सुहाग रात के गीत : बुन्देली लोकगीत

Suhag Raat Ke Geet : Bundeli Lok Geet

	

सतरंजी के लौटौ बिछौना

सतरंजी के लौटौ बिछौना भीतर चलौ हो बलमा। जो मेरौ पैलौ मिलौना। भीतर चलौ हो बलमा। सतरंजी के लौटो बिछौना।

हमसें हाथ न लगइयौ बलम

हमसें हाथ न लगइयौ बलम दूरई खों रइयो। पैली जवानी मोरी घुँघटा पै आई गालन पै दाँत न लगइयौ। बलम... दूजी जवानी मोरी चोली पै आई जुवनन पै हाथ न लगइयौ। बलम... तीजी जवानी मोरी लहँगा पै आई अनमोल चीज न छियइयौ। बलम... हमसें हाथ न लगइयो बलम दूरई खों रइयौ।

मरोड़ दई बहियाँ कैसें उठें

मरोड़ दई बहियाँ कैसें उठें। पैले पार मोखों निंदिया आ गई। बुझाय दये दियला कैसें उठें। दूजे पार मोरी निंदिया टूटी लगाये दई किवरिया कैसें उठें। तीजे पर मोखों घायल कर दऔ मो सों करे बतिया कैसें उठें। चौथे पार मोय हँस हँस हेरें तुमाई भरें गुदियाँ कैसे उठें। मरोड़ दई बहियाँ कैसे उठें।

तेरे पलकन पाँव धरौ न रसिया

तेरे पलकन पाँव धरौ न रसिया। मोरे बाप कें ऊँची अटरियाँ तोरी बखरी मो सें धरै न रसिया। अपने बाप कें मैं हौं अकेली तेरी एक न होकें रहूँ रसिया। अपने बाप के मैं अत प्यारी, नौ दस मास पीर न सहूँ रसिया। मोरी बलम नें एक न मानी धर पकरी बाँह पकड़ लऔ रसिया। मोरे अँगनवा बजत बधावा छम छम नाचै ननद रसिया। कील खोल कंगना पहिरायेय जुग-जुग जियें बलम रसिया। तेरे...

मैं तो हो गई पपीहरा पिया पिया सें

मैं तो हो गई पपीहरा पिया पिया सें। जैसें उरदन की दार चुरत नइयाँ वैसें गौने की रात कटत नइयां। जैसें उरदन की दार मसाले सी वैसें गोने की रात कसाले सी। जैसें जेठ की धूप सही न जायँ वैसें बालम की गरमी सें जियरा घबराये। जैसें फूलों फुकना दबत नइया तैसें बालम सें गोरी नवत नइयाँ। जैसें कच्ची सुपारी कट कट कटै तैसें गोरी के गालन पै बालम ललचै। जैसें रेशम की गाँठ छुटत नइयाँ वैसे लगी प्रीत मिटत नइयाँ। जैसें फट गऔ दूध मिलत नइयाँ तैसें फट गये मन जुरत नइयाँ। जैसें कारी बदरिया घनघोर गरजै वैसें सासो हमाई रोजई लड़े। जैसें छाई बदरिया रिमझिम बरसै वैसें ननदी छिनार मोसो झुर-झुर लड़े। मैं तो हो गई पपीहरा पिया पिया सें।

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