विवाह के अन्य अवसर : बुन्देली लोकगीत

Vivah Ke Anya Avsar : Bundeli Lok Geet

	

सकरी खटुलिया पै गौरा महादेव

सकरी खटुलिया पै गौरा महादेव, किस मिस किस मिस होय सुनौं जू। किस मिस किस मिस जिन करौ गौरा रचिहौं दूसरो ब्याह सुनो जू। जो तुम दूसरो ब्याह रचौ भोला हम मायके ढुर जैहें सुनौ जू। हथ लई लुटिया बगल लै लई धुतिया धर लई मायके की गैल सुनो जू। लाल लाल भोला डुलिया सजायी पचरंग सजे हैं कहार सुनो जू। इक वन नाके द्विज वन नाके तिज वन पहुँचे जाय सुनो जू। इतनी देख गंगा ठाँड़ी जो हो गई कैसे आगमन तुम्हारा सुनो जू। आनंद पूर्वक गौरा हमारी हाल तुम देओ सुनाये सुनौ जू। गौरा मरै छह महीना बीत गये छह महीना छह दिन सुनो जू। तुमकौ लिवाउन आये वारी गंगा चलौ हमारे संग सुनौ जू। इक वन नाकी गंगा दूजे वन नाकी तीजे वन आये सिधारी सुनो जू। उतै से आये भोला गौरा सें बोले गंगा कौ लेओ उतार सुनौ जू। बहुअें औ बिटिया भोला सब कोउ उतारौ सौत उतारी न जाय सुनो जू। सकरी खटुलिया पै गौरा महादेव किसमिस किसमिस होय सुनो जू।

मैना बोली चिरैया के न्यौते हम जायें

मैना बोली चिरैया के न्यौते हम जायें, मैना बोल गई। सुअना पक्यात करी चिरूवा के साथ, लगुन लवा लै चले। कौआ समझदार बामें तीतुर बने सिरदार। मोर करै सत्कार, बाजे बजें चटकदार मैना बोल गई। मैना बोली... चातक चंडूल हंस सजे बराती, टीका होत सज गये कठफोड़ा परिवार हती ऊबनी की रैन टीका पटा भये टीका पटा भये मैना बोल गई। मैना बोली... लै चढ़ाओ चकवा चले हरियल लै चंग छटा पपीरहा की जंग, छटा सोनो सब रंग कौड़ीला लयें संग मैना बोल गई। मैना बोली... सखियाँ जो बैठी सब वेद तों बचावें भाँवरन में गारी गावें, बरातियन कों सुनावें समधी जो बैठे सिर कों नवाये मैना बोल गई। मैना बोली... गल गल गुलदार चील चमगादड़ बटार मोर बतख सें प्यार ब्या करै न्यौछार मुनिया लगे मजेदार मैना बोल गई। मैना बोली... हाथ जोर सुअना ठाड़े करें विनती देनगी चुका दई दिनार ठसकदार न कीनी तकरार न भूलन बिसार मैना बोल गई। मैना बोली... नौआ कहै बुल बुल सें नंेग करा दो नउआ बैठे सुख पाये तार विदा की लगाये डोली कहार से उठवायें मैना बोल गई। मैना बोली...

सब नाजन में नाज सभा सब

सब नाजन में नाज सभा सब मिल कर आवै रे। चना की कइयै लम्बी नाक, पिसी लरकौरी आवै री। जवा की कइये ठाकुर जात कै मूँछ मरोरत आवै री। उरद की कइये वम्मन जात कै तिलक सँवारत आवे री। मूँग की कइये पतुरिया जात कै पटिया पारत आवै री। जुड़ई की कइये अहीरन जात कै ददुआ फुरकत आवै री। मटर की कइये बरार जात परौ मृदंग बजावै री। कोदंे की कइये कुम्हरा की जात कूढ़ बकोड़त आवै री।

है पतरी कमर नाजुक बहियाँ

है पतरी कमर नाजुक बहियाँ धनुष कैसें टोरें सइयाँ। कोमल गात श्री भगवान, कर में सोहत लाल कमान, भारी महादेव कौ बान, हारे बड़े-बड़े बलवान, कोउ जोधा पै धनुष तनत नइयाँ। धनुष।। हरि कै अधिक रसीले नैना, चित सें टारें नहीं टरें ना, जो कहुँ उनसे धनुष तने ना, खाकर जहर मरूँ मेरी बैना, देव लक्ष्मण की उमर लरकइयाँ।। धनुष।। हरि की मधुर सुन सुन बानी, मोरे दिल में प्रीति समानी, राजा टेक धनुष की ठानी, हारी सब भूपन ने मानी, पिया प्यारे की नरम कलइयाँ।। धनुष।। सुमिरौ शिव शंकर कैलासी, मैं हूँ रामचन्द्र की दासी, दिल में अति प्रेम की प्यासी, दुर्गालाल कटेरा वासी, करूँ हरि से विनय परूँ पइयाँ ।। धनुष।।

गंगा जमुन की बालू रते में

गंगा जमुन की बालू रते में मलिया ने बाग लगाये, रसवारी के भौंरा रे। बागा दुबीचे अम्बा कौ पेड़ों बई से गादर आम हो, रसवारी के भौंरा रे। ऊपर से गिरे हैं दो अम्बा चोली में लग गये दाग। रसवारी... पाँच रूपैया तोय देऊँ देवरा नगरी में धुबिया बसाओ रसवारी... काना फीछूँ काना पछाडूँ काना सूखन डारूँ, रसवारी के... गंगा फीछों जमुना पछज्ञड़ौ पट्टी पैसूखन डालौं, रसवारी के... उतै से आये दो मुसाफिर जा चोली की बनक बनी है, रसवारी के... जा चोली की अजब बनक सो गोरी धन कौन सरूप, रसवारी के... पाँच रूपयौ मैं तुम्हें दऊँ धुबिया गोरी धन कौ महल बताओ, रसवारी के... ऊँची अटरिया चंदन किरिया सूरज सामें द्वार बोई गोरी धन कौ महल, रसवारी के... गोरी धन हम कों मुखई बताओ आये हैं सिपहिया, रसवारी के... तोसे सिपहिया मैंने भौतक देखे मोरे लगे हरवारे, रसवारी के... तोसी गोरी धन मैंने भौतक देखी मोरे लगीं गुबरारीं, रसवारी के... तोसे सिपहिया मैंने भौतक देखे मोरे लगे पनहारे, रसवारी के... तोसी गोरी धन मैंने भौतिक देखी मोरे लगीं पिसनारी, रसवारी के... गये मुसाफिर पलट घर आये मलिया ने बाग लगाये, रसवारी के...

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