पाठशाला गीत : डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

Pathshala Geet : Dr. Suresh Kumar Mishra 'Uratrupt'

भूमिका

‘पाठशाला गीत’ की 100 कविताएँ विद्यालयी कैलेंडर, राष्ट्रीय पर्व, पर्यावरण-संरक्षण, स्वास्थ्य-जागरूकता, खेलकूद, कला-संस्कृति, तकनीक और जीवन-मूल्यों की विविध धाराओं को सहज भाषा और स्वाभाविक छंदों में एक साथ बाँधती हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, संविधान दिवस से लेकर राष्ट्रीय एकता दिवस और मतदाता-जागरूकता जैसे नागरिक-धर्म के विषय यहाँ न केवल उत्सव-भाव जगाते हैं, बल्कि आचरण की ठोस आदतों में ढलने की प्रेरणा भी देते हैं। प्रकृति-प्रेम और धरती से रिश्ते को वन महोत्सव, पृथ्वी दिवस, जल दिवस, ओज़ोन दिवस और वन्यजीव दिवस जैसी कविताएँ छोटे-छोटे, व्यवहारिक कदमों की भाषा में बच्चों के दैनिक अनुभव के साथ जोड़कर सामने रखती हैं। स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर रचे गीत—हाथ धुलाई, टीकाकरण, मानसिक स्वास्थ्य, नेत्र एवं दंत-स्वास्थ्य—बच्चों की दिनचर्या में अपनाए जाने योग्य सरल नियमों को लयात्मक याद्दाश्त बना देते हैं। विद्यालय-संस्कृति के अंग—प्रार्थना सभा, कविता पाठ, भाषण एवं क्विज़ प्रतियोगिता, पुस्तक और पुस्तकालय दिवस, व्यक्तित्व-विकास सप्ताह, वार्षिकोत्सव, विदाई और स्वागत—इन सब पर लिखी कविताएँ कक्षा और मंच, दोनों में समान रूप से काम आती हैं। खेल और फिटनेस—खेल दिवस, एथलेटिक्स, फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, योग-एरोबिक्स—इन पर केंद्रित गीत बच्चों में टीम-वर्क, संयम और स्वस्थ स्पर्धा का उत्साह जगाते हैं।

इन गीतों की भाषा अपने अर्थ-संकेतों में सीधे, परिनिष्ठित और क्रिया-निष्ठ है; शब्द छोटे हैं, संगीत अंतर्निहित है, और शिक्षण-सूत्र इतनी सफाई से गुंथे हैं कि मंच का आत्मविश्वास और कक्षा का अनुशासन एक साथ विकसित होता है। कविता-दिवस, कहानी-दिवस, नाटक-दिवस, चित्रकला, हस्तकला, रंगोली और कार्टूनिंग पर रचे रचनात्मक अनुक्रम बच्चों के हाथ, आँख और मन की त्री-आयामी सक्रियता को प्रोत्साहित करते हैं। डिजिटल युग की ज़रूरतें—कंप्यूटर साक्षरता, साइबर-सुरक्षा, रोबोटिक्स, नवाचार—यहाँ खेल-सी सरलता में प्रस्तुत हैं, जिससे सीखना भय-रहित और आनंद-प्रधान बनता है। यातायात और सड़क-सुरक्षा, स्वच्छता और प्लास्टिक-मुक्त अभियान जैसे नागरिक सरोकारों पर गीत विद्यालय को समुदाय से जोड़ते हैं और “सीख से सेवा” का पुल निर्मित करते हैं। नन्हे पाठकों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि प्रत्येक कविता मंचनीय भी है और पाठ्य-अभ्यास योग्य भी—उच्चारण, ठहराव, समय-बंधन, और प्रस्तुति की मूल शिष्टताओं को यह काव्य-संग्रह सहज-अभ्यास में बदल देता है।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ का लेखकीय व्यक्तित्व व्यंग्य, कविता और बाल-साहित्य के त्रिवेणी-संगम से बनी ऐसी दृष्टि देता है, जो सटीक अवलोकन को सरल, नैसर्गिक और आत्मीय कहन में बदल देती है। व्यापक पाठकीय स्वीकृति और समकालीन संवेदना का प्रमाण उनका बहुचर्चित व्यंग्य ‘शिक्षक की मौत’ है, जिसने साहित्य आजतक मंच पर लाखों पाठन-श्रवण-दर्शन के साथ विशिष्ट पहचान बनाई। गद्य-व्यंग्य से कविता तक उनकी शैली में तथ्य, करुणा और हास्य का संतुलित व्यूह है, जिसकी एक ऊर्जस्वित मिसाल उनका चर्चित व्यंग्य-उपन्यास ‘इधर-उधर के बीच में’ भी है, जिसे समकालीन समाज-संरचनाओं पर तीक्ष्ण, फिर भी मानवीय दृष्टि के लिए रेखांकित किया गया है। इस उपन्यास को तीसरी दुनिया के प्रश्नों की अनोखी संरचना और विन्यास के कारण अपनी तरह का पहला ठहराया गया है—यह बात लेखक की कल्पना-शक्ति और कथ्य-शक्ति, दोनों का विश्वसनीय संकेत है। रचनात्मक कर्म के समानांतर वे ज्ञान-संपादन और पाठ्य-सामग्री के समन्वय में भी अग्रणी रहे हैं—तेलंगाना सरकार के लिए प्राथमिक से विश्वविद्यालय-स्तर तक 55 पुस्तकों के लेखन, संपादन और समन्वय का कार्य उनके साहित्यिक-शैक्षिक व्यक्तित्व की व्यापकता को प्रमाणित करता है। उनके नाम से सम्बद्ध व्यंग्य-संग्रहों और कृतियों का उल्लेख समकालीन हिंदी-संसार में अलग पहचान बनाता है—‘एक तिनका इक्यावन आँखें’ और ‘इधर-उधर के बीच में’ जैसी रचनाएँ इस निरंतरता की साक्षी हैं। सम-सामयिक सम्मान और अलंकरणों की श्रृंखला—तेलंगाना हिंदी अकादमी का श्रेष्ठ नवयुवा रचनाकार सम्मान (2021), रवींद्रनाथ त्यागी सोपान सम्मान, और साहित्य सृजन सम्मान इत्यादि—इस विश्वास को पुष्ट करते हैं कि उनकी लेखकीय ऊर्जा जन-स्वीकृति और आलोचनात्मक समालोचन, दोनों में समान रूप से प्रासंगिक है।

‘पाठशाला गीत’ किसी एक कक्षा, एक आयोजन या एक विषय तक सीमित नहीं; यह पूरे शैक्षिक वर्ष का जीवंत, उपयोगी और रसमय गीत-संहिता है, जिसे प्रार्थना-सभा से वार्षिकोत्सव और विषय-दिवसों से व्यक्तित्व-विकास सप्ताह तक बिना किसी अतिरिक्त सज्जा के मंच पर उतारा जा सकता है। यहाँ गीत, मूल्य और व्यवहार—तीनों एक-दूसरे को प्रकाशित करते हैं; इसलिए यह संकलन मात्र पाठ्य-पुस्तक पूरक नहीं, बल्कि कक्षा-संस्कृति और विद्यालय-जीवन का निर्वाहक ग्रंथ बनकर सामने आता है। बाल-रस, लोक-लय और समकालीन शैक्षिक आवश्यकताओं के इस सम्मिलन पर हार्दिक बधाई—यह पुस्तक बच्चों के होंठों पर गीत, मन में साहस और आचरण में अनुशासन बनकर स्थायी मित्र सिद्ध होगी।

सस्नेह आशीर्वाद के साथ...

प्रो. दिविक रमेश
प्रसिद्ध बाल साहित्यकार


स्वतंत्रता दिवस

आओ मिलकर झंडा फहराएँ, तेरी मेरी धुन मिल गाएँ। वंदे मातरम् हृदय से बोलें, देश-प्रेम की ज्योत जलाएँ। तीन रंग की शान हमारी, आकाश तक लहराएँ। वीरों की बलिदान-गाथा, याद करें, सिर झुकाएँ। गाँव-शहर, पर्वत-मैदान, सबको एक बनाएँ। मजदूर, किसान, छात्र सभी, खुशियों के दीप जलाएँ। मेहनत, मिठास, मेल का वादा, मन में आज सजाएँ। झूठ, डर और भेद मिटाएँ, सच की राह चलाएँ। आज़ादी केवल नारा नहीं, रोज़ इसे निभाएँ। काम, अनुशासन, सेवा से हम भारत मान बढ़ाएँ।

गणतंत्र दिवस

संविधान का मान बढ़ाएँ, कर्तव्य-ध्वज ऊपर उठाएँ। अधिकार संग जिम्मेदारी, मिलकर अच्छा देश बनाएँ। राजपथ पर कदम मिलाएँ, सलामी संग धुन बजाएँ। न्याय, समता, बंधुता के फूल सभी मन में खिलाएँ। नियम वही जो सब पर लागू, भेद-भाव हम हटाएँ। कतार, समय, कर, सफाई, ईमानदारी अपनाएँ। बहस करें पर बिना कटुता, शब्दों में शालीनता लाएँ। वोट, विचार, विश्वास की लौ, हर दिल में दीप जलाएँ। नन्हे हैं हम, पर वादे सच्चे, रोज़ नए गुण लाएँ। संविधान किताब नहीं बस, जीवन में उतारें जाएँ।

संविधान दिवस

नियम, कानून, सच्ची बातें, सबको बराबरी दिलवाएँ। हम नागरिक सौ हार नहीं, सत्य-न्याय के रस्ते जाएँ। पंक्ति में हम धैर्य रखें, दूसरों का मान बढ़ाएँ। झूठा कागज़, गलत बहाना, आज से दूर हटाएँ। स्कूल, सड़क, दफ्तर, बाज़ार—सबमें नियम निभाएँ। हक के संग फर्ज निभाना, यही सच्ची पढ़ाई कहलाएँ। सुनना-समझना, पूछना-सीखना, मिलकर फैसले बनाएँ। कानून-भाषा सरल बनाकर, सबको समझ में लाएँ। बेहतर भारत, बेहतर कल, छोटे अच्छे कदम उठाएँ। संविधान का दीपक लेकर, अँधियारे रास्ते चमकाएँ।

राष्ट्रीय एकता दिवस

हाथ मिला कर साथ चलें, दूरी सारी हम मिटाएँ। कश्मीर से कन्याकुमारी, एक भारत का गीत गाएँ। अलग पहनावा, अलग पकवान, पर दिल सब एक बताएँ। भाषा-संगीत रंग हज़ारों, प्यार का धागा पिरोएँ। त्योहारों की साझा खुशियाँ, घर-आँगन में रंग लाएँ। गलतफ़हमी की ऊँची दीवारें, छोटी-छोटी ईंट बनाएँ। पुल बन जाएँ दोस्ती वाले, नदी-सी दूरियाँ घटाएँ। सर्दी-गर्मी, बरखा, सावन—साथ-संग हम मुस्काएँ। सरदार की एकता-सूझ से, हर बिखराव सुलझाएँ। भारत-रथ को टीमवर्क देकर, नई मंज़िल तक ले जाएँ।

मतदाता जागरूकता दिवस

वोट हमारा अधिकार है, सच में यही उपकार है। सच, समझ और सोच से चुनें, देश यही परिवार है। झूठे वादे, नकली तोहफ़े—इनकी परख ज़रूरी है। नीति, नीयत, काम के आधार, सही पसंद ज़रूरी है। माता-पिता वोट करें समझदारी, हम उनसे सीखें भाई-बहन। बड़े होकर हम भी मतदान, ईमान से देंगे अपन। जात-पात नहीं, काम देखो, यही सच्ची भलाई। स्वच्छ मन और साफ़ इरादा, यही बड़ी कमाई। कतार में धैर्य, पहचान-पत्र, नियम सभी अपनाएँ। हर वोट में ताकत इतनी, भारत आगे बढ़ जाए।

सेना दिवस

वीर सिपाही देश के प्रहरी, सीमा पर डटकर छाएँ। शांति, साहस, सेवा, समर्पण—हम सब मिल सलामी दें। बर्फीले पर्वत, गरम रेत—हर मौसम में तन-मन दें। हम चैन से सो पाते हैं, वे रात-रात जागते हैं। घर-परिवार से दूर खड़े, भारत का मान बढ़ाते हैं। अनुशासन, अभ्यास, एकता—इनसे शक्ति बन जाती है। मदद, बचाव, आपदा में भी, सेना सबसे आगे जाती है। हम भी स्कूल में सीखेंगे, समय-सच्चाई निभाएँ। सैनिक जैसे दृढ़ भरोसे को, रोज़ दिलों में जगाएँ। शांति रखेंगे, देश के हित में, मिलकर कदम बढ़ाएँ।

नौसेना दिवस

नील समंदर, सागर साथी, सागर-सेना गीत सुनाएँ। लहर-लहर पर देश की रक्षा, नाव उम्मीद की चलाएँ। तूफ़ानों से भिड़के आगे, साहस की मशाल जलाएँ। नक्शा, दिशा, लाइटहाउस—सब मिलकर राह दिखाएँ। पनडुब्बी की धीमी चालें, गुप्त मिशन निभा जाएँ। जहाज़ों पर तिरंगा झूमें, गर्व के नगमे गाएँ। समुद्री सीमा, सुरक्षा पथ—हम सब समझ बताएँ। नमक-पानी, धूप-हवा में, मेहनत की कथा सुनाएँ। पढ़ाई में विज्ञान बढ़ाएँ, तैरना-तरीका सीखें। भारत-नौसेना को नमन, सागर जैसा दिल रखें।

वायु सेना दिवस

नभ में बादल, उड़ते पंख, आसमान तक उड़ जाएँ। हिम्मत, शक्ति, अनुशासन से, नया सवेरा रोज़ बनाएँ। रनवे की सीधी रेखाएँ, तैयार परिंदे हो जाएँ। पायलट-टीम और ग्राउंड-क्रू, उड़ान सुरक्षित कर जाएँ। तेज़ नज़र, त्वरित फ़ैसला, संकट में सहारा बनें। बादल-कोहरा, धूप-बरखा—हर मोड़ पर आगे बढ़ें। पढ़ाई, फिटनेस, फोकस सारे, सपना पंख लगा दें। राहत-सेवा, आपदा-कार्यों में, मदद का हाथ बढ़ा दें। बच्चों, हम भी लक्ष्य साधें, डर से दोस्ती कर लें। नीला आकाश, ऊँचे सपने—मन में रोज़ रच लें।

करगिल विजय दिवस

शहीदों की याद अमर है, दीप वीरता के जलाएँ। शांति-पथ पर दृढ़ कदम हों, हम झुककर नमन कर आएँ। ऊँचे-ऊँचे बर्फीले शिखर, जहाँ दुश्मन भी घबराएँ। वहीं हमारे वीर जवान, तिरंगा ऊँचा लहराएँ। कठिन रास्ते, कम ऑक्सीजन—पर हौसले पर्वत जैसे। मातृभूमि के लिए लड़े वे, दिल उनके लोहे जैसे। जीत नहीं बस युद्ध का पाठ, संयम की भी जीत बताए। सीमा पर शांति बनी रहे, यही हमारी प्रीत जगाए। हम मेहनत से देश सँवारें, यही सच्ची श्रद्धांजलि। हर दिल में साहस-सेवा हो, यही सबसे बड़ी खुशहाली।

शहीद दिवस

जिनसे जीवन सीख मिली, उनके चरणों में शीश झुकाएँ। सत्य, अहिंसा, प्रेम का पाठ, हम सब मिलकर आगे बढ़ाएँ। दो मिनट का मौन रखेंगे, मन भीतर झरने जैसे। गलत काम से दूर रहेंगे, वादे अपने पर्वत जैसे। कठोर नहीं, मीठे शब्दों से, बात बने बस बात से। चोट लगे तो माफ़ कर देंगे, जीत मिले सौगात से। जो गिरते हैं, उठना सीखें, साथी का हाथ बढ़ाएँ। शहीदों की राह दिखाती, हम सेवा को अपनाएँ। किताबों में ही नाम न रहे, काम में याद दिलाएँ। हर दिन थोड़ी भलाई करके, सच्ची श्रद्धा जतलाएँ।

हिंदी दिवस

सरल हिंदी बोलो भाई, मीठी बोली घर ले आए । मिलकर हँसो, मिलकर कहो, दिल से दिल तक पुल बन जाए । छोटे शब्द, सच्ची बातें, हर बच्चा गिन-गिन दोहराए । नुक्ता, मात्रा, हलंत सिखें, लिखना रोज़ सहज हो जाए । नमस्ते, धन्यवाद कहना, मुस्कान वाला दिन बन जाए । कक्षा में भी, मैदानों में, हिंदी-रागिनी गूँज जाए । कहानी, कविता, पाठ-पंक्ति, मन की खिड़की खोल जाए । गलतफहमी दूर भगाकर, अपना-अपना साथ निभाए । हिंदी मेरी, हिंदी तेरी, सबकी भाषा मान बढ़ाए । शब्द-प्रेम से सजती दुनिया, भारत का सम्मान बढ़ाए ।

मातृभाषा दिवस

माँ की बोली, मीठा पानी, थकते मन को छाँव दिलाए । घर का आँगन, गाँव की धुन, लोरी बनकर नींद जगाए । तेलुगु-हिंदी, मराठी-बंगला, सबकी बातें फूल-सी भाएँ । भाषाएँ हों अलग किन्तु, प्यार का नाता पास बुलाए । एक-दूजे से सीखें रोज़, शब्द नए मुस्कान सजाए । उच्चारण साफ़, भाव सरल, बोलचाल में सुख बरसाए । लिखना-पढ़ना दोनों मिलकर, आत्मविश्वास रोज़ बढ़ाए । अपनी-अपनी जड़ों से जुड़कर, नई उड़ान पंख लगाए । मातृभाषा की कोमल धारा, दिल-दिमाग को शीतल पाए । सबकी भाषा, सबका सम्मान, भारत-गाथा मंद-सुनाए ।

पुस्तक दिवस

किताबें सच्चे साथी हैं, पन्ने बोलें राह बताएँ । रोज़ थोड़ा पढ़ते-पढ़ते, सपनों को पंख उगाएँ । चित्र, चार्ट, छोटी कहानी, बिन शोर ज्ञान सिखाए । कठिन लगे तो धीमे पढ़ना, अर्थ स्वयं घर तक आए । कहावत, पहेली, सूक्ति, मन की खिड़की खोल जाए । गलत-सही का फर्क बताकर, सोच नई जागती जाए । विज्ञान, खेल, कला, इतिहास—हर दुनिया साथ दिखाए । बिना पूछे मित्र-सा मार्गदर्शन, हर मुश्किल हल करवाए । किताबों से दोस्ती रखना, मन की प्यास बुझाए । ज्ञान-दीपक हाथ में लेकर, जीवन-पथ जगमगाए ।

पुस्तकालय दिवस

शांत शेल्फ़ पर ज्ञान खड़ा है, आओ धीरे पास तो जाएँ । कार्ड बनाओ, किताब उठाओ, प्रश्न सभी उत्तर पाएँ । सूची, विषय, अनुक्रमणिका, खोज सहज बनती जाए । लाइब्रेरी नियम निभाओ, समय पर हर किताब लौटाए । समाचार-पत्र, जर्नल, मैगज़ीन, नई जानकारी घर लाएँ । समूह-पठन की प्यारी आदत, सुनना-बोलना सिखलाए । शब्दकोश से अर्थ समझकर, भाषा का संतुलन आए । रिसर्च-नोट, सार-लेखन, सोच को पंख लगवाए । पुस्तकालय मन का मंदिर, सीख निरंतर खिल जाए । ज्ञान-यात्रा रोज़ यहाँ से, नए क्षितिज तक जा पाए ।

पठन दिवस

धीरे-धीरे रोज़ पढ़ेंगे, समझ गहरी साथ चलेगी । पाँच पन्ने प्रतिदिन बस, आदत सुंदर बन ही लेगी । बिंदु-स्वर, विराम-चिह्न, सब मित्रों जैसे पास बुलाएँ । ठहर-ठहर कर अर्थ पकड़ना, बुद्धि को उजियारा लाए । ऊँची आवाज़ में पढ़ लेना, गलतियाँ खुद दूर भगाएँ । प्रश्न लिखें, उत्तर खोजें, मन का जिज्ञासा दीप जलाए । कहानी से सीख निकलती, व्यवहार में रूप दिखाए । नोट बनाकर, सार सजाकर, समय बहुत बचत करवाए । पढ़ना सबसे अच्छा खेल, जीवन में ताल मिलाए । ज्ञान-यात्रा छोटे कदम से, बड़े सपनों तक ले जाए ।

कविता दिवस

तुक से तुक जब हाथ मिलाए, शब्द-फूल-से खिल जाएँ । लय, ताल और भाव की झंकार, हर दिल में गीत बन जाएँ । आसान शब्द, सीधा मतलब, हर बच्चा गाकर समझाए । रूपक, अनुप्रास थोड़े-थोड़े, रस प्यारा मन में जगमगाए । ठहराव से वजन बढ़ेगा, अर्थ सटीक उतर आए । मंच भय को दोस्त बनाकर, आवाज़ साफ़ निकल आए । कविता केवल पाठ नहीं, स्नेह-संवाद रचवाए । दो पंक्तियों में सच कह देना, बड़े-बड़े द्वार खुलवाए । कवि मन का छोटा दीपक, अंधियारे पथ को जगमगाए । हँसते गाते सीख मिलें, जीवन-पाठ सुगम बन जाए ।

कहानी दिवस

था-था, थी-थी, शुरू कहानी, सुनते-सुनते मन हुलसाए । हीरो छोटा, दिल बड़ा हो, मुश्किल देख हिम्मत पाए । आरंभ-संघर्ष-चरम-विराम, क्रम से कत्था बढ़ती जाए । चरित्रों की सादी बोली, सीख बड़े दिल तक पहुँचाए । समस्या छोटी-सी लेकिन, हल बहुत बड़ा दिखलाए । पंचलाइन में तथ्य छिपाकर, मुस्कान-सा संदेश दिलाए । चित्र-मानचित्र संग कहानी, दिमाग़ में नक्शा बनवाए । अगली बार स्वयं लिखें सब, क्षमता को पंख लगवाए । कहानी से इंसानियत सीखे, दोस्ती हर दूरी घटाए । अंत भले तो सब भला, नया साहस घर ले आए ।

वाद-विवाद प्रतियोगिता

तर्क सजाओ, बात रखो, पहले तथ्य फिर मत कहना । बिना कटुता, नम्र भाषा, जीत यही है सच्चा गहना । परिभाषाएँ साफ़ बताओ, उदाहरण से राह दिखाओ । समय-सीमा ध्यान में रखकर, बिंदुवार धीरे समझाओ । सवाल आए, मुस्कुराकर, संक्षेप में उत्तर समझाओ । टीम-वर्क से भूमिका बाँटो, मंच-डर को दूर भगाओ । सुनना आधा जीत बराबर, प्रतिवाद को भी अपनाओ । हार-जीत से ऊपर सीखें, शिष्टाचार हरदम निभाओ । विवेक, विनय, विचार की जुगलबंदी रंग दिखाए । सार्थक संवादों से बेहतर, कल का भारत खिल जाए ।

लेखन दिवस

छोटे वाक्य, सीधा मतलब, पाठक मन तक बात पहुँचाए । अनुच्छेद में एक विचार, क्रमबद्धता रूप सजाए । शीर्षक सरल, उपशीर्षक स्पष्ट, दिशा सही खुद मिल जाए । उदाहरण, आँकड़े, तर्क संग, लेख असरदार बन जाए । फालतू शब्द हटाकर लिखना, गद्य स्वच्छ हवा-सा आए । प्रारूप, मसविदा, संशोधन, तीसरे मसविदे पर जाए । वर्तनी-जाँच, संदर्भ-आधार, विश्वसनीयता खुद बढ़ जाए । समय-सीमा लक्ष्य बनाए, रोज़ लिखेंगे आदत बनाए । लेखन सेवा, लेखन साधना, मन का दर्पण जगमगाए । काग़ज़, स्क्रीन—कहीं भी लिखो, ज्ञान-दीप आगे बढ़ाए ।

हस्तलेखन/वर्तनी दिवस

पंक्ति-पंक्ति मोती-से अक्षर, कॉपी मन को हँसवा जाए । धीरे-धीरे, संतुलित रेखा, हर शब्द सुंदर बन जाए । मात्रा सही, बिंदु सही, चिह्न जहाँ जैसे लग जाएँ । उच्चारण-सी मेल बिठाकर, वर्तनी का डर हट जाए । रोज़ दस मिनट अभ्यास कर लो, लिखना सुगम-सुगम हो जाए । कलम-पकड़ और बैठने-ढंग से, थकान बहुत कम रह जाए । शब्दकोश संग नियम पढ़कर, गलतियाँ तुरंत मिट जाएँ । साफ़-सुथरी लिखावट देखो, आत्मविश्वास खुद खिल जाए । हस्तलेखन है पहला परिचय, व्यक्तित्व का रंग दिखाए । सही वर्तनी, सरल लिखावट, जीवनभर साथ निभाए ।

विश्व पर्यावरण दिवस

पेड़ लगाओ, छाँव उगाओ, धरती माँ को हँसने दो। धुआँ घटाओ, हवा बचाओ, नीला आकाश बसने दो। कचरा थैले में ही रखना, सड़क-सड़क को चमकने दो। पानी कम-से-कम बहाना, बूँद-बूँद को रहने दो। हॉर्न कम और शोर भी कम, चिड़ियों को फिर गाने दो। सूरज-रौशनी, खुली खिड़की, कम बल्बों को जलने दो। रीयूज़, रीसायकल सीखो, टूटी चीज़ सँवरने दो। बच्चे-बूढ़े साथ मिलेंगे, हरियाली को बढ़ने दो। आज कसम है, रोज़ निभाएँ, छोटा कदम तो करने दो। कल का जंगल आज के हाथों, सपनों में भी तरने दो।

पृथ्वी दिवस

धरती अपनी प्यारी माता, गोद में सब पलते हैं। मिट्टी, पानी, अनगिन जीव, संग-संग यहाँ चलते हैं। खेत हरे और नदी नीली, मन को शीतल लगते हैं। प्लास्टिक कम, पेड़ ज़्यादा हों, तब सपने सच लगते हैं। गड्ढे कम हों, बाग़ीचे हों, बच्चे हँसकर खेलें। छत पे वर्षा-जल को रोको, प्याले जैसी मेले। बिजली बचती, बादल हँसते, जब आदतें अच्छी हों। धरती बोले, धन्यवाद बेटा, जब कोशिश सच्ची हों। हर तस्वीर में हरियाली, घर-घर खुशियाँ आएँ। पृथ्वी माता का आशीष, हर कदम संग जाएँ।

जल दिवस

बूँद-बूँद से घड़ा भरता, पानी जीवन लाता है। नल को कसकर बंद करेंगे, तब ही सुख मुस्काता है। नदी-तलाब, कुएँ-सरोवर, साफ़-सुथरे रहना चाहें। फेंको मत कचरा पानी में, मछली-पंछी जीना चाहें। दाँत-हाथ जब धोना हो, मग में पानी भर लेना। कार-आँगन धोने से पहले, एक बार तो सोच लेना। बारिश-जल को छत पे रोको, खेतों तक पहुँचाओ। सूखी धरती हरी बनाएँ, संग सब मिलकर जाओ। पानी बचना, पानी बाँटना, प्यारी-सी शिक्षा है। जल है जीवन, याद रखो, यह सबसे मीठा रेशा है।

वन महोत्सव

नन्हे-नन्हे पौधे लाएँ, बाल्टी भरकर पानी दें। नाम लिखें, दिन याद रखें, रोज़ उन्हें हम दुलारें। धूप-छाँव की बातें सुनकर, पौधे कद में बढ़ते हैं। चिड़िया, गिलहरी के घर बनें, जंगल हँसते रहते हैं। बीज भरोसा, पेड़ सहारा, छाया-फल सब देते हैं। आँधी आए, बारिश बरसे, वृक्ष हमें तब ढक लेते हैं। स्कूल-गली, मंदिर-चौपाल, हर कोने हरियाली हो। एक-एक पौधा लग जाए, फिर कैसी कंगाली हो। आज लगाओ, कल मुस्काओ, छत पर भी बग़िया हो। वन-महोत्सव गीत सुनाओ, जीवन में ताज़गी हो।

ऊर्जा संरक्षण दिवस

फालतू बल्ब बंद करेंगे, सूरज-रौशनी अंदर लाएँ। पंखा, चार्जर जब न ज़रूरी, स्विच ऑफ करके जाएँ। एलईडी से रोशनी लो, कम बिजली मुस्काएगी। खिड़की-परदा, वेंटिलेशन, ठंडी हवा ले आएगी। सोलर-लैंप, सोलर-हीटर, घर-आँगन में आज लगें। इंधन बचने से धरती के, दर्द-कष्ट सब दूर भगें। ऑटो, बस, साइकिल अपना, पैदल चलना भी अच्छा। धुआँ घटेगा, सेहत बढ़ेगी, दोनों हाथों में कच्चा। छोटी-छोटी समझदार बातें, बड़ा असर दिखलाएँ। ऊर्जा-बचत देश-सेवा है, हर मन दीप जलाएँ।

ओजोन दिवस

नीले नभ की पतली चादर, ओजोन हमें ढकती है। तेज़ किरण से आँख-त्वचा, यह परदा ही बचती है। धुआँ कमाओ, वृक्ष लगाओ, तब परत सँवर पाएगी। एरोसोल की फिजूल स्प्रे से, मुश्किल और बढ़ाएगी। ठंडी-ठंडी छाँव मिले तो, धूप भी प्यारी लगती। आसमान जब साफ़ दिखे, उड़ती चिड़िया मन भाती। कार-पूलिंग, स्वच्छ ईंधन, आदत बनती जाए। ओजोन-मित्र काम करें, धरती मुस्का जाए। आज सँभालो, कल सुरक्षित, यही सरल संदेश। नीला अम्बर, हरा धरा, रहेगा सदा विशेष।

वन्यजीव दिवस

जंगल घर है पंछी-पशु का, हम मेहमान यहाँ पर हैं। शेर-हरिण हों, हाथी, गैंडा—सब जीते अपने घर हैं। पेड़ कटेंगे, घर मिटेंगे, फिर रोएँगे सब मिलकर। जंगल-नदी, घास और झाड़ी, जीने के हैं तिनकर। शिकार-फँदे छोड़ो अब तो, दया से हाथ बढ़ाओ। बीज लगाओ, पानी बचाओ, वन-जीवन को अपनाओ। चिड़ियाघर में सीख मिले, पर जंगल सच्चा घर है। तितली, भौंरा, मधुमक्खी का, खेतों संग रिश्ता है। सबका हक़ है इस धरती पर, यह बात दिल तक जाए। वन्यजीव संग मानव भी, हँसते-गाते आगे जाए।

स्वच्छता अभियान

कचरा डब्बे में ही जाए, सड़क नहीं छलकानी। गीला-सूखा अलग-अलग रखकर, साफ़ रहे सब कहानी। कक्षा-आँगन रोज़ बुहारो, धूल नहीं उड़ने देना। दीवार, डेस्क, बेंचों पर भी, कुछ भी मत लिखने देना। हाथ धोओ, नाखून तराशो, बीमारियाँ दूर रहें। शौचालय साफ़ रखो सब, खुशबूदार से भरें। पोस्टर, नारा, रैली लेकर, मोहल्ला जागरूक हो। आज सफ़ाई, कल तन्दुरुस्ती, ये रिश्ता बहुत सुखद हो। सफाई आधी सेहत है, यह बात मन में लाना। अपना घर, अपना विद्यालय, हर दिन चमका जाना।

प्लास्टिक-मुक्त अभियान

एक बार का प्लास्टिक छोड़ो, कपड़े वाले थैले लो। लट्टू जैसे गोल-गोल मत, धरती के संग खिलवाड़ करो। बोतल, चम्मच, स्ट्रॉ की जगह, स्टील-काँच अब लाओ। जहाँ-जहाँ हो प्लास्टिक कम, वहाँ मुस्कान बढ़ाओ। कचरा नाली में मत डालो, पानी रोता रहता है। थैली उड़कर पेड़ पे फँसे, पंछी खोता रहता है। रीयूज़-रिफ़िल, रीचार्ज-स्टेशन, नई चली है राह। छोटी आदत, बड़ा असर, दुनिया बोले “वाह!” दुकानदार भी हाँ में बोले, ग्राहक दोनों गदगद हों। प्लास्टिक-मुक्त मोहल्ला हो तो, बच्चे सबसे खुश हों।

मृदा दिवस

मिट्टी माँ है, बीजों को वह, गोद में अपने रखती। हल्की बारिश, धूप बराबर, खेत की साँसें तकती। टोपसॉइल को बचा के रखना, बहने न देना इसे। पेड़, घास से जकड़ बनाकर, रोकें ढलान पे इसे। कचरा, रासायनिक ज़्यादा, मिट्टी की सेहत खोते। खाद कम्पोस्ट, गोबर खाद से, सूखे खेत भी रोते। कीड़े-मकोड़े, केंचुए भी, मिट्टी के डॉक्टर जैसे। धीमे-धीमे धरती को वे, ताकत देते अवसर जैसे। मिट्टी बचाओ, रोटी बचाओ, जीवन-बाग़ सँवारे। मृदा-दिवस पर प्रण करेंगे, खेत, बगीचे निखारे।

योग दिवस

साँस गिनो, तन सीधा रखो, मन में शांति उतर आए। रोज़ सबेरे पाँच मिनिट, चेहरा खुद चमक जाए। ताड़ासन से रीढ़ सधे, देह हल्की-हल्की हो जाए। वृक्षासन में संतुलन साधो, डर दिल से दूरि जाए। भुजंग, वज्र, तितली करना, धीरे-धीरे क़दम बढ़ाएँ। श्वास-प्रश्वास संग मुस्काना, मन को ठंडी छाँव दिलाएँ। मोबाइल पहले दूर रखो, शोर सब बाहर रह जाए। आँखें मूँदो, ध्यान लगाओ, भीतर का दीप जगाए। योग न केवल आसन-प्राणायाम, यह जीवन-पथ सिखलाए। नियमित अभ्यास से स्वास्थ्य, हर दिन बेहतर बन जाए।

विश्व स्वास्थ्य दिवस

समय पर सोना, समय पर खाना, दिनचर्या रंग लाए। थोड़ा खेलो, थोड़ी पढ़ाई, जीवन में संतुलन आए। पानी पर्याप्त, जंक से दूरी, थाली सादी मुस्काए। चलना-फिरना रोज़ ज़रूरी, आलस घर से हट जाए। टीकाकरण, जाँच, सलाहें, बीमारी को दूर भगाएँ। सब्ज़ी, दाल, फल, अंकुरित—थोड़े-थोड़े साथ बनाएँ। नियमित हाथ धोना सीखो, आदत अच्छी बन जाए। मन-तन दोनों खुश रहेंगे, जब दिन सही ढंग से जाए। स्वास्थ्य सबसे बड़ा खज़ाना, हर पल इसका मान बढ़ाएँ। छोटे-छोटे सधे कदम से, लंबी राह सरल बन जाए।

पोषण दिवस

दाल, रोटी, दूध, हरी सब्ज़ी, रंग-बिरंगी थाली आए। थोड़ा अन्न, थोड़ा प्रोटीन, संतुलन हर दिन बन पाए। गुड़-चना का सादा नाश्ता, ताकत रोज़ बढ़ा जाए। मौसमी फल छोटा-कटोरी, मीठा मन भी मान जाए। तला-भुना कम, घर का खाना, पेट को आराम दिलाए। धीमे-धीमे चबाकर खाना, पाचन अच्छा हो जाए। लंच-ब्रेक में पानी पीना, आदत पक्की बन पाए। भोजन पहले हाथ धोना, स्वास्थ्य-पत्र सा जगमगाए। थाली जितनी भूख उतनी, बर्बादी घर से हट जाए। सात रंग की थाली रोज़,पोशन-गीत सा गुनगुनाए।

हाथ धुलाई दिवस

साबुन-पानी, बीस सेकंड, झाग-झाग कर धोते जाएँ। ऊपर-नीचे, बीच उँगलियाँ, कीटाणु सब भागे जाएँ। खाने से पहले, बाद शौच, बाहर से आकर करना। छोटी-सी ये साफ़ आदत, बीमारी से दूर करना। नाखून काटें, साफ़ रखें सब, तौलिया सूखा रह जाए। नल को बंद कर पानी बचाओ, धरती मुस्का जाए। छींक-खाँसी में रूमाल रखो, मास्क सही ढंग पहनना। भीड़ में दूरी, शिष्ट चालें, सेहत अपना सहलाना। स्कूल-घर में हाथ स्वच्छ हों, हँसता चेहरा खिल जाए। स्वच्छ हाथों से हर सपना, सेहत वाला रंग पाए।

मानसिक स्वास्थ्य दिवस

बात कहो तो मन हल्का हो, चिंता धीरे दूरि जाए। परिवार, शिक्षक, मित्रों से, सहारा साहस बन जाए। थोड़ा खेलो, थोड़ी धूप लो, नींद समय पर आ जाए। स्क्रीन कम और हरियाली, आँखों-मन को भा जाए। गलती हो तो सीख समझो, खुद पर नरमी रख जाओ। तुलना छोड़ो, अपनी गति में, छोटे लक्ष्य बनाओ। गहरी साँसें, पाँच गिनो, फिर धीरे-धीरे छोड़ो। कृतज्ञ रहो, तीन धन्यवाद, डायरी में रोज़ जोड़ो। मन भी तन-सा ध्यान माँगे, यह बात दिल तक जाए। खुश रहना अभ्यासों से, धीरे-धीरे आ जाए।

नेत्र दिवस

बीस मिनट में बीस कदम, दूर क्षितिज को निहारो। किताब-स्क्रीन से थोड़ी दूरी, आँखों को आराम दोगो। रोशनी ठीक, बैठो सीधा, अक्षर साफ़ नज़र आएँ। बहुत नज़दीक मत पढ़ लेना, आँखें थककर सो जाएँ। हरी-भरी चीज़ें देखो, पेड़-पौधे मन भाएँ। ठंडी छपकी, पानी के छींटे, आँखें ताज़ा हो जाएँ। उधार चश्मा मत लगाना, जाँच समय पर करवाना। डॉक्टर की जो बात लिखी, वैसा ही सब अपनाना। आँखों की मेहनत बाँटो, खेल-कूद भी साथ चलाओ। स्वस्थ नयन से हर तस्वीर, रंग नया-सा खिल जाओ।

दंत स्वास्थ्य दिवस

सुबह-शाम दो मिनट ब्रश, घड़ी की सूई संग-संग। ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, दाँत मुस्काएँ रंग-रंग। मीठा थोड़ा, चबाओ धीरे, जीभ सफाई याद रहे। फ्लॉस या कुल्ले की आदत, भोजन-बीच की राह सहे। दूध-दही, तिल-गुड़ थोड़े, दाँत-मसूड़े ताकत पाएँ। बोतल-चुस्की देर न करना, छोटे दाँत बचत लाएँ। कठोर चीज़ दातों से तोड़ो मत, चोट लग सकती है। समय-समय पर जाँच कराओ, चिंता दूर रहती है। मुस्कान सबसे सुंदर गहना, चेहरा जग-सा खिल जाए। स्वच्छ दाँत से आत्मविश्वास, हर मंच पर साथ आए।

प्राथमिक उपचार दिवस

कट-छिल जाने पर पहले, साफ़ पानी से धो डालो। हल्का साबुन, साफ़ कपड़ा, फिर पट्टी सही बाँध डालो। जलन लगे तो ठंडा पानी, कुछ मिनट तक बहने दो। घबराओ मत, मदद बुलाओ, भीड़ नहीं गर होने दो। नाक से खून तो सिर झुकाओ, माथा-गर्दन ठंडी हो। मधुमक्खी डंक में सावन, पिन्सेट से काँटा निकले तो। बेहोशी में कुछ न खिलाना, बाजू, पल्स को जाँचो। सुरक्षित दूरी, साँस का ध्यान, एम्बुलेंस नंबर टाँचो। सीख सरल, पर काम बड़े हैं, समझदारी साथ लाओ। पहला कदम सही पड़े तो, संकट जल्दी दूरि हो जाओ।

फिट इंडिया

रोज़ दौड़ना, कूद-कूदना, खेल-खेल में दम आए। रस्सी-कूद, स्क्वैट-पुशअप, पसीना मोती बन जाए। लंबा बैठना कम कर देना, हर घंटे खड़े हो जाओ। सीढ़ी-सीढ़ी चलते जाओ, दिल-फेफड़े खुशियाँ पाओ। खेल-मैदान, सूरज, हवा, सेहत का त्यौहार बने। टीमवर्क, नियम, फेयर-प्ले, जीवन का व्यवहार बने। मीठे पानी का घूंट यहाँ, जूस-सोडा दूर रहो। नींद समय पर, जागो ताज़ा, आलस सब अब दूर करो। फिट रहेगा जब हर बचपन, घर-स्कूल खुशहाल बनें। फिट इंडिया, फ्यूचर फिट—दोनों हाथों-हाथ चलें।

टीकाकरण जागरूकता

छोटी सुई, बड़ी सुरक्षा, बीमारी हमसे दूरि जाए। समय पर जो टीका लग जाए, डर आधा यूँ मिट जाए। कार्ड सँभालो, तारीख लिखो, कतार में धैर्य साथ लाओ। डॉक्टर-नर्स की बात सुनो, नियम सब हँसकर अपनाओ। हल्का बुखार, दर्द हो थोड़ा, आराम पानी काम आए। स्वच्छ कपड़े, स्वच्छ हाथ हों, चिंता यूँ ही थम जाए। घर-स्कूल में जागरूकता, पोस्टर-बातें मुस्काएँ। अपने-अपने मोहल्ले में, सबको सही जानकारी जाए। टीका बचपन की ढाल है, स्वस्थ भविष्य साथ लाए। छोटा कदम ये आज का, कल को सुरक्षित कर जाए।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

प्रश्न करो, फिर प्रयोग करो, सच्चाई खुद चलकर आए । लेंस, चुंबक, बीकर, तराज़ू—छोटा-सा चमत्कार दिखाए । गलती होगी, सीख मिलेगी, हिम्मत फिर मुस्कान दिलाए । न्यूटन, जे.सी. बोस की बातें, जिज्ञासा के दीप जलाए । चार्ट, मॉडल, नोटबुक खोलो, कारण-परिणाम समझाए । क्यों, कैसे, कब—तीन सवाल, हर पहेली सुलझाए । लैब में सुरक्षा पहले रखना, नियम सभी अपनाए । टीम बनाकर काम करेंगे, ज्ञान का पुल बन पाए । विज्ञान केवल विषय नहीं, जीवन जीना सिखलाए । छोटे कदम से बड़ा सफर, भारत का मान बढ़ाए ।

गणित दिवस

जोड़-घटाना, गुणा-भाग, पहाड़ा रोज़ रटाए । आकृति, रेखा, कोण, परिमाप, मन में नक्शा बन जाए । शून्य से सौ तक गिनती गाओ, संख्या नाच दिखाए । शब्द-प्रश्न को धीरे पढ़ना, हल अपने आप आए । भिन्न, दशमलव दोस्त हमारे, पाई कहानी सुनाए । ग्राफ-पत्र पर बिंदु-बिंदु, सीधी राह दिखलाए । गलत हुआ तो फिर से करना, सच्चा साहस यही बताए । समय, पैसा, दूरी मापो, जीवन-गणित काम आए । पहेलियाँ और मैजिक ट्रिक, दिमाग़ को हँसाए । गणित-मित्र के संग चलो, हर समस्या मुस्काए ।

अंतरिक्ष सप्ताह

तारे, चंदा, रॉकेट-राहें, सपनों को ऊँचा उठाएँ । ग्रह-उपग्रह, धूमकेतु बातें, नभ के भेद बतलाएँ । लॉन्चपैड से गड़गड़-गड़गड़, आग के पंख उगाएँ । काउंटडाउन संग दिल धड़के, आसमान तक बात जाए । दूरबीन से वलय गिनें हम, शनि-ग्रह मुस्काए । आकृति-मानचित्र बनाकर, पथ की समझ बढ़ाए । भारत-यात्रा, चंद्र-अभियान, साहस का गीत सुनाए । फिजिक्स-मैथ्स का साथ ज़रूरी, नियम उड़ान दिलाए । नीला ग्रह है अपना घर, इसकी रक्षा कर जाएँ । अंतरिक्ष देखो, धरती सोचो, संतुलन संदेश दिलाएँ ।

नवाचार दिवस

टूटी चीज़ें जोड़-घटाकर, कुछ नया-सा बन जाए । समस्या छोटी, हल अनोखा, सबको मुस्कान दिलाए । सोचो अलग, पूछो “क्यों नहीं?”, दरवाज़ा खुद खुल जाए । कागज़-कलम, स्केच-डायग्राम, आइडिया साफ़ बताए । ट्रायल-एरर, फिर सुधार, हर कोशिश रंग लाए । स्थानीय चीज़, सस्ती विधि, दूर तलक काम आए । टीम-अप कर मॉडल बनाओ, मंच पे जोश जगाए । लोगों से फीडबैक लेकर, अगला कदम तय हो जाए । कॉपियर नहीं, क्रिएटर बनना, दिल में दीप जलाए । नवाचार से भारत आगे, नई सदी मुस्काए ।

रोबोटिक्स दिवस

मोटर, सेंसर, पहिए, कोड—रोबो चलना सीख जाए । लाइन-फॉलो, दूरी मापो, रास्ता खुद चुन पाए । ब्लॉक-कोडिंग, लॉजिक-लूप, आदेश सही चलाए । गियर-स्प्रॉकेट साथ मिलाकर, ताकत सही बन जाए । छोटा क्लॉ हो, आर्म उठे तो, चीज़ें हल्की लग जाएँ । बॉट अरिना, समय-सीमा, टीमवर्क चमक दिखाए । सेफ़्टी-स्विच, बैटरी-जाँच, आदत रोज़ बनाएं । फेल हुआ तो सीख बढ़ाओ, अगला राउंड जीत जाए । रोबोट साथी, मानव सेवक, जीवन को सरल बनाए । टेक्नोलॉजी संग संवेदना, सुनहरा कल सजाए ।

कंप्यूटर साक्षरता

कीबोर्ड, माउस, अक्षर नाचें, टाइपिंग रोज़ सुधर जाए । फ़ोल्डर बनना, फ़ाइल सँभालना, काम सलीके से हो पाए । कॉपी-पेस्ट और सेव-सेव, डेटा सुरक्षित रह जाए । इंटरनेट पर खोज समझकर, सही जानकारी मिल जाए । ईमेल, पासवर्ड संभल-संभल कर, गोपनीयता साथ आए । ऑनलाइन क्लास, प्रोजेक्ट-टूल्स, पढ़ाई तेज़ बनाएं । वक़्त पर लॉगऑफ़ करना, स्क्रीन-ब्रेक दरकार आए । हार्डवेयर- सॉफ्टवेयर क्या होता, फर्क सरल समझाए । कंप्यूटर-ज्ञान जीवन-चालक, अवसर नए दिलाए । डिजिटल भारत, सीख निरंतर, हर बच्चा आगे जाए ।

साइबर सुरक्षा दिवस

लिंक अजनबी, क्लिक न करना, पहले सोच समझना है । ओटीपी, पिन, पासवर्ड—निजी, साझा करना मना है । पासवर्ड लंबा, मिलेजुले, बदलो समय-समय पर । फिशिंग-ईमेल पहचानो, डोमेन जाँचो बेहतर । सेल्फी, लोकेशन, कम साझा, गोपनीयता संग आए । पब्लिक वाई-फाई पर कम काम, खतरा जल्दी बढ़ जाए । एंटी-वायरस, अपडेट समय पर, सिस्टम को ढाल बनाएं । दुरुपयोग पर रिपोर्ट करना, साहस का पहला टुकड़ा आए । नेट शिष्टाचार, नम्र व्यवहार, ऑनलाइन पुल बनाएं । सुरक्षित रहकर सीखेंगे, डिजिटल सफर मुस्काएँ ।

खगोलीय रात

दूरबीन से चाँद निहारो, गड्ढे गिनना मज़ा दिलाए । ओरायन, सप्तऋषि खोजो, तारामंडल जगमगाए । ध्रुव-तारा उत्तर दिखाए, राह अँधेरों में बन जाए । दूधिया-पथ की रेशमी धारा, मन को छूती जाए । नंगी आँख से ग्रह पहचानो, रंग अलग-सा भाए । आकाश-मानचित्र पर रेखा, पथ सरल समझाए । लाइट कम कर, शोर मिटा कर, नभ से दोस्ती हो जाए । रात की चुप में धीमे-धीमे, प्रश्न नए उग आएँ । सुबह किताबें खोल के देखो, उत्तर संग मिल जाए । खगोल-प्रेमी बनकर आगे, ज्ञान का दीप जलाए ।

विज्ञान मेला

मॉडल, चार्ट, पोस्टर, प्रोजेक्ट—मंच पे जादू खिल जाए । समस्या, कारण, हल का क्रम, हर दर्शक समझे जाए । डेमो छोटे, बात बड़े हों, प्रयोग साफ़ दिख जाए । डेटा-टेबल, ग्राफ़-निष्कर्ष, सत्य उजाला लाए । प्रश्न पूछो, उत्तर दो मुस्का, चर्चा गाढ़ी बन जाए । टीम-वर्क में भूमिका बाँटो, काम आसानी हो जाए । स्थानीय सामग्री से बनकर, खर्चा भी कम रह जाए । गुणवत्ता, सुरक्षा दोनों, पहले नंबर पर आए । मेले से जो सीख मिले, वर्ष भर साथ निभाए । विज्ञान-चरखा घूमे ऐसे, भारत आगे बढ़ जाए ।

ऊर्जा क्लब

सौर, पवन, जल—तीनों साथी, घर-स्कूल रोशन लाएँ । मीटर-पढ़ना, बचत-योजना, रोज़ आदत में आए । दिन में धूप, शाम में एलईडी, बिल कम होता जाए । इन्सुलेशन, वेंटिलेशन, ठंडी हवा घिर आए । बायोगैस संग रसोई हँसे, कचरा सोना बन जाए । पोस्टर, नुक्कड़, रैली लेकर, मोहल्ला जाग उठाए । ऊर्जा-बचत देश-सेवा है, हर बच्चा यह गाए । छोटा स्विच भी बंद करके, बड़ा काम हो जाए । क्लब रिपोर्ट, लक्ष्य-पत्रक, अंक गवाही दे जाए । हरी ऊर्जा, भारी ऊर्जा, कल सुरक्षित बन जाए ।

खेल दिवस

खेल है खुशी, खेल है सेहत, मैदान में जोश जगाए। हार-जीत दोनों से सीखें, मन में साहस आ जाए। टीम बनाकर साथ निभाएँ, हर साथी सम्मान पाए। नियम, न्याय, फेयर-प्ले से, खेल हमारा चमक जाए। सीटी बजते ही ध्यान जमाओ, दौड़ कदम खुद उठ जाए। गुस्सा-शोर नहीं करना, मीठा व्यवहार भा जाए। वॉर्म-अप, पानी, स्ट्रेचिंग पहले, चोट से दूरी रह जाए। कोच की बातें याद रखो, खेल-कला और निखर जाए। जीत मिली तो धन्यवाद बोलो, हार में हिम्मत बन पाए। खेल दिवस का ये वादा, रोज़ शरीर-मन मुस्काए।

एथलेटिक्स मीट

दौड़, कूद, फेंक, संतुलन—ट्रैक का रंग जम जाए। स्टार्ट की आवाज़ सुनते ही, पंखों जैसी चाल आए। लॉन्ग-जंप में रेती नरम, उड़कर पाँव निशान बनाए। हाई-जंप की बार महीन, हिम्मत से पार हो जाए। शॉट-पुट और जैवलिन फेंको, कंधों में लौ मजबूत पाए। रीले टीम में बैटन देना, समय पर हाथ मिल जाए। वॉर्म-अप, कूल-डाउन जरूरी, साँस लय में चलती जाए। लक्ष्य छोटे, दौड़ निरंतर, रिकॉर्ड अपना बन पाए। कदम बराबर, नजर सामने, फ़िनिश टेप मुस्काए। एथलेटिक्स का मूल नियम—मेहनत ही जीत दिलाए।

फुटबॉल मैच

पास बढ़ाओ, गोल बनाओ, साथी का साथ निभाओ। लेफ़्ट-विंग से क्रॉस उठे तो, हेडर सीधा जम जाओ। डिफ़ेन्स मज़बूत रखो, गेंद को बाहर ठेल आओ। अनुशासन, फाउल न करना, रेफ़री की बात मान जाओ। गोलकीपर बिलकुल तैयार, दोनों पंजे फैला जाए। मिडफ़ील्ड में छीनो बॉल, मौका आते गोल बन जाए। ऑफ़साइड की सरल समझ से, खेल सलीके से चल जाए। कॉर्नर, फ़्री-किक, पेनल्टी सब, शांत मन से निपट जाए। टीम की जीत में हर खिलाड़ी, अपना सौ फ़ीसदी लाए। फुटबॉल का प्यारा सबक—साथी पहले, नाम पराए।

क्रिकेट मैच

बल्ला बोले, गेंद घुमे, चौका-छक्का रंग लाए। धैर्य, योजना, रन-रन करके, स्कोर हमारा बढ़ जाए। डॉट-गेंद पर ध्यान टिके तो, गलती अपनी कम हो जाए। सिंगल-डबल घूमें पैरों, स्ट्राइक बदलना काम आए। फ़ील्डिंग तेज़, कैच पकड़ना, मैच का रुख ही बदल जाए। बॉलर लाइन-लेंथ सँभाले, यॉर्कर, स्पिन असर दिखाए। पावर-प्ले में साफ़ शॉट्स, बीच ओवर टिककर जाए। टार्गेट छोटा-छोटा बाँटो, आख़िरी ओवर थिरक जाए। हार-जीत से ऊपर सीखें, शांति हर मन मुस्काए। क्रिकेट सिखाता संयम-मेहनत, जीवन-पथ पर काम आए।

कबड्डी

कबड्डी-कबड्डी बोलो, साँसों की ताल मिलाओ। छूकर भागो, नियम निभाओ, बुद्धि-बल संग खेल दिखाओ। रेडर जब रेखा लाँघे, आँखों में ध्यान जगाओ। एंट्री-एग्ज़िट साफ़-साफ़ हो, टीम को साथ बढ़ाओ। चेन पकड़ो पर ध्यान रहे, फाउल कहीं न हो पाए। एंकल-होल्ड, बोनस-लाइन की, सरल समझ काम आए। फ़िटनेस, स्क्वैट्स, प्लैंक्स, रनिंग, ताकत रोज़ बढ़ाएँ। मैट के भीतर शांति रखो, बाहर ताली बजाएँ। सुरक्षा पहले, खेल भावना, सबसे प्यारी जीत कहलाए। कबड्डी का छोटा मंत्र—साँस, संतुलन, साहस लाए।

योग-एरोबिक्स शो

ताल बजे तो कदम मिलाओ, मुस्कान संग साँस आए। वॉर्म-अप करके धीमे-धीमे, तन में ऊर्जा दौड़ जाए। सूर्य-नमस्कर, स्क्वैट-जंपिंग, लय में सबकुछ हो पाए। हाथ उठाओ, पैर मिलाओ, दिल की धड़कन सधे जाए। म्यूज़िक हल्का, मूव सरल हो, हर बच्चा संग गुनगुनाए। पानी पास, ब्रेक जरूरी, थकान धीरे कम हो जाए। योग में ध्यान, एरोबिक्स में, जोश नया-सा भर पाए। पोश्चर सीधा, कोर मज़बूत, पीठ-गर्दन सुरक्षित जाए। मंच पे रंग, मन में उमंग, पूरा हॉल झूम जाए। योग-एरोबिक्स संग-संग, सेहत वाली जीत आए।

मार्च-पास्ट

बाँया, दायाँ, एक-सा क़दम, ढोल-नगाड़ा बज जाए। यूनिफ़ॉर्म में अनुशासन का, सुंदर गुलदस्ता छा जाए। दाहिना हाथ सलाम को उठे, झंडा ऊँचा लहराए। क़दम ताल की गूँज सुनाई, पूरा मैदान दमक जाए। लाइनें सीधी, फ़ासला बराबर, नक़्शा आँखों में आए। आदेश पर सब साथ मुड़ें, टोली का मान बढ़ाए। बैंड के सुर और ड्रम की थाप, हवा में रंग बिखराए। चेहरे शांत, निगाहें आगे, गर्व हृदय में रह जाए। स्कूल का नाम ऊँचा होता, जब चाल सलीके से आए। मार्च-पास्ट का एक सबक—अनुशासन जीवन सजाए।

रस्सीकूद

एक, दो, तीन—गिनती संग, रस्सी की लय जम जाए। धीमे-धीमे स्टेप बढ़ाओ, ताल में झटपट दम आए। सिंगल-अंडर पहले सीखो, डबल-अंडर बाद में आए। क्रॉस-हाथ की छोटी ट्रिक से, तालियाँ खुद बज जाएँ। जूते ठीक, फ़ीते कसकर, फ़र्श समतल मिल जाए। बीच में पानी, साँस सँभलकर, थकान जल्दी हट जाए। ग्रुप-स्किप में दोस्ती बढ़ती, हँसी का संग चल जाए। रिदम, रिफ़्लेक्स, बैलेंस मिलकर, शरीर-मन खिल जाए। हर दिन पाँच मिनट कूदो, सेहत प्यारी हो जाए। रस्सीकूद का सरल नियम—मज़ा, सुरक्षा साथ आए।

तैराकी

पानी-पानी, ठंडा पानी, स्ट्रोक में लय रच जाए। बबल-बबल, साँस नियंत्रण, डर दिल से दूरि जाए। फ़्री-स्टाइल में हाथ-टाँगें, एक-सी गति दिखलाएँ। बैक-स्टोक में आसमाँ देखें, पीठ-मांसपेशी सधे जाए। ब्रेस्ट-स्टोक का धीमा ताल, मेढक-सा रूप निभाए। पूल-साइड पर फिसलना मत, नियम सभी अपनाए। लाइफ़-गार्ड की बात सबसे, पहले नंबर पर आए। कैप-गॉगल्स सही पहनना, आँखों को सुकून दिलाए। लैप-लैप कर दूरी बढ़ती, आत्मविश्वास भी आए। तैराकी से फ़िटनेस, फेफड़े, दोनों दोस्त बन जाए।

स्काउट-गाइड

सेवा, साहस, समय-पालन—दिल में दीपक जल जाए। कैंप-फ़ायर के गीतों से, टोली का मन खिल जाए। गाँठ लगाना, टेंट लगाना, हुनर नया-सा बन जाए। कम्पास, नक्शा, दिशा-सूचक, जंगल-पथ भी दिखलाए। फ़र्स्ट-एड किट, छोटी मदद, बड़ा असर कर जाए। कचरा उठाकर साफ़ जगह, प्रकृति हमको धन्य बनाए। ड्यूटी, ऑनर, वादा सच्चा, हर सुबह दोहराया जाए। वरिष्ठ-निर्देश मान इतिहास, टोली आगे बढ़ जाए। “सदैव तैयार” मन का नारा, हर संकट में काम आए। स्काउट-गाइड का जीवन-मंत्र—चरित्र, सेवा, मान बढ़ाए।

संगीत दिवस

सा-रे-गा से मन मुस्काए, सुर में सुर सब मिल जाए। ताल, लय, स्वर तीन सहेली, गाकर खुशियाँ घर आए। धीरे-धीरे रियाज़ करेंगे, आवाज़ मखमल बन जाए। हाथ से ताली, पाँव से थाप, धुन में तन-मन झूम जाए। हारमोनियम, बांसुरी, ढोलक—मिलकर साज़ बजे जाएँ। ऊँचा-नीचा सुर न पकड़ो, सधा हुआ राग ही गाएँ। सुनना भी है सीख बड़ी, पहले सुनकर फिर दोहराएँ। टीचर की हर बात पकड़ें, नोट सही जगह पर लाएँ। गीत न केवल शब्दों से, दिल की भाषा कहलाए। संगीत प्यार सिखाता है, सबका मन एक बन जाए।

नृत्य दिवस

कदम-कदम पर लय संभालो, मुस्कान चेहरे पर आए। हाथ-नयन से भाव दिखाओ, अर्थ सभी तक पहुँच जाए। वॉर्म-अप करके धीरे शुरू, देह थिरकना सीख जाए। लोक-नृत्य की रंगत देखो, मंच सितारा बन जाए। पोशाक सादी, चाल सुहानी, पायल मस्ती भर लाए। बीट गिनो और स्टेप मिलाओ, ताल कहाँ से कब आए। जोड़ी, ग्रुप या सोलो नंबर, सबको अवसर मिल जाए। गलती हो तो हिम्मत रखो, अगले पल सँवरता जाए। नृत्य केवल पाँव नहीं है, मन का उत्सव कहलाए। रोज़ रियाज़ से छोटा कलाकार, बड़ा हुनर बन पाए।

नाटक दिवस

भूमिका अपनी ठीक निभाओ, संवाद साफ़ निकल जाए। धीरे, स्पष्ट, सही ठहराव, अर्थ सबों तक पहुँच जाए। रिहर्सल जितनी बार करोगे, मंच-डर खुद भागे जाए। प्रॉप्स, मास्क, पोशाक सँभालो, दृश्य सुगठित बन जाए। प्रवेश-निर्गम सही समय पर, तालियों की बरसात आए। हास्य हो या संदेश गंभीर, भाषा सरल मन भाए। टीमवर्क से नाटक चलता, सबका मान बढ़ा जाए। माइक मिले तो दूरी रखो, आवाज़ साफ़ सुनाई जाए। नाटक सच का दर्पण है, समाज को राह दिखाए। सीखी बातें रोज़ के जीवन, छोटे कर्मों में जगमगाए।

चित्रकला दिवस

लाल, नीला, पीला, हरा—रंगों से जीवन खिल जाए। रेखा-रेखा कहानी बोले, काग़ज़ कैनवस बन जाए। वृत्त, त्रिभुज, वर्ग सजाकर, आकृति-लोक खुल जाए। क्रेयॉन, ब्रश, वॉटरकलर से, कोमल छाप निकल आए। पास रखो एक सूखा कपड़ा, छींटा गिरते थम जाए। प्रकृति देखो, स्केच बनाओ, पेड़ नदी सब झूम जाए। प्रकाश-छाया हल्के स्ट्रोक, चित्र में गहराई लाए। कूची-रंग का नम्र व्यवहार, मेज़-कुर्सी साफ़ रह जाए। कला सिखाती धैर्य, अनुशासन, मन शांत-शीतल हो जाए। हर बच्चे की रचना न्यारी, सबका सम्मान बढ़ जाए।

हस्तकला मेला

काग़ज़, मिट्टी, धागा, मोती—हाथों में जादू आ जाए। फोल्ड, कटिंग, पेस्ट-सिलाई से, नई सजावट बन जाए। पुरानी बोतल, डिब्बा, कार्ड—रीयूज़ का रंग छा जाए। ओरिगामी की छोटी चिड़िया, खिड़की पर उड़ती जाए। मिट्टी दीया, पेंट की बिंदी, रोशनी बनकर मुस्काए। थोड़ी लगन, थोड़ी सफ़ाई, काम सलीके से हो जाए। माँ-बहन, दादा-दादी के, हुनर से सीखें सरमाए। हैंडमेड गिफ़्ट की सादगी, दिल तक झट से पहुँच जाए। कला कमाए नहीं, सिखाए—प्यार बाँटना आ जाए। हस्तकला मेले में बच्चों का, आत्मविश्वास बढ़ जाए।

रंगोली प्रतियोगिता

बिंदी-बिंदी जोड़ो रेखा, फूल-सी गोलाई आए। पीला-हल्दी, गुलाल-नीला, आँगन रंगों से भर जाए। सममिति का छोटा नियम, पल्लव-सी छवि बन जाए। दीप रखो तो बीच हँसी की, चौखट खुशबू से महक जाए। झाड़ू-पोंछा पहले करना, साफ़ ज़मीन ही मुस्काए। रंग बिखरें न इधर-उधर, हाथों में कटोरी आए। टीम बनाकर बाँटो हिस्से, काम सहजता से हो जाए। तस्वीर खींचो बाद में फिर, यादों का एलबम बन जाए। हर डिज़ाइन में शुभ-इच्छा, स्नेह का दीपक जगमगाए। रंगोली से घर-स्कूल दोनों, त्योहार-सा खिल उठ जाए।

फोटोग्राफी दिवस

रोशनी सही, कैमरा स्थिर, तस्वीर बेहतर बन जाए। पीछे का दृश्य साफ़-सुथरा, चेहरा केंद्र में आ जाए। ऊँच-नीच से एंगल बदलो, नई कहानी उभर आए। फ़्लैश कम, प्राकृतिक उजियारा, आँखों को अच्छा भाए। फोकस सही और हाथ स्थिर, धुंधलापन दूर हो जाए। अनुमति लेकर फ़ोटो खींचो, शिष्टाचार साथ निभाए। तीन-भाग वाला छोटा नियम, फ्रेम में संतुलन लाए। कम क्लिक, पर सोच-समझ कर, एक ही फोटो काम आए। कुदरत, हँसी, मेहनत, खेल—सब पल कैद किए जाएँ। तस्वीर बोलती खुद-ब-खुद, शब्द बिना अर्थ बतलाए।

कार्टूनिंग दिवस

दो रेखाओं से चेहरा बनना, आँख-मुँह में भाव आ जाए। छोटी नाक, बड़ी मुस्कान से, हँसी का झरना बह जाए। बॉडी-लैंग्वेज सरल रखो, संदेश सीधा समझ आए। मज़ाक कभी विचार पर करना, व्यक्तियों का मान बचाए। स्पीच-लेस कार्टून बनाओ, दृश्य कहानी कह जाए। हल्की-फुल्की, गहरी बातों में, सच का रंग नज़र आए। पेंसिल-रबर संग अभ्यास, स्केचिंग रोज़ सुधर जाए। काला-सफेद भी खूब असर दे, रंग मिले तो चमक बढ़ जाए। कार्टून दिल का दर्पण है, कटुता बिन मुस्कान दिलाए। हास्य में मानवीय करुणा, सबको साथ चलना सिखाए।

कविता पाठ

आवाज़ साफ़, गति संतुलित, ठहराव अर्थ समझाए। ऊपर-नीचे स्वर का पथ, भाव-तरंगें ले आए। कविता पहले मन में बिठलाओ, फिर मंच डर दूरि जाए। शब्द कठिन हों तो अभ्यास से, जीभ सहेली बन जाए। नज़र उठाकर दर्शक देखो, आत्मविश्वास खिल जाए। हाथ हिलाओ थोड़ा-थोड़ा, प्रस्तुति में रंग सजाए। मतलब समझो, फिर सुनाओ, संदेश भीतर तक जाए। समय-सीमा याद रहे तो, अंकों में भी लाभ आए। समापन पर धन्यवाद कहना, विनम्रता मन में बस जाए। कविता-पाठ से एक बच्चा, सौ बच्चों का मित्र बन जाए।

स्कूल बैंड शो

ढम-ढम ड्रम, ट्रम्पेट-फूँक, ताल का सावन आ जाए। फ्लूट, क्लैरिनेट संग मिलकर, सुर का जादू छा जाए। मार्चिंग की चाल सधी हो, कदम-कदम संग बीट आए। कंडक्टर के इशारे पर, धुन बदलती घूम जाए। आरंभ-समापन साथ मिलाकर, शोर नहीं, बस संगीत आए। यूनिफ़ॉर्म में चमके टोली, अनुशासन मन भाए। छोटा सोलो, बड़ा कोरस, सबको मौका मिल जाए। वॉल्यूम सीमित, सुर औ’ लय में, हॉल सुरीला बन जाए। सुनकर हर दिल झूम उठे, ताली की बारिश हो जाए। स्कूल बैंड का प्यारा पाठ—मिल-जुलकर चमत्कार हो जाए।

सड़क सुरक्षा सप्ताह

हेलमेट, सीटबेल्ट सब पहनें, सफ़र सुरक्षित बन पाए। धीमी रफ़्तार, दूरी कायम, घर तक चैन से पहुँचाए। लाल-पीला-हरा समझो, सिग्नल पर रुकना सीखें। ज़ेब्रा-क्रॉसिंग पर ही चलना, आदत अच्छी लिख दें। मोबाइल जेब में ही रख दें, सड़क पे ध्यान लगाएँ। लेफ़्ट देखो, राइट भी देखो, फिर आगे क़दम बढ़ाएँ। हॉर्न कम और धैर्य ज़्यादा, शहर-सड़क मुस्काए। बारिश, धुंध में हेडलाइट ऑन, सबको राह दिखाए। नियम सभी के लिए बराबर, यह छोटा सच अपनाएँ। सड़क-सुरक्षा सप्ताह का वादा, रोज़-रोज़ निभाएँ।

यातायात नियम दिवस

लाइन में चल, लेन न बदल, सबका वक़्त बचाएँ। यू-टर्न, ओवरटेक समझदारी, नियम जहाँ जो पाएँ। स्पीड-लिमिट का मान रखो, खतरा दूरि हो जाए। नो-पार्किंग में गाड़ी मत रख, चालान से बच जाए। पैदल पथ है पैदल वालों का, वाहन दूर हटाएँ। बस-स्टॉप, स्कूल-ज़ोन के आगे, कदम-कदम सँभल जाएँ। सीटी, बैरिकेड, साइन-बोर्ड को, ध्यान से पढ़ते जाएँ। एम्बुलेंस को राह लगे तो, तुरंत साइड बन जाएँ। नियम दिवस का एक सबक—शिष्ट चाल पहचाने। सुरक्षित शहर, सुरक्षित लोग, मिलकर साथ निभाएँ।

जल-जन-जागरण

तालाब, झील, नदी की धारा, कचरे से हम बचाएँ। तट पर सूखी पत्तियाँ ही, अलग जगह में जाएँ। नाली, प्लास्टिक, तेल का छींटा, पानी को दूषित करते। रीचार्ज-पिट, वर्षा-संग्रह, घर-घर मिलकर भरते। घाट, कुएँ की रोज़ सफ़ाई, मिलकर टोली लाएँ। पेड़ लगाकर मिट्टी बाँधें, धाराएँ मुस्काएँ। मछली, कछुआ, पंछी-पानी, जीवन सबका भाई। जल-संरक्षण, जल-संवर्धन, प्यासी धरती की माई। एक घड़ा भी कम खर्चे तो, अच्छा काम हो जाए। जल-जन-जागरण का दीपक, हर दिल में जल जाए।

बेटी बचाओ दिवस

बेटी-उम्मीद, बेटी-शक्ति, घर-घर रोशनी लाए। पढ़ने-लिखने, खेलने-दौड़ने, बराबर अवसर पाए। जन्म, पोषण, टीका, शिक्षा—हर हक़ पूरा हो जाए। डर, भेदभाव, गलत रिवाज़, मिलकर दूर हटाए। खेल, विज्ञान, कला, सेना—हर मंच दरवाज़ा खुला। सपनों को पंख लगाएँ, आसमान में रंग फूला। नन्हे कदम जब आगे बढ़ें, परिवार-नगर मुस्काएँ। सम्मान, सुरक्षा, सशक्तिकरण, चार दीपक जगमगाएँ। बेटी से है देश का कल, यह मंत्र हृदय बसाएँ। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, हर घर गीत बन जाए।

महिला दिवस

सम्मान, अवसर, सुरक्षित राहें, यही बराबरी पाएँ। घर-ऑफ़िस या खेल का मैदान, सबमें मंच मिल जाएँ। शिक्षा, कौशल, नेतृत्व-भूमि, हर हाथ में खिल जाए। काँच की छत हो चाहे जितनी, साहस से टूट जाए। टीम में विचारों की विविधता, काम को गति लाए। मेहनत, मेरिट, मन की आज़ादी, सपनों को सच बनाए। ना, हाँ—दोनों बातों का मान, सीमा साफ़ हो जाए। स्वास्थ्य, समय, आत्म-देखभाल, रोज़ का नियम बन जाए। महिला दिवस का सच्चा संदेश—मानवता मुस्काए। न्याय, समानता, साझेदारी, नया सवेरा लाए।

शांति दिवस

झगड़े-फासले कम करते, शब्द नम्रता से बोलें। क्रोध रखो ठंडा-ठंडा, सच-धैर्य से दिल खोलें। गलतफ़हमी की गाँठें खोलो, सुनना आधी जीत। मिलजुल कर जोत जगाओ, प्रेम बने संगीत। शोर घटे तो बुद्धि बढ़े, हल अपने आप आए। पुल बन जाते छोटी भंगिमाएँ, दूरी खुद घट जाए। भिन्न-भिन्न हम फिर भी अपने, साथ सभी के हों। हाथ मिलाकर काम करेंगे, फूल-सी खुशबू बोएँ। शांति दिवस का बीज अगर, हर मन में रोपें जाए। हर मौसम में फल-फूलेंगे, सपने सच हो जाएँ।

मानवाधिकार दिवस

बोलने, सोचने, सीखने का, अधिकार सभी को पाएँ। धर्म, भाषा, जाति से ऊपर, मानवता को अपनाएँ। कानून-समता, न्याय-गरिमा, चार स्तंभ सँभालें। बच्चे, महिलाएँ, बुज़ुर्ग, जन—सब के हक़ सँभालें। स्कूल, सड़क, दफ़्तर, बाज़ार—भेद कहीं न हो पाए। अवसर, संसाधन, सीट बराबर, हर हाथ तक आए। हिंसा, नफ़रत, तंज़ पुराना, अब इनसे दूर रहें। मैत्री, सहयोग, सह-अस्तित्व, यह धरोहर हम गहें। मानवाधिकार दिवस कहे—करुणा का दीप जलाओ। अपने हक़ के संग-संग, सबके हक़ भी बचाओ।

नशा-मुक्ति दिवस

ना तंबाकू, ना शराब, सेहत वाला रस्ता लाएँ। खेल-कूद, संगीत, योग से, मन को ताज़ा बनाएँ। साथी-संग दबाव में आना, बिलकुल ठीक नहीं होता। “ना” कहना भी साहस होता, यह सच मन में रोता। पोस्टर, नुक्कड़, गीत संदेश, मोहल्ला जाग उठे। परिवार-स्कूल की साझेदारी, मुश्किल से हाथ छुड़े। तन-मन दोनों साफ़ रहें तो, सपने लंबी दौड़ लगाएँ। बचत, पढ़ाई, कौशल-प्रशिक्षण, नए दरवाज़े खुलवाएँ। नशा-मुक्ति का छोटा संकल्प, सबसे बड़ा इलाज। स्वस्थ जीवन, खुशहाल घर, यही असली अंदाज़।

बाल-श्रम विरोध

स्कूल-स्कूल, खेल-खेल, बचपन का अधिकार बताए। छोटे हाथों में किताबें हों, काम कभी न करवाएँ। कारख़ाना, ढाबा, सड़क-किनारा, बच्चों की जगह नहीं। कक्षा, मैदान, मित्र, कहानी—यही उनकी राह सही। आधार, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह भोजन, पढ़ाई का सहारा। सुरक्षा, क़ानून, मदद-हेल्पलाइन, सबका साथ हमारा। जो भी बच्चा मुश्किल में हो, हाथ तुरत बढ़ जाए। शिक्षा से ही ग़रीबी का, सबसे मज़बूत समाधान आए। बाल-श्रम के ख़िलाफ़ खड़े हों, दिल में हिम्मत लाएँ। हर बचपन मुस्काए जब, तब भारत आगे जाए।

समावेशी शिक्षा दिवस

साथ-सभी, सबके लिए, कक्षा का दरवाज़ा खोले। भिन्न-क्षमता, भिन्न-ज़रूरत, सीख बराबर से बोले। रैम्प, रेलिंग, ब्रेल-पुस्तक, साइन-लैंग्वेज संग आए। धीमी गति, अतिरिक्त समय, हर परीक्षा मुस्काए। बडी-प्रणाली, जोड़ी-सहाय, साथ पढ़े, साथ बढ़े। सरल भाषा, दृश्य-सहारा, हर बच्चा अर्थ गहे। भेदभाव की दीवारें गिरें, दया से पुल बन जाएँ। आत्मविश्वास, दोस्ती, सहयोग, रंग नए भर जाएँ। समावेशी शिक्षा का मतलब—कोई पीछे न रह जाए। जब सब सीखें साथ मिलकर, भारत आगे बढ़ जाए।

शिक्षक दिवस

गुरु का ज्ञान, दीपक जैसा, अंधियारे में राह दिखाए । नम्र प्रणाम, धन्यवाद कहना, मन में श्रद्धा फूल खिलाए । कक्षा, खेल, प्रयोग, पुस्तक—हर पल जीना सिखलाएँ । गलती पर समझाएँ धीरे, हिम्मत भीतर जगमगाएँ । अनुशासन संग स्नेह मिलाकर, दिल में बाग़ लगा जाए । होमवर्क की आदत पक्की, मेहनत मीठा फल दिलाए । समय, सत्य, सेवा का मूल्य, छोटी बातें समझाए । जीवन-योजना, लक्ष्य-चयन में, सही दिशा दिखलाए । गुरु-आशीष साथ रहे तो, हर मुश्किल हल हो जाए । शिक्षक दिवस का प्यारा वादा—मान-सम्मान बढ़ाए ।

बाल दिवस

हँसी-खुशी, खेल-तमाशा, बचपन प्यारा गीत सुनाए । किताब, पतंग, गेंद, पहेली—हर दिन रंग भर जाए । साफ़-सफाई, समय की आदत, अच्छा नागरिक बनाए । साझा करना, बाँट के खाना, दोस्ती गहरी हो जाए । कक्षा में प्रश्न बिना डर के, हाथ उठाकर पूछ आए । बगीचे, मैदान, सूरज-हवा—सेहत वाला सुख लाए । कला, कहानी, नृत्य, संगीत—हर बच्चा चमक दिखाए । बड़ों का मान, छोटे से प्यार, घर-स्कूल खुशहाल बनाए । चाचा-सी मुस्कान लिए सब, सपने ऊँचे गढ़ पाए । बाल दिवस की यही पुकार—हर बच्चा पढ़-लिख जाए ।

युवा दिवस (विवेकानंद)

उठो, जागो, लक्ष्य साधो—छोटे कदम से राह बने । आत्मबल, सेवा, सत्य-साहस—मन के भीतर दीप जले । किताब, कसरत, ध्यान, समय—चार पहिए साथ चले । हार मिले तो सीख पकड़ना, अगला दिन फिर मुस्कुराए । देश-धरा के काम में जुटना, कर्म-सुमन खुशबू लाए । विचारों में सरलता रखना, वाणी मीठी राह दिखाए । गुस्सा, आलस, डर से कहना—अब दूरी तुम ही निभाओ । साफ़ इरादा, सच्चा प्रयास—ऊँचे सपने सच करवाओ । युवा वही जो पल-पल जागे, समय का मान बढ़ाए । युवा दिवस का मंत्र यही—स्वावलंबन सीख जाए ।

निवेश/नेतृत्व समारोह

बैज, ध्वज, हाउस के रंग, जिम्मेदारी संग आए । कप्तान बोले—साथ-सहयोग, टीम का मान बढ़ाए । नियम, समय, शिष्ट व्यवहार, सबसे पहले याद रहे । कार्य-विभाजन साफ़-सुथरा, हर सदस्य तैयार रहे । छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर, रोज़ प्रगति दर्ज करें । सुनना, कहना, मिलकर सोचना—बेहतर निर्णय रच करें । कठिन घड़ी में शांत रहेंगे, साहसकोश खुल जाएगा । सफलता में विनय रखेंगे, स्कूल-नाम ऊँचा जाएगा । नेतृत्व सेवा का अवसर है, शोहरत का ताज नहीं । निवेश-प्रतिज्ञा—कर्म अग्रणी, मैं से पहले हम सही ।

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम दिवस

सपनों को हर दिन जगाओ, काम से उनको सच करना । विज्ञान, अनुशासन, ईमान—इनसे ऊँचा पुल धरना । कक्षा, लैब, मैदान, छत पर, जिज्ञासा की पतंग उड़ाओ । असफलता को गुरु बनाकर, अगला प्रयास निखर जाओ । सरल रहो, सच्चे बनो, मुस्कान से दिल जीत लो । किताबों संग अनुभव जोड़ो, जीवन-चित्र ठीक करो । देश-प्रेम की छोटी आदत—कर्तव्य पहले याद रहे । टीम के संग श्रेय बाँटना—नेताओं का स्वभाव रहे । कलाम-संदेश—बड़ा सोचो, अभी से मेहनत शुरू करो । नन्हे कदम भी दूर पहुँचते, हिम्मत देकर चलो-चलो ।

गांधी जयंती

सत्य-अहिंसा, नम्र वचन—जीवन में खुशबू लाएँ । कम चाहत, ज़्यादा सेवा, मन को हल्का बन जाए । झाड़ू, कूड़ा, स्वच्छ मोहल्ला—स्वच्छता का मान बढ़े । कपड़े सादे, दिल अमीर, ईर्ष्या-क्रोध सब दूर खड़े । झगड़े की दीवार गिराओ, समझ का पुल बनवाओ । ग़रीब, कमजोर, अंतिम पंक्ति—पहले उनकी सुध लाओ । सत्य-दीया जब जल उठे तो, डर-धुआँ सब छँट जाएगा । धैर्य रखो, धीरे कदम—कल का सूरज खिल जाएगा । गांधी-मार्ग—सादा जीवन, ऊँचे विचार का सहचर । जयंती पर संकल्प यही—मैं ही बदलूँ अपना घर ।

अम्बेडकर जयंती

पढ़ना, लिखना, बोल सकना—सबका पहला अधिकार । समान अवसर, न्याय, गरिमा—संविधान की धार । किताब, क़लम, मेहनत-रोज़ी—सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ना सीख । भेद-भाव की धूल झटककर, ज्ञान-दीपक करना दीख । कानून सब पर एक समान, यह सीधा-सीधा नियम । कर्तव्य संग अधिकार निभाना—यही सच्चा अनुशासन । वाद-विवाद में तथ्य पहले, शांति-भाषा अपनाओ । मंज़िल दूर सही, पर स्थिर—छोटे क़दम बढ़ जाओ । डॉ. भीमराव का संदेश—शिक्षा ही सबसे बड़ाई । जयंती पर वचन यही—मेहनत से होगी तरक्की भाई ।

पराक्रम दिवस (नेताजी)

हिम्मत, अनुशासन, देश-प्रेम—तीन दीपक साथ जलें । कठिन समय में दृढ़ निर्णय, साहस के पंख खुलें । टीम-विश्वास, लक्ष्य-निष्ठा, हर बाधा छोटी लगे । सच के रस्ते तेज़ क़दम, थककर भी मन न थमे । कर्म कहेगा नाम से बढ़कर, सेवा सबसे पहले । कम शब्दों में बड़ा इशारा, दिल तक जाता खेले । समय, संसाधन, योजना—तीनों का मेल बनाएँ । हार नहीं, बस सीख लिखें, अगली चाल सजाएँ । पराक्रम का अर्थ यही—डर से आँख मिलाना । देश-धरा के हित में हर दिन, थोड़ा-थोड़ा निभाना ।

राष्ट्रीय युवा उत्सव

खेल, कला, विज्ञान, सेवा—चारों रंग मिलाएँ । वर्कशॉप, कैंप, मंच-प्रदर्शन—नए हुनर खिल जाएँ । राज्य-प्रदेश से आए साथी, एक परिवार बनें । लोक-नृत्य, गीतों की गूँज, दिल से दिल तक चलें । बहस, क्विज़, स्टार्टअप-आईडिया—सोच नई आकार करे । स्वास्थ्य-शिविर, वृक्ष-रोपण—समाज सेवा प्रहार करे । खुद को जानो, लक्ष्य लिखो, समय-सारिणी बनाओ । छोटी जीतों पर मुस्काओ, अगली सीढ़ी पर जाओ । युवा उत्सव का सन्देश—सहयोग ही शक्ति है । मिलजुल कर जब कदम बढ़ेंगे, जीत पक्की निश्चित है ।

व्यक्तित्व विकास सप्ताह

साफ़ बोलो, विनम्र रहो, शिष्टाचार से बात करो । आँख मिलाकर ध्यान सुनो, बिन टोके फिर अपनी कहो । समय-प्रबंधन, छोटा लक्ष्य, रोज़ सुबह सूची लिखो । एक काम पूरा करके ही, अगला पन्ना पलटो । तन को फ़िट, मन को शांत—नींद, व्यायाम निभाओ । डिजिटल ब्रेक, ध्यान के मिनिट—थकान दूर हटाओ । कम वादे, पर पूरे सब—विश्वास यही से फलता । फीडबैक को प्रेम से सुनना—यहीं से गुण सँवरता । ईमानदार मेहनत रोज़-रोज़, आदत बनकर रह जाए । व्यक्तित्व का फूल खिलेगा, जब भीतर से दीप जलाए ।

विद्यालय स्थापना दिवस

ईंट-ईंट से सपना जुड़ा, इस घर का है मान। शिक्षक, बच्चे, पेड़, परिंदे—सबका एक अभियान। पहली घंटी, पहला कक्षा, यादों की सीढ़ी पाएँ। सीख, अनुशासन, प्यार, परिश्रम—ये चार दीप जलाएँ। नन्ही हँसी, बड़े इरादे, हर दिन नई उड़ान। ज्ञान-चरखा घूम रहा है, बनता भारत महान। स्वच्छ प्रांगण, हरी क्यारी, आँगन खिलता जाए। मिलकर बोएँ विश्वास-बीज, फूल भविष्य के आए। प्रतिज्ञा आज, निभाएँ रोज़, बढ़ते जाएँ कदम। स्थापना-दिन कहता हमसे—स्कूल सदा संग-संग।

वार्षिकोत्सव

रंग, सुर, ताल, शब्द मिलें, मंच सजे मुस्कान। नाटक, नृत्य, गीत की रौनक, तालियाँ दें मान। माता-पिता, अतिथि हमारे, नेत्रों में हो प्यार। मेहनत, रियाज़, टीम का दम, मिलता सबको हार्दिक सत्कार। छोटा सोलो, बड़ा कोरस, सबको मौका आए। शांति, क्रम, सुरक्षा पहले, कार्यक्रम चमकाए। एंकर की मीठी बोली, जोड़ दे हर बात। रोशनी में सपनों जैसा, चमके सम्पूर्ण रात। समापन पर धन्यवाद, फिर मिलते अगली बार। वार्षिकोत्सव याद दिलाए—मेहनत ही उपहार।

अभिभावक-शिक्षक सम्मेलन

कक्षा की हर छोटी बात, घर तक पहुँचे आज। मिल-बैठेंगे साथ-सहज, होगा सुंदर राज। शालीन भाषा, साफ़ सुझाव, बच्चे का हित पहले। छोटे लक्ष्य, सरल कदम, बढ़ते जाएँ धीरे-धीरे। होमवर्क, नींद, भोजन-आदत—तीनों पर ध्यान। स्क्रीन-समय में संतुलन, बाहर खेलो जान। शिक्षक, माता, पिता—त्रिकोण, मजबूत एक टीम। सुनना आधा हल मिलता, खुलता हर साheem। कैलेंडर में अगली तारीख, लिख लें सबके साथ। सम्मेलन से ऊँचा होता, शिक्षा का विश्वास।

पुरस्कार वितरण

मेहनत का मधुर फल आज, मंच पे लेकर आओ। नाम पुकारे जाए जब, मुस्काकर हाथ मिलाओ। जीत अकेली नहीं कभी, टीम का भी है भाग। धन्यवाद और विनम्रता, सबसे सुंदर राग। जो न जीते, वो भी जीते—सीख बड़ी है साथ। कल फिर मौके आएँगे, बस रखो सधी हुई चाल। कप, पदक या प्रमाण-पत्र, मेहनत की पहचान। नियम, समय, अभ्यास—ये ही सच्ची शान। पुरस्कार कहता धीमे से—रोज़ करो प्रयास। छोटे कदम से लंबी राह, पक्का हो विश्वास।

विदाई समारोह

अलविदा में भी है मिलना, यादों का त्योहार। सीने से लग, हँसते-रोते, बोलें दो-तीन बात। वरिष्ठों की मीठी सीख, कनिष्ठों का अभिवादन। आशीष, शुभकामना लेकर, बढ़ता नया आयोजन। कक्षा, गलियारा, पेड़-पतंग—सब कहें “फिर मिलना।” फोटो, कार्ड, छोटी-सी पुस्तक—यादें कहीं न छिनना। गुरु-आशीष, मित्र-सहारा, हौसले के पंख। आगे राहें भले नई हों, घर रहेगा बंक। विदाई का सच्चा अर्थ—कदम बढ़े न रुकें। कल का सूरज, नई सुबह, सपने सच ही बुनें।

स्वागत समारोह

नई किताबें, नई कॉपियाँ, नई सुबह का रंग। मुस्कानें और परिचय-पत्र, दोस्ती के संग। कक्षा सजाएँ नियम-पत्र से, लक्ष्य लिखें दीवार। छोटी-छोटी आदतों से, होगा बड़ा सुधार। रोल नंबर, टाइम-टेबल, सबको साफ़ बताएँ। खेल, कला और पुस्तकालय, सबसे हाथ मिलाएँ। शर्मीले दिल को हौसला दें, सबका हो सम्मान। गलती से भी सीख मिलें, यही बड़ा वरदान। स्वागत का प्यारा संदेश—सब साथ, सब खास। नए सफ़र की पहली घंटी, दे विश्वास-विलास।

प्रार्थना सभा

दो हथेली जोड़ के बोले, मन में शांति उतरे। दिन की पहली धुन में शामिल, सूरज-रंग निखरे। विचार-दिवस, समाचार, छोटा सा संदेश। सत्कर्मों की छोटी राहें, बनें बड़े परिवेश। राष्ट्रीय गीत, प्रतिज्ञा, कदम मिलें सबके। अनुशासन की मीठी रेखा, रंग भरे मन में। दया, सत्य, सेवा, स्वच्छता—चारों दीप जलें। गुस्सा, आलस, भूल-चूक—धीमे-धीमे ढलें। प्रार्थना का यही प्रभाव—दिल हो हल्का-हल्का। सीख मिले तो दिन हमारा, चमके चमका-चमका।

भाषण प्रतियोगिता

विषय, प्रस्तावना, तर्क—क्रम से बात सजाओ। उदाहरण, तथ्य, निष्कर्ष लेकर, अर्थ सही समझाओ। समय-सीमा ध्यान रहे तो, प्रस्तुति दम पाए। स्पष्ट उच्चारण, धीमी गति, संदेश भीतर जाए। नज़र उठाकर दर्शक देखो, मंच-डर दूर भागे। नम्र शैलियाँ, शुद्ध भाषा, शब्द बनें सहचर जागे। कार्ड पर बिंदु, कंठस्थ थोड़ा, प्रवाह सरल रहे। विरोध-बिंदु एक-दो माने, उत्तर संयत कहे। समापन पर धन्यवाद, सिर झुककर प्रणाम। भाषण सिखाए सोच नई—विनम्र-विजय का काम।

क्विज़ प्रतियोगिता

झटपट सोचो, शांत रहो, घंटी जैसे बोले। प्रश्न, विकल्प, संकेत सुनकर, उत्तर अपने खोले। टीम में बाँटो भूमिका—रीडर, थिंकर, टाइम। अटकल कम, तर्क ज़्यादा, यही सफलता-राइम। पास, पावर, लाइफलाइन—नियम समझ लो पहले। नेगेटिव हो तो सोच-समझ, जोखिम रखो टहलें। जनरल नॉलेज, साइंस, खेल—सब पर थोड़ा-थोड़ा। नक्शा, तिथियाँ, सूत्र, किताब—बने मदद का मोटा। क्विज़ सिखाए रोज़-रोज़—जिज्ञासा का पाठ। सीख के संग मुस्कान बाँटो, जीत मिले सौगात।

पूर्व छात्र मिलन

कल की कक्षा, आज की यादें, हँसते-हँसते गाएँ। गुरु-आशीष, मित्र-समर्थन, फिर से दिल मुस्काएँ। कैरियर-पथ की सीखें बाँटें, छोटे हाथ पकड़ें। इंटर्नशिप, मार्गदर्शन देकर, नए सफ़र सँवरे। पुस्तक, लैब, मैदान, छत—सब अपना परिवार। सेवा-दान, वृक्ष-रोपण से, जुड़ता स्कूल-प्यार। गर्व करे विद्यालय अपना, जब नाम उजाला लाएँ। ईमानदारी, कर्मनिष्ठा, हर दिन साथ निभाएँ। पूर्व छात्र का सच्चा बंधन—देना सबसे पहले। मिलकर बढ़ेगा ज्ञान-उद्यान, फूलेंगे और मेले।

  • मुख्य पृष्ठ : सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' - हिंदी कविताएँ
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