हिंदी कविता चन्द्रसखी
Hindi Poetry Chandrasakhi

1. आज बिरज में होरी रे रसिया

1
आज बिरज में होरी रे रसिया॥ टेक
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥ आज...

कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ कमोरी रे रसिया॥ आज...

कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,
राधा के हाथ कमोरी रे रसिया॥ आज...

अपने-अपने घर से निकसीं,
कोई श्यामल, कोई गोरी रे रसिया॥ आज...

उड़त गुलाल लाल भये बादर,
केशर रंग में घोरी रे रसिया॥ आज...

बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,
और नगारे की जोड़ी रे रसिया॥ आज...

फेंक गुलाल हाथ पिचकारी,
मारत भर भर पिचकारी रे रसिया।

इतने आये कुंवरे कन्हैया,
उतसों कुंवरि किसोरी रे रसिया। आज...

नंदग्राम के जुरे हैं सखा सब,
बरसाने की गोरी रे रसिया। आज...

दौड़ मिल फाग परस्पर खेलें,
कहि कहि होरी होरी रे रसिया। आज...

कै मन लाल गुलाल मँगाई,
कै मन केशर घोरी रे रसिया॥ आज...

सौ मन लाल गुलाल मगाई,
दस मन केशर घोरी रे रसिया॥ आज...

‘चन्द्रसखी’ भज बाल कृष्ण छबि,
जुग-जुग जीयौ यह जोरी रे रसिया॥ आज...

2
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
अपने अपने घर से निकसी,
कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया।

कौन गावं के कुंवर कन्हिया,
कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।
नन्द गावं के कुंवर कन्हिया,
बरसाने की राधा गोरी रे रसिया।

कौन वरण के कुंवर कन्हिया,
कौन वरण राधा गोरी रे रसिया।
श्याम वरण के कुंवर कन्हिया प्यारे,
गौर वरण राधा गोरी रे रसिया।

कौन के हाथ कनक पिचकारी,
कौन के हाथ कमोरी रे रसिया।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी,
राधा के हाथ कमोरी रे रसिया।

अबीर गुलाल के बादल छाए,
धूम मचाई रे सब मिल सखिया।
उडत गुलाल लाल भए बादल,
मारत भर भर झोरी रे रसिया।

इत ते आए कुंवर कन्हिया,
उत ते राधा गोरी रे रसिया।
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि,
चिर जीवो यह जोड़ी रे रसिया।

2. बाबा नन्द के द्वार मची होरी

बाबा नन्द के द्वार मची होरी॥ टेक॥

कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै गाड़ी केशर घोरी।
दस मन लाल गुलाल मँगाई, दस गाड़ी केशर घोरी।1।
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के साथ रंग की पोरी।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, मनसुख हाथ रंग की पोरी।2।
कै री बरस के कुँवर कन्हैया, कै री बरस राधा गोरी
सात बरस के कुँवर कन्हैया, पाँच बरस की राधा गोरी।3।
घुटुवन कीच भई आँगन में, खेलैं रंग जोरी जोरी
चन्द्रसखी भजु बालकृष्ण छवि बाबा नंद खड़े पोरी।4॥

3. रंग में होरी कैसे खेलूँ

रंग में होरी कैसे खेलूँ री, या साँवरिया के संग।

कोरे-कोरे कलश मँगाए,
कोरे-कोरे कलश मँगाए लाला, उनमें घोला रंग
भर पिचकारी मेरे सम्मुख मारी, भर पिचकारी मेरे सम्मुख मारी लाला
चोली हो गई तंग ॥ रंग में होरी...

सारी सरस सबरी मोरी भीजी,
सारी सरस सबरी मोरी भीजी लाला, भीजों सारो अंग
या दइमारे को कहाँ भिजोऊँ, या दइमारे को कहाँ भिजोऊँ लाला
कारी कामर अंग ॥ रंग में होरी...

तबला बाजे सारंगी बाजे,
तबला बाजे सारंगी बाजे लाला, और बाजे मिरदंग
कान्हा जू की बंसी बाजे, राधा जू के संग ॥ रंग में होरी...

घर-घर से ब्रज-वनिता आईं
घर-घर से ब्रज-वनिता आईं लाला, लिए किशोरी संग
चन्द्रसखी हँस यों उठ बोली, चन्द्रसखी हँस यों उठ बोली लाला
लगो श्याम के अंग ॥ रंग में होरी...

(दईमारा=कम्बख्त)

4. होली खेलन आया श्याम

1
होली खेलन आया श्याम आज इसे रंग में बोरो री ।

कोरे-कोरे कलश मँगाओ, केसर घोरो री
मुख पर इसके मलो, करो काले से गोरो री ॥ होली खेलन...
पास-पड़ोसन बुला, इसे आँगन में घेरो री
पीतांबर लो छीन, इसे पहनाओ चोली री ॥ होली खेलन...
माथे पे बिंदिया, नैनों में काजल सालो री
नाक में नथनी और शीश पे चुनरी डालो री ॥ होली खेलन...
हरे बाँस की बाँसुरी इसकी तोड़-मरोड़ो री
ताली दे-दे इसे नचाओ अपनी ओरी री ॥ होली खेलन...
लोक-लाज मरजाद सबै फागुन में तोरो री
नैकऊ दया न करिओ जो बन बैठे भोरो री ॥ होली खेलन...
चन्द्रसखी यह करे वीनती और चिरौरी री
हा-हा खाय पड़े पइयाँ, तब इसको छोड़ो री ॥ होली खेलन...

(बोरो=डुबाओ, चिरौरी करे=गिड़गिड़ाए,
हा-हा खाय=कान पकड़े, माफी माँगे)

2
होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥

कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर घोरौ री।
रंग-बिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री॥ होरी...
पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री।
पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ री॥ होरी...
हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री।
तारी दे-दै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री॥ होरी...
‘चन्द्रसखी’ की यही बीनती करै निहोरौ री।
हा-हा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री॥ होरी...

5. म्हारे होरी को त्यौहार

म्हारे होरी को त्यौहार ननदुल बैर परी
होरी गावत धूम मचावत एरी मोहन आये हैं हमारे द्वार
मोपै रह्यो नहिं जात मंदिर में वाके सुन ढफ की धधकार
देख्यो मैं चाहत नंदनंदन को एरी वो तो भेरत कुटिल किवार
जा दिन ते गौने हम आई वाको वाई दिन को व्यवहार
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि एरी मैं तो मिलि हौं गलभुज डार

6. लाल रसमातो खेलै होरी

लाल रसमातो खेलै होरी ।

वो तो होरी के मिस आवै मेरी गलियन धूम माचवै
करै बरजोरी ॥
वो तो केशर मात घुरावै मो पै भर भर लोटा ढारै
करे सराबोरी ॥
वो तो ठाढ़ो कदम की छैया मेरी पकर मरोरी गोरी बैयाँ
झटक लर तोरी ॥
वो तो चन्द्रसखी को प्यारो जशुदा को राजदुलारो
मटुकिया फोरी ॥

7. छैला ये आज रंग में बोरो री

छैला ये आज रंग में बोरो री एरी सखी लग्य हमारो दाव
फेंट पकर याके गुलचा मारो पैयां परै तब छोड़ो
हरे बांस की बांसुरिया याकी लैके तोर मरोरो
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि याही ते यारी जोरो

8. तेरी होरी खेलन में टोना

1
तेरी होरी खेलन में टोना मैं तो नई आई श्याम सलोना
तैने कैसो खेल रचायो मानो दुल्हा ब्याहन आयो
जो खेलै सो होय बराती यहीं ब्याह यहाँ गौना
चौबा चन्दन अतर अरगजा लिये अबीर भर दोना
काहे बैठी है ओट मुंड़ेली मैं तो नई-नई नार नवेली
अब तुम हमसों खेलों होरी फिकर काहू की करोना
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि होनी होय सो होना

2
तेरी होरी खेलन में टोना मैं तो नई आई श्याम सलोना
कर मेरो पकरि करैया मोरा या होरी में कछु होना
रात-रात भर होरी गावै नाचै मटक हसौना
चन्द्रसखी फागुन के महीना नाय मानै नंदजू कौ छौना

9. इक चंचल नारी अटा चढ़के

इक चंचल नारी अटा चढ़के मेरे मारी दुबारा धर के
काहे की याने चोट चलाई काहे को बल करके
नयन बान की चोट चलाई जोबन को बल करके
काहे को याने कोप कार्यों है काहे को मन करके
प्रेम रूप को कोप कियो है मिलवे को मन करके
चन्द्रसखी कौ नेह जुरयो है श्याम सुंदर सों अरके

10. चहुँ दिसि नदिया रंग सों भरी हो

चहुँ दिसि नदिया रंग सों भरी हो, डगर निकसन कों नाय रही
मैं दधि बेचन जात वृन्दावन चखी लेत गुपाल गलिन में दही
बरज रही बरज्यो नहिं मानै प्यारी ऐसो ढ़िठ यही
कहत ग्वालिनी सुनि री जसोदा मैं तो बैंया पकरि के करूंगी सही
चन्द्रसखी के रसिक बिहारी मेरी हंसी-हंसी बांह गही

11. मेरे नैनन में डारयो है गुलाल

मेरे नैनन में डारयो है गुलाल सजनी मलत-मलत हुई अँखियाँ लाल
मचि रह्यो फागु भानु पौरी पै खेलत मदन गुपाल
चोवा चन्दन अतर अरगजा छिरकत पिया नन्दलाल
ग्वालबाल सब सखा संग लै घेरी लई ब्रजबाल
अबीर गुलाल फैंट भरि लीने तकि मारे करि ख्याल
चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि चिरजीवो दोउ लाल