ब्रजभाषा लोक गीत

Brajbhasha Lok Geet

ब्रजभाषा लोकगीत होरी/होली

  • अरी होली में हो गया झगड़ा
  • अरी पकड़ौ री ब्रजनार
  • आई-आई रे होली
  • और महीनों में बरसे–न-बरसे
  • कन्हैया घर चलो गुँइया
  • कान्हा तुझे ही बुलाय गई
  • कान्हा पिचकारी मत मार
  • कान्हा पिचकारी मत मारे
  • खेलें मसाने में होरी दिगम्बर
  • चैत महिनवा पिया परदेस में
  • जमुना तट श्याम खेलत होरी
  • टेसू रंग राम खेलत होरी
  • दिल की लगी बुझा ले
  • ननदी के बिरन होली आई
  • नन्द के द्वार मची होली
  • नेक आगे आ श्याम
  • नैनन से मोहे गारी दई
  • बरसाने में सामरे की होरी रे
  • बरसै केसरिया रंग आज
  • ब्रज में हरी फाग मचायो
  • बसन्ती रंगवाय दूँगी
  • भीजेगी मोरी चुनरी
  • मत मारे दृगन की चोट
  • मति मारौ श्याम पिचकारी
  • मेरा खो गया बाजूबन्द
  • मोरी अँखियाँ कर दईं लाल
  • यशुदा तेरे री लाला ने
  • रसिया को नार बनाओ
  • रंग बाँको साँवरिया डार गयो
  • रंगरेजवा बलम जी का यार
  • रंगीलो रंग डार गयो री
  • होरी कौ खिलार
  • होरी खेली न जाय
  • होरी खेलें रघुबीरा अवध में
  • होरी मैं खेलूँगी उन संग
  • होली खेलन को आए
  • होली खेलन पधारे नन्दलाल
  • होली खेल रहे नन्दलाल
  • होली खेल रहे बाँके बिहारी
  • होली खेल रहे शिवशंकर
  • होली मोसे खेलो न श्याम बिहारी