सोहर : मैथिली लोकगीत

Sohar : Maithili Lokgeet

	

आजु मोरा देवकी नहयली कि अपन घर गेली रे

आजु मोरा देवकी नहयली कि अपन घर गेली रे ललना रे, करू बसुदेव सँ संग, कि जन्म सफल हेत रे पहिल सपन देवकी देखल, पहिल पहर राति रे ललना रे, छोटी मोटी अमुआ के गाछ, कि फले-फूले लुबधल रे दोसर सपन देवकी देखल, दोसर पहर राति रे ललना रे, देखल केराक धौर, दुअरे बिच टांगल रे तेसर सपन देवकी देखल, तेसर पहर राति रे ललना रे, देखल बांसक बीट, दुअरे बिच गाड़ल रे चारिम सपन देवकी देखल, चारिम पहर राति रे ललना रे, पौरल छांछ भरि दही, आंचर तर झांपल रे चुप रहू बहिन देवकी, आओर सहोदर हे बहिनी हे सब क्षण अछि भगवान, कृष्ण जन्म लेल रे

आरे आरे कागा सगुनिया सगुन नोत भाखब रे

आरे आरे कागा सगुनिया सगुन नोत भाखब रे कागा रे मोर घर उचित कल्याण कहाँ-कहाँ नोतब रे दर जे नोतब दिआद लोक आओर समाज लोक रे पिया हे अहांक बहिन नहि नोतब कि भागिन कहाँ आओत रे दरहि नोतब दिआद लोक आओर समाज लोक रे धनि हे एक नहि नोतब अहांक नैहर की सार कहाँ आओत रे घर पछुअरबा मे नउआ कि तोहें मोरा हित बंधु रे नउआ रे झटपट चिठिया तों लैह कि खबर जना दैह रे हाथी चढ़ल अबथिन भइया आओर भतिजबा रे ललना रे राम खसला मुरछाइ कि सार कोना जानल रे पीअर वस्त्र झमकबिते आबथि सीता मन बड़ हरखित रे ललना रे पियबा के देखल मुरझाएल कि आओर मुसुकि चलू रे

आंगन नीपल गहा-गहि फूल छिड़िआओल रे

आंगन नीपल गहा-गहि फूल छिड़िआओल रे ललना रे ताहि चढ़ि भइया निरेखू बहिन चलि आबथि रे भानस करैत अहाँ धनि कि अहाँ ठकुराइन रे धनी हे अबै छथिन बाबू के दलरैतिन गरम जुनि बाजब रे आबथु ननदो गोसाउनि मांड़ब चढ़ि बैसथु रे ललना रे दस पाँच सोहर गाबथु गाबि सुनाबथु रे जौं हम सोहर गायब गाबि सुनाएब रे ललना रे हमरो के किए देब दान हलसि घर जाएब रे बहिन के देब नकबेसरि भागिन गर चेन देब रे ललना रे बहिनोइया के चढ़न के घोड़ा हंसैत कहाँ पायब नाक नकबेसरि कहाँ चेन पायब रे ललना रे कहाँ पायब चढ़न के घोड़ा कनइत घर जायब रे ननदो बहार भेली कनइते भागिन घर हंसइते रे ललना रे बहिनोइया बहार भेल मुसकइते भने मुह तोड़ल रे चुप रहू चुप रहू धनी कि अहूँ मोर धनी हे धनी हे जेबइ मे बाबा के हवेलिया नकबेसरि गढ़ा देब हे

उतरहि साओन चढ़ल भादव, चहुदिसि कारी रे

उतरहि साओन चढ़ल भादव, चहुदिसि कारी रे ललना रे, रिमिक-झिमिक मेघ बरिसत, बादल हरखित रे देवकी दरदे बेयाकुल, दगरिन चाहीअ रे ललना रे, गोकुल निकट एक नग्र, तहाँ बसु दगरिन रे जब जन्म लेल यदुनन्दन, बन्हन खुजि गेल रे ललना रे, खुजि गेल बज्र केबार, पहरू सब सूतल रे माथ मुकुट कर कंगन, डांरहि घुँघरू बाजु रे ललना रे, सैह देखि देवकी कानल, देहरी मुरछाइ खसु रे कीए दैव देलनि, जे कंस हरि लेलनि रे जूनि कानू अहाँ देवकी, जुनि पछताउ रे ललना रे, इहो बालक दुखमोचन, ललित अभिलोचन रे सखि सभ सोहर गाओल, गाबि सुनाओल रे ललना रे, देवकी भेल बैकुण्ठ, कि पुत्र फल पाओल रे

एक तऽ हम धनि पातरि, दोसर गरभ संओ रे

एक तऽ हम धनि पातरि, दोसर गरभ संओ रे ललना रे, तेसर पिया केर दुलारि, दर्द कोना सहब रे उठू-उठू नन्दो, दिया लेसू, बाबा के जगाबहु रे बाबू यौ तोरो पुतहु दरदे बेयाकुल, दगरिन चाही रे एहि बेर जँओ प्राण बांचत, देव सुख बूझब रे ललना रे, फेरू ने करब एहन काज, पलंग भीर जायब रे एहि अवसर पिया पबितहुँ, जुलफी पकड़ितहुँ रे ललना रे, बन्हितहुँ चंपा फूल डाड़ि, ताहि तर कहितहुँ रे भेल भिनसर पह फाटल, होरिला जनम लेल रे ललना रे, गाबय सब सोहर, कि ननदो बधैया माँगय रे

एक राजा के सात रानी, सातो रानी बांझिन हे

एक राजा के सात रानी, सातो रानी बांझिन हे ललना रे, राजा के ने लिखल अछि पुत्र, पत्र कोना होयत हे जाहो राजा तों विष्णु ओतऽ, आओर सूर्य ओतऽ हे राजा हे, ब्रह्मा कहब बुझाय, पुत्र फल होयत हे राजा के देखैते ब्रह्मा आयल, मने मन सोचल हे राजा हे तोरो ने लिखल पुत्र, पुत्र कोना होयत हे जाहो बालक राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे बालक हे भरिये सोइरी रहिहह, फेर चलि आयब हे हम नहि जायब ब्रह्मा, राजा कोखि आओर रानी काखि हे सोइरी बैसल अम्मा रोयत, कोना चलि आयब हे जाहो बालक राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे बालक हे भरिये मूड़न रहिह, तखन चलि आयब हे हम नहि जायब राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे ब्रह्मा हे केश नेने दाइ रोयत, कोना चलि आयब हे जाहो बालक तोहें राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे बालक हे भरि उपनयन रहिह, तखन चलि आयब हे हम नहि जायब राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे ब्रह्मा हे मड़बा बैसल बाबा रोयत, कोना चलि आयब हे जाहो बालक तोहें राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे बालक हे बियाह कराय चलि अबिहह हम नहि जायब राजा कोखि, आओर रानी कोखि ब्रह्मा हे कोबरा बैसल धनी रोयत, कोना चलि आयब हे जाहो बालक राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे बालक हे गौना कराय चलि अबिहह हम ने जायब राजा कोखि, आओर रानी कोखि हे, ब्रह्मा के माय बाप के करबै उद्धार, तखन चलि आयब हे

ककरा अंगना जमीरिया लहलह करय हो

ककरा अंगना जमीरिया लहलह करय हो ललना, ककर बहु गर्भ संओ मने मन हुलसय हो दशरथ अंगना जमीरिया लहलह करय हो ललना, हुनके बहु गर्भ संओ मने मन हुलसय हो किनका के जनमल श्रीराम, किनका बाबू लछुमण हो ललना, भरत शत्रुघ्न तीनू घर आनन्द हो कौशिल्या के जन्मल श्रीराम, सुमित्रा बाबू लछुमण हो ललना, कैकेयी के भरत शत्रुघ्न, गाउ सब सोहर हो सूरदास सोहर गाओल, गाबि सुनाओल हो ललना, जुग-जुग बढ़य अहिबात, गाउ सब सोहर हो

कहमा से आयल पिअरिया

कहमा से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो ललना कहमा से आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो ललना नैहर से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो ललना, सासुर सऽ आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो ललना रे कहमा धरबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो ललना कहमा में धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो ललना झपिया में रखबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो ललना, कोठी पर धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो

काँचहि बाँस के डोलिया हिंगुरे

काँचहि बाँस के डोलिया हिंगुरे ढ़उरा गेल हे ललना रे ताहि चढ़ि सीता दाइ वन गेली संग देवर लक्ष्मण रे एक कोस गेली सीता दाइ आओर दोसर कोस रे ललना रे तेसरे मे उठल जूड़ी, वेदन लक्ष्मण पड़ाएल रे केये आगू पाछू करत केये नाड़ी छीलत रे ललना रे केये जायत अवधपुर खबरिया जनाओत रे वन सँ बहार भेली वनसपतो कि तोहे मोर हितबंधु रे सीता हे हमहीं आगू पाछू करब हमहीं नाड़ी छीलब रे वन सँ बहार भेल नउआ कि तोहीं मोर हितबंधु रे नउआ रे तोहीं तऽ जाही अवधपुर खबरि जनाबही रे पहिने जनाएब राजा दशरथ तखन कौशल्या रानी रे ललना रे सौंसे अयोध्या जनाएब राम नहि जानथि रे गाम के पछिम एक पोखरि चून सँ चूनेटल रे ललना रे ताहि तर रामचन्द्र ठाढ़ कि नउआ निरेखथि रे कहाँ केर तोहें नउआ कहाँ केने जाइ छी रे ललना रे किनका के जन्म नन्दलाल कि खबरि जनाएब रे वनहि केर हम नउआ अवधपुर जायब रे ललना रे रामचन्द्र के जनम नन्दलाल कि खबरि जनाएब रे वामे हाथ लेल राम कागत दहिने हाथ बांचथि रे ललना रे पहिला विरोग सीता बिसरथु अवधपुर आबथु रे वामे हाथ लेल सीता कागत दहिने हाथ बांचथि रे ललना रे पहिल विरोग कोना बिसरब अवध कोना जायब रे

किनका के ऊँच मन्दिर छनि

किनका के ऊँच मन्दिर छनि, चउमुख दीप जरु रे ललना रे, किनका के लाली पलंगिया, किनकर धनि भुइयाँ लोटु रे बाबा के ऊँच मन्दिर छनि, चउमुख दीप जरु रे ललना रे, भइया के लाली पलंगिया, हुनकहि धनी भुइयाँ लोटु रे पहिल वेदन जब आयल, किछु ने सोहायल रे ललना रे, पियबा जे हँसथि मुसुकाय, मोहि ने सोहाय रे एहि अवसर पिया पबितहुँ, रेशम डोरि बन्हितहुँ रे ललना रे, अपन वेदन दय सौंपितहुँ, खूब खौंझबितहुँ रे दोसर वेदन जब आयल, किछु ने सोहायल रे ललना रे, पिया के बोल सँ खौंझायल, मोन अलसायल रे एहि अवसर.......... खौंझबितहुँ रे तेसर वेदन जब आयल, किछु ने सोहायल रे ललना रे, पिया जे पहिरल पोशाक, मोहि ने सोहाय रे एहि अवसर.......... खौंझबितहुँ रे किए केलनी बाबा मोर बिआह, ससुर घर देलनि रे ललना रे, रहितहुँ वारि कुमारि, दरद नहि बुझितहुँ रे भनहि कयलनि बाबा मोर बिआह, ससुर घर देलनि रे ललना रे, रहितहुँ वािर कुमारि, होरिला कतऽ पबितहुँ रे

केबार लागल धनी सोचथि

केबार लागल धनी सोचथि, माय बाप सुमिरथि रे ललना रे, उठल पंजरबा मे तीर, कि केकरा जगायब रे सासु जे सुतल भानस घर, ननदो कोबर घर रे ललना रे, मोरो पिया सूतल दरबज्जा, कि ककरा जगायब रे अही अवसर पिया पबितहुँ, झुलफी झुलबितहुँ रे ललना रे, भइया जी सँ मारि खुअबितहुँ, वेदन वेयाकुल रे होइत भिनसर पह फाटल, हारिला जनम लेल रे ललना रे, गाबय सब सोहर गीत, कि ननदो बधैया मांगय रे

घरबा जे नीपलौं असोरबा ओलतिया धयने ठाढ़

घरबा जे नीपलौं असोरबा ओलतिया धयने ठाढ़ भेलौं रे ललना रे ताकथि नैहर के बाट केओ नहि आबथि रे सासु मोर सुतली भानस घर ननदि कोबर घर रे ललना रे हुनि प्रभु धयलनि असोरबा कनिक हँसि बाजू रे हँसैत खेलैत दिन बीतल सगर रैनि बीतल रे धनी हे चलू लाली रे पलंगिया कनिक हँसि बाजब रे ललना रे पियबा तऽ भेल जीवकाल आब जीव जायत रे सुमिरहु हे धनि ओ दिन जाहि दिन गओना भेल रे धनि हे सेर सेर लड्डुआ खोआओल केओ नहि जानल रे धनी हे आजु पड़ल जीवकाल कि सब लोक जानल रे सुमिरहु हे पिया ओ दिन जाहि दिन गओना कएल रे पिया हे लाली पलंग खुस कएल नवजीव पाओल रे एहि दरद सँ उबरल इसर किरिया खाओल रे ललना रे फेरू ने करब एहन काज पलंग लग जाएब रे एक मास बीतल दोसर मास वेदन ओ बिसरल रे ललना रे इहो थिक नगर बेबहार इहो कोना छूटत रे

चैत बैसाखकेँ पुरइनी

चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे ललना रे, ताहि तर बेटी जनम लेल, पुरुष बेपक्ष भेल रे कथीए ओढ़न कथीए पहिरन, कथिए पथ भोजन रे ललना रे, कथीए जरायब सोइरी घर, पुरुष बेपक्ष भेल रे गुदड़ी ओढ़न गुदड़ी पहिरन, कोदो पथ भोजन रे ललना रे, कड़री जरायब सोइरो घर, पुरुष वेपक्ष भेल रे चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे ललना रे, ताहि तर होरिला जनम लेल, पुरुष अपन भेल रे लाले ओढ़न लाले पहिरन, सारिल पथ-भोजन रे ललना रे, चानन जरायब सोइरी घर, पुरुष अपन भेल रे

जाहि देवकी नहयली प्रथमहि पुत्र फल

जाहि देवकी नहयली प्रथमहि पुत्र फल पयली रे ललना रे ओहि दिन दिन छल सुदिन गर्भ देवकी के रहि गेल रे छन छन जीह फरिआयल ठोर सुखाएल रे ललना रे कथू केर महक नहि नीक साग भात खाओल रे आठम मास जब बीतल सुख नहि लागय रे ललना रे कथू केर महक नहि नीक कि खीर मन भावय रे दसम रे कथू केर महक नहि नीक कि खीर मन भावय रे दसम मास चढू भादव होरिला जनम लेल रे ललना रे जन्म लेल श्री यदुनाथ तीनू लोक आनन्द रे

जीर सन छथि धनि पातरि

जीर सन छथि धनि पातरि, फूल सन सुन्दरि रे ललना रे, तेसर छथि बाबाकेँ दुलारू, दर्द कोना अंगेजत रे कथी लेल बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, दर्द नहीं जनितौं रे एक पयर देलनि एहरि पर, दोसर देहरी पर रे ललना रे, तेसरमे होरिला जनम लेल, सब मन हर्षित रे निक लय बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, होरिला कहाँ पबितहुँ रे

देवकी यशोदा दुनू बहिनी

देवकी यशोदा दुनू बहिनी कि दुनू सहोदर रे ललना रे, मिथिला गोकुल दुइ नग्र कि ताहि बिच जमुना बहू रे अहि पार देवकी नहाएल, ओहि पार यशोदा रे ललना रे, दुनू केर भए गेल भेंट दुनू बतिआएल रे कुशल-पूछय देवकी, यशोदा मुह तोहर मलीन हे मुह तोहर मलीन बहिनी, वदन तोहर उदास हे सैह सुनि देवकी के नोर खसु, बदन उदास भइ रे ललना रे, सात पुत्र दैव देलनि, कंस हरि लेलनि रे कंस छथि निरवंश, बालक नहि छनि दया धर्म यौ तेहन वीर अवतार लेतनि, करत हुनको नाश यौ

प्रथम गणेश पद गायब

प्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे ललना हे, जब मोर होइहैं बलकबा, मोहर लुटाएब हे दोसर मास जब आयल, चित फरिआएल हे ललना हे, पानक बीड़ा ने सोहाय, मोन अकुलाएत हे तेसर मास जब आयल, ननदी दान मांगू हे भउजी हे, हम लेब हाथकेँ कंगनमा, कि सोइरी निपाओनि हे छठम आओर सातम मास लग आयल हे ललना हे, गोतनो करथि चौल, किए बबुा सुताओल हे सातम गेल मास, आठम आएल हे ललना हे, आठो अंग भारी भय गेल हे नवम मास जब आयल, होरिला जनम लेल हे ललना हे, बाजऽ लागल आनन्द-बधैया, महलिया गूंजय सोहर हे

पहिल मास चढ़ु अगहन

पहिल मास चढ़ु अगहन, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, मूंगक दालि नहि सोहाय, केहन गरभ संओ रे दोसर मास चढु पूस, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, पूसक माछी ने सोहाय, कि देवकी गरभ संओ रे तेसर मास चढ़ माघ, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, पौरल खीर ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे चारिम मास चढु़ फागुन, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, फगुआक पूआ ने सोहाय, कि देवकी गरभ संओ रे पाँचम मास चढु़ चैत, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, चैत के माछ ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे छठम मास चढु़ बैसाख, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, आम के टिकोला ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे सातम मास चढु जेठ, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, खूजल केश ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे आठम मास चढ़ु अखाढ़, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, पाकल आम ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे नवम मास चढु साओन, देवकी गरभ संओ रे ललना रे, यिा के सेज ने सोहाय, कि केहन गरभ संओ रे दसम मास चढु भादव, कि देवकी गरभ संओ रे ललना रे, देवकी दर्दे बेयाकुल, दगरिन बजायब रे जब जनमल जदुनन्दन, खुजि गेल बन्धन रे ललना रे, खुजि गेल बज्र केबार, पहरू सब सूतल रे

पिया चलल परदेश कि आओर

पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश बसु रे ललना रे ककरा कहब दिलकेँ बात चढ़ल मास तेसर रे सासु चलल नइहर ननदी ससुर घर रे ललना रे घरबामे देओर नादान चढ़ल मास चारिम रे बाट रे बटोहिया कि भइया कि तोँहि मोर हित बंधु रे ललना रे नेने जाहि पियाकेँ समाद चढ़ल मास पाँचम रे अन्न पानि किछु ने मन भावय जिया डोलय पात रे ललना रे देह जे लागय सरिसों फूल चढ़ल मास छठम रे डाँर जे उठय कड़-कड़ देह काँपय थर-थर रे ललना रे उत्पन्न श्री नन्दलाल चढ़ल मास सातम रे आठम मास जब आयल आठो अंग भारी भेल रे ललना रे खने-खने चीर ससरि गेल छने-छने पहिरथि रे नओम मास जब चढ़ल ननदी हरखि बरजु रे ललना रे हमहूँ तँ लेब नकबेसरि होरिला खेलाएब रे दसम मास जब आएल होरिला जनम लेल रे ललना रे जनम लेल श्री नन्दलाल कि गोकुल आनन्द भेल रे

पिया सूतल सुख निन्दिया

पिया सूतल सुख निन्दिया, जगाबहु से ने जागय हे ललना हे, घेरी आयल करी रे बदरबा, सुन्न घरमे डर लागू हे बादरि घेरल घनघोर, दामिनि चमकाओल हे ललना हे, चिहुँकि चिहँकि भेल भोर, बालम नहि जागल हे सासु ननदिया बरिनियां, असोरबामे जागल हे ललना हे, बाजय पयरक पैजनियाँ, कि झनाझन उठय हे दादुर चहुँदिसि बोलय, तन जागय, छतिया धड़कि उठय हे

बाजन बजय अवधपुर आओर

बाजन बजय अवधपुर आओर दुलारपुर हे ललना सुनलनि पियाकेँ अबाइ कि रोदना पसारलनि हे माय लए लाबथि लाले साड़ी, बहिनी लए पीयर साड़ी हे ललना धनी लए लाबथि कंगना, धनी नहि पहिरथि हे काँचे करचिया कटाएब, सोतिया गठाएब हे ललना पण्डित बीच बइसाएब, पिया केँ हराएब हे सूरदास प्रभु सासेहर गाओल, गाबि सुनाओल हे ललना सबरीकेँ भेल बइकुण्ठ, कि पुत्र फल पाओल हे

बान्हल केश खुजिए गेल घाम

बान्हल केश खुजिए गेल घाम सऽ भीजिए गेल रे ललना रे तइयो ने होरिला जनम लेल आब जीव जायत रे सासु मोर सुतली भानस घर ननदी कोबरा घर रे ललना रे हुनि प्रभु सुतल मंदिर घर ककरा जगाएब रे उठू उठू ननदो गोसाउनि मोर ठकुराइनि रे ललना रे जाहक रंगमहल मे कि भइया जगाबहु रे चुटकी शब्द सऽ उठाओल उठा बुझाओल रे भइया हे तोरो धनि दरदे बेआकुल दगरिन चाहिअ रे काँख जाँति लेलनि पोथिया हाथ जांति सटकुंइया रे ललना रे आबि बैसल मुन्हारि घर कि कहू धनी कुशल रे देह मोर कांपय गहन जकाँ नामी केश भुइयां लोटू रे पिया हे धरती लागल असमान नयन नहि सूझय रे

बाबा केर अंगना चानन गाछ

बाबा केर अंगना चानन गाछ उगल तरेगन रे ललना रे ताहि अवसर होरिला जनम लेल पुत्र बड़ सुन्दर रे भनसा करैत अहाँ सासु कि सेहो हंसि पूछथि रे ललना रे पुतहु कओन-कओन फल खयलहुँ पुत्र बड़ सुन्दर रे पहिने खयलहुँ नारिकेर तखन छोहारा रे ललना रे तखन खयलहुँ दाड़िम फड़ पुत्र बड़ सुन्दर रे मचिया बैसलि तोहें गोतनो कि सेहो हंसि पूछथि रे गोतनो हे कौने व्रत तोहें कयलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे गंगा पैसि नहयलहुँ हरिवंश सुनलहुँ रे ललना रे कयलहुँ जे रवि उपवास कि पुत्र बड़ सुन्दर रे घरबा नीपैते आहे ननदो कि सेहो हंसि पूछथि रे भउजी हे ककरा-ककरा संग तों गेलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे पहिने जे गेलहुँ देओर संग तखन ननदोसि संग रे ललना रे तखन जे गेलहुँ पिया संग तेँ पुत्र बड़ सुन्दर रे जे इहो सोहर गाओल गाबि सुनाओल रे ललना रे तिनको बास बैकुण्ठ से पुत्र फल पाओत रे

बारह बरख के उमरिया

बारह बरख के उमरिया, की तेरहम चढ़ल रे ललना रे कैहन करम दैब देलनि,की पुत्र नहि देलनि रे। सासु मोरा मारथि हमरा, ननदि गरियाबथि रे ललना रे गोतनो हंसथी मुस्काई की ,सब धन हमहि लेबै रे अंगना बहारैत तोहें चेरिया की तोहीं मोर हित बसु रे ललना रे आनी दीय पिया के बजाय की धनि नहीं बाँचत रे। जुअबा खेलैते राजा बेल तर आओर बबूर तर रे राजा! यौ अहूँक धनि बिखहुक मांतल आब नहीं बाँचत हे। जुअबा फेकल राजा बेल तर आओर बबूर तर रे धनि हे एलौं हम अहाँके उद्देश की अहाँ किये मांतल रे ललना रे मोरा धनि बिखहुके मातल आब नहीं बाँचत रे। सासु जे मारै राजा हमरा ननदि गरियाबथि रे राजा! यौ गोतनो हंसथी मुस्काई की सब धन हमहि लेबै रे। अंगना में कुंईया खुनायेब, जग करबायब हे धनि हे! ताहि मय आधा राज लुटायब कीकि संपत्ति लुटायब हे धनि हे! ताहि में लुटेबै आधा राज कि संपत्ति हम लुटाइये देबै रे।

मास साओन अति सोहाओन

मास साओन अति सोहाओन, दूर सौं गरजत मेघ यो रानी रुक्मिणी पलंगा सूतलि, स्वप्ने देखल एक बात यो स्वप्ने देखल एक पुरुष सुन्दर, गर्भ लेल अवतार यो मास भादव विषम लागब, सेज गहन करू मोर यो मास आसीन आस लागल पान राखल प्राण यो पान खयलनि रानी रुक्मिणी, सेज सुतलि निश्चिन्त यो कातिक नन्दी करे ककेहरा, सब सखी गंगा स्नान यो हमहुँ भउजी घरमे बइसल, कंगन माँगी बधाइ यो अगहन सारिल लिबि गेल, सासु पुछथि एक बात यो कोन दुख तोरा भेल हे रानी, कहू ने हमरा बुझाइ यो नहि मोरा सर्दी आ ने गर्मी, नहि मोरा बोखार यो चढ़ल मास पाँचम, गर्भ लेल अवतार यो पूस प्रेम सिनेह, ननदी भऽ गेल अजगर देह यो पूरल मनोरथ माघ हे सखी, गर्भ लेल अवतार यो फागुन हे सखी खेलत होरी, उड़त रंग गुलाल यो रानी रुक्मिणी पलंगा सूतल, ससरि खसल डर-चीर यो मास हे सखि चैत, खीर पउरल थार यो दशम मास बैसाख हे सखी, थर-थर काँपय करेज यो माय सुभद्राक नाम सुमिरहुँ रामजी होयत सहाय यो हरख नारायण सोहर गाओल, पूरल दसो मास यो पूरल मनोरथ मोर हे सखी, जन्म लेल नन्दलाल यो

यशोमति अद्भुत लेखल

यशोमति अद्भुत लेखल, बालक देखल रे सुन्दर हुनकर गात, कि बात पकठोसल रे कंस केँ जी थर-थर काँपय, अपन घर पहुँचल रे पूतना केँ देल विचार, जाहु तोहें गोकुल रे पूतना थन विष लेल घोरि बिदा भेल गोकुल रे घर सौं बहार भेली यशुमती, बालक लइली रे ललना रे, देलनि पूतनाकेँ कोर, बालक बड़ सुन्दर रे पूतना दूध पिआओल, आओर विष पसारल रे हरि देलनि दसन बइसाइ, खसल मुरछाई रे

रामचन्द्र चलला पारण अम्मा सौं बिचारल रे

रामचन्द्र चलला पारण अम्मा सौं बिचारल रे अम्मा हे हमहूँ तऽ जाइ छी मधुबन राज, सीता कोना राखब रे जँओं सीता रहती मनमे राखब नयन मे रे ललना रे, अंगनहि कुइयाँ खुनायब, सीताकेँ नहायब रे बिना केओटकेँ नाओ कहाँ भसि जायत रे बिना पुरुष के नारि कहाँ दिन काटत रे ललना रे, बिना केओटकेँ नाओ गंगा भसि जायत रे ललना रे, बिना पुरुष के नारी नइहर दिन काटत रे फाटहु धरती कि हम तर जायब रे ललना रे, नइहरक लोक अगुतायल, कि कखन सीता ओती रे

प्रथम गणेश पद गायब

प्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे ललना हे, जब मोर होइहैं बलकबा, मोहर लुटाएब हे दोसर मास जब आयल, चित फरिआएल हे ललना हे, पानक बीड़ा ने सोहाय, मोन अकुलाएत हे तेसर मास जब आयल, ननदी दान मांगू हे भउजी हे, हम लेब हाथकेँ कंगनमा, कि सोइरी निपाओनि हे छठम आओर सातम मास लग आयल हे ललना हे, गोतनो करथि चौल, किए बबुा सुताओल हे सातम गेल मास, आठम आएल हे ललना हे, आठो अंग भारी भय गेल हे नवम मास जब आयल, होरिला जनम लेल हे ललना हे, बाजऽ लागल आनन्द-बधैया, महलिया गूंजय सोहर हे

सखियामे सखिया विचार पूछू आओर

सखियामे सखिया विचार पूछू आओर सलाह पूछू रे सखिया हे, कौने कौने व्रत अहाँ ठानल, पुत्र फल पाओल रे गंगा पइसि नहएलहुँ, हरिवंश सुनलहुँ रे सखिया हे, सूर्य केँ लगलहुँ गोर, कि पुत्र फल पाओल रे सखिया हे, कौने कौने फल अहाँ खयलहुँ, कि बालक भेल सुन्दर रे काजू हम खयलहुँ छोहारा कि आओर मुनक्का हे सखिया हे, नारियल तोरि हम खयलहुँ, कि बालक भेल सुन्दर हे

सुतल छलहुँ पिया अहींके पलंगिया हे

सुतल छलहुँ पिया अहींके पलंगिया हे पिया हे रातिये वृन्दावन भेलै चोरी, तिलड़िया भोर हेराइए गेलै हे सुतल छलहुँ धनि अहींके पलंग पर हे रातिये पलंग पर भेलै चोरी, बसुलिया मोर हेराइए गेलै हे कय दियौ आहे सासु झगड़ा फरिछौट, सासु अपना बालक के हे कहि दिऔन तिलड़िया गेलै हेराय, वृन्दावन चोरी भेलै हे दय दियौ आहे बेटा पित्तरि तिलड़िया, बेटा पित्तरि तिलड़िया हे बेटा हे तिलड़ि ने बसै वृन्दावन, तिलड़िया साढ़े तीन सौ के हे दय दियौ आहे धनी बसुलिया हे, बांस के बसुरिया हे धनी बसुरी ने बसै गोपीचन्द, बसुरिया साढ़े सात सौ के हे

हे ननदी कहाँ लागि गेल सगुनमा

हे ननदी कहाँ लागि गेल सगुनमा हे ननदी जाहि दिन सँ जनमल कृष्ण कन्हैया, ताहि दिन सँ कयल सगुनमा माँग केर मनटिक्का लियऽ हे ननदो छोड़ि दियऽ जड़ाउ कंगनमा नहि लेब आहे भाभी माँगक मनटिक्का, लेब मे जड़ाउ कंगनमा परदाक भीतर भाभी ढुकहु ने देब, तँ देखहु ने देब तोरा ललना हे ननदी कहाँ लागि गेल सगुनमा...

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