : 1. जब कोई बिना सोचे समझे किसी का अंधानुकरण करे । 2. जब कोई बड़ा आदमी किसी छोटे का अनुसरण करे।

आगे हाथ, पीछे पात : अत्यधिक निर्धन व्यक्ति जो शरीर को हाथ और पत्तों से ढकता है।

आगे ही गधे आवें तो पीछे घोड़ों की क्या आस : सेना में या शोभायात्रा में आगे गधे चल रहे हों तो पीछे घोड़ों की क्या उम्मीद करें । जिस काम की शुरुआत ही बेकार हो उस में आगे क्या उम्मीद।

आछे दिन पाछे गये, गुरु (हरि) सों किया न हेत, अब पछितावे होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत : आम तौर पर इसका बाद वाला हिस्सा ही बोला जाता है । यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए कही जाती है जो आलस के कारण समय पर जरूरी काम नहीं करता और जब काम बिगड़ जाता है तो पछताता है।

आज का बनिया कल का सेठ : जो आज मेहनत करता है वही कल को बड़ा आदमी बन सकता है.

आज की कसौटी बीता हुआ कल है : कसौटी माने वह पत्थर जिस पर रगड़ कर सोने के असली होने की पहचान करते हैं, अर्थात किसी चीज़ को परखने का साधन; कोई व्यक्ति या समाज आज क्या है इसको परखने के लिए उसके बीते हुए कल को अवश्य देखना चाहिए।

आज की ठोकर, कल के गिरने से बचा सकती है : ठोकर लगने से इंसान सीखता है।

आज के थपे आज ही नहीं जलते : उपलों (गोबर से बने कंडे) को जिस दिन थापते (बनाते) हैं उसी दिन नहीं जलाते (पहले सूखने देते हैं) । अर्थ है कि किसी काम का फल मिलने के लिए उतावलापन नहीं करना चाहिए कुछ समय प्रतीक्षा करनी चाहिए।

आज चुराए ककरी, कल चुराए बकरी : आज छोटी मोटी चोरी करने वाला कल बड़ी चीज़ चुराएगा।

आज नगद कल उधार : उधार देने से मना करने के लिए दुकानों पर अक्सर लोग यह लिख कर लगाते हैं।

आज निपूती कल निपूती, टेसू फूला सदा निपूती : निपूती – जिसके पुत्र न हो । बाँझ स्त्री के लिए अपमान जनक कथन।

आज मरे कल दिन दूसरा : किसी के जाने से दुनिया का कोई काम नहीं रुकता : दुनिया ऐसे ही चलती रहती है।

आज मरे, कल पितरों में : मृत्यु के बाद हम सभी को पूर्वजों में शामिल हो जाना है।

आज मेरी कल तेरी : स्वार्थी व्यक्ति कोई चीज़ बांटते समय दूसरे को समझा रहा है कि आज मैं ले लेता हूँ, तू कल ले लेना।

आज मेरी मँगनी, कल मेरा ब्याह, टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्याह : हम भांति भांति की योजनाएं बनाते हैं, पर किसके साथ आगे क्या होना है यह कोई नहीं जानता।

आज राज सो राज : जिसका इस समय राज है उसी का हुक्म चलेगा।

आज हम पर तो कल तुम पर : हमारी दुर्दशा देख कर खुश मत हो, जो आज हम पर बीत रही है वह कल तुम पर भी बीत सकती है।

आज हमारी कल तुम्हारी, देखो लोगों फेरा फारी : संसार परिवर्तनशील है किसी को अपनी वर्तमान स्थिति पर न तो अहंकार करना चाहिए न अफ़सोस।

आजमाए को आजमावे, नामाकूल कहावे : जिसके साथ नुकसान उठा चुके हो उसको दोबारा आजमाने वाला मूर्ख कहलाता है । इंग्लिश में कहावत है – If a man deceives me once, shame on him; if he deceives me twice, shame on me.

आटा नहीं तो दलिया जब भी हो जाएगा : गेहूँ को चक्की में पीसते हैं तो अगर पूरी तरह पिस कर आटा नहीं बन पाया तब भी दलिया तो बन ही जाएगा : काम पूरी तरह नहीं होगा तो भी कुछ न कुछ तो निबट ही जाएगा : आजकल के लोगों ने चक्की ही नहीं देखी होगी।

आटा निबड़ा, बूचा सटका : बूचा माने कान कटा कुत्ता । खाना ख़तम होते ही कुत्ता अपनी राह निकल लेता है । यह कहावत स्वार्थी लोगों के लिए कही गई है।

आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए, बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए : ऐसी चीज़ जिसकी सुरक्षा कठिन हो।

आटे के साथ घुन भी पीसा जाता है : दोषी व्यक्ति के साथ निर्दोष भी सजा पाता है।

आटे में नमक मिलाया जाता है नमक में आटा नहीं :  झूठ उतना ही बोलो जितने चल जाए।

आठ कठौती मठा पिए, सोलह मकुनी खाय, उसके मरे न रोइए, घर का दलिद्दर जाए : आठ बड़े वाले बर्तन भर कर मट्ठा पीने वाला और सोलह मोटी रोटी खाने वाला (अर्थात बहुत अधिक खाने वाला) कोई घर का सदस्य यदि मर जाए तो रोओ नहीं : उस के मरने से घर का दुःख दारिद्र्य दूर हो जाएगा।

आठ कनौजिया नौ चूल्हे : जिस समाज के लोगों में एकता न हो।

आठ खावे नौ लटकावे : बहुत दिखावा करने वाले के लिए।

आठ जुलाहे नौ हुक्का, तिस पर भी थुक्कम थुक्का : जितने लोग हैं उससे अधिक उपयोग की वस्तुएं हैं, फिर भी आपस में लड़ रहे हैं।

आठ वार नौ त्यौहार : आठ दिन में नौ त्यौहार, सदा आनंद मनाना. हिन्दुओं में तीज त्यौहार बहुत होते हैं इसको लेकर मजाक।

आता तो सब ही भला, थोड़ा, बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले दलिद्दर और दुक्ख : आता तो सब अच्छा लगता है, थोड़ा आये या बहुत, जाती हुई दो ही चीज़ें अच्छी लगती हैं दुःख और दारिद्र्य।

आता हुआ सब को अच्छा लगता है, जाता हुआ किसी को नहीं : मनुष्य का स्वभाव है।

आता है हाथी के मुँह और जाता है चींटी के मुँह : कोई भी संकट आता बहुत तेजी से है और जाता बहुत धीरे धीरे है।

आता हो तो आने दीजे, जाता हो तो गम न कीजे : जो आता हो उसे छोड़ो नहीं, जो चला जाए उसका गम मत करो।

आती बहू जनमता पूत सबको अच्छा लगता है : घर में कोई खुशी हो तो सभी लोग आनंदित होते हैं लेकिन जो लोग बहू के आने पर या पुत्र के जन्म पर बहुत अधिक खुश हो रहे होते हैं उन्हें सयाने लोग यह सीख देते हैं कि जरूरत से ज्यादा खुश मत हो, आगे क्या होगा यह कोई नहीं जानता।

आतुर खेती, आतुर भोजन, आतुर कीजे बेटी ब्याह : खेती, भोजन और बेटी का ब्याह, इन तीनों कामों में शीघ्रता करनी चाहिए।

आते का बोलबाला, जाते का मुँह काला : अफसर आता है तो सब उस की चापलूसी करते हैं, जाते ही उसकी बुराई करने लगते हैं।

आते जाते मैना न फंसी, तू क्यों फंसा रे कौए : भोला भाला व्यक्ति तो फंसा नहीं तू इतना सयाना हो कर कैसे फंस गया; कोई धूर्त व्यक्ति धोखा खा जाए तो उस पर व्यंग्य।

आत्मघाती महापापी : आत्महत्या को महापाप माना गया है ।

आत्मा में पड़े तो परमात्मा की सूझे : पेट में रोटी पड़े तभी भगवान की भक्ति कर सकते हैं।

आदमियों में नउआ, जानवरों में कउआ : जिस प्रकार जानवरों में कौए को धूर्त प्राणी माना जाता है उसी प्रकार मनुष्यों में नाई को चंट चालाक माना गया है । यहाँ नाई से तात्पर्य हज्जाम से नहीं बल्कि हिन्दुओं में रीति रिवाज़ कराने वाले नाई से है । (नरों में नाई, पखेरुओं में काग, पानी में कछुआ, तीनों दगाबाज)।

आदमी अनाज का कीड़ा है : अन्न मनुष्य की प्रथम आवश्यकता है।

आदमी अपनी संगत से पहचाना जाता है : कोई आदमी कैसा है यह जानना हो तो यह देखिए कि उसके यार दोस्त कौन हैं । इंग्लिश में कहते हैं – Man is known by the company he keeps.

आदमी उपदेश का नहीं, तारीफ़ का भूखा है : उपदेश सुनना किसी को अच्छा नहीं लगता, पर प्रशंसा सुनना सबको अच्छा लगता है । इंग्लिश में कहावत है – The sweetest of all sounds is praise.

आदमी का आदमी ही शैतान : आदमी को सबसे अधिक हानि आदमी ही पहुँचाता है।

आदमी का तोल एक बोल में पहचानिए : अनुभवी लोग किसी मनुष्य से थोड़ी बहुत बात कर के ही उसकी वास्तविकता का अंदाज़ लगा लेते हैं।

आदमी की कदर मरे पर होती है : किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद ही उसकी विशेषताओं का बखान किया जाता है।

आदमी की दवा आदमी : मनुष्य के पास कितना भी कुछ हो, उसे दूसरे मनुष्यों का साथ चाहिए ही होता है । किसी भी आदमी की परेशानी या दुःख को कोई दूसरा आदमी ही ठीक कर सकता है।

आदमी की पेशानी, दिल का आईना है : पेशानी – माथा । व्यक्ति के हृदय में चिंता है या संतोष, यह उसके चेहरे पर प्रतिबिंबित हो जाता है।

आदमी की पैठ पुजती है : मनुष्य की नहीं उस की पहुँच की कद्र होती है।

आदमी के सौ कायदे, लुगाई का एक : पुरुष प्रधान समाज में पुरुष लोग अपनी अनियमितताओं को किसी भी तरह से सही साबित कर देते हैं, पर स्त्रियों से यह आशा की जाती है कि वे उनके बनाए नियमों पर ही चलें।

आदमी जन्म से नहीं कर्म से महान होता है : व्यक्ति ने किस कुल में जन्म लिया है इस से वह महान नहीं बनता, बल्कि अपने कार्यों से महान बनता है । इंग्लिश में कहावत है – Worth is more important than birth.

आदमी जाने बसे, सोना जाने कसे : सोना कसौटी पर कस के पहचाना जाता है और व्यक्ति को उसके साथ रह कर ही पहचाना जा सकता है।

आदमी नहीं कमाता, आदमी का भाग्य कमाता है : कहावतों में दोनों प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं । एक तो यह कि उद्यम करने से ही सब कुछ मिलता है और दूसरा यह कि कितना भी कुछ कर लो भाग्य से ही सब मिलता है।

आदमी पहले शराब पीता है, फिर शराब आदमी को पीती है : अधिकतर लोग पहले केवल शौक शौक में शराब पीते हैं । फिर वे उसके आदी हो जाते हैं और अपनी इज्जत, धन दौलत और स्वास्थ्य सब बर्बाद कर लेते हैं।

आदमी पेट का कुत्ता है : आदमी पेट का गुलाम है।

आदमी फूले भात खाकर, खेत फूले खाद खाकर : जिस प्रकार मनुष्य अच्छा भोजन कर के स्वस्थ होता है उसी प्रकार खेत उपयुक्त खाद लगाने से अच्छी उपज देता है।

आदमी भगवान और शैतान को एक साथ खुश नहीं कर सकता : पाप और पुन्य एक साथ नहीं किए जा सकते।

आदमी भूल चूक का पुतला है : भूल सभी से हो सकती है । कोई यह नहीं कह सकता कि उस ने कभी भूल नहीं की । इंग्लिश में कहते हैं – The Man is bundle of errors.

आदमी मान के लिए पहाड़ भी उठाता है : इंसान अपनी प्रतिष्ठा के लिए सामर्थ्य से बाहर का काम भी करता है।

आदमी लड़खड़ा कर ही चलना सीखता है : कोई भी नया काम करने में शुरू में परेशानियाँ आती ही हैं, उन से हतोत्साहित नहीं होना चाहिए । इंग्लिश में कहावत है – We learn to walk by stumbling.

आदमी सा पखेरू कोई नहीं : मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे विशिष्ट है।

आदमी हो या घनचक्कर : मूर्ख व्यक्ति के लिए।

आदमी–आदमी अंतर, कोई हीरा कोई कंकर : सब मनुष्य एक से नहीं हो सकते, कुछ अच्छे, कुछ साधारण व कुछ बुरे भी हो सकते हैं।

आदर दिए कुजात को नाहीं होत सुजात : नीच आदमी आदर पा कर भी नीच ही रहता है।

आदर न भाव, झूठे माल खाव : छल प्रपंच कर के व्यक्ति माल खा सकता है पर आदर नहीं पा सकता।

आदर न मान, बार बार सलाम : सम्मान न मिलने पर भी घुसने की चेष्टा करना।

आदि बुरा तो अंत भी बुरा : यदि किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो तो काम ठीक से पूरा होने की संभावना बहुत कम होती है । इंग्लिश में कहते है – A bad beginning makes a bad ending.

आधा आप घर, आधा सब घर : स्वार्थी आदमी आधा खुद रख लेता है और आधे में सब को निबटा देता है ।

आधा ज्ञान, जी की हान : अधूरा ज्ञान खतरनाक है।

आधा तजे पंडित, सारा तजे गंवार : संकट के समय मूर्ख व्यक्ति सब कुछ गँवा देता है जबकि समझदार व्यक्ति आधे को दांव पर लगा कर आधा बचा लेता है।

आधा तीतर आधा बटेर : ऐसा व्यक्ति जिस का कोई एक मत या विचारधारा न हो।

आधा पाव की लोमड़ी, ढाई पाव की पूँछ : व्यक्ति छोटा, आडम्बर बहुत बड़ा।

आधा पाव भात लाई, बाहर से गाती आई : छोटे से कार्य का बहुत अधिक दिखावा।

आधा बगुला, आधा सुआ : सुआ – तोता । जिसका कोई एक मत न हो।

आधा साधे, कमर बांधे : कमर बांध लेने से ही आधा कार्य सिद्ध हो जाता है।

आधा सेर कोदों, मिरजापुर का हाट : थोड़ी सी चीज़ का बहुत अधिक दिखावा । कोदों – एक अनाज।

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न सारी पावे (आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आधी मुंह से जावै) : एक कुत्ते को आधी रोटी मिल गई । वह उसे मुँह में दबा कर नदी के किनारे जा रहा था कि उसे पानी में अपनी परछाईं दिखी । वह समझा कि यह दूसरा कुत्ता रोटी ले कर जा रहा है, उससे रोटी छीनने को झपटा तो मुँह की रोटी भी पानी में गिर गई।

आधी मार घरहरिया को : घरहरिया – बीच बचाव करने वाला । दो लोग लड़ रहे हों तो बीच बचाव करने वाले को भी काफी मार पड़ जाती है।

आधी रात को जम्भाई आए, शाम से मुंह फैलाए : कोई काम शुरू करने से बहुत पहले से ही दिखावा करने लगना।

आधी रोटी घर की भली : दूर देश जा कर अधिक कमाई होती हो, उस के मुकाबले घर रह कर कम कमाई अधिक अच्छी है।

आधी रोटी बस, कायस्थ हैं की पस (पशु) : कायस्थों की तकल्लुफ बाजी पर व्यंग है – ये कायस्थ हैं कोई जानवर थोड़े ही हैं, इन्हें बस आधी रोटी परोसो।

आधे आंगन सासरो और आधे आंगन पीहर : मुसलमानों में बहुत निकट सम्बन्धियों में विवाह सम्बन्ध हो जाते हैं उस पर व्यंग्य । सासरो – ससुराल, पीहर – मायका।

आधे आसाढ़ तो बैरी के भी बरसे : आधे आषाढ़ तो वर्षा अवश्य होनी चाहिए।

आधे गाँव दीवाली आधे गाँव फाग : समाज के लोगों का एकमत न होना । फाग – होली।

आधे दादा आधे काका, कौन किससे काम को कहे : गाँव में सारे ही अपने बुजुर्ग हैं, काम के लिए किस से कहें।

आधे माघे, कंबली कांधे : आधा माघ बीत गया जाड़ा कम हो गया, अब कंबली ओढ़ो मत कंधे पर रख लो।

आधे में लोमड़ी और आधे में पूंछ : थोड़ी वास्तविकता पर थोड़ा आडम्बर भी।

आन के धन पर तीन टिकुली : आन का – दूसरे का । दूसरे का धन खर्च कर के माथे पर सोने की तीन टिकुली लटकाए है । दूसरे के धन की मूर्खता पूर्ण फिजूलखर्ची।

आन के धन पर तेल बुकुआ : बुकुआ – पीसी हुई गीली सरसों जिसे तेल के साथ शरीर पर मलते हैं । दूसरे का धन मिल रहा हो तो ऐय्याशी करना।

आन पड़ी सिर आपने, छोड़ पराई आस : अगर अपने ऊपर कोई मुसीबत पड़ी है तो खुद ही भुगतनी पड़ेगी, पराई आस छोड़ दो।

आन से मारे, तान से मारे, फिर भी न मरे तो रान से मारे : वैश्या के लिए कहा गया है ।किसी चीज़ को प्राप्त करने के लिए जो लोग हद से अधिक गिर जाते हैं उन के लिए भी । रान – जांघ।

आप करे सो काम पल्ले हो सो दाम : काम वही अच्छा है जो हम अपने आप से कर सकें और पैसा वही अच्छा है जो हमारे पास हो।

आप काज सो महा काज : 1. जो अपना काम स्वयं करना जानता है वह सबसे अच्छा रहता है, 2. इसका उसका मुँह देखने की बजाए अपना काम अपने आप कर लो।

आप को जो चाहे बा को चाहिए हजार बार, आपको न चाहे बा के बाप को न चाहिए : जो आप से प्रेम करता हो उसी से प्रेम करिए।

आप खाय, बिलाई बताय : चालाक बच्चे ने खुद रबड़ी खा ली और बिल्ली का नाम लगा रहा है । खुद चोरी करके दूसरों पर इल्ज़ाम लगाने वाले लिए।

आप गुरु जी कांतल मारें, चेलों को परबोध सिखावें : गुरु जी खुद तो कांतल मार रहे हैं (जीव हत्या कर रहे हैं) और चेलों को अहिंसा परमोधर्म: का पाठ पढ़ा रहे हैं।

आप गुरुजी बैंगन खाएँ, औरों को उपदेश पिलाएँ : पुराने लोग बैंगन को कुपथ्य मानते थे (मालूम नहीं क्यों) ।कहावत उन गुरुओं के लिए है जो खुद गलत काम करते हैं और दूसरों को उपदेश देते हैं।

आप जिंदा जहान जिंदा : जब तक हम जीवित हैं (हमारे लिए) यह संसार भी तभी तक है । इस कहावत को इस प्रकार से भी कहा गया है – आप मरे जग परलै।

आप डुबन्ता पंडित, ले डूबे जजमान : भ्रष्ट पंडित यजमान को भी ले डूबता है।

आप डूबे तो जग डूबा : यदि किसी की इज्ज़त चली जाए तो संसार उसके लिए बेकार ही है।

आप डूबे बामना, जिजमाने ले डूबे : ऐसा ब्राह्मण जो खुद भी डूबे और यजमान को भी ले डूबे । भ्रष्ट व्यक्ति को गुरु नहीं बनाना चाहिए।

आप तो मियां हफ्ताहजारी, घर में रोए कर्मों की मारी : हफ्ताहजारी माने जिसकी एक हफ्ते में एक हजार रुपये की आमदनी हो, याने पुराने हिसाब से बहुत बड़ा आदमी । मियाँ तो बहुत बड़े आदमी हैं और घर में बीबी काम में पिस रही है और भाग्य को कोस रही है

आप धनी तो जग धनी : जिस के पास पैसा है उसी के लिए संसार सुखमय है।

आप न जाए सासुरे, औरन को सिख देय : खुद तो ससुराल जाने को मना कर रही है और दूसरी लड़कियों को ससुराल जाने को समझा रही हैं । इस प्रकार की दूसरी कहावत है – पर उपदेस कुसल बहुतेरे।

आप बड़े हम छोटे : विनम्रता सबसे बड़ा आभूषण है । अपने आप को छोटा मानना सबसे बड़ा बड़प्पन है।

आप बुआ जी नंगी फिरें, भतीजों को झबला टोपी : बुआ जी के पास खुद के पहनने के लिए ढंग के कपड़े नहीं हैं पर भतीजों के लिए कपड़े बना रही हैं । साधन हीन व्यक्ति परोपकार करे तो।

आप बुरा तो जग बुरा : यदि आप सब के बारे में बुरा सोचते हैं या बुरा चाहते हैं तो दुनिया भी आप के लिए बुरी है।

आप भला तो जग भला : आप सब की भलाई करते हैं तो दुनिया भी आप के लिए भली है । इंग्लिश में इस से मिलती जुलती एक कहावत है – Do good, have good.

आप भलो तो जग भलो, नहिं तो भला न कोय : जो लोग निर्मल चरित्र वाले होते हैं उन्हें संसार के अन्य लोग भी भले लगते हैं, जो स्वयं कुटिल होते हैं उन्हें कोई भला नहीं लगता।

आप मरता बाप किसे याद आवे : (राजस्थानी कहावत) जब आदमी स्वयं बहुत बड़ी मुसीबत में हो तो उस से सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ करने की आशा नहीं करना चाहिए।

आप मरे जग परलै : किसी व्यक्ति की मृत्यु उसके लिए दुनिया ख़त्म होने के बराबर है । इंग्लिश में कहावत है – Death’s day is Dooms day.

आप महान हैं, प्रभु के समान हैं : अपने आप को बहुत महान समझने वाले व्यक्ति का मज़ाक उड़ाने के लिए।

आप मियाँ फज़ीहत, औरों को नसीहत : खुद गलत काम करते है और दूसरों को उपदेश देते हैं।

आप मियां मंगते, द्वार खड़े दरवेश : दरवेश-साधु । खुद मंगते (मांगने वाले) हैं और द्वार पर फकीर को भिक्षा देने के लिए बुलाया हुआ है । झूठी शान दिखाने वालों के लिए।

आप मिले तो दूध बराबर, मांग मिले तो पानी, कंह कबीर वह खून बराबर, जा में एंचातानी : जो अपने आप मिल जाए वह कीमती चीज़ है (दूध की तरह), जो मांग कर मिले वह पानी की तरह साधारण और जिसके मिलने में झंझट हो वह खून के बराबर है।

आप रहें उत्तर, काम करें पच्छम : बेतरतीब काम करने वाले के लिए।

आप लगावे आप बुझावे, आप ही करे बहाना, आग लगा पानी को दौड़े, उसका कौन ठिकाना : बहुत कुटिल व्यक्ति के लिए (जैसे आजकल के कुछ नेता, खुद दंगा कराते हैं और फिर खुद ही उसको नियंत्रित करने का श्रेय ले लेते हैं)।

आप लिखे खुदा पढ़े : बहुत खराब लिखावट वालों के लिए।

आप सुखी जग सुखी : जब आप स्वयं सुखी होते हैं तो सारा संसार सुखी लगता है।

आप से आवे तो आने दे : जो चीज़ बिना कोई प्रयास किए मिल रही हो उसे मना मत करो।

आप हारे और बहू को मारे : अपनी हार का गुस्सा पत्नी/बहू पर निकालना।

आप ही उलझाए और आप ही सुलझाए : जो खुद ही समस्या पैदा करे और खुद उसका हल ढूँढे।

आप ही गावे और आप ही बजावे : जिसे सारा काम खुद करना पड़े उस के लिए।

आप ही मारे, आप ही चिल्लाए : धूर्त व्यक्ति, स्वयं किसी को मार रहा है और पीड़ित होने का दिखावा कर रहा है (जैसे समाज के कुछ विशेष वर्ग जो दंगा करते हैं)।

आपकी अकल घोड़े से भी तेज दौड़ती है : अपने आप को बहुत अक्लमंद समझने वाले पर व्यंग्य।

आपके चेहरे पर लगी कालिख औरों को दिखती है आपको नहीं : अपने चरित्र पर धब्बा स्वयं को नहीं दिखता, औरों को दिखता है।

आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए : जो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए।

आपज करियो कामड़ा, दई न दीजै दोस : अपने किये हुए अनर्थ के लिए दैव को दोषी नही ठहराना चाहिए।

आपत काल में सब जायज़ : जब जान पर संकट आ पड़ा हो तो अपनी सुरक्षा के लिए सब कुछ जायज़ है।

आपन मामा मर मर गए, जुलहा धुनिया मामा भए : (भोजपुरी कहावत) अपने मामा मर गए उन्हें कभी पूछा नहीं, अब बेकार के लोगों से संबंध बनाते घूम रहे हैं।

आपन हाथ आपनी कुल्हाड़ी, जान बूझ के पैर में मारी : अपने हाथों अपना नुकसान कर के दुखी होने वाले के लिए।

आपबीती कहूँ कि जग बीती : दुनिया के बारे में क्या कहूँ, जो मुझ पर बीती है सो कहता हूँ।

आपम धाप कड़ाकड़ बीते, जो मारे सो जीते : एक तरह से बच्चों की कहावत । अर्थ है कि जो आगे बढ़ के मारता है वही जीतता है।

आपसे गया तो जहान से गया : जो अपनी नज़रों से गिर गया वह दुनिया की नज़रों से गिर जाता है।

आपा तजे तो हरि को भजे : अहं को छोड़ोगे तभी प्रभु को पा सकते हो।

आपे आपे जगत व्यापे, न कोई माई न कोई बापे : सब अपनी अपनी समस्याओं में व्यस्त हैं, माँ बाप की चिंता करनेवाला कोई नहीं है । भोजपुरी में इस प्रकार कहा गया है – आपे आपे लोग सियापे, केकर माई केकर बापे।

आफत में औ दुःख में, बुध नहिं तजें उछाह : बुद्धिमान लोगों का उत्साह दुख और संकट के समय कम नहीं होता।

आब गई, आदर गया, नैनन गया सनेह, यह तीनों तब ही गये, जबहिं कहा कुछ देह : जब आप किसी से कुछ मांगते हैं तो आपका सम्मान और आपसी प्रेम ख़त्म हो जाते हैं।

आबरू जग में रहे तो जान जाना पश्म है : सम्मान की रक्षा के लिए प्राण भी चले जाएं तो कोई बात नहीं । पश्म – तुच्छ वस्तु।

आबरू जग में रहे तो जानिए : सभी लोग चाहते हैं कि संसार में उनकी इज्जत बनी रहे।

आबरू वाला रोवे, बेआबरू वाला हंसे : जिसे अपना सम्मान प्यारा हो उसे ही सारे कष्ट उठाने पड़ते हैं, बेशर्म तो केवल मौज उड़ाता है।

आबरू वाले की हर तरफ मौत : इज्जतदार व्यक्ति को हर समय मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

आभ चमक्के बीजली, गधी मरोड़े कान : बिजली चमकने से गधी को बहुत डर लग रहा है । अज्ञानी लोग व्यर्थ की बातों से डरते हैं।

आम आयें चाहें जाए लबेदा : लबेदा – मोटा डंडा । बहुत से लोग डंडा फेंक कर आम तोड़ने की कोशिश करते हैं । इस में इस बात का डर होता है कि डंडा खो सकता है) । जो व्यक्ति छोटे लाभ के लिए बड़ा खतरा उठाने के लिए तैयार हो उसके लिए।

आम का बौर कलार की माया, जैसे आया वैसे गँवाया : कलार – शराब बेचने वाला । आम का पेड़ आरम्भ में बौर से लद जाता है पर बाद में सब बौर झड़ जाती है, उसी प्रकार शराब बेचने वाला खूब धन कमाता है पर अंत में सब गँवा देता है।

आम के आम गुठलियों के दाम : दोहरा लाभ।

आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या फायदा : व्यक्ति को अपने काम से काम रखना चाहिए व्यर्थ की नुक्ताचीनी में नहीं पड़ना चाहिए।

आम खाय पाल का, खरबूजा खाय डाल का, पानी पिए ताल का : अर्थ स्पष्ट है।

आम टूट मस्तक पर पड़े, याको को जतन कहा कोऊ करे : आलसी व्यक्ति चाहता है कि बैठे बिठाए सब कुछ मिल जाए।

आम फले झुक जाए, अरंड फले इतराए (आम फले नीचे झुके, ऐरण्ड ऊँचो जाए) : समझदार व्यक्ति सफलता पाने पर विनम्र हो जाता है, छोटी बुद्धि वाला व्यक्ति सफलता पाने पर घमंड करने लगता है।

आम फले परवार सों, महुआ फले पत खोय, वा को पानी जो पिए, अकल कहाँ से होय : यहाँ पत का अर्थ पत्ते भी है और इज्जत भी । आम पत्तों सहित फल देता है लेकिन महुए पर पत्ते झड़ने के बाद (अर्थात प्रतिष्ठा खोने के बाद) फल आता है । महुए का पानी (अर्थात उस से बनने वाली शराब) जो पियेगा, उसकी अक्ल तो खराब होनी ही है।

आम बोओ आम खाओ, इमली बोओ इमली खाओ : जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे । इंग्लिश में कहावत है As you sow, so shall you reap.

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया : आय से अधिक खर्च होना । जिन लोगों की आय तो सीमित है पर वे दिखावे के लिए खर्च अधिक करते हैं उनको सीख देने के लिए यह सरल गणित समझाई गई है. कुछ लोग इसके आगे भी बोलते हैं – नतीज़ा ठन ठन गोपाल।

आमदनी के सिर सेहरा : जिस व्यक्ति की आमदनी (आय) अच्छी हो उसी को श्रेष्ठ माना जाता है।

आमों की कमाई, नीबुओं में गँवाई : एक स्रोत से कमाया और दूसरे में उतना नुकसान कर बैठे।

आम्बा, नीबू, बनिया, ज्यों दाबो रस देयं, कायस्थ, कौआ किरकिटा (चींटी) मुर्दा हूँ से लेय : आम, नीबू और बनिया दबाने से रस देते हैं, कायस्थ, कौआ और चींटी मुर्दे को भी नोंच लेते हैं । बनिए डरपोक होते हैं, डरने पर पैसा निकालते हैं, कायस्थ कागज़ी कार्यवाही में फंसा कर मरने के बाद भी आदमी से कुछ न कुछ कमा लेते हैं । (आम ईख नीबू वणिक, दाबे ही रस देंय)।

आया कनागत बंधी आस, बामन उछलें नौ नौ बांस : श्राद्ध पक्ष आने पर ब्राह्मण बहुत प्रसन्न होते हैं । कुछ लोग इसके आगे भी बोलते हैं – गया कनागत गई आस, बामन रोवें चूल्हे पास । कनागत – श्राद्ध पक्ष।

आया कर तू जाया कर, कुंडी मत खड़काया कर : किसी चरित्रहीन स्त्री का अपने यार से कथन । कोई सरकारी मुलाजिम रिश्वत खा कर अगर यह कहे कि तुम चुपचाप यह गलत काम कर लो तो यह कहावत कही जाएगी।

आया कातिक उठी कुतिया : निर्लज्ज और कामातुर स्त्री के लिए उपेक्षापूर्ण कथन।

आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा : लापरवाही में गृहस्थी का नुकसान करने वाली महिलाओं के लिए । यह कहावत अमीर खुसरो की एक कहानी पर आधारित है जिसमें वह एक ही कविता में चार महिलाओं की कविता सुनाने की फरमाइश पूरी करते हैं ।एक बार अमीर खुसरो ने कुँए पर पानी भरने वाली महिलाओं से पीने को पानी माँगा । उन में से एक ने खीर पर, दूसरी ने चरखे पर, तीसरी ने कुत्ते पर और चौथी ने ढोल पर कविता सुनाने के लिए कहा-इस पर उन्होंने यह कविता सुनाई – खीर पकाई जतन से, चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा।

आया चैत फूले गाल, गया चैत फिर वही हवाल : चैत में फसल आदि कटने से किसान भरपेट खाना खाता है और प्रसन्न व स्वस्थ हो जाता है । महीना बीतते बीतते लगान और उधारी चुका कर फिर वैसे का वैसा हो जाता है।

आया तो लाख का, नहीं आया तो सवा लाख का : कोई बड़ा मेहमान घर में आने वाला हो तो उस के आने पर अन्य लोगों के बीच आपका मान बढ़ जाता है और वह न आए तो चैन की सांस आती है।

आया बुढ़ापा आया बुढ़ापा, सौ तकलीफें लाया बुढ़ापा : बुढ़ापा अपने साथ बहुत सी परेशानियाँ ले कर आता है।

आया ब्याज कमाने को, मूल गंवा कर जाय : कुछ लाभ कमाने की इच्छा से आए थे और घाटा उठा कर जा रहे हैं।

आये हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर, (एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधा जंजीर) : सभी लोगों को इस दुनिया से जाना है चाहे वह सिंहासन पर बैठा राजा हो या जंजीरों में बंधा फकीर । अर्थ यह है कि हमें अपने पद और धन का अहंकार नहीं करना चाहिए।

आयो रात, गयो परभात : रात में आया और सुबह ही चला गया । यदि कोई बिना रुके तुरंत चला जाए।

आर वाले कहें पार वाले अच्छे, पार वाले कहें आर वाले अच्छे : जो नदी के इस पार हैं उन्हें उस पार के लोग सुखी दिखाई देते हैं और जो इस पार हैं उन्हें इस पार वाले । किसी भी व्यक्ति को दूसरे लोग अपने से अधिक सुखी दिखाई देते हैं । इंग्लिश में कहते हैं – The grass is always greener on the other side of the court.

आरंभ सही तो आधा काम हुआ समझो : जिस कम की शुरुआत बिल्कुल ठीक हो वह बहुत शीघ्र पूरा हो जाता है । इंग्लिश में कहावत है Well begun is half done.

आरत कहा न करे कुकरमा : आरत – आर्त, कुकरमा – कुकर्म । आर्त व्यक्ति (अत्यधिक कष्ट में पड़ा हुआ व्यक्ति) कुछ भी गलत काम कर सकता है।

आरती वक्त सोवे, भोग वक्त जागे : स्वार्थी व्यक्ति के लिए जिसे पूजा आरती से कोई मतलब नहीं, केवल खाने पीने से मतलब है।

आराम बड़ी चीज़ है, मुँह ढक के सोइए : आलसी लोगों का ध्येय वाक्य।

आल तू जलाल तू, आई बला को टाल तू : कोई परेशानी आ पड़ने पर ईश्वर से सहायता मांगने के लिए । जलाल – ईश्वर का तेज (उर्दू)

आलमगीर सानी, चूल्हे आग न घड़े पानी : औरंगजेब के जमाने में प्रजा बड़े कष्ट में थी उसी पर यह कहावत कही गई।

आलस कबहु न करिए यार, चाहें काम परे हों हजार, मल की शंका तुरत मिटावे, वही सभी सुख पुनि पुनि पावे : मलत्याग की इच्छा होते ही तुरंत उसके लिए चले जाना चाहिए, तभी स्वास्थ्य ठीक रहता है।

आलस नींद किसान को खोवे, चोर को खोवे खांसी, टक्को ब्याज मूल को खोवे, रांड को खोवे हांसी : किसान को निद्रा व आलस्य नष्ट कर देता है, खांसी चोर का काम बिगाड़ देती है, ब्याज के लालच से मूल धन भी है डूब जाता है और हंसी मसखरी विधवा को बिगाड़ देती है।

आलस नींद किसाने नासे, चोरे नासे खांसी, अँखियाँ कीच बेसवा नासे, साधु नासे दासी : किसान को आलस्य, चोर को खांसी, वैश्या को आँखों की कीचड़ (अर्थात गंदा रहना) और साधु को दासी नष्ट कर देते हैं।

आलस, निद्रा और जम्हाई, ये तीनों हैं काल के भाई : अधिक आलस्य और अधिक निद्रा रोग को बुलावा देते हैं।

आलसी को कुत्ता मोटो, मेहनती को बैल मोटो : आलसी आदमी खाने के सामान को ठीक से नहीं रखता इसलिए कुत्ते को खूब खाने को मिलता है, मेहनती आदमी अपने बैल को बड़े प्यार से खिलाता है।

आलसी गिरा कुएं में, कहा यहाँ ही भले : आलस की पराकाष्ठा।

आलसी बटाऊ असगुन की बाट जोहे : आलसी यात्री इस बात का इंतज़ार करता रहता है कि कोई अपशकुन हो जाए और उसे जाना न पड़े।

आलसी मर्द की नार चंचल : आम तौर पर देखा गया है कि आलसी पुरुषों की पत्नियां चंचल होती हैं।

आलसी सदा रोगी : आलसी आदमी कभी स्वस्थ नहीं रह सकता।

आलस्य दरिद्रता का मूल है : (दरिद्रता को मूल एक आलस बखानिए) : बिलकुल स्पष्ट एवं सत्य । इंग्लिश में कहावत है – Idleness is the root of all evils।

आला दे निवाला : एक कहानी है कि एक राजा ने किसी भिखारी की बहुत सुंदर लड़की से शादी कर ली : महल में उस लड़की का भीख मांगने का बहुत मन करता था । तो वह चुपचाप दीवार में बने आले से रोटी का टुकड़ा मांगती थी । कहावत का अर्थ है कि कोई आदमी कहीं भी पहुँच जाए उसकी बुनियादी आदतें नहीं छूटतीं।

आवत आवत सब भले आवत भले न चार, विपत बुढ़ापा आपदा और अचीती धार : अचीती धार – अनायास संकट । और सब चीजों का आना अच्छा लगता है, इन चार के अतिरिक्त – विपत्ति, बुढ़ापा, बड़ी आपदा और अनायास संकट।

आवतो नहिं लाजे तो जावतो क्यूँ लाजे : (राजस्थानी कहावत) वैश्या के घर, या किसी भी गलत स्थान पर आते समय लाज नहीं आई तो जाते समय क्यों आ रही है।

आवश्यकता आविष्कार की जननी है : जिस चीज़ की आवश्कता होती है उसे ही बनाने के लिए मनुष्य प्रयास करता है । इंग्लिश में कहावत है – necessity is the mother of invention.

आवा का आवा ही कच्चा रह गया : कुम्हार के आवे में सारे ही बर्तन कच्चे रह गए । किसी घर या समाज में सारे सदस्य मूर्ख हों तो।

आवाज़े खलक को नक्कारा ए खुदा समझो : जनता की आवाज को ईश्वर की आज्ञा मानो।

आवे न जावे बृहस्पति कहावे : आता जाता कुछ नहीं है और खुद को बड़ा विद्वान घोषित करते हैं।

आशा अमर धन : आशावादी दृष्टिकोण व्यक्ति की ऐसी पूँजी है जो कभी समाप्त नहीं होती।

आशा जिए, निराशा मरे (आशा ही जीवन है) : आशा और सकारात्मक सोच से ही आदमी जीवित रहता है, निराशा और नकारात्मक सोच मृत्यु को बुलावा देती हैं।

आशा, मान, महत्त्व अरु बालपने को नेहु, ये सबरे तबही गए जबहि कहा कछु देहु : जैसे ही आप किसी से कुछ मांगते हैं, वैसे ही उससे की हुई आशा, आपका सम्मान, महत्व और पुराने से पुराना प्रेम समाप्त हो जाता है।

आषाढ़ करै गांव गौतरी, कातिक खेलय जुआ, पास-परोसी पूछै लागिन, धान कतका हुआ : जो किसान आषाढ़ महीने में गांव-गांव मेहमानी करते हुए घूमता रहा और कार्तिक महीने में जुआ खेलता रहा, उसे उसके पड़ोसी व्यंग्य करते हुये पूछते हैं – कितना धान हुआ? गौतरी – मेहमानी।

आषाढ़ माह जो दिन में सोय, ओकर सिर सावन में रोय : (भोजपुरी कहावत) आषाढ़ में दिन में सोना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है । आषाढ़ में दिन में सोने से सावन में सिर में पीड़ा होती है।

आस पराई जो तके, जीवत ही मर जाए : प्रत्येक व्यक्ति को प्रयास यही करना चाहिए कि अपना काम अपने आप ही करे । दूसरे का आसरा देखने वाले को अक्सर धोखा खाना पड़ता है।

आस पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसे : कहीं पर बहुतायत कहीं पर अभाव।

आसन बड़ा कि भक्ति : जिस  मठ मन्दिर का नाम बहुत प्रसिद्द हो जाता है वहाँ जाना चाहिए या जहाँ अधिक भक्ति और ज्ञान मिले वहाँ।

आसन मारे क्या भया, मुई न मन की आस : अगर मन से लोभ नहीं गया तो आसन मार कर बैठने से भी क्या लाभ होगा।

आसमान के फटे को कहाँ तक थेगली (पैबंद) लगे : बहुत बिगड़ा हुआ काम कहाँ तक संभाला जा सकता है।

आसमान पर थूको तो मुँह पर ही आता है : किसी सज्जन और सच्चरित्र व्यक्ति पर लांछन लगाने वाला व्यक्ति अंत में स्वयं ही अपमानित होता है।

आसमान से गिरे खजूर में अटके : किसी एक परेशानी से निकल कर दूसरी में पड़ जाना।

आसा में भगवान का वासा : ईश्वर आशावादी व्यक्ति की ही सहायता करते हैं।

आहार चूके वह गया, व्यौहार चूके वह गया, दरबार चूके वह गया, ससुरार चूके वह गया : खाने पीने में, लोक व्यवहार में, दरबार में और ससुराल में जो संकोच करता है वह नुकसान में रहता है।

आहारे व्योहारे लज्जा न कारे : खाने में और लोक व्यवहार में लज्जा नहीं करनी चाहिए।

आँख एक नहीं, कजरौटा दस ठो : कजरौटा – काजल बना कर रखने की डिब्बी । आवश्यकता के बिना आडम्बर की वस्तुएं इकट्ठी करना।

आँख ओट पहाड़ ओट : जो आँखों से दूर हो जाता है वह बहुत दूर हो जाता है : इंग्लिश में इस तरह की कहावत है – out of sight, out of mind.

आँख और कान में चार अंगुल का फर्क, (अंतर अंगुली चार का आँख कान में होए) : देखे और सुने में बहुत अंतर होता है । सुना हुआ अक्सर गलत हो सकता है इस लिए देखे बिना किसी बात पर विशवास नहीं करना चाहिए।

आँख का अंधा गाँठ का पूरा : यहाँ पर आँख का अंधा का अर्थ है मूर्ख : गाँठ का पूरा याने जिसकी धोती की गाँठ में खूब पैसे बंधे हों । धनी परन्तु मूर्ख व्यक्ति (जिसको आसानी से ठगा जा सके)।

आँख की तिरिया गाँठ को दाम, बेई बखत पे आवें काम : जो पत्नी हर समय आँख के सामने रहती है और जो पैसा गाँठ में मौजूद है वे ही समय पर काम आते हैं।

आँख के अंधे नाम नयनसुख : गुण के विरुद्ध नाम।

आँख गई संसार गयो कान गयो सुख आयो : आँख की रोशनी चली जाना संसार का सब से बड़ा दुःख है और कान से सुनाई न पड़ना सुख है (न किसी के मुंह से अपनी बुराई सुनोगे न दुखी होगे)।

आँख गई संसार गयो, कान गयो अहंकार गयो : आँख की रोशनी जाना संसार की सब से बड़ी हानि है, लेकिन सुनने की क्षमता जाने से नुकसान के साथ एक लाभ भी होता है कि मान अपमान और अहंकार से दूर हो जाता है (कुछ न सुन पाने के कारण)।

आँख चौपट, अँधेरे नफरत : आँख है ही नहीं और कहते हैं कि हमें अँधेरे से नफरत है।

आँख देखे को पाप है : संसार में जाने क्या क्या अनर्थ हो रहे हैं जो हम देख लें उसी को हम पाप समझते है।

आँख न दीदा, काढ़े कसीदा : किसी काम को करने का सलीका और सामर्थ्य न होने पर भी वह काम करना।

आँख न नाक, बन्नी चाँद सी : अपनी चीज़ जैसी भी हो, बढ़ा चढ़ा के बताना : बन्नी माने ब्याह योग्य कन्या।

आँख नहीं पर काजर पारे : श्रृंगार करने लायक शक्ल नहीं हो पर श्रृंगार करने का बहुत शौक हो तब।

आँख नाक मोती करम ढोल बोल अरु नार, इनके फूटे न भला ढाल तोप तलवार : आँख, नाक, मोती, कर्म(भाग्य के लिए प्रयोग किया गया है), ढोल, वचन, नारी, ढाल, तोप और तलवार, इनका फूटना (खंडित होना) अच्छा नहीं होता।

आँख फड़के दहनी, लात घूँसा सहनी : स्त्रियों के लिए दाईं आँख फडकना अशुभ माना जाता है।

आँख फड़के दहिनी, मां मिले कि बहिनी, आँख फड़के बाँई, भाई मिले कि सांई : दाहिनी आँख फड़कती है तो माँ या बहन से मुलाकात होती है, बांयी आँख फड़के तो भाई या पति से।

आँख फूटी पीर गयी : किसी की आँख बहुत लम्बे समय से बहुत तकलीफ दे रही है और ठीक भी नहीं हो रही है । अंततः आँख की रौशनी चली जाती है पर तकलीफ ख़तम हो जाती है । उसे आँख जाने का दुःख तो है पर पीड़ा ख़तम होने का सुख भी है । कोई नालायक बेटा बहू माँ बाप को बहुत परेशान कर रहे हैं । अंत में वे अलग हो जाते हैं, ऐसे में पिता यह कहावत कहता है । इंग्लिश में कहावत है – Better a finger off than always aching. कहीं कहीं कहते हैं – फोड़ा फूटा पीर गई।

आँख फूटे भौंह नहीं भाती : जब तक आँखें होती हैं तब तक भौंह अच्छी लगती हैं, आँख फूट जाए तो भौंह भी अच्छी नहीं लगती : जैसे लड़की की म्रत्यु हो जाए तो दामाद अच्छा नहीं लगता।

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे : किसी अति महत्वपूर्ण वस्तु का कोई विकल्प नहीं होता।

आँख फेरे तोते की सी, बातें करे मैना की सी : मीठी बातें करने वाला धोखेबाज व्यक्ति।

आँख बची माल दोस्तों का : ऐसे धोखे बाज दोस्तों के लिए जो मौका मिलते ही चूना लगाने से बाज नहीं आते।

आँख मींचे अँधेरा होय : यदि कोई जान बूझ कर अनजान बन रहा हो तो।

आँख में अंजन दांत में मंजन, नितकर नितकर नितकर; कान में तिनका नाक में उँगली मतकर मतकर मतकर : बच्चों को दी जाने वाली सीख।

आँख में कीचड़ और नाम मृगनैनी : गुण के विपरीत नाम।

आँख वाले की लुगाई अंधा ले गया : किसी गप्प हाँकने वाले का मजाक उड़ाने के लिए।

आँख सुख कलेजे ठंडक : जिन चीजों को देखने से आँखों को सुख मिलता है उनसे हृदय को भी शान्ति मिलती है।

आँख से दूर, दिल से दूर : प्रेम बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मिलते जुलते रहा जाए : बहुत दिन तक दूर रहने से स्नेह भी कम हो जाता है।

आँख ही फूटी तो अंजन क्या लगाएँ : जिस काम के लायक नहीं हैं वह काम क्यों करें।

आँखिन सों सब देखियत, आँखि न देखि जाहिं : आँखों से ही हम सब कुछ देखते हैं पर आँख स्वयं को नहीं देख सकती।

आँखें मन का दर्पण हैं : मनुष्य के मन में जैसे भाव होते हैं वही उसकी आँखों में प्रकट होते हैं : इंग्लिश में कहावत है – Eyes are windows of the soul.

आँखें मीचे रात नहीं होती (आँखें मीच अँधेरा करना) : जान बूझ कर अनजान बनने वाले के लिए।

आँखें हुईं चार तो मन में आया प्यार, आँखें हुईं ओट तो जी में आया खोट : व्यक्ति सामने हो तो प्यार जताना, पीठ पीछे उसका अहित करना।

आँखों का नूर, दिल की ठंडक : अत्यधिक प्रिय व्यक्ति।

आँखों के आगे नाक, तो सूझे क्या ख़ाक : विवेक के आगे जब व्यक्ति का अहम आ जाता है तो उसे कुछ भला बुरा नहीं दीखता । इसको मजाक में भी प्रयोग करते हैं – जब कोई चीज़ सामने रखी हो और आप उसे ढूँढ़ न पा रहे हों।

आँखों के आगे पलकों की बुराई : किसी व्यक्ति के सामने उसके बहुत प्रिय व्यक्ति की बुराई करना।

आँखों देखा भाड़ में जाए, मैंने कानों सुना था : जो आदमी आँखों देखी बात पर विश्वास न करे उसका मजाक उड़ाने के लिए।

आँखों देखी कानों सुनी : जो बात सुनी हुई भी हो और देखी हुई भी । सुनिश्चित।

आँखों देखी परसराम, कभी न झूठी होय : आँखों देखी बात कभी झूठी नहीं होती।

आँखों देखी प्रीत और मुँह देखा व्यवहार : जो लोग केवल सामने पड़ जाने पर प्रेम दिखाते हैं उन के लिए।

आँखों देखी साची, कानों सुनी काची : जो आँखों से देखते हैं वही सच है, कान से सुनी झूठी भी हो सकती है।

आँखों देखे सो पतियाय : स्वयं अपनी आंखों से देख कर ही किसी बात पर पूरी तरह से विश्वास किया जा सकता है : इंग्लिश में कहते हैं seeing is believing।

आँखों पर काजल का क्या बोझ : (आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता) । अपने प्रिय व्यक्ति के लिए कुछ करना पड़े तो हमें उसका बोझ नहीं लगता

आँखों से आंसू बहें, दिल में लड्डू फूटें : दिखावे का दुख (जैसा सासू के मरने पर होता है)।

आँसू एक नहीं कलेजा टूक-टूक : दिखावटी शोक । शोक बहुत दिखा रहे हैं और आंसू एक भी नहीं आ रहा है।

आंखन अंजन, दांतन नोन, भूखों राखें चौथो कोन, ताजो खावे, बाएं सोय, ताको रोग कबहुं न होय : चौथो कोन – एक चौथाई । जो व्यक्ति आँखों में नित्य काजल डालता हो, दांतों में नमक से मंजन करता हो, भूख से पौना भोजन करे, ताजा खाना खाए और बाईं करवट सोए, वह बीमार नहीं पड़ता।

आंच के पास घी जरूर पिघलता है : युवक युवती साथ रहें तो काम भावनाएं उत्तेजित हो जाती हैं, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।

आंत भारी तो माथ भारी : पेट में भारीपन हो तो सर भी भारी होता है

आंधर कूकर, बतास भूँके : बतास – हवा । अंधा कुत्ता हवा चलने पर भौंकने लगता है । अंधा व्यक्ति शक्की हो जाता है (क्योंकि वह देख नहीं पाता इसलिए बात बात पर शक करता है) । इस का अर्थ यह भी हो सकता है कि अन्धविश्वासी व्यक्ति को अनजाने भय बहुत सताते हैं (भूत प्रेत आदि)।

आंधर कूटे, बहिर कूटे, चावल से काम : धान को कूट कर उससे छिलका अलग करते हैं और चावल अलग, चाहे अंधा व्यक्ति कूटे चाहे बहरा, हमें चावल से मतलब है, काम चाहे कैसे भी हो, चाहे कोई भी करे, काम होने से मतलब।

आंधी आई ही नहीं, हाहाकार पहले ही मच गया : कोई मुसीबत आये बिना उसकी आशंका से ही हाय तौबा मचाना।

आंधी आई है तो मेह भी आएगा : संकट से डरो नहीं, यह समाप्त अवश्य होगा । और हो सकता है यह किसी अच्छाई का संकेत हो।

आंधी आवे बैठ जाए, पानी आवे भाग जाए : सीख दी गई है – आंधी आने पर बैठ जाओ, खड़े रहने पर गिर सकते हो, पानी बरसे तो वहाँ से हट जाओ, खड़े हो कर भीगो नहीं।

आंधी का मेह, बैरी का नेह : दोनों स्थाई नहीं होते।

आंधी के आगे पंखे की हवा (आंधी के आगे बेने की बतास) : उसी अर्थ में है जैसे कहते हैं – सूरज को दिया दिखाना।

आंधी के आम और ब्याह के दाम किसने गिने हैं : शादी में अनाप-शनाप खर्च होता है इस बात को आंधी में अनगिनत आम टूटते हैं इस बात की उपमा देकर बताया गया है।

आंधी के आम : आंधी आने पर एक साथ बहुत से आम गिर जाते हैं जिन्हें कम दाम पर बेचना पड़ता है, कोई वस्तु बहुत अधिक मात्रा में और कम दाम में मिल जाए तो।

आंधी में पेड़ गिर जाते हैं घास बच जाती है : जो लोग कठिन परिस्थितियों में लचीला रुख अपनाते हैं वह उन परिस्थितियों से सफलतापूर्वक बाहर निकल आते हैं जो अड़ियल रुख अपनाते हैं वे समाप्त हो जाते हैं।

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