Kumar Krishna कुमार कृष्ण

कवि तथा आलोचक के रूप में कुमार कृष्ण का नाम हिन्दी पाठकों के लिए सुपरिचित है। इनकी 'डरी हुई जमीन', 'पहाड़ पर बदलता मौसम', 'काठ पर चढ़ा लोहा', 'खुरों की तकलीफ', 'मेरी कविताएं', 'गाँव का बीजगणित' 'घमर', 'पहाड़ पर नदियों के घर', 'इस भयानक समय में', 'पक्षी की चोंच के दाने में उड़ रहा है गाँव', 'उम्मीद का पेड़,धरती पर अमर बेल कविता पुस्तकों के अतिरिक्त 'समकालीन साहित्य विविध सन्दर्भ 'कविता की सार्थकता', 'हिन्दी कथा साहित्यः परख और पहचान', 'दूसरे प्रजातन्त्र की तलाश में धूमिल', 'समकालीन कविता का बीजगणित' तथा 'कहानी के नये प्रतिमान' जैसी आलोचनात्मक पुस्तकें छप चुकी हैं। इनके अतिरिक्त कुमार कृष्ण ने बारह पुस्तकों तथा तीन पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। इनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त बंगला तथा मराठी में भी हो चुका है। इनकी कविताएँ शिक्षा-बोडों तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। इनकी कविताओं पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में एम.फिल तथा पी-एच.डी. उपाधि के लिए अनेक शोध प्रबन्ध प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
कुमार कृष्ण का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के गाँव नागड़ी में 30 जून, 1951 को एक ब्राह्मण किसान परिवार में हुआ। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्र कल्याण अधिष्ठाता, अधिष्ठाता भाषा-संकाय, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिन्दी विभाग, अध्यक्ष बौद्ध विद्या केन्द्र जैसे पदों का दायित्व निभाते हुए आजकल स्वतन्त्र लेखन में व्यस्त हैं।
आपका स्थायी पता है 'स्प्रिंगफील्ड', नागड़ी, पोस्ट ऑफिस सलाणा, शिमला-171219 (हिमाचल प्रदेश)।- वनिता झारखंडी