बाल पहेलियाँ : तारकेश्वरी 'सुधि'

Baal Paheliyan : Tarkeshwari Sudhi

बच्चे के विकास का आवश्यक अंग है बाल साहित्य

बाल साहित्य के अंतर्गत हम बचपन से ही दादी, नानी द्वारा लोरियाँ, परियों,राजा-रानी-राजकुमार-राजकुमारी की कहानियाँ सुनते आए हैं। इन कहानियों का उद्देश्य बच्चों को नैतिक शिक्षा प्रदान करना होता था।यह एक मौखिक परंपरा थी, जिसका उद्देश्य बच्चों के मानसिक, सामाजिक विकास के साथ धार्मिक, नैतिक शिक्षा प्रदान करना था। यूँ तो बाल साहित्य का महत्व प्राचीन काल से ही चला रहा है लेकिन छपाई के अविष्कार व बचपन की अवधारणा के विकास के बाद बाल साहित्य अपनी अलग ही शैली लेकर उभरा है।

जब कंप्यूटर व मोबाइल का आविष्कार नहीं हुआ था तब बच्चों के मनोरंजन का साधन खेल के अतिरिक्त पुस्तकें होती थी। पंचतंत्र की कहानियों के अतिरिक्त अनेक प्रकार का बाल साहित्य भरपूर मात्रा में उपलब्ध था। लेकिन आज कंप्यूटर क्रांति के बाद प्रत्येक बालक मोबाइल से ही खेल खेलना पसंद करता है। इसके दुष्परिणाम वक्त के साथ साथ हम सभी के सामने आ रहे हैं। इनसे बचने के लिए बालकों का किताबों की तरफ रुख मोड़ना बहुत आवश्यक है और ये तब संभव है जब पुस्तकों के प्रति उनकी रुचि जागृत हो।

बच्चों के लिए लिखते समय प्रत्येक साहित्यकर भाषा की सरलता के बारे में सोचता है ताकि बच्चों को आसानी से समझ में आ सके तथा जो उनके लिए मनोरंजक और रुचि कर हो। साहित्यकार को उस वक्त बच्चे का खिलखिलाता,उत्सुक व जिज्ञासु चेहरा नजर आता है जो उस किताब को पढ़ना चाहता है। विशेष तौर पर वे पुस्तकें जो उसके लिए लिखी गई है। यह बाल साहित्य उसके मन को रंजित करता है तथा साथ ही उन विषयों को भी प्रस्तुत करता है जो बच्चे से संबंधित होते हैं। इन पुस्तकों को पढ़ने से बच्चों में भाषात्मक, संज्ञानात्मक, सामाजिक व भावनात्मक विकास होता है। बाल साहित्य की इस श्रृँखला में पहेलियाॉ भी शामिल हैं जो अत्यंत ही रुचिकर होती हैं।

हिंदी पहेली एक पारंपरिक मौखिक अभिव्यक्ति है जिसमें एक या अधिक वर्णनात्मक तत्व होते हैं और उन्हीं तत्वों के संदर्भ का अनुमान लगाकर उत्तर निकाला जाता है। यह एक ऐसा खेल या समस्या है जिससे बालक के ज्ञान या सरलता का परीक्षण कर सकते हैं। इसमें उत्तर देने वाले बालक द्वारा पहेली के सही या मजेदार समाधान तक पहुँचने की पूरी कोशिश की जाती है। पहेली का मकसद बुद्धि- परिश्रम के साथ-साथ मनोरंजन प्रदान करना होता है ।

पहेली को सटीक रूप से परिभाषित करना काफी कठिन है और यह विद्वानों में एक बहस का मुद्दा है ।फिर भी मोटे तौर पर पहेलियाँ अनेक प्रकार की हो सकती है। जैसे तर्क पर आधारित, संख्या पर आधारित, संबंधपरक, क्रॉसवर्ड, शब्द- खोज पहेली। पहेली के समाधान में सावधानीपूर्वक सोच की आवश्यकता होती है।

पहेलियों का शिक्षा में बहुत महत्व है । अलग-अलग स्तर की पहेलियाँ अलग-अलग बालकों के अनुरूप होती है। पहेली बालकों को उनका हल खोजने के लिए प्रेरित करती है जिससे प्रत्येक बच्चा अपने अपने तरीके से हल खोजने की चेष्टा करता है। इस प्रक्रिया में उनके सोचने के कौशल का विकास होता है। पहेलियाँ पूछते समय किसी वस्तु के गुणों या लक्षणों को घुमा फिरा कर बताया जाता है जिससे सामने वाला व्यक्ति भ्रमित होकर सोचने पर विवश हो जाए। यह प्रक्रिया दिमागी कसरत के साथ-साथ आनंद भी प्रदान करती है।जिसकी वजह से बालकों में रुचि उत्पन्न होने लगती है। यह पूरी प्रक्रिया मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों को जागृत कर सक्रिय कर देती है।

संरचनात्मक दृष्टि से मुकरी विधा की तरह मैंने इन पहेलियों में सोलह - सोलह मात्राओं की चार पंक्तियाँ तो कुछ जगह पंद्रह -पंद्रह मात्राओं का पैटर्न भी रखा है। चूँकि यह पुस्तक बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है इसलिए कठिनाई स्तर कम रखने की हर संभव कोशिश की है। फिर भी कुछ जगह अध्यापकों का व बड़ों का सहयोग अपेक्षित है ताकि बच्चे नए शब्दों से भी परिचित हो सकें।अगर मेरी यह पुस्तक बच्चों की रुचियों के अनुरूप बन पाई है तो मै अपना लेखन सफल समझूंगी तथा अपने लेखन के लिए भविष्य में प्रेरणा-स्रोत भी समझूँगी।

मुझे उम्मीद है कि मेरी ये कोशिश बच्चों को पसंद आएगी तथा उनके हृदय में स्थान बना पाने में सफल होंगी। इस पुस्तक के बारे में बच्चों के विचार,उनकी सलाह अपेक्षित है।

तारकेश्वरी ‘सुधि’
A- 151, राजलक्ष्मी रेसिडेंसी,
करधनी थाने के सामने, नौ दुकान रोड,करधनी,
झोटवाड़ा,जयपुर 302044
फोन 9829389426


सर्दी,धूप कहर बरपाएँ। या काँटें पैरों में आएँ। इनसे टकराने का बूता। कहो कौन वह? वह है,जूता। मुझको इधर उधर ले जाए। ऊपर फिर नीचे पहुँचाए। मन ये नही समाए फूला। कहो कौन वह? वह है,झूला। उसके सिर पर एक कलंगी। तन पर पंख सजे बहुरंगी। नाचे बारिश में चितचोर। कहो कौन वह? वह है, मोर। सजा धजा सा रूप लुभाए। देख मिठाई मन ललचाए। पास बुलाता है हर ठेला। कहो कौन वह? वह है,मेला। रंग बिरंगी प्यारी प्यारी। लगती है वह सबसे न्यारी। ज्यों ही पकड़ा,कर से निकली। कहो कौन वह? वह है, तितली। उसे देख कर सब डर जाए। जंगल का राजा कहलाए। बेशक है वह बड़ा दिलेर। कहो कौन वह? वह है,शेर। यहाँ चिपकती, वहाँ चिपकती। दीवारों पर वह चढ़ सकती। काया उसकी दुबली पतली। कहो कौन वह?अजी, छिपकली। गोल, हरा, पीला रँग पाया। स्वाद सभी को उसका भाया। ललचाए मन दिनभर,शाम। कहो कौन वह? वह है, आम। सर्दी, खाँसी में उपयोगी। काया को भी रखे निरोगी। डरती बेहद उससे सर्दी । कहो कौन वह? वह है, हल्दी। पादप बेहद ही गुणकारी। उसको खाना है हितकारी। स्वस्थ करे हमको जो जल्दी। कहो कौन वह?वह है,हल्दी। उसको माँ का रूप मानते। करे पाप से मुक्त जानते। जल तन मन को कर दे चंगा। कहो कौन वह?वह है, गंगा। कद है छोटा,रंग सुनहरा। मनमोहक सा,बड़ा छरहरा। नैना सुंदर,मन है शीतल। कहो कौन वह? वह जी, चीतल। देख अँधेरा जो मुस्काते। सपने आँखों में भर जाते। सुबह मगर खो जाते सारे। कहो कौन ये?ये हैं, तारे। उस पर बैठ चैन हम पाते। पढ़ते हैं खाना भी खाते। हमें बुलाए हो आतुर सी। कहो कौन वह?वह है, कुर्सी। अपना काम करे बिन बोले। घर के राज कभी ना खोले। है घर का सच्चा रखवाला। कहो कौन वह? वह है, ताला। रातों में रखवाली करता। चोरों से भी कभी न डरता। मौसम से ना माने हार। कहो कौन वह? चौकीदार। पतली दुबली उसकी काया। उसको घर में रहना भाया। गंदगी साफ करे जो सारी। कहो कौन वह? अजी,बुहारी। पथरीली राहें तय करती। प्यास सभी जीवों की हरती। कल- कल करके गाए कविता। कहो कौन वह? वह है,सरिता। आए बीच सभी हिल जाते। गिर जाए तो दिल मिल जाते। उसका होना है बेकार। कहो कौन वह?वह, दीवार। ऊपर चढ़ते कभी उतरते। गिरकर,चढ़कर और निखरते। रोएँ,हँसे,कभी हैरान। कहो कौन वह?अजी,सोपान। तेज हवा से बातें करता। पल भर में दूरी तय करता। चाहे पथ में आए रोड़ा। कहो कौन वह?वह है घोड़ा। आन बान है शान हमारी। उससे ही पहचान हमारी। भाषा विविध,विविध हैं वेश। कहो कौन वह? वह है,देश। जब-जब तन से लिपटा जाए। सारी सर्दी दूर भगाए। असहायों को देता संबल। कहो कौन वह?वह है, कंबल। उसके ऊपर सिर रख सोएँ। नींदों में सपनों में खोएँ । खेले कभी करें हम बतिया कहो कौन वह? वह है,तकिया। यूँ तो बेहद सस्ता दाम। मिलने में बेहद ही आम। इसको चाहे सब्जी,चून। कहो कौन वह?वह है, नून। जब वह आए,सब घबराएँ। पढ़ने वाले खुश हो जाएँ। लेकिन पूर्ण इसी से शिक्षा। कहो कौन वह? अजी, परीक्षा। जिसने खुद को निर्बल पाया। उसने उसका साथ निभाया। दुबली पतली है कद काठी। कहो कौन वह? वह है,लाठी। बेहद प्यारा है यह बंधन। जीवन महके जैसे चंदन। खुशियाँ हों संग,रहे शुभ्रता। कहो कौन वह? अजी,मित्रता। जैसी हूँ वैसी बतलाए। झूठ न उसको तनिक सुहाए। मेरा कर दे मुझको अर्पण। कहो कौन वह? वह है,दर्पण। ज्ञान प्राप्ति के योग्य बनाए। अनुशासन, बंधुत्व सिखाए। देती हमें गुणों की माला। कहो कौन वह?वह है, शाला। करे सुरक्षा सिर की पूरी। उसको पहनो?बहुत जरूरी। वरना तुम्हे ले मौत लपेट। कहो कौन वह? वह,हेलमेट। थी दुबली पतली कद काठी। तन पर धोती,कर में लाठी। हरी प्रेम से नफरत -आँधी। कहो कौन वह?वह थे,गाँधी। जीवन भर के अनुभव महके। दिल फिर से बच्चा बन चहके। बढ़ता ही जाए अपनापा। कहो कौन वह?अजी, बुढ़ापा। पेड़, झाड़ियों में वह पाए। उनके ही रंग में रंग जाए। उसकी बोली लगती गिट पिट। कहो कौन वह? वह है,गिरगिट। हम जो बोलें,नकल उतारे। रटता रहता शब्द हमारे । लाल चोंच,हरियाला होता। कहो कौन वह? वह है,तोता। उसका रँग होता है काला। चतुर मगर कर्कश सुर वाला। खाना देख लपक कर भागा। कहो कौन वह?वह है,कागा। खबर सुनाए,कभी पढ़ाए। घर बैठे दुनिया दिखलाए। गजब बड़ा उसका आकर्षण। कहो कौन वह? दूरदर्शन। सब नतमस्तक उसके आगे। अंधकार भी डर कर भागे। रोज जगाता हमको आकर। कहो कौन वह?अजी, भास्कर। है वो बड़े काम की खोज। करें काज जिसके संग रोज। क्रोध करे तो,लेते भाग। कहो कौन वह? वह है, आग। कहते लोग गुलाबी नगरी। लोग पहनते साफा,पगड़ी। उसे देखने को मै आतुर। कहो कौन वह? वह है,जयपुर। काले मोती धवल रंग है। शिक्षा का अनिवार्य अंग है। सब पूजें होते नतमस्तक। कहो कौन वह? वह है,पुस्तक। स्वादिष्ट सी खीर बनाए। पूजा में भी काम जो आए। दीन,धनी सब उसके कायल। कहो कौन वह? वह है, चावल। होता उसका रंग सुनहरा। रहता मधुमक्खी का पहरा। छीन उसी से करें बरामद। कहो कौन वह? अजी वह, शहद । राज्य पुष्प अपना कहलाता। रेगिस्तां को ये महकाता। गर्मी में शीतल सुर छेड़ा। कहो कौन वह? वह,रोहेड़ा। खेती में सहयोगी होता। कृषक उसी से सपने बोता। उसे साथ में रखता माली। कहो कौन वह? अजी, कुदाली। कहने को तो जड़ कहलाती। सर्दी के मौसम में आती। आँखें तेज उसे हो खाकर। कहो कौन वह? वह है,गाजर। उसके पत्ते बड़े जरूरी। कमी आयरन की हो पूरी। खाते युवा,बुजुर्ग व बालक। कहो कौन वह?वह है,पालक। पाया रंग हरा या पीला। खाकर देखो,बड़ा रसीला। बड़ा आम सा उसका नाम। कहो कौन वह? वह है, आम। दीवाली में जगमग करता। अंधकार को पल में हरता। जला गर्व से,जब तक जीया। कहो कौन वह? वह है, दीया। आसमान की सैर कराता। अगले पल धरती पर लाता। कभी लगा देता हिचकोला। कहो कौन वह?अजी,हिंडोला। पतली गर्दन पेट बड़ा सा। तन लगता कोई कछुआ सा। सब जल पीने को उत्साही। कहो कौन वह?अजी,सुराही। दिन भर घर में वह चहचाती । दाना चुगती,खुशियाँ लाती । लुप्त हुई वह कहती मैया। कहो कौन वह? वह,गौरैया। बुद्धिमान, चंचल अलबेली। करती पानी में अठखेली। स्तनधारी,हर्षाती पल छिन। कहो कौन वह?अजी,डॉल्फिन। आँख दिखाए,दाँत दिखाए। खाने का सामान उठाए। डर कर भागें घर के अंदर। कहो कौन वह? वह है,बंदर। राष्ट्रीय पक्षी वह कहलाता है। नाच दिखाकर इठलाता है। होता बारिश देख विभोर। कहो कौन वह? वह है,मोर। सोन चिरैया उसको कहते। राजस्थां में सुख से रहते। राज्य पक्षी बेहद मन भावन। कहो कौन वह? वह, गोडावण। रंग हरा,भूरा सा पीला। गाना गाए बड़ा सुरीला। पक्षी छोटा बेहद चुलबुल। कहो कौन वह? वह है, बुलबुल। रंग बिरंगा रूप सुहाए। बच्चों के मन को हर्षाए। धागे सँग घूमे आवारा। कहो कौन वह? वह, गुब्बारा। वह कोई सागर ममता का। रूप दूसरा उत्तमता का। अपना उसको मान विधाता। कहो कौन वह? वह है,माता। दिन भर कठिन परिश्रम करते। दुख तकलीफ हमारी हरते। नहीं झेलते नखरेबाजी। कहो कौन वह? अजी, पिताजी। नर्म मुलायम रूई जैसा। रूप धरे वह कैसा कैसा। नवजीवन देता उसका जल कहो कौन वह? वह है,बादल। वह दुनिया का रचनाकार। मगर नहीं कोई आकार । महिमा कैसे करें बखान। कहो कौन वह? वह,भगवान। राग,द्वेष,चिंता से खाली। बसती है उसमे खुशहाली। रहता है मन हरदम पावन । कहो कौन वह? वह है, बचपन। बाहर से लगता पाषाणी। अंदर उसके मीठा पानी । नरम धवल है नाम शिराफल। कहो कौन वह? अजी,नारियल। गुन- गुन करना उसको भाता। फूल, कली से गहरा नाता। करता है बगिया का दौरा । कहो कौन वह? वह है, भौंरा। रंग-बिरँगे गुल वह चुनती । बैठ उन्हें माला में बुनती। बन जाती फूलों की साथिन। कहो कौन वह? वह है, मालिन। वह हमको बेहद ठिठुराए। रोब दिखाए, दाँत बजाए। कभी न दिखलाए हमदर्दी। कहो कौन वह? वह है, सर्दी। बनकर बूँद गिरे जब पानी। रुत लगती ये बड़ी सुहानी । चाय पकौड़ों की हो ख्वाहिश। कहो कौन वह? वह है,बारिश। रोज सवेरे जल्दी जगती। रामायण, गीता भी पढती। भाए उसे वसन बस खादी। कहो कौन वह? वह है, दादी। तन है उसका गोल मटोल। बेशक कम है उसका मोल। सर्व प्रिय होने का ठप्पा। कहो कौन वह? गोलगप्पा। मीठे स्वर में गाना गाता । पीकर खून बड़ा इतराता। काश बना दूँ उसको खच्चर। कहो कौन वह? वह है, मच्छर। पाया उसने पेट बड़ा सा । करता सबकी शाँत पिपासा। तोड़े उसे जरा सा झटका। कहो कौन वह? वह है,मटका। दिन में तो वह साथ निभाए । मगर अँधेरे में छुप जाए । वह अपना ही,नहीं पराया। कहो कौन वह? वह है,साया। छोटी है करती शैतानी । याद दिला दे सबको नानी। वस्त्र काट खुश होती यूँ ही । कहो कौन वह? वह है, चूही। सुंदर प्यारा सा चमकीला। झाँके अम्बर से गर्वीला। कभी छुपे वह अपनी माँद। कहो कौन वह? वह है,चाँद। बेहद सच्चे सीधे-सादे। अपने घर के वे शहजादे । कोमल जैसे घट हों कच्चे। कहो कौन वे? ये हैं,बच्चे। उसे देखकर मन ललचाया। सब के मुँह में पानी आया। खुशियों की करती अगुवाई। कहो कौन वह? अजी, मिठाई। आए देख जिसे अल्हड़ता । मन तितली,भँवरा बन उड़ता । थकन हरे पल भर में सारी। कहो कौन वह? वह, फुलवारी। सुंदर पुष्प जहाँ मुस्काते । खुशबू भीनी सी फैलाते। हरियाली ने मन को खींचा । कहो कौन वह?अजी, बगीचा। विटामिन ए का है भंडार। लगे है सर्दी में अंबार। दृष्टि तेज जिसको हो खाकर। कहो कौन वह? वह है, गाजर। वह जीने के लिए जरूरी। गोल-गोल सी, रँग में भूरी । उसको खा मुन्नी हो मोटी। कहो कौन वह? वह है,रोटी। चहूँ ओर खुशबू फैलाता । डाली पर बैठा इतराता। सुंदरता का नहीं जवाब । कहो कौन वह? अजी,गुलाब। रात- रातभर, दिन वो सारा । सदा घूमता बन आवारा । कभी छीन ले सूरज का बल। कहो कौन वह? वह है, बादल। गली मोहल्ले नापे पैर । लगता उसको कोई न गैर। खेलकूद भाती है भटकन। कहो कौन वह? वह है, बचपन। हमको जीवन-सार बताए। उन्नत कर्म करें बतलाए। उसे पढ़े जो, सुख से जीता। कहो कौन वह? वह है, गीता। जख्म हमारे भर देती है । पीड़ा सारी हर लेती है। लगे जरूरी घर में हरदम । कहो कौन वह? वह है, मरहम। हमसे करें समय की चोरी । आँखों में भर दे कमजोरी। फिर भी लोग उसी के काइल । कहो कौन वह? वह, मोबाइल। पल भर में बीमारी हरता। इंजेक्शन से कभी ना डरता। मैं तो उसकी बड़ी प्रशंसक। कहो कौन वह? अजी,चिकित्सक। जब उसके पीछे छुप जाऊँ। हर चिंता को दूर भगाऊँ। मन को मिल जाता है सम्बल । कहो कौन वह? वह है,आँचल। व्यक्ति या फिर जगह बतलाए। या चीजों का नाम बताए। रहता कभी गाँव ना टाउन। कहो कौन वह? वह है, नाउन। हो जिंदा रहने की सूरत । इसकी हमको बहुत जरूरत। घेरे रोग विविध इसके बिन। कहो कौन वह? अजी, विटामिन। वह तो जीव बड़ा जहरीला। है लंबा, पतला, फुर्तीला । उसे देख सब जाए काँप। कहो कौन वह? वह है, साँप। नाजुक नरम बनी है काया । अलग-अलग रँग इसने पाया। शीघ्र मिटाए यदि हो गड़बड़। कहो कौन वह? अजी वह,रबड़। धवल जमीं पर चित्र उकेरे । काले मोती वहाँ बिखेरे । दिखता इसमें बेहद दमखम। कहो कौन वह?अजी वह, कलम। सब जीवो से गहरा नाता। देख न उसको कोई पाता। उसके बिना चले ना जीवन। कहो कौन वह? वह, ऑक्सीजन जब इससे नाता जुड़ जाता। जीवन तभी सफल हो पाता । काम सदा यह सब के आई। कहो कौन वह? अजी, पढ़ाई। भागे जिसको देख बीमारी । वह हम सब की,है हितकारी। उसने सब की उम्र बढ़ाई। कहो कौन वह?अजी, सफाई। कविता एक सुरीली,न्यारी। जिसकी उजियारे से यारी। रखना उससे नाता गहरा। कहो कौन वह? अजी,ककहरा। दूर रहे तो नंबर जीरो। नाता जोड़ बनोगे हीरो। इससे रहना है नित परिचित। कहो कौन वह?अजी वह,गणित। हरदम हरपल चलती रहती। सर्दी सहती गर्मी सहती । संग संग उसके तीन छड़ी । कहो कौन वह?अजी वह,घड़ी। पानी में अठखेली करती । बाहर निकालो तो यह मरती । जगह न इसको भाए छिछली। कहो कौन वह?वह है,मछली। आसमान में उड़ती जाए । नाचे झूमे ये लहराए। उड़ती सदा हवा के संग । कहो कौन वह?अजी, पतंग। लंबी पतली टाँगे चार। चलने को करती इनकार। रखती पुस्तक सदा सहेज। कहो कौन वह? वह है, मेज। हाइड्रोजन अरु ऑक्सीजन। दोनों मिलकर जब करती फन। फिर जो बनता,हो हैरानी। कहो कौन वह? वह है,पानी। संख्या, गुण और दोष दिखाए। भाव तथा परिमाण बताए। क्यों लेते हो तुम इतने क्षण। शीघ्र बताओ?अजी,विशेषण। मै,तुम,इस,उस,आप,तुम्हारा। यह,वह,हम सब,और हमारा। करते संज्ञा का ये काम। कहो कौन ये?ये,सर्वनाम। एक थाल में पावक धरकर। दूजे में उम्मीदें भरकर। दस्तक दे सबके घर आकर। कहो कौन वह?अजी, दिवाकर। पूरे जग की खबर सुनाता। ज्ञान बढ़ाता,मन बहलाता। होता लेकिन फिर बेकार। कहो कौन वह? वह,अखबार। वह तो केवल देना जाने। महत्ता कोई ना पहचाने। सबकी खातिर सदा निष्पक्ष। कहो कौन वह? अजी वह,वृक्ष। आन यही है शान हमारी। दुनिया में पहचान हमारी। सबसे पावन सबसे चंगा। कहो कौन वह?अजी, तिरंगा। कीड़ों की तो करे पिटाई। बदबू की सँग करे सफाई। ना हो फिर दाँतो का भंजन। कहो कौन वह? वह है,मंजन। बीमारी घर में फैलाता। मच्छर भी बेहद उपजाता। इसका होना हरदम अखरा। कहो कौन वह?वह है, कचरा। इससे ही तन में बल आता। तब बीमारी से लड़ पाता। शाम सुबह सब चाहें पाना। कहो कौन वह? वह है, खाना। सारे जग का ज्ञान कराए। घर बैठे दुनिया दिखलाए। ज्ञानी का दे हमें खिताब। कहो कौन वह? अजी,किताब। सुबह सवेरे जब वह आता। आशाएँ,सपने सँग लाता। सुखकर लगता, कभी कष्टकर। कहो कौन वह? वह है,दिनकर। हमको मंजिल तक ले जाए। बोझा ढोए,वक्त बचाए । चले रेत,मैदान, पहाड़ी। कहो कौन वह?वह है,गाड़ी। कड़वापान उसमें विद्यमान। लेकिन बहुत गुणों की खान। सब कहते हैं उसे हकीम।। कहो कौन वह? वह है,नीम। तन से है बेहद बलशाली। चमड़ी पाई उसने काली। बनकर रहता सबका साथी। कहो कौन वह? वह है,हाथी। साथ हमारे चलता जाता। मंजिल तक वह साथ निभाता। सबका उससे पड़े वास्ता। कहो कौन वह? अजी, रास्ता। हम सबको दुनिया दिखलाएँ। रंगों की पहचान कराएँ। सपनों को देती हैँ पाँखें। कहो कौन वे? वे हैं, आँखें। जल में खड़ा हुआ इतराता। राष्ट्र पुष्प अपना कहलाता। बेहद सुंदर,पावन,निर्मल। कहो कौन वह?अजी वह,कमल। अपने मुख से लार निकाला। उससे एक बनाया जाला। जिसमे मच्छर, मक्खी जकड़ी। कहो कौन वह? वह है, मकड़ी। हमको सपनों में ले जाए। परी लोक की सैर कराए । जिसे सुनाए दादी नानी । कहो कौन वह? अजी, कहानी। सूरज के सोने पर आता। जगने से पहले छुप जाता। करे शहर गायब वह सारा। कहो कौन वह?वह, अँधियारा। लाल, हरा, पीला कर देती। रंगों से सबको भर देती। कहे प्रेम की बोलो बोली। कहो कौन वह?वह है, होली। लगा बेल पर,रंग हरा है। बेहद कड़वा स्वाद भरा है। गुण में है सबसे अलबेला। कहो कौन वह? अजी, करेला। गोल चाक पर मिट्टी धरकर। घुमा दिया डंडे से जमकर। फिर उस पर आकार उकेरा। कहो कौन वह?अजी, ठठेरा। वह तो प्यास,पसीना लाए। तेज धूप से भी झुलसाए। सूरज नहीं दिखाए नरमी। कहो कौन वह?वह है, गरमी। आँखों पर सजकर इतराए। धुँधली चीजे साफ दिखाए। उसके शीशे करें करिश्मा। कहो कौन वह? वह है, चश्मा। कूड़ा- कचरा, कीचड़ भाए। बीमारी हम तक फैलाए। भिन- भिन है भाषा के अक्षर। कहो कौन वह? वह है मच्छर।

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