Dr. Puja Jha डॉ. पूजा झा

डॉ. पूजा झा (जन्मतिथि ४ नवंबर १९८२-) बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) द्वारा चयनित पीजीटी (स्नातकोत्तर शिक्षक) हैं और इन्होंने BTET,JTET,STET, UGC NET जैसी विभिन्न शिक्षण पात्रता परीक्षाएँ उत्तीर्ण की हैं। वह बिहार सरकार के अधीन एक इंटरस्तरीय विद्यालय में कक्षा 11-12 के लिए एक विद्यालय अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। इनके पास पहले एक आईसीएसई बोर्ड स्कूल में पढ़ाने का अनुभव है और इन्होंने बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में भी कार्य का अनुभव है। इसके अतिरिक्त, इनके पास आकाशवाणी भागलपुर (AIR) में 10 वर्षों का कंपेयर और आकस्मिक उद्घोषिका के रूप में कार्य का अनुभव है। इनके शोध प्रबंध का विषय “संचार माध्यम और हिंदी की स्थिति” है,जिसमें पारंपरिक संचार माध्यमों से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों में हिंदी की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को शामिल किया गया है। इसमें “हिंग्लिश” के बढ़ते प्रभाव और डिजिटल मीडिया में हिंदी की संभावनाओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इनकी रुचियों में लेखन कार्य, संगीत और पर्यटन शामिल हैं। इनकी मुक्तक कविताओं और क्षणिकाओं का संकलन "चुप्पी की चौखट पर शब्दों की रंगोली" पुस्तक रूप में प्रकाशित हो चुकी है।

हिन्दी कविताएँ : पूजा झा

Hindi Poetry : Puja Jha

  • प्राची में फैला अरूण रेख
  • सूर्य के रथ का आगमन
  • अलसाई सुबह आंखें खोल
  • बादलों की चादर हटा
  • प्रिय यामिनी हुई विदा
  • नभ में कनक कलशों का
  • अलसायी किरणें जागी
  • सपनों के बीज बो कर
  • मधुरिमा का कर आलिंगन
  • नई कोशिशें,नई उम्मीदें
  • सूर्य के प्रकाश में
  • चंद्र किरणें हुईं मद्धिम
  • प्रकृति का शैशव काल ज्यों
  • कितना पावन सुखद यह भोर
  • तम के आवरण को तज
  • सूर्य का रथ आ रहा
  • छोटी सी जिंदगी में
  • सब जीवन में सहज मिले
  • मुसीबतों का क्या है
  • बहुत सहज है पीड़ा देना
  • मन जब विह्वल, चंचल हो
  • यादों का मौसम लौट आता है
  • कोरे कागज पर इक तेरा नाम
  • करीब से देखो तो
  • प्रतिपल प्रतिक्षण होता रहता
  • धुंध के पीछे छिपा सूरज
  • झरोखा उम्मीदों का
  • जवाब ख़ामोशी भी हो गर
  • कैसे कहें कि ज़िंदगी में
  • सपने तो नन्हे गोरैया की तरह
  • प्रेम
  • मेरी आंखों में उम्मीद के जुगनू
  • रंगीनियां बहारों की
  • रहने दो हमें मौन
  • बरखा की बूंदों से
  • पुष्पदल पर ओस
  • खिलकर खुशियां लुटाना
  • यहां हर किसी में कोई और है
  • आंधियों से डरना ही क्या
  • कविता
  • पीड़ाएं वाष्पित होती हैं
  • रेत की तरह फिसलते समय को
  • कारवां-ए-जिंदगी यूं ही चलती रहे
  • जो कुछ मिला
  • चाहतें बनी रहे
  • मनभावन ये सावन
  • आज बड़े दिनों के बाद
  • प्रेम करना
  • स्मृतियों की हरी दूब पर
  • ओस की बूंद सा
  • गुलाब की पंखुड़ी पर
  • खुशियों का वरदान ये
  • प्रेम हो,सच्चाई हो
  • किसी की आंखों में
  • ख्वाबों-ख्यालों को आने दो
  • आंधियों को थामे रहिये
  • वह बदहवास सी
  • न जाने क्यों
  • सरल,सुबोध,मधुर है हिंदी
  • अव्यक्त मौन