गुल-ए-नग़मा/गुले-नग़मा फ़िराक़ गोरखपुरी

Gul-e-Naghma Firaq Gorakhpuri

गुल-ए-नग़मा-ग़ज़लें

  • आँखों में जो बात हो गयी है
  • ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें
  • है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब
  • दीदनी है नरगिसे-ख़ामोश का तर्ज़े-ख़िताब
  • रात भी नींद भी कहानी भी
  • एक शबे-ग़म वो भी थी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहायें
  • बन्दगी से कभी नहीं मिलती
  • बे ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो
  • उजाड़ बन के कुछ आसार से चमन में मिले
  • वो आँख जबान हो गई है
  • हाल सुना फ़सानागो, लब की फ़ुसूँगरी के भी
  • ज़मी बदली फ़लक बदला मज़ाके-ज़िन्दगी बदला
  • निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के
  • ये सबाहत की ज़ौ महचकां
  • ज़हे-आबो-गिल की ये कीमिया, है चमन की मोजिज़ा-ए-नुमू
  • ये कौल तेरा याद है साक़ी-ए-दौराँ
  • नैरंगे रोज़गार में कैफ़े-दवाम देख
  • वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ
  • हमनवा कोई नहीं है वो चमन मुझको दिया
  • बहुत पहले से उन कदमो की आहट जान लेते हैं
  • वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें
  • ये तो नहीं कि ग़म नहीं
  • ज़ेर-ओ-बम से साज़-ए-ख़िलक़त के जहाँ बनता गया
  • आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था
  • ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़
  • कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
  • सितारों से उलझता जा रहा हूँ
  • अब तो हम हैं और भरी दुनियाँ की
  • छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
  • सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं
  • शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो
  • किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
  • मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले
  • कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे
  • निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या
  • बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
  • अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं
  • हमसे फ़िराक़ अकसर छुप-छुप कर