विषहरिक गीत : मैथिली लोकगीत

Vishaharik Geet : Maithili Lokgeet

	

ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय

ऊँची रे अटरिया पर विषहरि माय राम, नीची रे अटरिया पर सोनरा के भाय देबौ रे सोनरा भाइ डाला भरि सोन राम, गढ़ि दिअनु विषहरिके कलस पचास बाट रे बटोहिया कि तोहें मोर भाइ राम, कहबनि विषहरिके कलसा लय जाइ तोहरो विषहरि के चिन्हियो के जानि राम, कहबनि कोनाकऽ कलस लए जाय हमरो विषहरि के नामी-नामी केश राम, मुठी एक डाँर छनि अल्प बएस सरोवर-दह विषहरि लेल प्रवेश राम, दह पइसि पाँचो बहिनि खेलू झिलहेरि पुरइनि पात विषहरि करू डगमग पानि राम, ताहि चढ़ि पाँचो बहीनि देखू संसार नाह दए नवेरिया भइया दए करूआरि राम, विषहरि जेती मृत्युभुवन सेवक ओहि ठाम ककर घर विषहरि दूध-लाबा लेल राम, ककर घर विषहरि खीर-मखान सबहक घर विषहरि दूध-लाबा लेल राम, सेवक घर विषहरि खीर-मखान

कओने फूल उज्जर, कओने फूल लाल

कओने फूल उज्जर, कओने फूल लाल कओने फूल विषहरि के सोभय ग्रीवाहार बेली फूल उज्जर, गेन्दा फूल लाल अढ़ूल फूल विषहरि के शोभय ग्रीवाहार पहीरि ओढ़िय विषहरि आंगन भेली ठाढ़ सुरूजक जोति विषहरि कयल मलीन

कागा लऽ गेल मुद्रिका

कागा लऽ गेल मुद्रिका, चिल्होरि ग्रीमहार राम, ताहि लेल विषहरि रोदना पसार सोन ले रे सोनरा, रूपा ले पटबा राम, गढ़ि दए सोनरा मैया सोने ग्रीमहार पहिरि लीअ विषहरि भैया, गले ग्रीमहार राम, कर लागू आहे विषहरि सेवक गोहार नाव ला रे मलहा भइया आरो करुआरि राम, विषहरि औती मृतभुवन, हरती कलेश

कोने बहिनी पातरि-छीतरि

कोने बहिनी पातरि-छीतरि, कोने बहिनी मोट कोने बहिनी लोढ़य कमलक फूल फुलबा लोढ़इते विषहरि गेली मउलाइ माझे रे कदम तर विषहरि गेली मउलाइ जएह किछु मंगबें अभगली झटपट मांग जायब मृतभुवन होइ छै सांझ पुत्र जे देब विषहरि, छीनि जुनि लेब बांझी पद छोड़ायब विषहरि, पति राखि लेब

छोटी-मोटी अंगनामे बहुत पसार

छोटी-मोटी अंगनामे बहुत पसार राम, मिलैत-जुलैत विषहरि के भए गेल साँझ आमा गर मिलय गेली पउती-पेटार राम, बाबा घर मिलय गेली देल धेनु गाय भउजो गर मिलय गेली, मुखहु ने बोल राम, भइया गर मिलय गेली लहंगा-पटोर

छोटी-मोटी जमुना-दहमे

छोटी-मोटी जमुना-दहमे, छोटी नील गाछ राम, ताहि तर विषहरि खेलू जुआसारि जुअबा खेलइते विषहरि भेली बेसूधि राम, ताहि खन काग उड़ि हार लय गेल कनइते-खीजइते विषहरि धयल पछोर राम, जहाँ धय बैसबह, दागब तोर ठोर बाटहि भेटि गेला महादेव बाप राम, कहाँ तोर आसन-वासन, कहाँ स्थान किनकर बेटी तोहेँ, किये थिक नाम जमुना-दह आसन-वासन, नीमतर चउपाड़ि राम, गौरी दाइ के बेटी हम, विषहरि नाम

छोटी-मोटी दहक तट पर

छोटी-मोटी दहक तट पर निमुआ के गाछ राम, ताहि तर पाँचो बहिनि झिहरी खेलाय झिहरी खेलाइते विषहरिके टूटल ग्रीमहार राम, कनैत खीजै विषहरि आमा आंगा ठाढ़ि जुनि कानू जुनि खीजू विषहरि दाइ राम, अहू सऽ उत्तम गंथबा देब ग्रीमहार पहिरि ओढ़िये विषहरि गहबर भेली ठाढ़ि राम, सूर्यक ज्योति मलिन केने जाय भनहि विद्यापति सुनू विषहरि माय राम, सभ दिन सभ ठाम रहब सहाय

छोटी-मोटी नीमक गछिया

छोटी-मोटी नीमक गछिया, चतरल-चतरल डारि ताही ठाम पाँचो बहिनी, खेलय जुआ सारि जुअबा खेलइते माइ हे, टुटल गृमलहार कनइते खिजइते विषहरि, गहबर लोठाइ जुनि कानू, जुनि खीजू विषहरि माइ आबऽ दिअ पटबा, गथायब गृमलहार पहिरि-ओढ़िय विषहरि, आंगन भेली ठाढ़ि चान-सुरूजक जोति, गेल मुरझाइ

नीची रे पोखरिआ के ऊँची रे मोहार

नीची रे पोखरिआ के ऊँची रे मोहार राम, ताही पइसि विषहरि करू स्नान नहाय सोनाय विषहरि थकरथि केश राम, सोना के ककहिया काग लए गेल कनैते-खीजैते विषहरि आमा आगू ठाढ़ि राम, सोना के ककहिया आजु काग लए गेल जुनि कानू, जुनि खीजू, विषहरि माय राम, सोना के ककहिया हम देब बनबाय फल मध्य गुअबा, नैवेद्य मध्य पान राम, देवी मध्य विषहरि जगत लोक जान

पांच बहिनियाँ हे मइया पांचो उतफाल

पांच बहिनियाँ हे मइया पांचो उतफाल छोटी रानी विषहरि कनूनियां आंगन ठाढ़ि लाबा दे रे कनूनियां भैया, पूजब ब्रजनाग पांच बहिनियां हे मइया, पांचो उतफाल छोटी रानी विषहरि गोअरबा आंगन ठाढ़ि दूध दे रे गोअरबा भैया, पूजब ब्रजनाग पांच बहिनियाँ हे मइया पांचो उतफाल (एहिना तेलिया सँ तेल, कुम्हरासँ दीप आ पटबासँ पाट-सूत डोरी माँगब)

पियरी अँचरी विषहरि नामी-नामी केश

पियरी अँचरी विषहरि नामी-नामी केश घुमइत आबय विषहरि तिरहुत देश तोहरो सिंगार विषहरि लाबा आर दूध हमरो सिंगार विषहरि गोदी भरि पूत तोहरो सिंगार विषहरि अड़हुल फूल हमरो सिंगार विषहरि सिर के सिनूर फल मध्य गुअबा, नबेद मध्य पान देवी मध्य विषहरि, दोख नहि जान

पीअर आँचर विषहरि, थकरल केश

पीअर आँचर विषहरि, थकरल केश राम, सेवक दुख सुनय विषहरि लेल परवेश किये लय पूजू मइया, किये चढ़ाएब राम, किये लए करब मइया तोहरो शृंगार दूध लऽ पूजब मइया, लाबा चढ़ाएब राम, अड़हुल फूल लय करब शृंगार फल मध्य गुअबा, नैवेद्य मध्य पान राम, देवी मध्य विषहरि, दोसर ने आन

विषहरि विषहरि, करे छी पुकार

विषहरि विषहरि, करे छी पुकार कतहुँ ने देखै छी, जननी हमार तेल दे रे तेलिया भइया, दीप दे कुम्हार बाती दे रे पटबा भइया, लेसू प्रहलाद नाव दे रे मलहवा भइया, घरू करूआर जायब सरोवर-पार होइए अबेर

विषहरि सेबि मोरा किछु नहि भेल

विषहरि सेबि मोरा किछु नहि भेल बाँझिन पद मोरा रहिये गेल केयो नीपय अगुआर, केयो पछुआर हमहुँ अभागलि द्वार घेने ठाढ़ि केओ लोढ़य बेली फूल, केओ अढूल हमहुँ अभागल तिरिया खोदू नामी दूभि केओ मांगय अन-धन, केओ पूत हमहुँ अभागलि कर जोड़ि ठाढ़ि भनहि विद्यापति विषहरि माय सभ दिन सभ ठाम रहब सहाय

साओन विषहरि लेल प्रवेश

साओन विषहरि लेल प्रवेश भादव विषहरि खेलल झिलहेरि आसिन विषहरि भगता लेल पान कार्तिक विषहरि नयना झरू नोर अगहन विषहरि होयतीह अनमोल सभ दिन सभठाम रहथि सहाय

  • मुख्य पृष्ठ : मैथिली लोकगीत
  • मुख्य पृष्ठ : हिन्दी लोक गीत
  • मुख्य पृष्ठ : हिन्दी कविता वेबसाइट (hindi-kavita.com)