फागण के गीत : हरियाणवी लोकगीत

Phaagan Ke Geet : Haryanvi Lok Geet


उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया

उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया केसर कस्तूरी की चमचाई उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया भर पिचकारी मेरे माथे पै मारी बिन्दी की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे मुखड़े पै मारी बेसर की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे छाती पै मारी माला की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे हाथां पै मारी गजरे की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे पायां पै मारी बिछुवा की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया

ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर

ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर ब्याहे ब्याहे राज करेंगे रांडा का पणमेसर छोटे छोरे कै न जांगी, बालम याणे कै न जांगी, देस बिराणै कै न जांगी कासण बांटे, बासण बांटे, साझे रहा बरौला यो भी क्यों न बांटा रांड के घर में देवर मौला छोटे छोरे कै न जांगी... कासण बांटे, बासण बांटे, साझे रह गई थाली यो भी क्यों न बांटी रांड के घर में ननदल चाली छोटे छोरे कै न जांगी... सौड़ बांटी, सौड़िया बांटा, साझै रह गई रजाई यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों मरी जड़ाई छोटे छोरे कै न जांगी... घर बांटा घरबासा बांटा साझै रह गई मोरी यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों हो गई चोरी छोटे छोरे कै न जांगी...

एकली घेरी बन में आन स्याम

एकली घेरी बन में आन स्याम तेने या के ठानी रे स्याम मोहे बिन्दराबन जानो लौट के बरसाने आनो जे मोहे होवे अबेर लरैं देवरानी जेठानी रे एकली घेरी बन... दान दधि को देजा मेरो कंस के खसम लगे तेरो मारूं कंस मिटाऊं बंस ना छोडूँ निसानी रे एकली घेरी बन... दान मैं कभी न दूँगी रे कंस ते जाय कहूंगी रे आज तलक या ब्रज में कोई भयो न दानी रे एकली घेरी बन...

ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो

ए मेरी पतरी कमर नारो झुब्बादार लाइयो झुब्बादार लाइयो करेलीदार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर..... तुम सहर बरेली जाइयो, आच्छा सा सुरमा लाइयो लगाइयो अपने हाथ, नारी झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर.... तुम सहर बनारस जाइयो, बढ़िया सी साड़ी लाइयो बन्धाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतरी कमर... तुम मथुरा जी को जाइयो, अच्छे पेरा लाइयो खवाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतली कमर... तुम बिन्दराबन को जाइयो, आच्छौ सो लहंगो लाइयो पहनाइयो अपने हाथ, नारो झुब्बादार लाइयो ऐ मेरी पतली कमर...

काची अम्बली गदराई सामण मैं

काची अम्बली गदराई सामण मैं बुड्ढी री लुगाई मस्ताई फागण मैं कहियो री उस ससुर मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस बहुए म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं कहियो री उस जेठ मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस बहुए म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं कहियो री उस देवर मेरे नै बिन घाली लेजा फागण मैं कहियो री उस भावज म्हारी नै चार बरस डट जा पीहर मैं

कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी

कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी जो कान्हा तू राह न जाने डोले डोले आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी ताता पानी धरिया ततेरा, तेरी गर्ज पड़े तो नहा जाइयो बुलागी राधा प्यारी पतली ते पतली पोई फुलकियां तेरी गर्ज पड़े तो खा जाइयो बुलागी राधा प्यारी

कांटो लागो रे देवरिया

कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय अपने महल की मैं अलबेली जोबन खिल रहे फूल चमेली धूप लगे कुम्हलाय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय आधी राह हमें ले आयो रास्ता छोड़ कुरस्ता ध्यायो सास नणद तें पूछ न आयो चलत चलत मेरी पिंडली दुखानी सिगरी देह पिराय कांटो लागो रे देवरिया मो पै संग चलो न जाय

कुरड़ी कूड़ा मां गेरती, कुरड़ी लागी आग

कुरड़ी कूड़ा मां गेरती, कुरड़ी लागी आग जोबन झरवै मां एकला धोती आई सूकती यो बाहमण आया लणिहार जोबन झरवै मां एकला नां जां नां जां मां सासरे इस बाहमणे की साथ जोबन झरवै मां एकला लाठी आई बाजती यो ससुरा आया लणिहार जोबन झरवै मां एकला नां जां नां जां मां सासरे इस बुड्ढे के साथ जोबन झरवै मां एकला हाथी आया झूमता पिया आए लणिहार जोबन झरवै मां एकला जां गी जां गी मां सासरे इस प्रीतम के साथ जोबन झरवै मां एकला

गोदी के अंदर भगत राम राम रह्या टेर

गोदी के अंदर भगत राम राम रह्या टेर जब से चरचा सुणी थी हर की राम नाम की लगी लगन समझाया था एक न मानी दरसन की थी लगी लगन हरिणाकस नै नांय सुहाया क्रोध की अग्नि लगी जलन निर्भय हो कै भजा भगत ने भै की भूतणी लगी भगन होलकां ले गोदी में बैठी फूँक जलाद्यूँ ढेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर होलकां का एक सील वस्तर था लोम रिसी से पाया था जिस में अगनी परवेस हुवै न यो ही कथा में गाया था पहिले भी या सती हुई थी यो ए ओढ़ सुख छाया था अब कै बैर कर्या हर सेत्ती नहीं हुया मन चाहा था सील वस्तर के अन्दर बड़ कै लागी थी वे करण अंधेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर चौगरदे कै चिता चिणा के जिस के बीच में दई अगन जद वा अगन जारी हुई थी चन्दन लकड़ी लगी जलन चौगरदे के असर फिरैं थे जिनके हाथ में खड्ग नगन जगहां नहीं थी कहीं निकलण नै असर रहे थे घेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर मुलतान सहर के सब सजनां नै अगनी में माला गेर दई दीनानाथ बचा लड़के नै या सन्तों ने टेर दई तेरा नाम छिपजा दुनिया में हमने भतेरी फेर लई जै लड़का जल जाय अगन में इन असरां की जीत हुई जै भगत जल जा अगनी में के कर ल्येगा फेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर ऐसी पवन चली जोर की चिता तो पाड़ बगाय दई सील वस्तर को उथल पुथल के लड़के पै उठाय दई दगा किसी का सगा नहीं सै समझैगा को सिहणी का सेर गोदी के अन्दर भगत राम राम रह्या टेर

जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया

जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया जब सारा फागण बीत गया तैं घर में साजन क्यूँ आया छम छम नाचैं सब नर नारी मैं बैठी दुखां की मारी मेरे मन में जब अंधेरा मचा तैं चान्द का चांदण क्यूँ आया इब पीया आया जी खित्याना जब जी आया पी मित्याना साजन बिन जोबन क्यूँ आया जोबन बिन साजन क्यूँ आया मन की तै अर्थी बंधी पड़ी आंख्यां मैं लागी हाय झड़ी जब फूल मेरे मन का सूक्या लजमारा फागण क्यूँ आया

ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी

ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी काहे से गाऊं राधे काहे से बजाऊं राधे काहे से लाऊं गय्या हेरी जी ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी मुख से गाओ रामा हाथों से बजाओ रामा सीटी से लाओ गय्या हेरी जी ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी सोने की नांही रामा चांदी की नांही रामा हरे हरे बांस की पोरी जी ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी तेरी तो बंसी रामा वो धरी है ताक पै मेरे सिर ला देयी चोरी जी ढुंढ़वा दो बंसी मोरी जी

फागण के दिन चार री सजनी

फागण के दिन चार री सजनी, फागन के दिन चार। मध जोबन आया फागण मैं फागण बी आया जोबन मैं झाल उठै सैं मेरे मन मैं जिनका बार न पार री सजनी, फागण के दिन चार। प्यार का चन्दन महकन लाग्या गात का जोबन लचकन लाग्या मस्ताना मन बहकन लाग्या प्यार करण नै तैयार री सजनी, फागण के दिन चार। गाओ गीत मस्ती मैं भर के जी जाओ सारी मर मर के नाचन लागो छम छम कर के उठन दो झंकार री सजनी, फागण के दिन चार। चन्दा पोंहचा आन सिखिर मैं हिरणी जा पोंहची अम्बर मैं सूनी सेज पड़ी सै घर मैं साजन करे तकरार री सजनी, फागण के दिन चार।

माता यसोदा दही बिलोवे

माता यसोदा दही बिलोवे कान्हूड़ो राड़ मचावै दही को सपड़को कान्हे ने भावे ले ले रे कान्हा दही रे गोड़ियो बाहर सूँ बाबो नन्द जी आयो तेरी कान्हूड़ो बहुत हठीलो हार तोड़े मोती मांगे बालूड़ो

मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया

मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में बाजरे की रोटियां चने का साग तुझे जेलों का पानी पिला दूं रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में तेरा नई दिल्ली का मुकदमा आगरे पहुंचा दूं तुझे सिमले की जेल करा दूं रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में ससुर को पेस करूं जेठे को पेस करूं छोटे देवर की दे दूं गवाही रसिया मैं तो दावा करूंगी अदालत में मेरी नई नई जवानी बिगाड़ी रसिया, मैं तो दावा करूंगी अदालत में

यासोदा तेरे लाल ने मेरी दी है मटकिया फोड़

यासोदा तेरे लाल ने मेरी दी है मटकिया फोड़ तनक नहीं सरमावे दिखे तेरा नन्द किसोर हाथ पकड़ कर झटका मारा नहीं चले कुछ जोर मक्खन का तो मक्खन खाया रास्ता लिया रोक क्या बना लें इस छलिया का ऐसा चित चोर

रसिया को नारी बनाओ री

रसिया को नारी बनाओ री, रसिया को नारी बनाओ री। कटि लहंगा गले माहीं कंचुकी, चुंदरी सीस उढ़ओ री रसिया को नारी बनाओ री। गाल गुलाल आंखिन में अंजन, बैंदी भाल लगाओ री रसिया को नारी बनाओ री। नारायण तब तारी बजा के, जसुमति पास नचाओ री रसिया को नारी बनाओ री।

रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा

रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा। कुण सै महीने बोल्लै मोर पपीहा कबसी चमकै सीसा रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा। सामण महीने बोल्लै मोर पपीहा फागण चमकै सीसा रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा। कौण सी नणद नै काढ्या सै कसीदा कौणसी ने गोद्या सीसा रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा छोटली नणद ने काढ्या सै कसीदा बडली नै गोद्या सीसा रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।

लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै

लिछमन के बाण लगा रै सक्ती लिछमन कै। ऐसा रै होय कोई बीरा नै जिवाले आधा राज सबाई धरती, लिछमन कै। कै तो जिवाले सीता रै सतबंती कै तो जिवाले हनुमान जती, लिछमन कै। क्यों तै जिवाले सीता रै सतबंती, क्यां तै जिवाले हनुमान जती, लिछमन कै। सत तै जिवाले सीता रै सतबंती, बूटी तै जिवाले हनुमान जती, लिछमन कै।

समझा ले अपनो लाल री

समझा ले अपनो लाल री मेरी छुप गयो आज अटरिया में मैं गोबर गेरन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मेरो गोबर को तो गोबर बखेरो धर गयेा डुक्क कमरिया में समझा ले अपनो लाल री... मैं पानी भरने जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मेरो पानी को तो पानी पीयो मेरे कर गयो छेद मटकिया में समझा ले अपनो लाल री... मैं दूध बिलोवन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला मक्खन को मक्खन खायो मेरी कर गयो छेद मटकिया में समझा ले अपनो लाल री...

होली आई रे फूलां री जोड़ी झरमटीयोले

होली आई रे फूलां री जोड़ी झरमटीयोले ओ कोन खेले रे होली के फाग किस बीरे के हाथ में मोतियां की माला किस बीरा के हाथ में गुलाब की छड़ी होली खेलो रे होली खेलो रे ऋतु फागुन की

होली खेल रहे शिव शंकर

होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग गौरा पार्वती के संग माता पार्वती के संग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग.... कुटी छोड़ शिव शंकर चल दिये लियो नादिया संग गले में रूण्डो की माला, सर्प लिपट रहे अंग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग.... मनियों खा गये आक धतुरा धड़यों पी गए भंग एक सेर गांजे को पीकर हुए नशे में दंग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग.... कामिनी होली खेल रही है देवर जेठ के संग रघुवर होली खेल रहे है सीता जी के संग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग.... राजा इन्द्र ने होली खेली इन्द्राणी के संग राधे होली खेल रही है श्री कृष्ण के संग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग.... विष्णु होली खेल रहे है लक्ष्मी जी के संग ब्रह्मा, विष्णु मिलकर खेले शंकर जी के संग। होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग...

होली बी खेले ढप बी बजा

होली बी खेले ढप बी बजा कै गलियां में उडए गुलाल कहियो मुरैटण तै होली खैलण आवै नवाब हंसली घड़ावै फिरंगी को लड़को कठलो घड़ावै नवाब कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो लाज कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब लहंगो सिंवावै फिरंगी को लड़को स्यालू सिंवावै नवाब कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब बाजू घड़ावै फिरंगी को लड़को लूमा जड़ावै नवाब ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो ल्हाज

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