मृत्यु गीत : हरियाणवी लोकगीत

Mrityu Geet : Haryanvi Lok Geet

	

अरे मेरे करम के खारे जल गए

अरे मेरे करम के खारे जल गए एअर मोमी दूदाभ अरे मेरे करम के सुनरा मर गए रूठ गए मनिहार बहू री मेरी मत रोवै मुझे लगा री लाल का दाग मां अरी धौले धौले पहर कपड़े राड़ा भेष भरावै अरी चले सूनरा के मेरी नाथे उतरवाये अरी देही जले जैसे कांच की भट्टी पकावे अरी बिच्छू ने मारा डंक लहर क्यूं न आवे अपना मन समझावन लागी दो नैनों में भर आया पानी अरी सासू जब धसूं महल में दरी बिछौना सूना कुछ एक दिनां की ना है मुझे सारे जनम का रोना अरे यानी थी तब रही बाप के मुझे सोच कुछ न था अब कैसे कटै दिन रैन री मुझ को एक दिना की ना है

गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए

गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए गोरे बाबुल की धीय बच्ची मोरनी ए हाय हाय बच्ची मोरनी ए के रे रोऊं सराह कै बच्ची मोरनी ए के रे सुहावन बोल किन तेरा डिब्बा खोलियां किन तेरा किया सिंगार हिय बधूं उस माय का कैसे किया सिंगार आंखों पट्टी देय ली छाती वज्र किवाड़ इस जानी का बाहुड़ै वहां गया ना बाहुड़ै अपने घर बैठ जब तैं घर ते नीकली मन्दे हो गए सौन मन्दे सौन न जाइयो जाइयो सकुन विचार आगे मिल गई लाकड़ी उल्टे घड़े पनिहार छींकत मंजा ढाइयां उट्ठी दामन चीर काल अचानक मारिया पहरे बैठे बार

चलत पिरान कैसे रोयऊं पिरिया

चलत पिरान कैसे रोयऊं पिरिया तुमका न रोयहूं पिरभु अपने को रोयऊं के मोरी पार लगाई है उमरिया देवरा जेठा के लरिका खिलायेउ उन्हूं में दिन बिसरायेऊ पिरिया देवरा जेठा कोउ काम न अइहैं हम हूं को चनना लगायेऊ पिरिया

जब तौं घर तैं लीकड़या गभरू सेर जुआन

जब तौं घर तैं लीकड़या गभरू सेर जुआन हो गया सौण कसौण गभरू सेर जुआन हाय हाय गभरू सेर जुआन बाम्मै बोल्ली कोतरी दहणै बोल्या काग गभरू सेर जुआन हाय हाय गभरू सेर जुआन मारी क्यों ना कोतरी तैने मार्या क्यों ना काग हाय हाय गभरू सेर जुआन कनअ तेरी बांधी पालकी कनअ तेरा कर्या सिंगार हाय हाय गभरू सेर जुआन भाइयां बांधी पालकी भाइयां ने कर्या सिंगार हाय हाय गभरू सेर जुआन सुसरा का प्यारा हाय सासड़ का प्यारा हाय हाय हाय हाय गभरू सेर जुआन

ब्याही थी रे बिलसी नाहीं

ब्याही थी रे बिलसी नाहीं, या क्या हुई प्यारी ए तोड़ी थी रे सूंघी नाहीं, ली थी गले में डार प्यारी ए घर घर की दीवा घर घर बाती, रंडुवे के घर घोर अंधेरा ए घर घर भोजन घर घर रोटी, मेरे घर ढकनी में चून प्यारी ए दामन चुंदरी खूंटी धरे हैं, एक बार पहर दिखाय प्यारी ए पानी की गगरी रीती धरी है, इक बार सागर जाय प्यारी ए गहने का डिब्बा भरा धरा है, एक बार पहन दिखाय प्यारी ए भैया तेरा लेने आया, एक बार नैहर जाय प्यारी ए सेजें मेरी सूनी पड़ी हैं, एक बार सूरत दिखाय प्यारी ए डाल खटोला बगड़ बिच सोया, एक बार सुपने में आय प्यारी ए

हाय हाय बागां की कोयल

हाय हाय बागां की कोयल किन तेरी बांधी पालकी बागां की कोयल किन तेरा कर्या सिंगार बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल देवर जेठां नै बांधी पालकी बागां की कोयल द्योर जिठाणियां नै कर्या सिंगार बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल मार मंडास्सा ले गये बागां की कोयल बिन्दरावन के पास हे बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल बिन्दरावन की गोपनी न्श्रयूं कै या कौण राणी जाये हाय हाय बागां की कोयल अपणे बाबल की धीअड़ी बागां की कोयल अपणे भाइयां की भाण योह् बागां की कोयल भावजां की प्यारी योह् बागां की कोयल हाय हाय बागां की कोयल

हाय हाय मेरा खिवैया

हाय हाय मेरा खिवैया क्या होनी क्या होइयां हाय हाय मेरा सिरताज हा नदी आई पहाड़ की चढ़ गई गगन गम्भीर हाय हाय मेरा खिवैया पहले डूबे मोचड़े सूं घोड़े असवार हाय हाय मेरा खिवैया मेरा भाई मल्लाह का नय्या पार उतार हाथ की दूंगी मूंदड़ी गल का नौलख हार मल का साथ मिला हुआ फेर मिलन का नांय सब सब सूए वालियां रांडी मोल न तोल सब सब पूतां वालियां रांडी भौंरा देश ज्यों ज्यों मल सड़ ऊभरै त्यों त्यों भारी होय रांड गली का टोरड़ा मन माने ठुकराय रंग महल से ऊपरी सीस महल ना जाय बेसर टूटी सेज पै बिछए रतन जड़ाय रतड़ा पलंग निवार का खड़ी सूए के पास क्या तुम सूए सो रहे क्या तुम भरे गुमान सूता होय जगाय ले रूठा होये मनाय मौत न बस की होय होंगे कौने मालवै या सरवर की पोल सुरगी उट्ठे दामड़े रंडिया मोल न तोल क्या तुम संशय ऊतरे क्या तुम गढ़े सुनार आज पड़े हो धूल में कीन्हीं क्या करतार वहां का गया ना बाहुड़े उन राहों ना जाइयो उन राहों जम रही धूल आवते का मुख देखियां जावते की बस पीठ पीठ दिखाए न सरै तुम बिन पड़ी पुकार हमारी पुकारां ना सुनी ठाडा ले गया मार की ठाड़े की बीनती ये दिन मांगे लेय मांगे दिन तो ना मिले मांगे मिल गई मौत

हाय हाय हे बागां की कोकिल

हाय हाय हे बागां की कोकिल आंख नींबू की फांक बच्ची सोने की चिड़िया हाय हाय बच्ची सोने की चिड़िया मूंगफली सी आंगूली नाक सुए की चोंच होठ पीपल के पात से किन तेरी बांधी अर्थी बच्ची सोने की चिड़िया हाय हाय बच्ची सोने की चिड़िया किन तेरी चिंता चिनाई कन्तै चिता चिनाई घर तें क्यों कर निकली फिर कब आवेंगी बच्ची बायें बोली कोतरी सिर पर बोला काग क्या मांगे है कोतरी जी क्या मांगे है काग सिर मांगे है कोतरी जी धड़ मांगे है काग ओढ पहर के नीकली ...(शहर का नाम) के तख्त बाजार लोग महाजन न्यूं कहैं किस की बन्नी जाय बन्नी बन्नी मत करे ...(पति का नाम) की रानी जाय अरी तेरा बाबल फिरै उदास तेरी अम्मा जोहै बाट अम्मां कौन पुकारै भैया तेरा लेने आया एक बार नैहर जाय चाची ताई तेरी रोवै उन को रोकन आय गहनां का डिब्बा भरा धरा है एक बार पहर दिखाय

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