Praful Singh "Bechain Kalam"
प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
प्रफुल्ल सिंह का उपनाम "बेचैन कलम" (25 मई 1992-) है । उनका जन्म माता सुषमा सिंह और पिता उग्रसेन सिंह के घर हुआ ।
वह विभूति खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं । उनकी शिक्षा - एम.ए हिंदी साहित्य (लखनऊ विश्वविद्यालय) से है ।
वह शोधार्थी/लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार हैं । उनकी रचनाएँ हैं : "बेचैन कलम" पुस्तक (काव्य संग्रह) और "बेचैन ख्यालात" (आलेख संग्रह) ।
उनके अपने शब्दों में - 'जीवन वृत्तांत'
"उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मा.. उत्तर प्रदेश के ही लखनऊ में पला और इसी इलाके से पढ़ा.. पांचवीं क्लास से शब्दों से
खेला, तकनीकी में फेल रहा, स्पोर्ट्स में अव्वल रहा, अपनी पीढ़ी से थोड़ा बेमेल रहा.. तीसरी क्लास तक मैं सिंगर होना चाहता था, और फ़िर होना
चाहता था सरकारी नौकर, सरकारी अफ़सर होते होते मैं लेखक बेरोज़गार हो गया.. पर कविताएं जस की तस जारी रहीं.. पहले लिखा मौसम और
माहौल पे, फ़िर देशभक्ति खून के उबाल पे.. दसवीं के बाद दिल धड़कने लगा.. लिखा मैंने प्यार पे, इजहार पे, इंकार पे, इकरार पे.. अब तक
लखनऊविश्व विद्यालय में पढ़ रहा था, शोध एवं साहित्य साधना में अग्रसर था.. सैकड़ों कविताएं यहाँ भी लिखी.. उन दिनों सुबह के पांच बजते
ही मैं, मेरी नोटबुक और मेरी कलम बेचैन ख्यालों को बुनने लगते.. जीता हूं अवध, कविता करता हूं.. गाना भी गा लेता हूं.. ले दे के मैं यही हूं,
अच्छा हूं, ख़राब हूं, पर कवि हूं.. कविताओं से पेट नहीं भरता.. इस लिए रोजी की आस में, रोटी की तलाश में, रोजी रोटी कितना भी दौड़ाए
कविताओं का साथ कभी ना छूटे पाए.. पेट भले ना भरे आत्मा तृप्त रहती है.. देखना ये है.. सांसो के साथ शब्दों की सरिता कब तक बहती है ।।"
