Bhalchandra Nemade भालचंद्र नेमाडे

भालचंद्र नेमाडे (जन्म-१९३८) भारतीय मराठी लेखक, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक तथा शिक्षाविद हैं। १९६३ में केवल २५ वर्ष की आयु में प्रकाशित 'कोसला' नामक उपन्यास से उन्हें अपार सफलता मिली। सन १९९१ में उनकी टीकास्वयंवर इस कृति के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष २०१४ का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। श्री नेमाडे की प्रमुख कृतियों में 'कोसला' और 'हिन्‍दू' उपन्‍यास शामिल हैं। उनके साहित्य में 'देशीवाद' (स्वदेशीकरण) पर बल दिया गया है। वह 60के दशक के लघु पत्रिका आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे।
कृतियाँ - उपन्यास : हिंदू – जगण्याची समृद्ध अडगळ 2003, कोसला, बिढार, हूल, जरीला, झूल.
काव्य : मेलडी, देखणी.
आलोचना : टीक्कास्वयंवर, साहित्यची भाषा, तुकाराम, The Influence of English on Marathi : A Sociolinguistic and Stylistic Study, Indo-Anglian Writings: Two Lectures, Nativism (Desivad).
पुरस्कार : १९९० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (आलोचनात्मक कृति 'टीका स्वयंवर' के लिये)
२०११ में पद्मश्री
’साहित्याची भाषा’ के लिये कुरुंदकर पुरस्कार (१९८७)
’देखणी’ के लिये कुसुमाग्रज पुरस्कार (१९९१)
’देखणी’ के लिये ना.धों. महानोर पुरस्कार (१९९२)
कुसुमाग्रज प्रतिष्ठान (नाशिक) द्वारा प्रदत्त जनस्थान पुरस्कार, (२०१३)
’झूल’ के लिये कर्‍हाड का यशवंतराव चव्हाण पुरस्कार (१९८४)
महाराष्ट्र फाउंडेशनच का गौरव पुरस्कार (२००१)
’बिढार’ के लिये ह.ना. आपटे पुरस्कार (१९७६)
’हिंदू एक समृद्ध अडगळ’ के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार-२०१५.