एक जवान मौत जाँ निसार अख़्तर

Ek Jawan Maut Jaan Nisar Akhtar

एक जवान मौत जाँ निसार अख़्तर (ग़ज़लें)

  • जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
  • हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे
  • आज मुद्दत में वो याद आये हैं
  • आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
  • वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं
  • मौजे गुल, मौजे सबा, मौजे सहर लगती हैं
  • हम से भागा न करो दूर गज़ालों की तरह
  • एक तो नैनां कजरारे और तिस पर डूबे काजल में
  • ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था
  • जब लगे ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये
  • हमने काटी हैं तिरी याद में रातें अक़्सर
  • फुर्सत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है यारो
  • अश्आर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं
  • रही है दाद तलब उनकी शोख़ियाँ हमसे
  • ज़िन्दगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो
  • ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का
  • चौंक चौंक उठती है महलों की फ़ज़ा रात गए
  • आए क्या क्या याद नज़र जब पड़ती इन दालानों पर
  • ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर
  • इसी सबब से हैं शायद, अज़ाब जितने हैं
  • उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता है
  • तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है
  • हर एक शख़्स परेशान-ओ-दर-बदर सा लगे
  • रुखों के चांद, लबों के गुलाब मांगे है
  • बहुत दिल कर के होंटों की शगुफ़्ता ताज़गी दी है
  • एक जवान मौत जाँ निसार अख़्तर (रुबाइयाँ)