पद - राग कल्याण : भक्त कबीर जी

Pad Raag Kalyan : Bhakt Kabir Ji in Hindi


ऐसै मन लाइ लै राम रसनाँ, कपट भगति कीजै कौन गुणाँ॥टेक॥ ज्यूँ मृग नादैं बध्यौ जाइ, प्यंड परे बाकौ ध्याँन न जाइ। ज्यूँ जल मीन तेत कर जांनि, प्रांन तजै बिसरै नहीं बानि॥ भ्रिगी कीट रहै ल्यौ लाइ, ह्नै लोलीन भिंरग ह्नै जाइ॥< राम नाम निज अमृत सार, सुमिरि सुमिरि जन उतरे पार॥ कहै कबीर दासनि को दास, अब नहीं छाड़ौ हरि के चरन निवास॥393॥

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