सुहाग लेने के गीत : बुन्देली लोकगीत

Suhaag Lene Ke Geet : Bundeli Lok Geet

	

बेटी ठाड़ी किवाड़ की ओट

बेटी ठाड़ी किवाड़ की ओट सुहाग दें रई पार्वती। आजी तुम हो जाओ तैयार लै लो गजमोतिन के थार, बई में बूँदा रख लो चार अपनी सेंदुर सें भर लो माँग। सुहाग दें रई पार्वती। मैया तुम हो जाओ तैयार लैलो हीरा मानिक के थार, बई में रख लो बूँदा चार अपनी सेंदुर सें भर लो माँग सुहाग दें रई पार्वती। बेटी ठाड़ीं किवाड़ की ओट सुहाग दें रई पार्वती।

हम वर पाये जैसें मानिक हीरा

हम वर पाये जैसें मानिक हीरा। मानिक हीरा जैसें जरद नगीना। हँसत खेलत बेटी आजुल घर आई। सो देओ मेरी आजी सुहाग कौ वीरा। चन्द्र वदन आजी मुसकानी। सो लेओ मेरी बेटी सुहाग कौ वीरा। तुम वर पाये जैसें मानिक हीरा। मानिक हीरा जैसें जरद नगीना।

श्याम वर के लाने बेटी ठाड़ी बखरी

श्याम वर के लाने बेटी ठाड़ी बखरी। वे तो खरिया दुफरिया बेटी ठाड़ी बखरी। उनके आजुल ने लगाये सुहाग बिरछा। उनकी आजी रानी सींचन चली भर गडुआ। वे तो श्याम वर के... उनके बाबुल ने लगाये सुहाग बिरछा उनकी मैया रानी सींचन चलीं भर गडुआ। वे तो खरिया दुफरिया बेटी ठाड़ी बखरी। श्याम वर के लाने... उनके काका ने लगाये सुहाग बिरछा। उनकी काकी रानी सींचन चलीं भर गडुआ। श्याम वर के लाने... उनके भैया ने लगाये सुहाग बिरछा। उनकी भौजीं रानी सींचन चलीं भर गडुआ। वे तो खरिया दुफरिया...

ऐसी री सुहाग मैंने घोर घोर गारौ

ऐसी री सुहाग मैंने घोर घोर गारौ। सुहाग की क्यारी उनके बाबुल ने लगाई। सो सींचे मैया रानी सिंचावै सिया जानकी। टीका रोरी मंे छवि लागी, माहुर मेंहदी में छवि लागी। अनवट बिछया में छवि लागी। ऐसो री सुहाग मैंने घोर-घोर गारौ। सुहाग की क्यारी उनके काकुल ने लगाई। सो सींचे काकी रानी सिंचावै सिया जानकी। ऐसों री सुहाग मैंने...

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