ग़ज़लें अब्दुल हमीद अदम
Ghazals Abdul Hamid Adam in Hindi

  • अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा था
  • अपनी ज़ुल्फों को सितारों के हवाले कर दो
  • अब दो-आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे
  • अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे
  • आगही में इक ख़ला मौजूद है
  • आज फिर रूह में इक बर्क़ सी लहराती है
  • आता है कौन दर्द के मारों के शहर में
  • आप अगर हमको मिल गये होते
  • आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता
  • उन को अहद-ए-शबाब में देखा
  • एक ना-मक़बूल क़ुर्बानी हूँ मैं
  • ऐ यार-ए-ख़ुश ख़राम ज़माना ख़राब है
  • ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता
  • कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
  • कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं
  • क्या बात है ऐ जान-ए-सुख़न बात किए जा
  • खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई
  • ख़ाली है अभी जाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
  • ख़ुश हूँ कि ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया
  • ख़ैरात सिर्फ़ इतनी मिली है हयात से
  • गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर
  • गिरह हालात में क्या पड़ गई है
  • गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
  • गो तिरी ज़ुल्फ़ों का ज़िंदानी हूँ मैं
  • गोरियों कालियों ने मार दिया
  • ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है
  • छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो
  • जब गर्दिशों में जाम थे
  • जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
  • जहाँ वो ज़ुल्फ़-ए-बरहम कारगर महसूस होती है
  • जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है
  • जुम्बिश-ए-काकुल-ए-महबूब से दिन ढलता है
  • जो भी तेरे फ़क़ीर होते हैं
  • जो लोग जान बूझ के नादान बन गए
  • ज़ख़्म दिल के अगर सिए होते
  • ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
  • ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए
  • डाल कर कुछ तही प्यालों में
  • तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
  • तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा
  • तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं
  • तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं
  • दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
  • दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना
  • दिल को दिल से काम रहेगा
  • दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
  • दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं
  • देख कर दिल-कशी ज़माने की
  • फूलों की आरज़ू में बड़े ज़ख़्म खाये हैं
  • फूलों की टहनियों पे नशेमन बनाइये
  • फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा
  • बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
  • बहुत से लोगों को ग़म ने जिला के मार दिया
  • बातें तेरी वो वो फ़साने तेरे
  • बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा
  • बे-सबब क्यूँ तबाह होता है
  • भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें
  • भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
  • मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं
  • मय-कदा था चाँदनी थी मैं न था
  • मय-ख़ाना-ए-हस्ती में अक्सर हम अपना ठिकाना भूल गए
  • मिरा इख़्लास भी इक वज्ह-ए-दिल-आज़ारी है
  • मुझ से चुनाँ-चुनीं न करो मैं नशे मैं हूँ
  • मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
  • मुस्कुरा कर ख़िताब करते हो
  • मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है
  • मोहतात ओ होशियार तो बे-इंतिहा हूँ मैं
  • ये कैसी सरगोशी-ए-अज़ल साज़-ए-दिल के पर्दे हिला रही है
  • रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
  • रिंद और तर्के-ख़राबात, बड़ी मुश्किल है
  • लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला
  • वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
  • वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
  • वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं
  • वो बातें तिरी वो फ़साने तिरे
  • वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
  • शब की बेदारियाँ नहीं अच्छी
  • सर्दियों की तवील राते हैं
  • साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी
  • सितारों के आगे जो आबादियाँ हैं
  • सुना है लोग बड़े दिलनवाज़ होते है
  • सुबू को दौर में लाओ बहार के दिन हैं
  • सूरज की हर किरन तेरी सूरत पे वार दूँ
  • सो के जब वो निगार उठता है
  • हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए
  • हम से चुनाँ-चुनीं न करो हम नशे में हैं
  • हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
  • हल्का हल्का सुरूर है साक़ी
  • हवा सनके तो ख़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
  • हसीन नग़्मा-सराओ! बहार के दिन हैं
  • हँस के बोला करो बुलाया करो
  • हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया