Kusumagraj कुसुमाग्रज

विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज (27 फ़रवरी, 1912 - 10 मार्च, 1999) मराठी कवि, नाटककार, उपन्यासकार और लघु कथाकार थे। उन्होंने स्वतंत्रता, न्याय और वंचितों की मुक्ति के बारे में लिखा। उन्हें मुख्यत: 'कुसुमाग्रज' नाम से जाना जाता था। विष्णु वामन शिरवाडकर ने पांच दशकों के अपने कॅरियर में कविताओं के 16 खंड, तीन उपन्यास, लघु कथाओं के आठ खंड, निबंध के सात खंड, 18 नाटक और छ: नाटक लिखे।'विशाखा' जैसी उनकी रचना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक पीढ़ी को प्रेरित करती है। आज इसे भारतीय साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है।
पुरस्कार व सम्मान : नटसम्राट,
पद्म भूषण, 1991,
ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1987,
साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1974

मराठी कविता हिंदी में : कुसुमाग्रज

Marathi Poetry in Hindi : Kusumagraj

  • रीढ़ -अनुवाद : गुलज़ार
  • चांद और सूरज ख़त्म हुए-अनुवाद : गुलज़ार
  • केक का टुकड़ा-अनुवाद : गुलज़ार
  • आख़िर हासिल-अनुवाद : गुलज़ार
  • शोहरत-अनुवाद : गुलज़ार
  • रद्दी-अनुवाद : गुलज़ार
  • कर्ज-अनुवाद : गुलज़ार
  • मेरे घर में-अनुवाद : गुलज़ार
  • हैरत-अनुवाद : गुलज़ार
  • खामोशी-अनुवाद : गुलज़ार
  • सातवां-अनुवाद : गुलज़ार
  • समझ-अनुवाद : लीला बांदिवडेकर
  • डोली-अनुवाद : लीला बांदिवडेकर
  • स्वायत्त-अनुवाद : लीला बांदिवडेकर
  • पेड़-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • मुक्त-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • नज़र-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • सँभलकर-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • देना-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • दुशाला-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • आश्चर्य-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • अनुप्रास अकाल का-अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर
  • रीढ़ की हड्डी-अनुवाद : विजया वावदे
  • वही जाने-अनुवाद : विजया वावदे
  • आनंद-लोक-अनुवाद : विजया वावदे
  • दाँव-अनुवाद : विजया वावदे
  • गीदड़-अनुवाद : विजया वावदे
  • चिड़िया-अनुवाद : विजया वावदे
  • प्रार्थना-अनुवाद : विजया वावदे
  • संस्कृति-अनुवाद : चंद्रकांत देवताले
  • तात्पर्य-अनुवाद : चंद्रकांत देवताले
  • आगगाड़ी और ज़मीन-अनुवाद : स्वाती ठकार
  • क्रांति का जयजयकार-अनुवाद : सीताराम चंदावरकर
  • निजधर्म-अनुवाद : लीना मेहेंदळे