मास्टर नेकीराम Master Neki Ram

मास्टर नेकीराम का जन्म सांग सम्राट मास्टर मूलचन्द व श्रीमती लाडो देवी के घर में 6 अक्तूबर 1915 को हुआ था। बचपन से ही संगीत में अपनी गहन रूचि के चलते बालक नेकीराम ने अल्पायु में ही अपने पिता से इस कला की तालीम लेनी शुरू कर दी। इनके पिता मास्टर मूलचंद प्रभावी सांगी होने के साथ-साथ एक प्रतिभा सम्पन कवि भी थे। मास्टर नेकीराम ने अपने पिता का अनुशरण करते हुए सांग कला को विरासत के रूप में ग्रहण किया और इसे ऐसी गति दी कि वह सांग इतिहास में एक मिशाल बन गई। ये अपने पिता के ही शागिर्द थे, लेकिन इन्होंने अपने पिता के निर्देशानुसार राजस्थान के अलवर जिले के गांव सामधा स्थित मन्दिर के प्रथम महंत महाराज गरीब नाथ के शिष्य और गद्दी महंत महाराज गोपाल नाथ को अपना गुरू बनाया। मात्र 14 वर्ष की अल्पायु में ही अपने पिता के सान्धिय में अपने पहले सांग भगत पूर्णमल का मंचन किया। इसके बाद तो फिर नेकीराम ने पीछे मुडक़र नहीं देखा और कुछ ही वर्षों बाद वे अपने जमाने के एक लोकप्रिय सांगी बने और लोकप्रियता के उस शिखर पर पहुंचे जहां विरले ही पहुंच पाते हैं । मास्टर नेकीराम ने लगभग 30 सांगों का सृजन किया और उनका 60 वर्षों तक मंचन किया। किस्सा राजा भोज-भानवती, हीर-रांझा,लीलो-चमन, राजा रिसालू, राजपूत चापसिंह-सोमवती, फूलसिंह-नौटंकी, रूप-बसन्त, सेठ ताराचन्द, राजा हरिश्चन्द्र-तारावती, शाही लक्कड़हारा, कीचक-वध, मीराबाई, भगत पूर्णमल, पिंगला-भरथरी, अमर सिंह राठौर, जानी चोर, राजा सुल्तान निहालदे, बाबा भीमराव अम्बेडकर आदि उनके लोकप्रिय एवं प्रभावी सांग थे। उन्होंने अपने कुशल सांग मंचन से भारत वर्ष के सभी हिन्दी राज्यों में अपने प्रदेश का नाम रोशन किया। मास्टर नेकीराम को भारत वर्ष के समस्त राज्यों में स्थापित भारतीय सैनिक छावनियों में भी विशेष उत्सवों के अवसर पर सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतू सांग कला के मंचन के लिए आमंत्रित किया जाता था।