Umashankar Joshi

उमाशंकर जोशी

उमाशंकर जोशी ( जन्म: 21 जुलाई, 1911 - मृत्यु: 19 दिसम्बर, 1988) गुजराती साहित्यकार हैं। इन्हें 1967 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक समालोचना कविनी श्रद्धा के लिये इन्हें सन् १९७३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। इनका उपनाम 'वासुकी' है।
उमाशंकर जोशी का जन्म गुजरात के साबरकांठा ज़िले के एक गांव में हुआ था। इनकी औपचारिक शिक्षा खंडों में पूरी हुई। 1930 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए विद्यालय छोड़ दिया था। बाद में 1936 में मुंबई विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। उमाशंकर जोशी प्रतिभावान कवि और साहित्यकार थे। 1931 में प्रकाशित काव्य संकलन 'विश्वशांती' से इनकी ख्याति एक समर्थ कवि के रूप में हो गई थी। काव्य के अतिरिक्त उन्होंने साहित्य के अन्य अंगों, यथा कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबंध आदि को भी पोषित किया। आधुनिक और गांधी युग के साहित्यकारों में इनका शीर्ष स्थान है। जोशीजी अध्यापक और संपादक रहे। वे गुजरात विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे। फिर वहां के वाइस चांसलर भी बने। इन्हें राज्यसभा का सदस्य नामजद किया गया था। साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया। 1979 में वे शांतिनिकेतन के विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। इन्हें अनेक विश्वविद्यालयों ने डी.लिट्. की मानद उपाधियां दीं।
उमाशंकर जोशी की प्रमुख कृतियाँ हैं : विश्वशांति (6 खंडों में) गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान (काव्य ग्रंथ), अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभरा, शहीद (कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारंकाजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन)। 'विश्वशांति' में अहिंसा और शांति के लिए किए गए गांधीजी के प्रयत्नों की महिमा का वर्णन है। इसे गुजराती काव्य में नए युग का प्रवर्तक माना जाता है।

निशीथ एवं अन्य कविताएं : उमाशंकर जोशी

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