गुंजन : सुमित्रानंदन पंत

Gunjan Sumitranandan Pant

  • वन-वन, उपवन
  • तप रे मधुर-मधुर मन
  • शांत सरोवर का उर
  • आते कैसे सूने पल
  • मैं नहीं चाहता चिर-सुख
  • देखूँ सबके उर की डाली
  • सागर की लहर लहर में
  • आँसू की आँखों से मिल
  • कुसुमों के जीवन का पल
  • जाने किस छल-पीड़ा से
  • क्या मेरी आत्मा का चिर-धन
  • खिलतीं मधु की नव कलियाँ
  • सुन्दर विश्वासों से ही
  • सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन
  • गाता खग प्रातः उठकर
  • विहग, विहग
  • जग के दुख-दैन्य-शयन पर
  • तुम मेरे मन के मानव
  • झर गई कली, झर गई कली
  • प्रिये, प्राणों की प्राण
  • कब से विलोकती तुमको
  • मुसकुरा दी थी क्या तुम, प्राण
  • नील-कमल-सी हैं वे आँख
  • तुम्हारी आँखों का आकाश
  • नवल मेरे जीवन की डाल
  • आज रहने दो यह गृह-काज
  • मधुवन
  • रूप-तारा तुम पूर्ण प्रकाम
  • कलरव किसको नहीं सुहाता
  • अलि! इन भोली बातों को
  • आँखों की खिड़की से उड़-उड़
  • जीवन की चंचल सरिता में
  • मेरा प्रतिपल सुन्दर हो
  • आज शिशु के कवि को अनजान
  • लाई हूँ फूलों का हास
  • जीवन का उल्लास
  • प्राण! तुम लघु-लघु गात
  • जग के उर्वर-आँगन में
  • नीरव-तार हृदय में
  • विहग के प्रति
  • एक तारा
  • चाँदनी
  • अप्सरा
  • नौका-विहार
  • तेरा कैसा गान
  • चीटियों की-सी काली-पाँति