Hindi Kavita
हिंदी कविता
Home
Hindi Poetry
Punjabi Poetry
Hindi Stories
Contact Us
Chandrasakhi
चन्द्रसखी
चन्द्रसखी की रचनाएँ
आज बिरज में होरी रे रसिया
बाबा नन्द के द्वार मची होरी
रंग में होरी कैसे खेलूँ
होली खेलन आया श्याम
म्हारे होरी को त्यौहार
लाल रसमातो खेलै होरी
छैला ये आज रंग में बोरो री
तेरी होरी खेलन में टोना
इक चंचल नारी अटा चढ़के
चहुँ दिसि नदिया रंग सों भरी हो
मेरे नैनन में डारयो है गुलाल