डर - लघुकथा : महेश कुमार केशरी

Dar - Laghukatha : Mahesh Kumar Keshri

पाँच साल की ऋद्धि झाड़ियों की तरफ से अहाता पार करते हुए, जा रही थी ।

पिता ने टोका -" नहीं बेटा झाड़ियों की तरफ से नहीं । सामने से जाओ। "

" पापा आप क्यों डरते हैं। झाड़ियों में जानवर थोड़ी ना रहते हैं। "

" नहीं बेटा फिर , भी तुम्हें लेकर बहुत डर लगता है। "

" पापा , आप भी ना बहुत बुद्धू हैं। मैं बिल्लियों और शेरों से खेलती हूँ। वो मेरे दोस्त हैं। "

" अच्छा। "

" तब , आप किससे डरते हैं। "

" आदमी से। "

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