साखी - सहज कौ अंग : भक्त कबीर जी

Sakhi - Sahaj Ko Ang : Bhakt Kabir Ji in Hindi


सहज सहज सबकौ कहै, सहज न चीन्है कोइ। जिन्ह सहजै विषिया तजी, सहज कही जै सोइ॥1॥ सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हें कोइ। पाँचू राखै परसती, सहज कही जै सोइ॥2॥ सहजै सहजै सब गए, सुत बित कांमणि कांम। एकमेक ह्नै मिलि रह्या, दास, कबीरा रांम॥3॥ सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हैं कोइ। जिन्ह सहजै हरिजी मिलै, सहज कहीजै सोइ॥4॥408॥

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