साखी - हैरान कौ अंग : भक्त कबीर जी

Sakhi - Hairan Ko Ang : Bhakt Kabir Ji in Hindi


पंडित सेती कहि रहे, कह्या न मानै कोइ। ओ अगाध एका कहै, भारी अचिरज होइ॥1॥ बसे अपंडी पंड मैं, ता गति लषै न कोइ। कहै कबीरा संत हौ, बड़ा अचम्भा मोहि॥2॥179॥

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