Dr. Bipin Pandey डा. बिपिन पाण्डेय

डा. बिपिन पाण्डेय का जन्म 31अगस्त 1967 को जनपद सीतापुर (उ प्र) में हुआ है।इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. एवं पी-एच डी.की डिग्री प्राप्त की है। इनकी बचपन से ही साहित्य लेखन में रुचि रही है। इनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य के विभिन्न रूपों में गहरी पैठ रखती हैं। इनका लेखन खासकर दोहा, कुंडलिया, कहमुकरी और गीतिका जैसे काव्य रूपों से संबंधित है। इनकी प्रमुख कृतियाँ स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद(कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस में रस घोले( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन: जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ) ने साहित्य जगत में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा, इन्होंने दोहा संगम,तुहिन कण ( दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया ,इक्कीसवीं सदी का कुंडलिया साझा संकलनों का संपादन भी किया है। दोहा,कुंडलिया, कहमुकरी, ग़ज़ल क्षणिका आदि से संबंधित लगभग एक दर्जन से अधिक साझा संकलनों में इनकी रचनाएँ सम्मिलित हैं। विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी के पारंपरिक छंदों में लेखन करने में सिद्धहस्त हैं। हिंदी के पारंपरिक छंदों में लेखन कर छंदों का प्रचार-प्रसार और नवोदितों को छंदबद्ध लेखन के लिए प्रेरित करना ध्येय है। ये कुंडलिया और कहमुकरी विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं और इन विधाओं में लेखन के लिए नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करते रहते हैं और यथावश्यक मार्गदर्शन भी देते रहते हैं।
इनकी लेखनी में संवेदनशीलता और गहरी सोच की झलक मिलती है। जन सरोकारों से जुड़े विषयों को सहज-सरल आम बोलचाल की भाषा में, कविता का विषय बनाकर प्रस्तुत करने के कारण पाठक अपने आपको इनकी रचनाओं से जुड़ा हुआ महसूस करता है।इसीलिए इनकी रनचाएँ पाठकों को न केवल आनंदित करती है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। डॉ. पाण्डेय को अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें दोहा शिरोमणि सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, आचार्य वामन सम्मान आदि प्रमुख हैं।