Shaukat Thanvi शौकत थानवी

शौकत थानवी (2 फ़रवरी 1904 – 4 मई 1963) पाकिस्तान के प्रसिद्ध पत्रकार, निबंधकार, स्तंभकार, उपन्यासकार, लघु कथाकार, प्रसारक, नाटककार, हास्यकार और कवि थे। वे उर्दू हास्य साहित्य के उन चुनिंदा लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने आम पाठक को गुदगुदाने की कला में मुहारत हासिल की। उनका जन्म मथुरा (ब्रिटिश भारत, उत्तर प्रदेश) के पास वृंदावन में हुआ था, जहाँ उनके पिता सिद्दीक अहमद कोतवाल के पद पर कार्यरत थे। उनका असली नाम मोहम्मद उमर था। उनके पूर्वजों का संबंध थाना भवन, ज़िला मुज़फ़्फरनगर से था। जब उन्होंने साहित्यिक लेखन प्रारंभ किया और "शौकत" को क़लमी नाम के रूप में अपनाया, तो अपने वतन की पहचान को जोड़ते हुए उसमें "थानवी" जोड़ा। सन् 1932 के आस-पास उन्होंने अपनी प्रसिद्ध हास्य कहानी "स्वदेशी रेल" लिखी, जिसने उन्हें रातों-रात लोकप्रिय बना दिया। इस लोकप्रियता के चलते उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी मिल गई। भारत विभाजन के बाद वे पाकिस्तान चले गए और वहाँ भी रेडियो से जुड़कर अपनी सेवाएँ दीं। शौकत थानवी की रचनाओं में शब्दों की कलात्मक बाज़ीगरी, लतीफ़ों का चुटीला प्रयोग, मुहावरों की चतुराई, और हास्यास्पद घटनाओं का समावेश होता है। वे गहराई में जाने की बजाय सतही हास्य के माध्यम से आम आदमी को हँसाने में सक्षम रहे। उन्होंने लगभग चालीस किताबें लिखीं, जो उर्दू हास्य साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती हैं।
प्रमुख रचनाएँ : मौज-ए-तबस्सुम, बह्र-ए-तबस्सुम, सैलाब, तूफ़ान-ए-तबस्सुम, सौतिया चाह, कार्टून, बदौलत, जोड़तोड़, ससुराल उनकी मशहूर किताबें हैं। उन्होंने शायरी भी की, रेडियो ड्रामे भी लिखे और “शीश महल” के नाम से रेखाचित्रों का एक संग्रह भी प्रस्तुत किया।