हिन्दी कविताएँ : डॉ. पूजा झा

Hindi Poetry : Dr. Puja Jha


प्राची में फैला अरूण रेख

प्राची में फैला अरूण रेख मौन हुई अब प्रखर यामिनी रश्मि के आलोक में गाते निर्झर लता कुंज, विहग और समस्त प्राण हे प्रभु! दो हमें भी दिव्यता का वरदान मधुरता से हो जीवन प्रशस्त खुल जाएं मन के तिमिर द्वार......!!

सूर्य के रथ का आगमन

सूर्य के रथ का आगमन प्रकृति के प्रांगण में हो रहा रात्रि अलसाई सी विदा ले रही नवीनता का कर आलिंगन आशाओं का उदय हो रहा उठो, जागो और कर्तव्य पथ पर बढ़ चलो......!!

अलसाई सुबह आंखें खोल

अलसाई सुबह आंखें खोल देख रही स्वर्णिम विहान सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य का रथ चला आ रहा पेड़ों की उमंग,हवा के संग उत्सव का सा माहौल नई शुरूआत का समय है अब गाओ गीत स्वागतम् के सब.....!!

बादलों की चादर हटा

बादलों की चादर हटा सूरज ने ली अब अंगड़ाई खोला दिशाओं का द्वार अपनी स्वर्णिम किरणों से नवजीवन का किया प्रसार मौसम गा रही मेघ मल्हार कैसा सुखद ये दृश्य सुहाना हर्षित हुआ ये मन मस्ताना......!!

प्रिय यामिनी हुई विदा

प्रिय यामिनी हुई विदा स्वर्णिम विहान का आगमन यूँ ज्यों सिंदुरी आभा से परिपूर्ण सौंदर्यघट सा छलक उठा हो दिनकर की प्रकाश रश्मियाँ बिखर रही नभ-तल-जल में अलस पंकज रश्मियों संग क्रीड़ा में हुआ दृश्यमान.....!!

नभ में कनक कलशों का

नभ में कनक कलशों का तोरण द्वार बना, दृष्टि में इंद्रधनुषी वैभव है सजा प्रकृति अद्भुत नयनाभिराम सी स्वर्ग सदृश आमोद वितरित कर रहा तृप्त कहाँ हो पा रही रसना-क्षुधा प्रकृति का सौंदर्य अनादि अनंत है..!!

अलसायी किरणें जागी

अलसायी किरणें जागी रात भी देखो सरपट भागी आंगन में धूप है खिला जैसे हो नवजीवन मिला पेड़ों की शाखाएं डोली पंछियों की चहचहाहट बोली उठो सवेरा हो चुका है स्वागत करो प्रकाश का अंधेरा अब खो चुका है....!!

सपनों के बीज बो कर

सपनों के बीज बो कर विदा हुई अब रात कैसी फसल उगेगी इसकी अब तय करेगा प्रात अगर मिले इसे लक्ष्य की किरणें और लगन की हवा सपने सच हो उठते हैं पूरी होती है हर दुआ.....!!

मधुरिमा का कर आलिंगन

मधुरिमा का कर आलिंगन नवीनता का करो आवाहन नव उमंग से सज्जित होकर स्वागत करो स्वर्णिम विहान का नि:स्वार्थ भाव से कर्म करो नित आनंदित हो हर क्षण जीवन का.....!!

नई कोशिशें,नई उम्मीदें

नई कोशिशें,नई उम्मीदें हर सुबह नयेपन का संदेश देती है हमें नये सपनों के साथ हम करते नयी शुरुआत यह नयापन ही गति है सफर की धड़कन है जीवन की.....!!

सूर्य के प्रकाश में

सूर्य के प्रकाश में जाग्रत स्वप्न झिलमिल नव उमंग नव विहान हर्षित वसुधा तरू लता वितान करो सब मिल अमृत रसपान जीवन का हो स्वप्न साकार.....!!

चंद्र किरणें हुईं मद्धिम

चंद्र किरणें हुईं मद्धिम सूर्य किरणें अब चंचल विहगों का दल नभ में भरने लगा कुलांचे रात्रि की तंद्रा करो भंग अब लो मलय पवन में सांसें.......!!

प्रकृति का शैशव काल ज्यों

प्रकृति का शैशव काल ज्यों क्रीड़ारत किरणों का साम्राज्य-सा आनंदमग्न सी दिशाएँ हो रही वायु की गति में गान है भरी दिवाकर और नभ की लालिमा हैं सोहते अति मनोरम दृश्य मन को मोहते दृष्टि में वैभव भर उठा कहो धरा पर स्वर्ग उतरा है अहो......!!

कितना पावन सुखद यह भोर

कितना पावन सुखद यह भोर नव किरणें छाई हर ओर मंद-मंद पवन का शोर आशाएँ छाईं हर ओर खेतों को चल पड़े किसान मधुर-मधुर विहगों का गान प्रकृति की तूलिका ने भरा इंद्रधनुषी रंगों से नव विहान......!!

तम के आवरण को तज

तम के आवरण को तज अरूणिम अंबर में उतर आज सूर्य का रथ हुआ गतिमान नव उमंग संग नव विहान अरूणाभ प्रकृति हर्षित अतिशोभित विहगों के कलरव से गुंजित स्वागतम् स्वर्णिम विहान का स्वागतम् नवदिवस गान का......!!

सूर्य का रथ आ रहा

सूर्य का रथ आ रहा रक्तिम आभा लिए हुए बादलों संग रश्मियों की आंखमिचौली शुरू हुई इंद्रधनुषी छटा नभ की मंत्रमुग्ध सी कर रही......!!

छोटी सी जिंदगी में

छोटी सी जिंदगी में चाहतें बेशुमार हैं इस मतलबी दुनिया में सबकी उम्मीदें बीमार हैं इसलिए दर्द और उलझनों को चलो छोड़ आएं कहीं मुस्कान बांटें सभी को आंसुओं को समेट लें अभी न हो किसी की जिंदगी में खुशियां और मिठास कम चलो मिलकर आज हम साझा कर लेते हैं गम

सब जीवन में सहज मिले

सब जीवन में सहज मिले ये भाग्य की बात है पर कर्म अगर संग हो तो मिलता सुख सौगात है कर्मवीर नहीं डरते हैं विघ्नों के चट्टानों से राह बना देते हैं उनमें आत्मबल के साधन से भाग्योदय होता है उनका जो नित कर्मरत होते हैं स्वप्न नए नित गढ़ते हैं हरपल आगे बढ़ते हैं....!!

मुसीबतों का क्या है

मुसीबतों का क्या है यूँ ही आती रहेंगी कभी मनोबल गिराने को कभी सफर की गति बढ़ाने को समय का रथ यूँ ही चलता रहेगा कभी पतझड़ तो कभी बसंत मिलता रहेगा इसलिए मायूसी छोड़िए जिंदादिल रहिए जिंदगी के सफर में रूकिए मत धीरे धीरे ही सही मगर चलते रहिए.....!!

बहुत सहज है पीड़ा देना

बहुत सहज है पीड़ा देना कांटों सा चुभना सहज नहीं फूलों सा खिलना कांटों में रहना जीवन भर हंसना और हंसाना मुरझाकर भी उफ़ न करना केवल खुशियाँ देना फूलों सा गर बन न पाओ शूल कभी न बनना.....!!

मन जब विह्वल, चंचल हो

मन जब विह्वल, चंचल हो और अश्रुपूरित नयनों में स्वप्न सभी जब धूमिल हों तब मित्र पीयूष सम होता है स्नेहलेप औषधि सा अपने वचनों से, प्रयत्नों से हृदय को शीतलता देता प्रतिक्षण स्नेहिल सम्बल बनता.....!!

यादों का मौसम लौट आता है

यादों का मौसम लौट आता है दबे पांव जब भी याद आता है मुझे मेरा गांव कुछ यादें छोड़ आती हूं नदी किनारे पर कुछ यादें भिंगो देती हैं अनायास बनकर बारिश की शीतल बौछारें.....!!

कोरे कागज पर इक तेरा नाम

कोरे कागज पर इक तेरा नाम लिख दूं तो कहानी पूरी हो जाती है मेरी.....!!

करीब से देखो तो

करीब से देखो तो हर चेहरा फरेबी है यकीं न हो तो कभी आइना देखना.....!!

प्रतिपल प्रतिक्षण होता रहता

प्रतिपल प्रतिक्षण होता रहता लघु से लघुतर हमारा जीवन प्रतिफल मिलता कर्मों का नित कर्म अपने बना लो पावन.....!!

धुंध के पीछे छिपा सूरज

धुंध के पीछे छिपा सूरज जैसे धरती को देखता हो छिपकर अपने ताप को पिघलाना चाहता हो बादलों के साथ आहिस्ता-आहिस्ता.....!!

झरोखा उम्मीदों का

झरोखा उम्मीदों का खुला रखना सदा न जाने कब ख्वाहिशों की फुहार आ जाए....!!

जवाब ख़ामोशी भी हो गर

जवाब ख़ामोशी भी हो गर लेकिन सवाल होता रहे हमेशा सवाल और जवाब के बीच भी हम रहेंगे साथ सदा......!!

कैसे कहें कि ज़िंदगी में

कैसे कहें कि ज़िंदगी में कुछ ना मिला इंद्रधनुषी अनुभवों का खजाना मिला कभी कल्पनाओं का आसमान मिला तो कभी वास्तविकता की जमीन मिली....!!

सपने तो नन्हे गोरैया की तरह

सपने तो नन्हे गोरैया की तरह उड़ना चाहते हैं आसमान में उन्हें शब्दों में बांधना सहज नहीं....!!

प्रेम

प्रेम मौन है, शून्य है, सत्य है, संगीत है, समाधि है, मृग मरीचिका है, अनेकार्थी है, सर्वव्यापी है, ज्ञान और विज्ञान से परे अत्यंत क्लिष्ट है.....!!

मेरी आंखों में उम्मीद के जुगनू

मेरी आंखों में उम्मीद के जुगनू चमकते हैं जैसे चमकती हैं सागर की लहरों पर सूरज की किरणें....!!

रंगीनियां बहारों की

रंगीनियां बहारों की फिर लौटेंगी तुम उम्मीद ए चराग़ जलाए रखना....!!

रहने दो हमें मौन

रहने दो हमें मौन संसार की भूलभुलैया में शब्दों को भला समझे कौन.....!!

बरखा की बूंदों से

बरखा की बूंदों से धुल गई पत्तियां और आँसुओं से बिखरते जज़्बात....!!

पुष्पदल पर ओस

पुष्पदल पर ओस की बूंदें मिलन के अश्रु जैसी है ऐसा प्रतीत होता है जैसे नभ-धरती की मिलन कामना स्नेहसुधा बन बरसी हो....!!

खिलकर खुशियां लुटाना

खिलकर खुशियां लुटाना जीवन है पंखुड़ियों का सबको मुस्कुराहटें देना फ़िर मुरझा कर बिखर जाना किस्मत है पंखुड़ियों का.....!!

यहां हर किसी में कोई और है

यहां हर किसी में कोई और है क्या कहें कि मिलावटों का दौर है कैसी ये उलझन समझ पाऊं नहीं सुकून की चाह में हर ओर ख़ामोशियों का शोर है.....!!

आंधियों से डरना ही क्या

आंधियों से डरना ही क्या हौसले बरगद हो गए हैं अब

कविता

कविता..... मेरे जीवन का एक कोना जहां मेरा मौन,मेरी व्यथाएं विश्राम करती हैं और.... दुनिया के कोलाहल से दूर दशरथ मांझी की तरह मेरी उम्मीदें, चुपचाप बुनती रहती हैं कुछ सपने.....!!

पीड़ाएं वाष्पित होती हैं

पीड़ाएं वाष्पित होती हैं और जम जाती हैं अनंत में कोहरा बनकर ओस की बूंदों की तरह ढुलक जाती हैं कभी-कभी आंखों की कोर से......!!

रेत की तरह फिसलते समय को

रेत की तरह फिसलते समय को रोक पाना मुश्किल इच्छाओं के दूब को पनपने से रोक पाना मुश्किल टूटते तारों को मुट्ठी में पकड़ पाना मुश्किल कभी अपनी ही परछाई को छू पाना मुश्किल कहां कोई ढूंढ पाया जिंदगी की अबूझ पहेली का हल.....!!

कारवां-ए-जिंदगी यूं ही चलती रहे

कारवां-ए-जिंदगी यूं ही चलती रहे आंखों में उम्मीदों की शमां जलती रहे तमन्नाओं के काफिले को साथ लिए कभी रूठते हुए, कभी मनाते हुए गिले शिकवे को कहीं छोड़ आएं आओ हर पल को गले लगाएं.......!!

जो कुछ मिला

जो कुछ मिला उसे हंसकर गले लगाया हमने रूठे भी खुद से ही फिर खुद से ही खुद को मनाया हमने आंसुओं को बहलाया कभी तो कभी मुस्कान को भी सब्जबाग दिखाया हमने....!!

चाहतें बनी रहे

चाहतें बनी रहे शिकायतें भी बनी रहे चाहे मुलाकातें हो न हो बादलों को भी करने दो मनमर्जियां धूप छांव के लुकाछिपी में बरसातें बनी रहे.....!!

मनभावन ये सावन

मनभावन ये सावन रमणीय अतिपावन नभ पर छाए श्यामल मेघ दामिनी दमकी ले सुखद संदेश पुलकित हर्षित हुई धरा नवजीवन संचरित हुआ अकुलाई वर्षा की बूंदें झर-झर उमड़ पड़ी कुछ ऐसे मिलन के अश्रु बरसे जैसे......!!

आज बड़े दिनों के बाद

आज बड़े दिनों के बाद दीये की रोशनी जलाई नहीं आसमां से छनकर आती उम्मीद की किरणों को इकट्ठा किया....... बिना किसी तर्क के बेवजह कुछ पलों को सहेजा खुद के लिए.......!!

प्रेम करना

प्रेम करना जितना कठिन होता है उससे ज्यादा कठिन है उसे व्यक्त कर पाना..... मरना जितना कठिन है उससे ज्यादा कठिन है जीवन को जीना..... कठोर होना जितना कठिन है उससे ज्यादा कठिन है सरल होना..... मन की क्रांति को रोक पाना जितना कठिन है उससे ज्यादा कठिन सबकुछ सहन करना.....!!

स्मृतियों की हरी दूब पर

स्मृतियों की हरी दूब पर चमकती ओस की बूंदों में प्रतिबिंब सा दिखा यूँ ज्यों अचानक शब्द मिला हो मौन को!!

ओस की बूंद सा

ओस की बूंद सा यह जीवन हर जगह जुड़ा हुआ और हर जगह अलग-अलग......!!

गुलाब की पंखुड़ी पर

गुलाब की पंखुड़ी पर गिरे ओस बूंदों की तरह तुम्हारा प्रेम क्षणिक तो है पर सुखद है....!!

खुशियों का वरदान ये

खुशियों का वरदान ये कोमल सा अरमान ये ओस की बूंद सी पावन कुमकुम सी त्योहारों की शान ये आंगन का अभिमान ये स्नेह की फुहार ये जीवन का श्रृंगार ये हर पल ये आगे बढ़ें इनकी खुशियों के लिए हम संकल्प लें.......!!

प्रेम हो,सच्चाई हो

प्रेम हो,सच्चाई हो सुमार्ग पर चलने की शक्ति हो और भक्ति हो स्वार्थी थोड़ी रहूं मगर दूसरों की पीड़ा पढ़ सकूं मन की इतनी सी गहराई हो जीवन सीधा सादा हो पर विचारों में ऊंचाई हो प्रार्थना मेरी सुनो प्रभु अवगुण मेरे हर लो तुम जीवन सफल साकार हो क्लेश न वहां स्थान हो!!

किसी की आंखों में

किसी की आंखों में खुशी की चमक हो। तुम्हारी दुआओं में बस इतना असर हो। न कर सको कुछ भी तो कोई गम नहीं। मीठे बोल का असर दवाओं से कम नहीं। बस अपनी मिठास मत खोना प्रेम की डगर पे कांटे मत बोना.....!!

ख्वाबों-ख्यालों को आने दो

ख्वाबों-ख्यालों को आने दो हवा के झोंके की तरह ख्वाहिशों को टिमटिमाने दो जुगनुओं की तरह वक़्त के मिजाज़ का ठिकाना नहीं जाने कब बदल जाए इंसान की फितरत की तरह....!!

आंधियों को थामे रहिये

आंधियों को थामे रहिये और कश्तियाँ भी बचाए रहिये खुदगर्ज इस जहां में अपनी मासूमियत को बचाए रखिये....!!

वह बदहवास सी

वह बदहवास सी,बेचैन सी गिरती हुई,आगे बढ़ती हुई डरती हुई,थोड़ी लड़ती हुई सड़कों पर भागती सी जिंदगी! न जाने जाना कहाँ? ढूढ़ती किसे?चाहिए क्या? बहुत देर हो जाती है रुकते,रुकते बहुधा;उपलब्धियों के लिबास में पछतावे की गठरी के साथ फिर सड़क पर ही खड़ी मिलती है जिंदगी...!!

न जाने क्यों

न जाने क्यों कमजोर होने का वहम पालती ये औरतें खुशियाँ हरपल दूसरों की नजरों से क्यों देखती ये औरतें वीरान से घर को रौशनी से भर देती ये औरतें पर अपने मन के अंधेरे साये में जाने क्यों जीतीं ये औरतें.....!!

सरल,सुबोध,मधुर है हिंदी

सरल,सुबोध,मधुर है हिंदी अमृतमयी पयस्विनी हिंदी संस्कृति की पहचान है हिंदी हम सबका अभिमान है हिंदी हिंदी दिवस मनायेंगे हम सम्पूर्ण विश्व में इसका परचम लहरायेंगे हम गौरवमयी निधि है हिंदी ममतामयी भाषा है हिंदी....!!

अव्यक्त मौन

अव्यक्त मौन कभी अश्रुपूरित नयनों का मौन कभी जागृत स्वप्नों का मौन कभी प्रेम की अभिव्यंजना में मौन कभी अन्वक्ष वेदना का मौन मौन में पीड़ा है तो आनंद भी दुर्बलता की अनुभूति भी और शक्ति का आभास भी.....!!

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