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Sandeep Thakur संदीप ठाकुर
संदीप ठाकुर 2005 सिविल सर्विस बैच के ऑफिसर हैं और वतर्मान में वह जबलपुर में पोस्टेड हैं । वह 25 वर्षों से भी अधिक समय से साहित्य की सेवा कर रहे हैं । देश और विदेश के कुछ महत्वपूर्ण पोर्टलों पर उनका कलाम उपलब्ध है ।
हिन्दी ग़ज़लें : संदीप ठाकुर
Ghazals in Hindi : Sandeep Thakur
ज़िंदगी का भरोसा क्या कब ख़त्म है
ग़ज़ल कह गई सब इशारे में देखो
पूछता है दिल मोहब्बत के जहां का क्या हुआ
रात-दिन रोने से भी कुछ बात बन पाई कहाँ
दो दिलों में तनातनी क्यों है
कह न पाया आदतन तो और कुछ