विविध (मिले जुले) : बुन्देली लोकगीत

Vividh : Bundeli Lok Geet

	

इक दिन जा बैठी सो डार के पटा

इक दिन जा बैठी सो डार के पटा ईने बना दये, बिना नोन के भटा तनक चीखो तो मतारी मोरी, बोलो तो , कैसी जा ढूंड़ी दुलईया एक दिन जा बैठी सो ले रई पुआर और खीर मे लगा दओ हींग को बघार तनक सूँघो तो मतारी मोरी, बोलो तो, कैसी जा ढूंड़ी दुलईया इक दिन जा बैठी सो कर रई सिंगार और ओंठ मे लगा लओ ईने पाँव को महार तनक देखो तो मतारी मोरी, बोलो तो, कैसी जा ढूंड़ी दुलईया

छोटी-छोटी गैयाँ

छोटी-छोटी गैयाँ छोटे-छोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल कहाँ गईं गैयाँ, कहाँ गए ग्वाल कहाँ गए मोरे मदन गोपाल। हारे गईं गैयाँ, पहाड़ गए ग्वाल खेलन गए मोरे मदन गोपाल का खाएँ गैयाँ? का खाएँ ग्वाल का खाएँ मोरे मदन गोपाल? घास खाएँ गैयाँ, दूध पिएँ ग्वाल माखन खाएँ मोरे मदन गोपाल। छोटी-छोटी गैयाँ छोटे-छोटे ग्वाल छोटे से मोरे मदन गोपाल

कौन रंग हीरा कौन रंग मोती

कौन रंग हीरा कौन रंग मोती कौन रंग ननदी बिरना तुम्हार ? लाल रंग हीरा पियर रंग मोती सँवर रंग ननदी बिरना तुम्हार फूट गए हिरवा बिथराय गए मोती रिसाय गए ननदी बिरना तुम्हार बीन लैहौं हीरा बटोर लैहौं मोती मनाय लैहौं ननदी बिरना तुम्हार भावार्थ --'किस रंग का हीरा है किस रंग का मोती ? हे ननद, किस रंग के हैं तुम्हारे भैया ? लाल रंग का हीरा है पीले रंग का मोती है साँवरे रंग के हैं तुम्हारे भैया हीरा फूट गया मोती बिखर गए हे ननदी, तुम्हारे भैया रूठ गए हीरों को चुन लेंगे, मोती बटोर लेंगे हे ननदी, तुम्हारे भैया को मना लेंगे ।'

गोरी के जोबना हुमकन लगे

गोरी के जोबना हुमकन लगे, जैसे हिरनियों के सींग । मूरख जाने खता फुनगुनू, वे तो बाँट लगावे नीम । भावार्थ --'गोरी के उरोज उभरने लगे, हिरनी के सींगों समान मूर्ख उन्हें फोड़े-फुन्सी समझ रहा है और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है'

जल भरन जानकी आई हतीं

जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं । कौन की बेटी कौन की बहुरिया कौन की नारि कहाई हतीं । जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं । जनक की बेटी दसरथ की बहुरिया राम की नारि कहाई हतीं । जल भरन जानकी आई हतीं आई हतीं मन भाई हतीं ।

ऊपर बादर घर्राएँ हों

ऊपर बादर घर्राएँ हों, नीचे गोरी धन पनिया खों निकरी । जाय जो क‍इऔ उन राजा ससुर सों, अँगना में कुइआ खुदाय हो तुमारी बहू पनिया खों निकरी । जाय जो क‍इऔ उन राजा जेठा सों, अँगना में पाटें जराय हो, तुमारी बहू पनिया खों निकरी । जाय ओ कइऔ उन वारे देउर सों, रेशम लेजे भूराय हों तुमारी बहू पनिया खों निकरी । अरे ओ जाय ओ कइऔ उन राजा ननदो‍उ सों, मुतिखन कुड़ारी गढ़ाए हों, तुमारी सारज पनिया खों निकरी । जाय जो क‍इऔ उन राजा पिया सों, सोने का घड़ा बनवाए हों, तुमारी धनि पनिया खों निकरी । भावार्थ आसमान में बादल गरज रहे हैं गोरी पानी भरने के लिए कुएँ पर जा रही है। वह अपने ससुर से विनति करती है क्यों न घर के आँगन में ही कुआँ खुदवा दिया जाए जिससे कि वह आराम से पानी भर सके । अपने जेठ से वह कहती है कि वे आँगन में पाट लगवा दें, देवर से कहती है कि वे रेशम की डोरी ला दें, नन्दोई से कहती है कि मोती की कुड़री गढ़वा दें, पति से कहती है-- मेरे लिए सोने का कलश बनवा दो तुम्हारी पत्नी पानी भरने जा रही है ।

आम अमलिया की नन्ही-नन्ही पतियाँ

आम अमलिया की नन्ही-नन्ही पतियाँ निबिया की शीतल छाँह वहि तरे बैइठीं ननद भौजाई चालैं लागि रावन की बात । तुम्हरे देश भउजी रावन बनत है रावन उरेह दिखाव तो मैं एतना उरैहौं बारी ननदी जो घर करो न लबार भावार्थ आम और इमली की नन्हीं-नन्हीं पत्तियाँ हैं नीम की शीतल छाया है उसी के नीचे बैठी हैं ननद भौजाई तभी रावण की बात चलने लगी । --'हे भावज, तुम्हारे देश में रावण बनता है रावण का चित्र खींचकर दिखाओ ।' --'चित्र तो मैं अवश्य खींचकर दिखाऊँ, प्यारी ननद! यदि घर में तुम इसकी चर्चा नहीं करो ।'

आ जैहो बड़े भोर दही लै के

आ जैहो बड़े भोर दही लै के, आ जैहो बड़े भोर।।टेक।। नें मानो कुड़री धर राखो, मुतियन लागी कोर। नें मानो मटकी धर राखो, सबरे बिरज कौ मोल। नें मानो चुनरी धर राखो, लिख है पपीहरा मोर। नें मानो गहने धर राखो, बाजूबंद हमेल। चंद्रसखी भज बालकृष्ण छब, छलिया जुगलकिशोर।

भैया सो जा बारे बीर

भैया सो जा बारे बीर बीर की निंदिया लागी, जमनाजी के तीर ।।टेक।। आम से बांदो पालनों, पीपर से बांदी डोर। जों लो भैया सोवन न पाए, टूट गई लमडोर।। अब नें रोओ मोरे बारे बीरन नैनन बह गए नीर।। धीरें-धीरें आँख मूंद ले अब आ जैहे नींद। जब तक मोरो भैया सोहे झपट बनेंहो खीर।। ताती-ताती खीर बनैहें ओई में डारहैं घी। बाई खीर जब भैया खैहें ठंडो परहै जी।।

कौन फूल फूले अजहिन सजहिन

कौन फूल फूले अजहिन सजहिन कौन फूल आधी रात या गुइयाँ बेला फूल फूले अजहिन सजहिन उमर फूले आधी रात गुइयाँ वहाँ फूले खोसे कहरा वेट उना भरत है राजा घर पानी या गुइयाँ राजवा की बेटी अंचल चंचल कहरा का देख लुभाय या गुइयाँ कहरा वेट उना पैया तोरे लागू हमहू चलब तुम्हरे साथ या गुइयाँ तुम्हरे तो रनिया थाली या लोटा हमरे थलिया नहीम आय या गुइयाँ...

राजा के अँगनवा चन्दन का बिरवा

राजा के अँगनवा चन्दन का बिरवा अछर बिछर ओखी डार हो वो ही तरे पूरे बबुआ सोना संकल्पै डारे लागे सुधर सुनार हो गढ़ सोनरा तुम आंगन कंगन गढ़ सुनरा सोलह सिंगार हो इतना पहिन बेटी चौक में बैठी भरहि मोतियन मांग हो सोनवा पहिन बेटी मण्डप में आई आवे लागे मोतियन आंसू हो कि मोरी बेटी अन धन कम है कि है रमैया वर छोट हो कौन बात बेटी मण्डप में रोई आवे लागे मोतियन आसू हो नाहीं तो मोरे बाबुल धन अन कम है नहीं है रमैया वर छोट हो आज की रैन बाबुल तुम्हारा देशवा कल परदेहिया के देश हो राजा के अगनवा चन्दन के विरवा...।

सो जा बारे वीर

सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर ताती-ताती पुरी बनाई ओई में डारो घी पी ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे वीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर एक कटोरा दूध जमाओ और बनाई खीर ले ले मोरे बारे भइया मोर जुड़ाय जाए जी सो जा बारे बीर बीर की बलैयाँ ले जा जमुना के तीर बरा पे डारो पालना पीपर पे डारी डोर सो जा मोरे बारे भइया मैं लाऊँ गगरिया बोर सो जा बारे वीर वीर की बलैयाँ ले जा यमुना के तीर

कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी

कन्हैया तोरी चितवन लागे प्यारी। सावन गरजे भादों बरसे बिजुरी चमके न्यारी (कन्हैया) मोर जो नाचे पपीहा बोले कोयल कूके प्यारी (कन्हैया) नन्हीं-नन्हीं बुंदिया मेहा बरसे छाई घटा अंधियारी (कन्हैया) सब सखियां मिल गाना गाए नाचे दे दे तारी (कन्हैया)

राते बरस गओ पानी

राते बरस गओ पानी काय राजा तुमने ना जानी। अंटा जो भीजे अटारी भींजी, भींजी है धुतिया पुरानी (काय राजा---) बाग जो भींजे बगीचा भींजे माँलिन फिरे उतरानी (काय राजा---) कुंआ है भर गओ, तला है भर गओ कहारिन फिरे बौरानी (काय राजा---) गैयां भीजी बछिया भींजीं नदियन बढ़ गओ पानी (काय राजा-- )

अम्बे दयाल भईं, भईं मोरे अंगना

अम्बे दयाल भईं, भईं मोरे अंगना देवी दयाल भईं। मैया के द्वारे सोने के कलश, मोती झिलमिल करें करें मोरे अंगना, देवी दयाल भईं। मैया के मड़ पे, पानी चढ़ाऊं रपटे छूट रहीं रहीं मोरे अंगना, देवी दयाल भईं मोरे अंगना।। मैया के हाथों में सोने केर कंगना कंगना झिलमिल करे, करे मोरे अंगना। देवी दयाल भईं मोरे अंगना। मैया के पैरों में पायल और बिछुआ झनझुन होय रहे, रहे मोरे अंगना देवी दयाल भईं माई मोरे अंगना।

अरे मन चेतत काहे नाहीं

अरे मन चेतत काहे नाहीं काम क्रोध लोभ मोह में, खोवत जन्म वृथा ही। अरे मन... झूठो यह संसार समन सम, उरझि रहौ ता माही। अरे मन... रे मूरख सिया राम भजन बिन, शुभ दिन बीते जाहीं। अरे मन... राम नाम की सुध न लेत हो, विष रस चाखन चाही। अरे मन... अजहूं चेत रहौ मन मेरो, फिर पीछे पछता ही। अरे मन... कंचन कुंअरि थकत भई रसना, बकत-बकत तो पाही। अरे मन...

अवगुन बहुत करे

अवगुन बहुत करे, गुरुजी मैंने अवगुन बहुत करे। जब से पांव धरे धरनी पे, लाखन जीवन मरे। गुरुजी... जब से कलम धरी कागज पे, दस के बीस करे। गुरुजी... गैल चलत मैंने तिरिया निरखी, मनसा पाप करे। गुरुजी... पाप पुण्य की बांधी गठरिया, सिर पे बोझ धरे। गुरुजी...

आ जैहों बड़ी भोर दही लैकें

आ जैहों बड़ी भोर दही लैकें आ जैहों बड़ी भोर। ना मानो कुंड़री धर राखो। मुतियन जड़ी है कोर। सखी री... ना मानो मटुकी धर राखो लिखें पपीरा मोर। सखी री... ना मानो गहने धर राखो, बाजूबंद अमोल। सखी री... ना मानो मोई खों बिलमा लो, जोड़ी बनत अमोल। सखी री... चन्द्रसखी रस बस भई राधा। छलिया जुगल किशोर। सखी री... आ जैहों...

आज अंगन बीच कन्हैया

आज अंगन बीच कन्हैया मचला ठाने। हमें खेलने हेतु गगन को चंदा चाने। आज... भांति-भांति के नये खिलौने, एक-एक से नौने-नौने, माने न छलिया एक, हो गगन को चंदा चाने। आज... माता यशोदा गोद बिठाये, भांति भांति के खेल खिलाए, माने न नटखट एक हो, गगन को चंदा चाने। आज... कांसे को एक थार मंगाओ, थोड़ा जल उसमें भरवाओ। दियो है चन्द्र दिखाय हो, गगन को चंदा चाने। आज...

आज वृन्दावन रहस रच्यो है

आज वृन्दावन रहस रच्यो है, मैं भी देखन जाऊँगी। सोलह शृंगार करूँ मोरी सजनी मुतियन माँग भराऊँगी। आज वृन्दावन...। ओढ़के मैं तो पचरंग चूनर श्याम को खूब रिझाऊँगी। आज वृन्दावन...। मोहन दान दही मांगे कंस को जोर दिखाऊँगी। आज वृन्दावन...। ऐसो रहस देख मेरी सजनी प्रेम मगन हो जाऊँगी। आज वृन्दावन...।

उड़ चलो पवन की चाल

उड़ चलो पवन की चाल, मन भौरा बगीचा उड़ चलो हो मां। कौना लगाये मैया बेला चमेली कौना लगाये अनार लटका अनार झुमका रे। उड़ चलो... राजा लगाये मैंया बेला चमेली, रानी लगाईं अनार लटका रे अनार झुमका रे। उड़ चलो... काहे को सींचूं मैया बेला चमेली, काहे सींचूं अनार लटका रे। उड़ चलो... दूधन सींचूं मैया बेला चमेली, अमृत लाल अनार अनार फटका रे बगीचा उड़ चलो मां। उड़ चलो... काहे में गोडूं मैया बेला चमेली, काहे को लाल अनार लटका रे बगीचा उड़ चलो मां। उड़ चलो... कुदरन गोडूं मैया बेला चमेली, खुरपन लाल अनार लटका रे बगीचा उड़ चलो मां। उड़ चलो...

ऊधो ऐसी कइयो हरि सें

ऊधो ऐसी कइयो हरि सें, नंदलाला गिरधर सें। कै गये ते दस पांच रोज की, बीत गई हैं बरसें। ऊधो... खान पान निस नींद न आवे, प्राण रात दिन तरसें। ऊधो... अब तो ये आंखन के अंसुआ, होड़ लगाये बरसें। ऊधो...

ओ कान्हा, मोरी भर दो गगरिया

ओ कान्हा, मोरी भर दो गगरिया भर दो भरा दो, सर पे धरा दो ओ कान्हा, बतला दो डगरिया। ओ कान्हा...। गोकुल नगर में लगी है बजरिया ओ कान्हा, मोह ला दो चुनरिया। ओ कान्हा...। कोई नगर से वैदा बुला दो झड़वा दो अरे मोरी नजरिया। ओ कान्हा...। मैं तो रंग गई, कान्हा रंग में सूझे न मोहे, कोई डगरिया।

ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी

ओ रघुबर न कोउ विपत्ति के साथी एक विपत्ति राजा दशरथ पड़ गई राम लखन वनवासी ओ रघुबर... दूसरी विपत्ति श्री राम पे पड़ गई वन-वन फिरत उदासी। रघुबर... तीसरी विपत्ति रावण पे पड़ गई लंका जली दिन राती। रघुबर... चौथी विपत्ति रावण पे पड़ गई थाहि लगी जन घाती। रघुबर...

कर जोर खड़ी गिरिजा ढिंग

कर जोर खड़ी गिरिजा ढिंग राज दुलारी, जगदंबे अंबे हिय की तुम जानन हारी। कीन्हों न प्रगट तेइसें कारण बखान के, कर देहू सफल सेवा, अब मातु हमारी। कर जोर... कह सके न शेष शारद महिमा अपार है, बड़अगु पतिव्रत में जगलोक तुम्हारी।। कर जोर... कंचन कुंअरि सप्रेम विनय भाल कंठ से, दीन्हीं असीस सिय को हंस शैल कुमारी।। कर जोर...

कानों बड़ाई करों बीर हनुमान की

कानों बड़ाई करों बीर हनुमान की। सिंधु पार कूंद पड़े बाग तो उजार आये लंका जलाये आये, छन में रावण की। कानों... रावण के देश गये, सिया खों संदेश दये मुद्रिका को तो दे आये, सिया खों राजा राम की। कानों... कहते हैं रामचंद्र सुनो भैया लक्ष्मण, होते न हनुमान तो पाउते न जानकी। कानों... तुलसीदास आस रघुबर की, निसदिन मैं गाऊँ, श्री रामचंद्र जानकी। कानों...

कान्हा गगरिया मत फोड़ो

कान्हा गगरिया मत फोड़ो बन की बीच डगरिया में।... जो कान्हा तुम्ळें भूख लगेगी... भूख लगेगी कान्हा भूख लगेगी... माखन रखिहो बगलिया में।... जो कान्हा तुम्हें प्यास लगेगी।... प्यास लगी कान्हा प्यास लगेगी।... झाड़ी रखिहो बगलिया में। कान्हा।... जो कान्हा तुम्हें तलब लगेगी।... तलब लगेगी कान्हा, तलब लगेगी।... बीड़ा रखिहो बगलिया में। कान्हा।...

कामना पूरी करो माई

कामना पूरी करो माई, कामना पूरी करो माई। पूरना पूरी करो माई। के माई मोरी काहे को तेरो मंदिर काहे के लगे खम्भे री माई। पूरना... के माई मोरी, सोने को तेरो मंदिर रूपे के चारो, खम्भा री माई। पूरना... के माई तेरों, काहे को लागे भोग काहे को भरी, झाड़ी री माई। पूरना... के माई मोरी, दाख चिरौंजी को भोग गंगा जल झाड़ी भरी माई। पूरना... औ माई मोरी, निर्धन खों धन दीजो कोढ़िन खों काया री माई। पूरना... कै माई मोरी, सबकी खबर है लीजो अरज मोरी सुनियो री माई। पूरना...

कृष्ण बने मनिहार -सुनो री आली

कृष्ण बने मनिहार -सुनो री आली सर पे चुनरिया को डाल सुनो री आली। कृष्ण... आँखों में काजल अति सोहे, नैना देख सभी मन मोहे, हाथों में बाजूबंद डार, सुनो री आली। कृष्ण... कानों में कुण्डल अति सोहे, मुतियन चमक देख मन मोहे गले में पहिने है हार, सुनो री आली। कृष्ण... सोलह शृंगार करें मनमोहन, बरसाने पहुंचे हैं मोहन नर से बनेहैं नारि, सुनो री आली। कृष्ण... ललिता ने है टेर लगाई, झपट के पहुंचे कृष्ण कन्हाई मन में खुशी है अपार, सुनो री आली। कृष्ण... चूड़ी पहिनाओ प्यारी, तुम्हारी साड़ी कितनी प्यारी, कैसी बनी ब्रजनारि, सुनो री आली। कृष्ण...

कैसे के दर्शन पाऊं मैया

कैसे के दर्शन पाऊं मैया तोरी सकरी दुअरिया। सकरी दुअरिया, मैया चंदन किबरियां। कैसे... मैया के दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं री, मैया तोरी सकरी दुअरिया। मैया के दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया। मैया के दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया। मैया के दुआरे एक बांझन पुकारे देव बालक घर जाये री, मैया तोरी सकरी दुअरिया। मैया के दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया।

कैसे दर्श मैं पाऊं, मैया बिराजीं

कैसे दर्श मैं पाऊं, मैया बिराजीं पहाड़ पे मैया दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं, मैया बिराजीं पहाड़ पे। कैसे... मैया दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाऊं, मैया बिराजीं पहाड़ पे। कैसे... मैया दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाऊं, मैया बिराजीं पहाड़ पे। कैसे... मैया दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाऊं मैया बिराजीं पहाड़ पे। कैसे...

कैसे व्याहूं राधा

कैसे व्याहूं राधा, कन्हैया तेरो कारो घर-घर की वो गउवें चरावे ओढ़त कम्बल कारो-कारो। कैसे... छीन झपट दधि, खात बिरज में चलेगो कैसे राधा संग गुजारो। कैसे... मेरी राधा अजब सुंदरी तेरो कन्हैया है कारो-कारो। कैसे... पीताम्बर की कछनी बांधे मोहन मुरलिया बारो न्यारो। कैसे...

गरब करे सोई हारे

गरब करे सोई हारे, हरि सो गरब करे सोई हारे। गरब करो रतनागर सागर, जल खारो कर डारे। हरि... गरब करे लंकापति रावण, टूक-टूक कर डारे। हरि... गरब करे चकवा-चकवी ने, रैन बिछोहा डारे। हरि... इन्द्र कोप कियो ब्रज के ऊपर, नख पर गिरवर धारे। हरि... मीरा के प्रभु गिरधर नागर, जीवन प्राण हमारे। हरि...

जमुना किनारे मेरा घर है रे

जमुना किनारे मेरा घर है रे गोपाल गागर भर दे रे जमुना जो तुम जानो श्याम, मैं हूँ अकेली सास ससुर मेरे संग हैं रे। गोपाल जो तुम जानो श्याम, मैं हूँ अकेली सात सखी मेरे संग हैं रे। जमुना... गोपाल गागर भर दे रे। जमुना... जो तुम जानो श्याम, मैं हूँ अकेली श्याम सुन्दर मेरो वर है रे। जमुना

जमुना किनारे मोरा गांव

जमुना किनारे मोरा गांव, संवरिया आ जाना। जो कृष्ण मोरा गांव न जानो। बरसाना मोरा गांव, संवरिया आ जाना। जमुना... जो कान्हा मोरा नाम न जानो, राधा नवेली मोरा नाम। संवरिया आ जाना। जमुना... जो कान्हा मोरा धाम न जानो ऊंची हवेली मेरा धाम। संवरिया आ जाना। जमुना...

जय-जय शीतला माई की

जय-जय शीतला माई की जय-जय बोलो गंगा के नीर मैया कैसे चढ़ाय दूं मछली ने लियो है जुठार, की जय-जय बोलो मिठया के पेड़ा मैया कैसे चढ़ाय दूं। चींटी ने लिये हैं जुठार की जय-जय बोलो बगिया के फूल मैया कैसे चढ़ाय दूं भौंरे ने लिये हैं जुठार, की जय-जय बोलो घर की रसोई मैया कैसे चढ़ाय दूं बालक ने लिये हैं जुठार, की जय-जय बोलो

जागो वंशी वारे ललना

जागो वंशी वारे ललना-जागो मोरे प्यारे रजनी बीती भोर भयो है, घर-घर खुले किवाड़े। जागो... गोपी दही मथत सुनियत है, कंगना के झनकारे। जागो... उठो लाल जी भोर भयो है, सुर नर ठांड़े द्वारे। जागो... ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय-जय शब्द उचारे। माखन रोटी हाथ में लीन्हीं, गउवन के रखवारे। जागो... मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर शरण मैं आई तिहारे। जागो...

जाना जरूर देवी दर्शन खों

जाना जरूर देवी दर्शन खों। कोआ चढ़ा आये ध्वजा नारियल कोआ चढ़ा आये बेला के फूल चमेली के फूल देवी दर्शन खों। जाना... आजुल चढ़ा आए ध्वजा नारियल आजी चढ़ा आईं बेला के फूल चमेली की फूल देवी दर्शन खों। जाना... कोआ चढ़ा आये पान सुपाड़ी, कोआ चढ़ा आये जूही के फूल चमेली के फूल देवी दर्शन खों। जाना... बाबुल चढ़ा आये पान सुपाड़ी, अम्मा चढ़ाय आयीं जूही के फूल चमेली के फूल देवी दर्शन खों। जाना... मैया चढ़ा आयीं चूनर साड़ी भाभी चढ़ाय आईं गेंदा के फूल चमेली के फूल देवी दर्शन खों। जाना...

जे देवी दयाल, भई मोरे अंगना

जे देवी दयाल, भई मोरे अंगना देवी के हाथन दूध औ जलेबी जो जूठन डाल चली मोरे अंगना। जे देवी... देवी के हाथन फूलों की माला जे माला डाल चली मोरे अंगना। जे देवी... मैया के हाथन मोहरे अशर्फी जे मोहरें डाल चली मोरे अंगना। जे देवी... मैया के हाथन उड़िया झडूले जे पलना डाल चली मोरे अंगना। जे देवी...

टेरत हैं घनश्याम तुम्हें तो

टेरत हैं घनश्याम तुम्हें तो कोई टेरत है नन्दलाल टेरत-टेरत दूर निकल गईं, लेत तुम्हारो नाम। तुम्हें तो... गोरी-गोरी उमर की छोटी, राधा उनका नाम। तुम्हें तो... कहां का रहना, कहां का मिलना, कहां भई पहचान। तुम्हें तो... गोकुल रहना, मथुरा मिलना, बरसाने पहचान। तुम्हें तो... टेरत हैं घनश्याम...

ठुमुक-ठुमुक नाच रह्यो श्याम

ठुमुक-ठुमुक नाच रह्यो श्याम, आंगन में झांक रही मैया। मैया को देख हँसो श्याम, शरम गयेा बारों। कन्हैया... सर पे बंधो मोर मुकुट, मोहन ने उतार दियो हाथों में बाजूबंद, मोहन ने डार दियो कर न सकूं मैं बयान, शरम गयो बारों। कन्हैया... कमर में करधोनी, मोहन ने उतार दई पीताम्बर पट की किनारी भी फाड़ दई अंगना में लोट गयो, श्याम शरम गयो बारों। कन्हैया... दौड़ी आई मैया, झट गोद में उठाय लियो आंचल से आंसु पोंछ, गोद में बिठाय लियो चंदा को देख हँसो श्याम, शरम गयेा बारों। कन्हैया...

डूब चलो दिन माय

डूब चलो दिन माय, सांझ भई मंदिर में। काहे के मैया दियला बने हैं काहे की डारी जोत। सांझ भई मंदिर में सोने के मैया दियला बने हैं, रूपे की डारी जोत। सांझ... कौन सुहागन दियरा जारें, कौना ने डारी जोत। सांझ... सीता सुहागन दियरा जारे, रामा ने डारी जोत। सांझ... कहां बनी मैया तोरी मडुरिया, कौना भयो रखवार, सांझ... ऊंचे पहाड़ मैया बनी मडुरिया, लंगुरा भये रखवार। सांझ... सुमिर-सुमिर मैया तोरे जस गाऊं, चरणन की बलिहार। सांझ...

तुमने नाम कमायो पवन सुत

तुमने नाम कमायो पवन सुत, तुमने नाम कमायो होतऊं से सूरज खों लीलो, जग कीन्हों अंधियारो। पवन सुत तुमने नाम कमायो।। देवन जाय करी जब बिनती देवन कष्ट निवारो। पवन सुत तुमने नाम कमायो।। सात समुन्दर तुमने नाके काहे खो सेतु बंधायो। पवन सुत तुमने नाम कमायो।। लंका बात तनिक सी कहिए रामचन्द्र भटकायो। पवन सुत तुमने नाम कमायो।। तुलसीदास आस रघुबर की हरि चरनन चित लायो। पवन सुत तुमने नाम कमायो।।

तोरे पांव परत महामाई हो

तोरे पांव परत महामाई हो, मोरी अरज सुनो माया के तेरे भरे हैं खजाने, धन दौलत मैया कछु न चाने बिनती सुनो हमारी हो मोरी अरज सुनो... दुष्ट दलन जगदम्बा भवानी, तो सम नहिं मैया कोऊ दानी करो कृपा हर्षायी हो। मोरी... नाहिं चाहो मैया महल अटारी इतनी है बस बिनय हमारी रहो चरन चितलाई, हो मोरी अरज सुनो... सेवक की रक्षा करो माता बिनय सुनो तुम मेरी माता जीवन ज्योति जलाई हो। मोरी अरज...

तोरे सोहे पांव पैजनिया

तोरे सोहे पांव पैजनिया, माई के बलमा। माथे मुकुट माल रतनन की ओढ़ें लाल उढ़निया, माई के बलमा। तोरे... हाथन में हंथचूरा सोहे, अंगुरिन बीच मुदरिया, माई के बलमा। तोरे... बाजूबन्द भुजन पे सोहे, कमर में करधनिया, माई के बलमा। तोरे... एक हाथ में खड़ग लिये हैं। दूजे तीर कमनिया, माई के बलमा। तोरे... तीजे हाथ त्रिशूल बिराजे चौथे खप्पर अंगनिया, माई के बलमा। तोरे... सिंह सवार भई जगतारन छबि न जात बखनियां, माई के बलमा। तोरे... पांच भगत माई तोरे जस गावें। छवि न जात बखनियां, माई के बलमा। तोरे...

दुर्गा दुर्गति हारो

दुर्गा दुर्गति हारो, भवानी मोखों आन उबारो। जपूं शीतला नाम तिहारो शीतल छैयां डारो। भवानी... नाम जपो मैया मंगला देवी मंगल काज संवारो। भवानी... जपूं रोज मैया मात शारदा सहबुद्धि देव सुधारो। भवानी... भजन करूं मैया तेरो कालका काल को फंदा टारो। भवानी...

दृगन मन बस गये, री मोरे गुइयां

दृगन मन बस गये, री मोरे गुइयां कै मोरी गुइयां, दशरथ राज दुलारे गैल इत कड़ गये, री मोरी गुइयां। दृगन मन... कै मोरी गुइयां, हांथ सुमन के दौना, लतन बिच छिप रहे, री मोरी गुइयां।। दृगन मन... कै मोरी गुइयां तक तिरछी सैनन विहंस कछु कह गये, री मोरी गुइयां।। कै मोरी गुइयां कंचन प्राण पियारे, चोर चित लै गये, री मोरी गुइयां। दृगन मन...

देवी के दिवालें बड़ी भीर

देवी के दिवालें बड़ी भीर, चलो तो दर्शन करबे। कौना लगा दई मैया बेला चमेली, कौना ने लाल अनार। चलो... देवी लगा दई मैया बेला चमेली, लंगुरे ने लाल अनार। चलो... कांहे के गोडूं भैया बेला चमेली, काहे के लाल अनार। चलो... कुदरन गोडूं मैया बेला चमेली, खुरपन लाल अनार। चलो तो काहे के सींचूं मैया बेला चमेली, काहे से लाल अनार। चलो... दुधुअन सीचूं मैया बेला चमेली, अमृत लाल अनार। चलो तो दर्शन करबे। देवी के दिवाले बड़ी भीर, चलो तो दर्शन करबे।

धीरे चलो मैं हारी लक्ष्मण

धीरे चलो मैं हारी लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।। एक तो नारी दूजे सुकुमारी, तीजे मजल की मारी, संकरी गलियां कांटे कटीले, फारत हैं तन की सारी। लक्ष्मण... गैल चलत मोह प्यास लगत है, दूजे पवन प्रचारी। लक्ष्मण धीरे चलो...

पत रखियो सब जन की

पत रखियो सब जन की मोरी मैया। पत... मैया के मड़पे चम्पा धनेरो। महक भरी फुलवन की। मोरी मैया... मैया के मड़ पे गौयें धनेरी बाढ़ भई बछड़न की। मोरी मैया... मैया के मड़ में भक्त बहुत हैं भीड़ भई लड़कन की। मोरी मैया... मैया के मड़ में जज्ञ रचो है हवन होय गुड़ घी को। मोरी मैया...

पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला

पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला नैना भरों के भरों घैला। पनघट पे... भर के गगरिया हमें घर जानें मोहन न रोको हमारी गैला। पनघट पे... काम तुम्हारो है माखन चुरावो, तुम हो जनम के चुटकैला। पनघट पे... एही पनघट पे हो गई दिवानी, लागी नजर कौन जाऊँ गैला। पनघट पे... पिया सखी भई रूप दिवानी नाजा रे छलिया छलबैला। पनघट पे...

पूरना पूरी करो माई

पूरना पूरी करो माई... कि अम्बे मोरी काहे की ईंट पराई काहे को गारा रे माई कि अम्बे मोरी सोने की ईंट पराई चंदन लगो गारा री माई। पूरना... कि अम्बे मोरी काहे के दीया जराये काहे की डरी बाती री माई। पूरना... कि अम्बे मोरी सोने की दीया जराये कपूर लगी बाती री माई। पूरना... कि अम्बे मोरी कैसी बनी तेरी मूरत दरश हमें दे दो री माई। पूरना...

प्रभु तोरी महिमा परम अपारा

प्रभु तोरी महिमा परम अपारा जाको मिले न कोऊ पारा।। सबरे जगत खों आप रचावें सबके हो तुम पालन हारा। प्रभु तोरी महिमा...। कैसो सूरज गरम बनायो कैसो शीतल चांद उजारा। प्रभु तोरी महिमा...। जुदा-जुदा नभ के तो ऊपर चमकत कैसे हैं धु्रवतारा। प्रभु तोरी महिमा...। उन प्रभु खों तुम भज लो प्यारे कर लो अपनो बेड़ा पार। प्रभु तोरी महिमा...।

प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये

प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये, लम्बे-लम्बे झाडू शबरी डगर बटोरी, एही डगरिया आयें, राम शबरी घर आये। प्रेम... कुश की चटइया शबरी झाड़ बिछाई, आशन लगाये भगवान, शबरी घर आये। प्रेम... काठ कठिवता शबरी जल भर ल्याई, चरण पखारूँ मैं भगवान, शबरी घर आये। प्रेम... मीठी-मीठी बेर शबरी दौना भर ल्याई, भोग लगावे भगवान, शबरी घर आये। प्रेम... तुलसीदास आस रघुबर की, शिव री बैकुण्ठ पठाये, शबरी घर आये। प्रेम...

बिन देखे नन्दलाला, कल न परे

बिन देखे नन्दलाला, कल न परे मोर मुकुट मोरे ठाकुर जी खों सोहे। सो फंुदरन बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही नन्दलाला। कल न परे... माथे खोरे मोरे ठाकुर जी खों सोहे सो टिपकन बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही नन्दलाला। कल न परे... कंठन गोपें मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो गोपन बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही नन्दलाला। कल न परे... हांथन कंगन मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो घड़ियन बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही नन्दलाला। कल न परे... केसरिया बागो मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो पनरस बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही... पावन तो मोजा मोरे ठाकुर जी खों सोहें, सो माहुर बीच छिपी रही नन्दलाला, छिपी रही नन्दलाला। कल न परे...

बिराजे आज सरजू तीर

बिराजे आज सरजू तीर चौकी चारु भनिन मय राजे, तापर सिया रघुबीर।। बिराजे... जनक लली दमिनि अति सुन्दर, पिय धन श्याम शरीर। पीताम्बर पट उत छवि छाजत, इत नीलाम्बर-चीर।। बिराजे... सिय सिर सुभग चन्द्रिका झलकत, उत कलगी मंदीर।। पिय कर वाम सिया हैं सोहे, दाहिन कर धनु तीर।। बिराजे... मृदु मुसकात बतात परस्पर, हरत हृदय की पीर।। कंचन कुंअरि निरखि यह शोभा, रहो न तनमन धीर।। बिराजे...

भई ने बिरज की भोर सखी री

भई ने बिरज की भोर सखी री मैं तो भई ने बिरज की मोर। कहना रहती कहना चुनती कहना करती किलोल सखी री। भई... गोकुल रहती वृन्दावन चुगती मथुरा करती किलोल। सखी... गोवर्धन पे लेत बसेरो, नचती पंख मरोर। सखी... उड़-उड़ पंख गिरे धरनी पे बीनत जुगल किशोर। सखी... वृन्दावन की महिमा न्यारी, वाको ओर न छोर। सखी...

मगन मन डोले रे जय अम्बे बोले

मगन मन डोले रे जय अम्बे बोले तो पर भैया जाऊं बलिहारी देखत रूप सलोने। मगन मन... जगमत जलती ज्योति तुम्हारी घन-घन घंटा बोले। मगन मन... देख रहे तोह सब नर नारी एकटक अंखिया खोले। मगन मन...

माई तुम्हरे श्याम कौन गुण कारे

माई तुम्हरे श्याम कौन गुण कारे, कौन गुण कारे। माई तुम्हरे श्याम... गोरे नन्द बाबा, सो गोरी यशोदा सो गोरे ही हैं, बलराम तुम्हारे, बलराम तुम्हारे। माई तुम्हरे श्याम... कारे जिन कहो ग्वालन कारे ही हैं जग के उजियारे, मोरी आँख के तारे। माई तुम्हरे श्याम... खेलत गेंद गिरी जमुना में सो नागनाथ जैसे हो गये कारे, एही गुन कारे। माई तुम्हरे श्याम...

मांगूं मांगूं वरदान देवी के मंदिर

मांगूं मांगूं वरदान देवी के मंदिर भीतर। मांगूं मैं लाल पीली चुड़ियां सेंदुर भरी मांग देवी के मंदिर भीतर। मांगूं मैं लाल चुनरिया... गोटा जड़ी रे किनार मांगूं मैं पांव महावर मैं पांव महावर मेहंदी रंगे हाथ। मांगूं मैं पांव में विछिया... भरा पूरा परिवार देवी के मंदिर भीतर। मांगूं...

माय भवानी मोरी पाहुनी हो मां

माय भवानी मोरी पाहुनी हो मां। चन्दन पटली बैठक डारों, दूधा पखारों दोऊ पांव। भवानी... दार दरों मैं मूंग की माता, राधौं मुठी भर भात। भवानी... खाके जूंठ मैया अचवन लागीं, मुख भर देतीं असीस। भवानी... दूध पूत मैया तोरे दये हैं, बरुआ अमर हो जायें। भवानी... सुमिर-सुमिर मैया तोरे जस गाऊं, चरण छोड़ कहां जाऊं। भवानी...

मुरलिया बाजे जमुना तीर

मुरलिया बाजे जमुना तीर बंशी बाजी जमुना तीर हाथों के गहिने राधा पैरों में पहिने ओढ़ आई उल्टा चीर रे। मुरलिया... संग की सहेली मैंने कुआओं पे छोड़ी छोड़ आई कुल की रीति रे। मुरलिया... सास ननद मैंने सोवत छोड़ी छोड़ आई साजन और बीर। मुरलिया... ऐसे प्रेम रंगे सब मोहन बिनती करूं मैं रघुबीर। मुरलिया...

मैंया के भुवन अरे हां

मैंया के भुवन अरे हां, अखण्डी ज्योति जरे। काहे के दीया काहे के बाती काहे के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे। मैंया... सोने की दीया कपूर की बाती, सोने के कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे। मैंया... कौना मंदिर में जोत जरावे, कौना कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे। मैंया... सीता सुहागन जोत जरावें, राम जी कलश धरे अखण्डी ज्योति जरे। मैंया... सब वेदन मे तोरो जस गावे अखण्डी ज्योति जरे। मैंया...

मैया के भुवन में हरे चंदन बिरछा

मैया के भुवन में हरे चंदन बिरछा लंगुरा डार कटाय हो मां हँस-हँस पूंछे देवी जालपा काहे की खातिर कटाये हो मां। मैया खों तो कइये मां चदन पलकियां मड़खों बजर किवार हो मां। मैया... उठा पलंगवा बीरा लंगुरवा डारे बढ़ई की दुकान हो मां। मैया... बढ़ई तो कइये चतुर सुजार जो रुचि-रुचि पलंग बनाये हो मां। मैया...

मैया कैसी मनोहर गलियां सजी हैं

मैया कैसी मनोहर गलियां सजी हैं देखो सुनार लये, नथनी खड़ो हैं। नथुनी में हीरे की कनियां लगी हैं। मैया... देखो बजाज लये, चुनरी खड़ो है। अरे चुनरी में गोटे की छड़ियां पड़ी हैं। मैया... देखो माली लये, हार खड़ो है, हार में चम्पे की कलियां लगी हैं। मैया... देखो यात्री मोहन भोग लये हैं, भोग में मिश्री की डरियां पड़ी हैं। मैया...

मैया तेरे लाला को लागी नजरिया

मैया तेरे लाला को लागी नजरिया माथे पे चंदा इनके बना दो, मोहन माला गले पहना दो डालो गले में पुतरिया, इन्हें लागी नजरिया। मैया... रेशम का धागा कमर पहिरा दो मोरो के पंखों की झालर लगा दो जाने न दो इन्हें कोऊ की बाखरिया। मैया... सोने की थाली में दीपक उजारो मेवा सुपाड़ी नारियल धारो सूनो न छोड़ो इन्हें अपनी सजेरिया। मैया...

मैया महक रहे तोरे बाग

मैया महक रहे तोरे बाग, मंदिरवा एंगर के। चम्पा चमेली केतकी फूली, मैया फूल रही कचनार। मंदिरवा... फूले गुलाब चांदनी बेला, केवरा की है बहार। मंदिरवा... कमल कुमुदनी मोंगरा फूलो, फूल रहे गुलदाख। मंदिरवा... दिन के राजा रात की रानी, फूलन की भरमार। मंदिरवा... भांति-भांति के फूल खिले हैं, बरने कौन प्रकार। मंदिरवा... उन फूलन के बने हैं गजरे, देवी को होत शृंगार। मंदिरवा..., मंदिरवा एंगर के। चम्पा चमेली केतकी फूली, मैया फूल रही कचनार। मंदिरवा... फूले गुलाब चांदनी बेला, केवरा की है बहार। मंदिरवा... कमल कुमुदनी मोंगरा फूलो, फूल रहे गुलदाख। मंदिरवा... दिन के राजा रात की रानी, फूलन की भरमार। मंदिरवा... भांति-भांति के फूल खिले हैं, बरने कौन प्रकार। मंदिरवा... उन फूलन के बने हैं गजरे, देवी को होत शृंगार। मंदिरवा...

मैया शंख बजत मिरदंग आरती

मैया शंख बजत मिरदंग आरती की बिरियां... ढोल नगाड़े तुरही बाजे, बाजत ढप उर चंग आरती की बिरियां। मैया... झांझ खंजरी झूला तारे, झालर ढोलक संग आरती की बिरियां। मैया... डमरू श्रंगी उर रमतूला, धुन गूंजत तिरभंग आरती की बिरियां। मैया... शिव सनकादिक नारद विष्णु, रह गये ब्रह्मा संग आरती की बिरियां। मैया... सुर किन्नर गंधर्व अप्सरा, सबई इक रंग आरती की बिरियां। मैया...

मोय ब्रज बिसरत नैयां

मोय ब्रज बिसरत नैयां, सखी री मोय तो ब्रज बिसरत नैयां।। सोने सरूपे की बनी द्वारिका, गोकुल जैसी छवि नइयां। मोय सखी... उज्जवल जल जमुना की धारा, बाकी भांति जल नैयां। मोय सखी... जो सुख कहियत मात जशोदा, सो सुख सपने नैयां। मोय सखी...

मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी

मोरी बिनती सुनो महरानी भवानी। बिनती सुनो... कष्ट निवारो संकट काटो, दुख टारो महरानी भवानी बिनती सुनो। बिनती सुनो... कितने भक्त हैं तारे तुमने, मोह तारो महरानी भवानी। बिनती सुनो... ना हम जाने आरती पूजा, ना भक्ति महरानी भवानी। बिनती सुनो... कैसे तुम्हारे दरशन पाऊं, कैसे चरण दबाऊं महरानी। बिनती सुनो... अपनी शक्ति दिखाओ मैया, शरण तुम्हारे आऊँ भवानी। बिनती सुनो...

मोरे मन बसे राम और सीता

मोरे मन बसे राम और सीता। मोरे... मोर मुकुट मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो कलगिन बीच राम और सीता। मोरे... चंदन खोरे मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो टिपकिन बीच राम और सीता। मोरे... नैनन सुरमा मोरे ठाकुर जी खों ‘सोहे’, सो माला बीच राम और सीता। मोरे... पानन बिरियां मोरे ठाकुर जी खों सोहे, सो लाली बीच राम और सीता। मोरे...

मोसे भुअन चढ़ो न जाय लंगुरिया

मोसे भुअन चढ़ो न जाय लंगुरिया ऐसी धमक लगे पायल की। मेरे ससुरा चले देवी दर्शन खों लिये ध्वजा नारियल हाथ लंगुरिया, ऐड़ी धमक लगे पायल की। मेरा जेठा चले देवी दरशन खों। लिये लाल चुनरियां हाथ लंगुरिया। ऐड़ी धमक लगे पायल की। मेरे देवरा चले देवी दरशन खों। लिये हार फूलन के हाथ लंगुरिया। ऐड़ी धमक लगे पायल की। मेरे साजन चले देवी दरशन खों। लिये गोद ललनवा हाथ लंगुरिया। ऐड़ी धमक लगे पायल की।

या ब्रज में कछु देखो री टोना

या ब्रज में कछु देखो री टोना। ले मटकी सिर चली गुजरिया आगे मिले नन्द जी को छोना। या ब्रज... दधि को नाम बिसर गयो प्यारे ले-ले रे कोई श्याम सलोना। या ब्रज... वृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगाय गयो मन मोहना। या ब्रज... मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सुन्दर श्याम सुंदर है सलोना। या ब्रज...

रथ ठांड़े करो रघुबीर

रथ ठांड़े करो रघुबीर, तुम्हारे संग मैं चलूं वनवास खों। अरे हां जी तुम्हारे, काहे के रथला बने, है अरे काहे के डरे हैं बुनाव तुम्हारे संग ... अरे हां हो हमारे, चन्दन के रथला बने, और रेशम डरे हैं बुनाव, तुम्हारे संग ... अरे हां जी तुम्हारे, रथ में को जो बैठियो, और हां जी रानी सीता, रथ में बैठियो, राजा राम जी हैं हांकनहार, तुम्हारे संग ... रथ ठांड़े करो...

लंका में हनुमान, अलबेले राम

लंका में हनुमान, अलबेले राम काहे को सोटा काहे को लंगोटा काहे चढ़ा दूं चोला। सोने को सोटा, लाख को गोटा सेंदुर चढ़ाय दऊं चोला। बन-बन भटके फिरत अकेले डाले फूलन को सेला। लंका में...। काहे को मुकुट, काहे को मुस्टक काहे को बनहै झेला। सोने को मुकुट, चंदन की मुस्टक फूलों का डाले झेला। लंका में...।

लोंगें ही लोंगें महकाय मोरी मैया

लोंगें ही लोंगें महकाय मोरी मैया, तेरा बगीचा लोंगों का। कौन लगाये मैया बेला चमेली, कोने लगाई अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... देवी लगाई मैया बेला चमेली, लंगुरा लगाये अनार मोरी मैया तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... कैसे के गोडूं मैया बेला चमेली, कैसे के गोडूं मैया अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... कुदरन गोडूं मैया बेला चमेली, खुरपन गोडूं अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... कैसे के सींचूं मैया बेला चमेली, कैसे के सींचूं अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... दूधन सींचूं मैया बेला चमेली, अमृत सींचूं अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... कै फूल फूले मैया बेला चमेली, कै फूल फूले अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... कौना चढ़ाये मैया बेला चमेली, कौना चढ़ाये अनार मोरी मैया। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... देवी चढ़ाये मैया बेला चमेली, लंगुरा चढ़ाये अनार तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें... मोरी मैया तेरा बगीचा लोंगों का। तेरा बगीचा लोंगों का। लोंगें...

शबरी के खट्टे मीठे बेर

शबरी के खट्टे मीठे बेर, बेर बड़े मीठे लगे। एक दिन शबरी जंगल गई थी, जंगल गई थी। ले आई खट्टे मीठे बेर, बड़े मीठे लगे। एक मुट्ठी बेर शबरी रामजी को दीन्हीं रामजी ने खाय लिये बेर, बेर बड़े मीठे लगे। एक मुट्ठी बेर शबरी लखन जी को दीन्हीं। फेंक दिये उनके बेर, बेर बड़े खट्टे लगे। वही बेर बनें थे, पर्वत पे बूटी। आये लखन के काम बेर...

शिव शंकर चले कैलाश

शिव शंकर चले कैलाश, बुंदियां पड़न लगीं कौना ने बो दई हरी-हरी मेहंदी कौना ने बो दई भांग, बुंदियां पड़न लगी।। गौरा ने बो दई हरी-हरी मेहंदी भोला शंकर ने बो दई भांग। बुंदियां... कौना ने बांटी हरी-हरी मेहंदी, कौना ने बांटी भांग। बुंदियां... गौरा ने बांटी हरी-हरी मेहंदी, शंकर ने बांटी भांग। बुंदियां... कौना रचाई हरी-हरी मेहंदी, कौना ने पी लई भांग। बुंदियां... गौरा के रच गई हरी-हरी मेहंदी, शिवशंकर ने पी लई भांग। बुंदियां... भोला शंकर को चढ़ गई भांग, बुंदियां...

शेरों पे हो गई सवार

शेरों पे हो गई सवार, सवार महारानी। माली पे हो गई दयाल, दयाल महारानी। शेरों... शेरों सवार मैया महलों गई थीं राजा पे हो गई दयाल, दयाल महारानी। शेरों... शेरों सवार मैया मंदिर गई थीं भक्तों पे हो गई दयाल, दयाल महारानी। शेरों... शेरों सवार मैया मेरे घर आओ हम पे भी हो जाओ दयाल। शेरों...

श्याम लखत छबि, बांकी राधिका जी की

श्याम लखत छबि, बांकी राधिका जी की चटक चुनरी घेर घांघरा, अंगिया की छबि बांकी, राधिका जी की। श्याम... कर कपोल नैना रतनारे, चितवन की छबि बांकी, राधिकाजी की। श्याम... कानन कुण्डल माथे बेंदी, बैसर की छबि बांकी, राधिकाजी की। श्याम... चूड़ी लाल जड़ाउ कंगना, बाजू की छबि बांकी, राधिकाजी की। श्याम... पांव पैजनियां कमर करधनियां, बिछुआ की छबि बांकी, राधिकाजी की।

सकल गुण धाम अम्बे तू

सकल गुण धाम अम्बे तू, भला क्या गान गाऊ मैं। बनाऊँ साज पूजन को, कहाँ पर साज पाऊँ मैं। तुमईं हो व्याप्त ग्रंथों में, तुमईं वेदों पुराणों में। कहाँ वह ज्ञान है मुझको, जो माता को सुनाऊँ मैं।। मृदुल सुचि पद्म आसीना, कहाँ आसन बनाऊ मैं। लगैया पार अब नैया, तेरो सो कौन पाऊँ मैं।। सुनो हे मातु अब बिनती, अनाथों ओ गरीबों की। तुम्हें ही मध्य पाऊँ मैं, तुम्हारा गान गाऊँ मैं।।

सब सखि चलो जमुना तट पे

सब सखि चलो जमुना तट पे जहां श्याम बजा रहे बांसुरिया। जमुना तट धेनु चराय रहें, सिर ओढ़े कारी कामरिया। सब सखि... जमुना तट रहस रचाये रहे, संग नाचे राधा सांवरिया। सब सखि... जमुना तट ग्वाल खेल रहे, जमुना में कूदे सांवरिया। सब सखि... जब काले नाग फुंकार दियो, तब रंग बदल गयो सांवरिया। सब सखि... जब श्याम ने नाग को नाथ लियो तब प्रेम की बाजी बांसुरिया। सब सखि...

स्वारथ को व्यवहार जगत में

स्वारथ को व्यवहार जगत में स्वारथ को व्यवहार बिन स्वारथ कोऊ बात न पूछे देखा खूब बिचार। जगत में... स्वारथ को व्यवहार पूत कमाके धन खों, ल्यावे माता करे पियार। जगत में... पिता कहे यह पुत्र हमारो, अक्लमंद हुशियार। जगत में... नारी सुन्दर भूषण मांगे, करे पति से प्यार। जगत में... नहीं कोऊ संगी न कोऊ साथी मतलब के सब यार। जगत में... यह माया तुम छोड़ो प्यारे, भजो जगत करतार। जगत में...

हो जाओ हो जाओ दयाल महामाई

हो जाओ हो जाओ दयाल महामाई अबकी बेर सोरह गऊ के मैया गोबर मंगाये मोरी माता तो रुच-रुच भुवन लिपाये मोरी माता तो मुतियन चौक पुराये मोरी माता तो चंदन के पलना डराये मोरी माता। अबकी बेर चंदन पटरी डराओ मोरी माता चौमुख दिया जलाओ मोरी माता अबकी बेर अपने ललन खों कंठ लगायें मोरी माता अबकी बेर

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