तरकश जावेद अख़्तर

Tarkash Javed Akhtar

  • मेरा आँगन, मेरा पेड़
  • हमारे शौक़ की ये इन्तहा थी
  • वो कमरा याद आता है
  • जंगल में घूमता है पहरों, फ़िकरे-शिकार में दरिन्दा
  • भूख
  • हम तो बचपन में भी अकेले थे
  • बंजारा
  • दिल में महक रहे हैं किसी आरज़ू के फूल
  • सूखी टहनी तन्हा चिड़िया फीका चाँद
  • एक मोहरे का सफ़र
  • मदर टेरेसा
  • फ़साद से पहले
  • वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है
  • फ़साद के बाद
  • ख़्वाब के गाँव में पले हैं हम
  • ग़म होते हैं जहाँ ज़ेहानत होती है
  • हमसे दिलचस्प कभी सच्चे नहीं होते हैं
  • मुअम्मा
  • उलझन
  • जहन्नमी
  • बीमार की रात
  • ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब
  • मै पा सका न कभी इस खलीस से छुटकारा
  • बेघर
  • मैं ख़ुद भी सोचता हूँ ये क्या मेरा हाल है
  • शिकस्त
  • सच ये है बेकार हमें ग़म होता है
  • शहर के दुकाँदारो
  • जिस्म दमकता, ज़ुल्फ़ घनेरी, रंगीं लब, आँखें जादू
  • हिज्र
  • दुश्वारी
  • आसार-ए-कदीमा
  • मैं और मिरी आवारगी
  • ग़म बिकते हैं
  • आओ और ना सोचो
  • मेरे दिल में उतर गया सूरज
  • वक़्त
  • दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
  • मुझको यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
  • दोराहा
  • मिरी ज़िन्दगी मिरी मंज़िलें मुझे क़ुर्ब में नहीं, दूर दे
  • किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी इतनी कसीली बात लिखूँ
  • सुबह की गोरी
  • मेरी दुआ है
  • दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
  • बहाना ढूँढते रहते हैं कोई रोने का
  • ज़ुर्म और सज़ा
  • हिल-स्टेशन
  • चार क़तऐ