मुक्तक 'अधूरे' : उमेश दाधीच
Muktak Adhure : Umesh Dadhich



मुक्तक 'अधूरे' (भाग-1)

1. ना ठौर ना ठिकाना, ख्वाबो का कहां बसेरा है तेरे नैनो से बरसते है, मेरे नैनो मे इनका डेरा है मिलना-बिछडना रोज़ की कहानी है रातभर यहाँ अंधेरो मे गुजरता है दिन, रातो को तेरा सवेरा है 2. जिन्दगी की तलाश तुझको भी है, मुझमे भी है यादो की जिन्दा लाश तुझमे भी है, मुझमे भी है कामयाबी,मंजिले,शौहरते मिल भी गयी तो क्या ना मिल पाने का काश तुझमे भी है, मुझमे भी है 3. फिर गज़ल लिख रहे थे, तुझको याद कर रहे थे कुछ कुछ जी रहे थे, सब कुछ बर्बाद कर रहे थे कैद थे कागज़ पर किसी बेबस किरदार से हम लफ्ज़ो की आड़ मे खुद को आज़ाद कर रहे थे 4. तुम्हे कोई गुलाब लिखूं या रात का हसीं ख्वाब लिखूं मेरे महकते पल लिखूं या जिन्दगी की किताब लिखूं हर जर्रा गाता है लफ्ज़ो का वही मुस्कुराती गज़ल हो तुम याद के पन्नो का कल तुम या रोज़ संवरता आज लिखूं 5. किताबो से निकल कर महफ़िलो में झूम रही है गुनमान एक ग़ज़ल अब तलक मुझमे घूम रही है रस्में-रिवाज़ों से परे है उन लफ़्ज़ों की मोहब्बत रूह से आज़ाद हो बार बार मेरे लब चुम रही है 6. टुकड़ो में जी रहे है, हासियों में रह रहे है देख तेरे बगैर हम क्या क्या कर रहे है लब खामोश, धड़कने सुन्न, सांसे परेशां बड़ी गफलत है यार,जिंदा है कि मर रहे है 7. मेरे खामोश लफ़्ज़ों के मतलब जानता है तू मेरा हाथ थामकर मेरा हाल पहचानता है तू मेरी मंजिले तेरी, मेरा हमसफर भी तू जाना मुझसे भी ज्यादा मुझे हर बार जानता है तू 8. मंजर धुंधला हो चला है, मंजिले वीरान मिली है उदास सुबह देखी, अश्क़ गिराती शाम मिली है अजीब बसावट है बेपनाह मोहब्बत के शहर की इक तेरा घर नही मिला और हर राह तेरे नाम मिली है 9. इन मोहब्बत की फिज़ाओ में कैसी उदासी फैली है शायद टूटा है कोई पत्ता,कहीं शाख तन्हा अकेली है कैसा अजीब इश्क़ है, कैसी मजबूर मोहब्बत जाना जिसे बनना था कहानी वो बस अब एक पहेली है 10. तेरी यादों का ये दरिया डुबाता है मुझे हर रोज़ मुलाकातों का ये जरिया बचाता है मुझे हर रोज़ मुक्कमल है गर मुझको तू हर रोज़ हर पल में तो क्या ढूँढू मैं ग़ज़लों में है गीतों में ये कैसी खोज 11. कुछ मीठा कुछ कड़वा अब मैं चखने लगा हूँ सभी तजुर्बे अपने पास अब मैं रखने लगा हूँ क्या शराब और कहाँ महखानो की जरूरत मुझे तेरे साथ तो चाय पीकर भी मैं बहकने लगा हूँ 12. कभी लिखना हो तुम्हे तो तुम अपनी हसरत लिखना तुम सोचो जिस घड़ी मुझे, बस वही फ़ुरसत लिखना ना लिख पाओ गर नाम मेरा तुम कभी तो मत लिखना समझ जाऊंगा मैं बस गीत में हर बार मोहब्बत लिखना 13. मोहब्बत की कहानी में हर एक किरदार आधा है कोई मीरा सी है जोगण, कहीं पागल हर राधा है सीखा कर प्रेम को किस्सो में सदियो से अमर जो है वही मोहन भी अधुरा है, वहीं पर श्याम आधा है 14. मेरी हर एक कहानी तू और किरदार तेरे है शब्द ढूंढे तुम्हे हर रोज़ वो हक़दार तेरे है तू लिखती है जो ख्वाबो में मैं गाता हूँ उसी इश्क़ को और महफ़िल के ये झूठे लोग तरफदार मेरे है 15. आइनों से झगड़ता हूँ, खुद से जंग जारी है गुजर जाता है दिन जैसे तैसे पर रात भारी है ये कैसे दौर से गुजर रही है जिंदगी तेरे बिना नींद से रंजिश है मेरी और ख्वाबो से यारी है 16. बहुत तलाश किया तुझको तेरे जाने के बाद तेरी यादों में जिंदा है हम एक जमाने के बाद कोई तो किनारा बता तेरी खोज के साहिल का रोज़ मांझी मौत मांगता है कश्ती चलाने के बाद 17. राम ने चखे सबरी के झूठे बेरो की मिठास सा है प्रेम मूरत से लगी बावरी मीरा के गीतों में आस सा है प्रेम सदियो तक राधा के इंतज़ार के अधूरे रास सा है प्रेम शिव की खोज में अडिग पार्वती के सन्यास सा है प्रेम 18. सफर का सुकूँ है, यादो की ठंडी छांव है मेरे पास भी तेरी सादगी का एक गांव है घूम आता हूं रोज़ उन गलियों में साथ तेरे हर मकान पर जहां लिखा हमारा नाम है 19. सज संवर तू पहले की तरह मुझे तेरा आईना बना ले निखर ग़ज़ल सी कागज़ पर मुझे इसका माइना बना ले भटक रही है जिंदगी हिज़्र में बरसो से जो तेरी राह में थाम ले हाथ,बन नसीब मेरा आ फिर नया आशियाँ बना ले 20. कैसा रुकसत हुआ तू, अब आवाज़ नही करता कैसा कारवां तेरा जो मेरे शहर में रात नही करता सूख रहा है दरखत रोज़ तन्हा तन्हा तेरी हिज़्र में कैसा अभ्र है तू जो मेरे घर पर बरसात नही करता 21. कुछ अजब हुआ कुछ कमाल हो गया जो था हर जवाब वो ही सवाल हो गया लिख रहे थे एक ग़ज़ल फुरसत से आज फिर तेरा नाम आया, फिर बवाल हो गया 22. आ जरा देख कैसा बवाल है तेरे नाम भर से झूम रही है महफ़िल देखकर तुझे शाम भर से तेरी मौजूदगी थी कुछ इस तरह हूबहू ग़ज़ल में अब तलक पूछते है लोग तेरा नाम गांव भर से 23. सांझ की साख पर याद के पंछी आ बैठे है नींद की ओट में कुछ हसीं ख्वाब ला बैठे है मुक्कमल रात मे जिन्हें थी सुकूँ की तलाश वो ही अंधेरो में फिर बुझे चराग जला बैठे है 24. बरसते नैनो की बूंद बूंद में मोती सी चमकती है तू लिखे बेजान शब्द शब्द में साज़ सी खनकती है तू क्या कागज़-क्या ख्वाब, क्या रूह-क्या सांसे मेरी गजब का जादू है हर जगह, इत्र सा महकती है तू 25. क्या सच है कि सुकून से तू आखिरी बार मेरे सीने पर सोया था ? मत बता, जानता हूँ तू भी मेरी तरह छुप छुप कर कई बार रोया था । क्यों नही सूखता अब तलक तेरे अश्को से भीगा ये मेरा कंधा धूप में भी कैसा पागलपन है, क्या गुरुर है इस बांह को जिसे तूने भिगोया था ?? 26. हमारा मिलना इतना भी मुश्किल ना था दो कदम दूर थे बीच कोई साहिल ना था बस कभी मेरी तक़दीर बगावत कर बैठी और कभी मैं तेरी लकीरो में शामिल ना था 27. बरसो इंतजार के बाद मुकम्मल बारिश सी हो तुम इन बूंदों के शोर में दबी खामोश ख्वाइश सी हो तुम सुनो हर कोई गीत पुकार रहा है तुम्हे फिर से आज उन गीतो के हर शब्द में लिखी गुज़ारिश सी हो तुम 28. नैनो से बहती पावन धार में है इश्क़ खुद को करे घायल ऐसे वार में है इश्क़ लुटा देता है हंसकर सब कुछ जब कोई दीवानेपन के ऐसे व्यापार में है इश्क़ 29. लब्ज़ लब्ज़ बिखरा कोई इधर कोई उधर जा रहा है लगता है खामोश अदा ने फिर नया कहर ढाया है सलीका, अदब, मतलब बेमतलब हो गए है सारे ही लगता है लब्ज़ लब्ज़ उनके लब चुम कर आया है 30. तेरी मौजूदगी है ही नही तो तुझसे प्यार कैसा है खबर है,नही आएगी तू फिर भी इंतज़ार कैसा है तन्हा है सुने सुने झूले, बादल भी सुख गए है ये तेरे बिन कैसा सावन, क्या तीज, त्योहार कैसा है 31. कुदरत की हर अदा का नायाब करिश्मा हो तुम शौखियाँ अता है जो जन्नत को वही समां हो तुम दिख रहे है जो जो नजारे, बहारे और गुलिस्तां ये मेरी इन नज़रों पर चढ़ा हर रंग का चस्मा हो तुम 32. गुजरते इस पल के मेहमान है हम भी, तुम भी गुजरते पल पल से परेशान है हम भी, तुम भी भूल बैठे है ख्वाइशों की आड़ में शाम सवेरे उन शाम सवेरो के दरमियान है हम भी, तुम भी 33. कोई किस्सा बेबस सा, कोई कहानी मजबूर है कोई अनसुना है पन्नो में, कोई गीतों में मशहूर है गजब शख्शियत है इन फ़क़ीर किरदारों की भी कोई गुम खुद में और कोई खुद से बहुत दूर है 34. तुम्हारे खयालातों की मैं भी परवाह हो जाऊं तुम्हारी हर मंजिल की मैं गुजरती राह हो जाऊं शर्तो से नही एहसास की बेड़ियों से बंधा हूँ मैं तू गुजरा जमाना कहे और मैं तेरा आज हो जाऊं 35. आखर-आखर पंक्ति-पंक्ति गीत ग़ज़ल गुलज़ार हुए जब से लडे है नैना तुमसे, दो से पागल चार हुए बादल-बिजली, फूल-चंद्रमा, ये जो सारे तारे है रमकर तुममे सारे नज़ारे यौवन का श्रृंगार हुए 36. स्वपन की वो हसीं दुनियां अभी तक गढ़ रहा हूँ मैं लिखा था जो कभी तुमने वही अब पढ़ रहा हूँ मैं जो अम्बर पार किया था तुमसे मिलने का कभी वादा उसी अम्बर की हर सीढ़ी पल पल चढ़ रहा हूँ मैं 37. नयन समझाए जब भी प्रीत, तो प्रीत अनुकृत हो तेरे लब छू जाए मेरे गीत, तो ये गीत पुरष्कृत हो कहो तुम हो वही किरदार जिससे जंग ये जारी है मान लूंगा मैं मेरी हार, तुम्हारी जीत स्वीकृत हो 38. कभी सलीके सिखाते है, कभी अदब की बात करते है सब कुछ खोकर भी दीवाने वो गजब की बात करते है राख हुआ वजूद जलाकर दिल की बस्तियां जिनका वो कुछ खुद्दार लोग अब भी मोहब्बत की बात करते है 39. मेरी हर खुशी में शामिल हो तुम कुछ इस तरह सूरज ने बिखेरी है सुबह में कोई सिंदूरी जिस तरह रात ने चाँद को सौंपी हो इश्क़ की मंजूरी जिस तरह मोहब्बत कहूँ तुझको या रखूं नाम जिंदगी तेरा जी रहा हूँ तुझको खुद में हो सांसे जरूरी जिस तरह 40. जब तुमसे मिले, कुछ ये जहां जरूर बदला है कुछ मुझमे मैं बदला, कुछ मेरा गुरुर बदला है ना बदली तो बस वो फितरत बेरहम इश्क़ की ना कहानी नई हुई ना वो किस्सा मशहूर बदला है 41. बरसते नयनो से तुम अनंत प्रणय की आस करो सांसो के पृष्ठ पर लिखो इस जड़ जीवन को खास करो स्वाभिमान के किरदार होंगे हम अप्रकाशित हमारे प्रेम उपनिषद में बस संकल्पित हो तुम अंतिम तक मेरा विश्वास करो 42. वो अजनबी था मगर बेवफा ना था उलझा था शायद कही पर खफा ना था इश्क़ था वो या था कोई सावन बरसता हुआ कुछ पल तो मिला मुझे हर दफा ना था 43. अधीर अनियंत्रित मन की विकराल ध्वनि सी हो तुम अनंत अकल्पनीय प्रेम की धधकती अग्नि सी हो तुम लालायित नैनो के स्वप्न की वांछित बुनियाद बन कर अमर अतुलनीय चाहत की उकरती लेखनी सी हो तुम 44. तुम मुझको समझातीं थीं और मैं तुमको समझाता था तुम मोहब्बत जताती थी, मैं इश्क़ को बतलाता था एक ही धड़कन बांट के जीते थे दिल में हम तुम दोनों आधी तुम धड़कातीं थीं और आधी मैं धड़काता था 45. नीन्द की हदबंदी मे जब आया ख्वाब तुम्हारा छलकी पीड़ा नैनो से, बह गया ये सागर सारा यादो का तूफान वही उमड़ा था फिर बरसो से जिसमे बसा था तू और कण-कण प्रेम हमारा 46. स्वछन्द स्वतंत्र बारिश सा है इश्क़ सदियो से पली ख्वाइश सा है इश्क़ कभी जवानी की मांगी दुआ सा तो कभी बचपन की फरमाइश सा है इश्क़ 47. मैं तेरे नाम हो जाऊँ, तू मेरे नाम हो जाये मैं हो जाऊँ तेरी सुबह, तू मेरी शाम हो जाये ना गजलो मे,ना गीतो मे हमे तुम अब नही मंजूर तू राधा बन के आये अब,मेरी रूह श्याम हो जाये 48. वीरां जहां भी रोशन हुआ, जब तेरा ख्वाब आया लगा फिर जैसे तेरी अदा आयी, तेरा रुबाब आया महफिल क्यूं उदास हुई, इन चमकती चिलमनो मे भी लगता है फिर आज तू नही सिर्फ तेरा जवाब आया 49. इश्क़ का दौर था तब भी ,इश्क़ का दौर है अब भी कसक कुछ और थी तब भी,दिल मे शौर है अब भी मैं चाहत को नगमो मे सुना देता मगर सुन ले... किस्सा जो तुम्हारा था वो पुरा हो नही पाया 50. जग जाहिर हुआ जो दर्द दीवाने है कहलाये जला कर खुद की हस्ती को परवाने है कहलाये लिखा करते थे तुमको यूं अधुरे से लफ्जो मे... जुडे जो लफ्ज हक़िक़त मे तो अफसाने है कहलाये 51. बुझी थी जो शमां एक शाम उसे फिर से जलाना है पडी थी बन्द जो धड़कन उसे फिर से चलाना है अधुरे है बरसो से किस्से जो ये चाहत के... लिखना है वो नज़मो मे गजलो मे सुनाना है 52. कभी यादो मे आऊँ तो लफ्जो से भुला देना । दर्द बनकर सताऊ तो अश्को से छुपा लेना उठे जो फिर कभी सैलाब मेरी मोहब्बत के... पराये हो गये हो तुम दिल को ये बता देना 53. माना था मुझे अपना पराये हम अब कैसे जुदा था जो तेरा सपना सजाये संग तब कैसे मेरी पूजा,मेरा विश्वास, मेरी आरजू थी तुम.. तो जुदा क्यू इश्क़ है तेरा अलग तेरा रब कैसे 54. जीवन कुछ नही है बस सांसो की उधारी है बिना प्रीतम के जीना तो मरने से भी भारी है अदाये ये दे दे अब तुम्हारी भी स्वीकृति... तो जीवन हो मेरा अपना नही संघर्ष तो जारी है 55. तेरी चूडि, तेरी पायल, तेरे काजल से बात करता हूं तेरी बातो, तेरी यादो, तेरे आंचल मे रात करता हूं तुझे भी हो गया हो इश्क़ मेरी मोहब्बत से... तो जमाने को बता दूंगा मैं तुझसे प्यार करता हूं 56. जुदाई जो एक रिश्ता है, जुदाई की भी रश्मे है इसमे टूटे है सब वादे अधुरी सी कसमे है मोहब्बत के परिंदे ही निभाते है इन रिश्तो को.. ना उनका दिल उनका है, ना उनका दर्द बस मे है 57. ये घायल है ,बेचारा है पर दिल मेरा तुम्हारा है तेरी चाहत मे पागल है, तेरी नजरो का मारा है बिजलियां इन अदाओ की तुम रोक लेना बस... दीवानो की कतारो मे जमाना भी तो सारा है 58. मैं कश्ती हूँ जो कोई तू मेरा किनारा है मैं हस्ती हूँ गिरती तो तू मेरा सहारा है सम्भाला है, संवारा है तुमने ही बनाया है जो कुछ भी तो मेरा है वो सब कुछ तुम्हारा है 59. महक ए इश्क़ अब भी हवा के झोके लाते है तुम्हे छूकर जो आते है मुझ तक वो समाते है तुमने छोड़ा था जिसको छेड़कर प्रेम मे अधुरीत दीवाने संग मेरे अब वही धुन गुनगुनाते है 60. मोहब्बत, इश्क़ और चाहत लबों पर जब जब आयेगा तेरी हसरत, कमी तेरी तेरा ही नाम सुनाएगा लिखी थी जो भी तेरे साथ तेरे बाद की सांसे... वो "अधुरी दास्ताँ" मेरे साथ जमाना आज गायेगा 61. चमकता चान्द हो जो तुम, मैं नन्हा सा तारा हूँ फलक का सुर्य हो जो तुम, मैं दीपक सा सारा हूँ अन्धेरी रात को रोशन बना देने की है कोशिश किसी की राह का साथी हूँ, किसी का मैं सहारा हूँ 62. मोहब्बत कुछ नही है बस अधुरी एक कहानी है जहां अश्को से भीगे लब्ज दिल का दर्द रूहानी है यहाँ हर दर्द हुआ बदनाम खुदगर्ज जमाने मे... यहाँ हर घर मे मजनू है हर लैला दीवानी है 63. राधा सा अधूरा है, मीरा सा वो पागल है गीतासार सा पुरा है, गंगा सा वो निर्मल है बस तुम जान लो मेरे प्रेम की वो परिभाषा तुलसी सा वो पावन है, कान्हा सा वो चंचल है 64. मैं अपने गीत गजलो से तुम्हे पैगाम करता हूँ तुम्हारी याद मे लिखकर मै सुबह ओ शाम करता हूँ मैं गाता हूँ, मैं लिखता हूँ, भटकता हूँ मोहब्बत मे और दुनिया ये समझती है कि मैं भी काम करता हूँ

मुक्तक 'अधूरे' (भाग-2)

1. तेरी यादों का ये दरिया डुबाता है मुझे हर रोज़ मुलाकातों का ये जरिया बचाता है मुझे हर रोज़ मुक्कमल है गर मुझको तू हर रोज़ हर पल में तो क्या ढूँढू मैं ग़ज़लों में है गीतों में ये कैसी खोज ।। 2. इन मोहब्बत की फिज़ाओ में कैसी उदासी फैली है शायद टूटा है कोई पत्ता,कहीं शाख तन्हा अकेली है कैसा अजीब इश्क़ है, कैसी मजबूर मोहब्बत जाना जिसे बनना था कहानी वो बस अब एक पहेली है ।। 3. मंजर धुंधला हो चला है, मंजिले वीरान मिली है उदास सुबह देखी, अश्क़ गिराती शाम मिली है अजीब बसावट है बेपनाह मोहब्बत के शहर की इक तेरा घर नही मिला और हर राह तेरे नाम मिली है । 4. मेरे खामोश लफ़्ज़ों के मतलब जानता है तू मेरा हाथ थामकर मेरा हाल पहचानता है तू मेरी मंजिले तेरी, मेरा हमसफर भी तू जाना मुझसे भी ज्यादा मुझे हर बार जानता है तू ।। 5. टुकड़ो में जी रहे है, हासियों में रह रहे है देख तेरे बगैर हम क्या क्या कर रहे है । लब खामोश, धड़कने सुन्न, सांसे परेशां बड़ी गफलत है यार,जिंदा है कि मर रहे है ।। 6. किताबो से निकल कर महफ़िलो में झूम रही है गुनमान एक ग़ज़ल अब तलक मुझमे घूम रही है रस्में-रिवाज़ों से परे है उन लफ़्ज़ों की मोहब्बत रूह से आज़ाद हो बार बार मेरे लब चुम रही है ।। 7. ना ठौर ना ठिकाना, ख्वाबो का कहां बसेरा है । तेरे नैनो से बरसते है, मेरे नैनो मे इनका डेरा है । मिलना-बिछडना रोज़ की कहानी है यहाँ रातभर अंधेरो मे गुजरता है दिन, रातो को तेरा सवेरा है ।। 8. जिन्दगी की तलाश तुझको भी है, मुझमे भी है यादो की जिन्दा लाश तुझमे भी है, मुझमे भी है कामयाबी,मंजिले,शौहरते मिल भी गयी तो क्या ना मिल पाने का काश तुझमे भी है, मुझमे भी है । 9. रात जैसे नदी है खयालो के बहते दीप लिये अंधेरो की गहराई मे कई चेहरो के बिम्ब लिये यादो का घना जंगल है रोज़ इन्ही किनारो पर कुछ बिखरे से नगमे है तुमको मेरे समीप लिये 10. ना ठौर ना ठिकाना, ख्वाबो का कहां बसेरा है । तेरे नैनो से बरसते है, मेरे नैनो मे इनका डेरा है । मिलना-बिछडना रोज़ की कहानी है रातभर यहाँ अंधेरो मे गुजरता है दिन, रातो को तेरा सवेरा है ।। 11. मैने सूरज को दिन मे अचानक खोते हुये सुना है मैने अपनो को अपनो से अलग होते हुये सुना है यूं ही गहरी नीन्द मे नही जगा देती आहटे रात को मैने सायो को खुद के बरसो तक रोते हुये सुना है । 12. धुंधली सी तस्वीर को मीत लिख रहा है मन हार कर लौटा हूं और जीत लिख रहा है मन लब्जो की मजबूरी बेबस कागज़ पर रखकर जो गा नही सकता वो गीत लिख रहा है मन । 13. खयालो मे तुम्ही जानाँ,निगाहो मे तुम जानाँ मंजिल मे तेरा चेहरा और राहो मे तुम जानाँ आखिरी सांस मे भी बस ख्वाईश मेरी जानाँ तोड़ सारी रश्मो को रहो बाहो मे तुम जानाँ 14. कब तलक जमीं को हर बार ही तरसना होगा कभी न कभी तो बादलो को भी बरसना होगा मोहब्बत का बस एक यही दस्तूर है मेरी जान मैं नित बिखरुंगा और तुम्हे नित संवरना होगा 15. आइने चुप है, शायद रूठ जाना चाहते है पलको के ये बांध अब टूट जाना चाहते है दुनिया से शिकवा भी करुँ तो क्या करुँ मैं मेरे अपने साये मुझसे छूट जाना चाहते है 16. अनगिनत पन्नो की एक कहानी सी कितने बरसो से गढी जा रही हो तुम तन्हाई मे लिखा था कभी मैने और हज़ारो आंखो से पढी जा रही हो तुम 17. रिहाई देकर परिंदो को ये किसकी सजा दी है पिंजरो से मोहब्बत कर क्या कोई खता की है ये कैसा धुआं-धुआं सा उठा फिर यादो के घर कैसी बारिश है जिसने बुझी आग को हवा दी है 18. एक तस्वीर जुड़ती चली जाती है लफ्ज़ो मे तुमसी हुबहू कब तलक देखता रहूँ गीतो मे,कभी तो बैठो हमारे रुबरु रोज़ गुनगुनाते है तुम्हे भीड़ से छुपाकर सघन तन्हाई मे कभी गाओ तुम भी साथ मेरे, किसी रोज़ हो तुमसे गुप्तगू 19. सपने बेचने वालो ने खुद नींद गैर कर दी है रोशन हो चरागो ने खुद तले अंधेर कर दी है जल गयी फसल मेरे गांव की एक आस लिये लगता है बादलो ने इस बार भी देर कर दी है 20. बरसो इंतजार के बाद मुकम्मल बारिश सी हो तुम इन बूंदों के शोर में दबी खामोश ख्वाइश सी हो तुम सुनो कोई नया गीत पुकार रहा है तुम्हे फिर से आज उस गीत के हर लफ्ज़ में लिखी गुज़ारिश सी हो तुम ।। 21. गैर-मौजूदगी मे भी तेरी,अब तुमसे प्यार कैसा नही आएगी तू खबर है, फिर भी इंतज़ार कैसा रुके-रुके से तन्हा झूले, रुठी सी बदलिया सारी बिन तेरे ये कैसा सावन,क्या तीज,त्योहार कैसा ।। 22. बयां करना है दर्द आंखो से तो अश्को को झरना होगा जिन्दा रखनी है ये कहानी तो किरदारो को मरना होगा इश्क़ की मंजिलो का बस इतना सा सफर है मेरे यार दर-दर भटकन मे कैद रूह और सांसो को लड़ना होगा 23. मेरे दिल के खण्डहर मे तेरी यादों के जाले लटक रहे है हर गीत तेरे नाम से शुरु और तेरे नाम पर अटक रहे है कुछ तो खटक सा रहा है आंखो मे उमड़े सावन को भी कभी नाचते दो मन बीहड़ मे थे,आज तन्हा भटक रहे है 24. छलक जाये मोती आंखो से जो तुम्हारी याद आती है सुनाई दे एक नाम सांसो से जो तुम्हारी याद आती है भटकता है तन्हा जिस्म पागल सा खामोश लब लेकर बतलाऊं अब किस-किस को कि तुम्हारी याद आती है 25. मेरे अपने थे जो अंधेरे मे भटक गये होंगे ख्वाबों तक आते-आते वो थक गये होंगे जाओ कोई नया चराग जलाओ जलसे मे मुझे रोशन करते-करते वो जल गये होंगे 26. क्या करना था हमे और पता नही क्या कर जाये हम खाली-खाली तेरे बिना,किसी और से न भर जाये हम अब भी लौट आओ,क्या भरोसा उधार की सांसो का डर लगता है बिना दीदार के हीं कहीं न मर जाये हम 27. शमां रोशन रहे,जान हथेली पे लिये परवाने बहुत है तुम्हे दिल बहुत है और हमारे लिये महकाने बहुत है हमारे पास लिखने को बची बस एक दास्ताँ "अधूरी" तुम्हारे पास तो सुनाने को खुद के अफसाने बहुत है 28. तेरी पलको की छज्जे से जो-जो ख्वाब बह गये कुछ टूट गये और कुछ मेरी पलको तक रह गये कब तलक बचा कर रखता मिट्टी के महलो को कुछ हवाएं ले उड़ी और कुछ बारिश मे ढह गये 29. तुम आ जाओ तो मिट्टी सी दुनियां मेरी महल हो जाये पहेली सी उलझती जिन्दगी शायद अब सरल हो जाये तोड़ देते है रोज़ गीत कागज़ पर सांसे तुम्हे पुकार कर क्या पता पढ़ने से तुम्हारे जिंदा फिर वो गज़ल हो जाये 30. क्या तोहफे मे दूं तुम्हे,खुद गिरवी पड़ा हूं तुम्हारी दहलीज़ पर चंद उधार लफ्ज़ लिये लिखता हूं तुम्हारा ही नाम हर गीत पर कुछ भी तो नही रह गया था मेरे पास एक तुम्हारे सिवा बस और तुम्हे भी हार गया था, निभाते-निभाते तुम्हारी एक रीत पर 31. कुछ नही बिगड़ा, बिगड़ी एक बात ही है टूटकर भी जो ना टूटी, मेरी एक आस ही है तन्हाई को ओढ़ कर मैं इस कदर बैठा हूं भले जमाना दिन कहे,मेरे लिये तो रात ही है 32. मन्दिरो की चौखटे चुमता है दिनभर, रात-भर वो मेरे हक़ मे दुआएं पढता है रोज़ बिखरता है आंखो से स्याही सा, मेरा यार इस तरह कोई गज़ल गढ़ता है 33. मेरे घर जले दीपक तुझसे रोशनी मांगते रहे तेरे आने की उम्मीद लिये रात भर जागते रहे थकी-थकी इन आंखो मे एक चमक सी रही तुम ख्वाबो मे थी मेरे, हम दिवाली मानते रहे । 34. लिख-लिखकर सारे दिन उन्ही अनसुलझे सवालो के जवाब देता हूं कभी आंखो से नींद ले जाती है तन्हा राते कभी इन्हे सारे ख्वाब देता हूं 35. एक दिन बेबस रहता है तुम बिन, हर रात बेचारी है सांसो का चलना धोखा है,आंखो की कैसी लाचारी है एक पल काटा ना गया, ना जाने कितने ही लोगो से एक हम है जिसने हर जनम, उमर तन्हा ही गुजारी है 36. एक धुंधली सी तस्वीर धुँध मे बनने लगी है, आंखो मे यादो का समंदर जमने लगा है कहां आती है ठिठुरती रात मे नींद गीतो को, लगता है तारीखो मे दिसंबर रमने लगा है 37. दुआएं काम नही करती,मुझे तेरा दर नही मिलता गांव से बिछड़ कर शुकून शहर भर नही मिलता एक वो है जिन्हें सारी खबर है अपने ठिकानो की और एक हमे हर शाम हमारा ही घर नही मिलता 38. समंदर मे डूबती कश्ती को थामे एक ठहराव हो तुम सफर का शुकून तुम और तपती धूप मे छांव हो तुम थक जाता हूं रोज भागते-भागते शहर की गलियो मे मै जीना चाहता हूं जहां उम्रभर बस वही गांव हो तुम 39. तुमसे मिलता हूं रोज़ यहीं और यहीं-कहीं अकेला हूं एक मिलन का गीत हूं मैं और एक विदाई की बेला हूं कितने बिछड़े, कितने रोए, कितने बचे है मरते-मरते बचते-बचते मर गया जो मैं तो कौनसा मैं ही पहला हूं 40. इश्क़ गुनाह है मालूम है,फिर भी कर जाते है लोग किनारो पर डूब जाती है कश्तियाँ,डर जाते है लोग यूं ही नही है किस्सो मे जिंदा,मोहब्बत निभाते लोग वरना जीते-जीते तन्हाई, तन्हा ही मर जाते है लोग 41. वही तारिखे, वही महिने सुना है साल बदलेगा ना तुम्हारे जवाब बदलने है,ना सवाल बदलेगा वही कागज़, वही बस्ती, बंजारे गीत वही होंगे ना जाने कौनसे साल हमारा यह हाल बदलेगा 42. जहां भी हो, जिसकी भी हो, जैसी भी हो तुम हर वक़्त बस यही लगता है कि मेरी हो तुम सोचा था मिलेंगे तुमसे तो लिपट कर रोयेंगे हम पूछेंगे तुमसे क्या अब भी मेरी जैसी ही हो तुम 43. हम दोनो है एक कहानी जिसका कोई नाम नही हम दोनो है ऐसी सुबह जिसकी कोई शाम नही हम दोनो ऐसे सपन जिनको बहना था आंखो से हम दोनो ऐसे हमराही जिनका कोई मकाम नही 44. पता नही हार गया हूं तुझको या जीतता जा रहा हूं बस आहिस्ते-आहिस्ते, पल-पल बितता जा रहा हूं कुछ इस तरह संभाली है पन्ने-पन्ने पर मोहब्बत मैने खुद को मिटाता रहा और तुमको लिखता जा रहा हूं 45. संभलते-संभलते ना जाने कितनी बार टूट गया हूं कुछ ऐसा बिछ्ड़ा तुमसे कि खुद से भी छूट गया हूं तेरी खामोशी मार गयी है मेरे किरदार को भी ऐसे बाते नही करता अब,शायद खुद से भी रूठ गया हूं 46. तुमने बोया और संजोया था,वही तुम्हारा प्यार हूं मैं किया था हर बात पर तुमने वही तेरा ऐतबार हूं मैं जलाए सांस के दीये तुमने मेरी दिल की चौखट पर तेरी आंखो से पिघलती मोम का हर इन्तजार हूं मैं 47. हर बार ये शहर मुझसे बस तेरा पता पूछता है हर बार एक दिल दूजे दिल की खता पूछता है मेरी तो हर सांस पर सिर्फ तेरा नाम है जानेजां और जमाना किसी और से मेरी वफा पूछता है 48. आज पहली बार ऐसा नही है कि मैं घर नही गया इस रात भी मेरे दिल से तुझे खोने का डर नही गया बस एक दुख इन सांसो मे तमाम उम्र रह जायेगा कि तुम्हे किसी और की देखकर भी मैं मर नही गया 49. तुमसे हम ना मिलते तो अच्छा था मिले फिर ना बिछ्ड़ते तो अच्छा था बिछडना ही था तो मरना था हमको यूं रोज मर-मर कर ना जीते तो अच्छा था 50. तेरे ना होने पर कैसी खुशी,देखो गम ही गम है दिल के घर उदासी है, पलको की छते नम है जताता है अब कोई और तुम पर हक़ अपना कैसे जीये बता,क्या मरने के लिये ये भी कम है 51. जिस दर्द से तुम गुजरती हो उसी दर्द को मैं सहता हूं तुम्हारी सहमी सांसो के घर में मायूस सा मैं रहता हूं तुम्हारी और मेरी हर रात की बस एक यही कहानी है तुम मेरी आंख से बहती हो और तुम्हारी से मैं बहता हूं 52. क्या-क्या करना था मन को, जाने क्या-क्या होता है इक चंदन सी काया को नित बिक कर सोना होता है सपनो की बोली लगाकर, बोलो कैसे सांसे लेगा तन आस लगाई आंखो को भी छुप-छुप कर रोना होता है 53. क्या-क्या करना था मन को, जाने क्या-क्या होता है इक चंदन सी काया को नित बिक कर सोना होता है सपनो की बोली लगाकर, बोलो कैसे सांसे लेगा तन आस लगाई आंखो को भी छुप-छुप कर रोना होता है 54. तुम्हारे ना होने पर भी तुम्हारे आने की उम्मीद लिख रहा हूं मैं पतझड़ के मौसम मे भी बसंत के गीत लिख रहा हूं 55. और कल से बैठे-बैठे फिर ये दुनिया बुरी लगने लगेगी धड़कने पुकारेगी तुम्हे, खुद के छूने से भी डरने लगेगी थाम लेना आकर फिर से हर बार इस बार की तरह ही नही जी पायेंगे तेरे बगैर और हर सांस भी मरने लगेगी 56. मेरी आंख का हर ख्वाब अजनबी आंखो मे पल रहा था मैं बाती सा जला रातभर और वो मोम सा पिघल रहा था एक गुनगुनाती गज़ल जिसे लिख ना पाये थे हम उम्रभर खामोश गीत सा वही किसी और किताब मे ढल रहा था 57. सांसो को छूकर मेरी तुमने कुछ ऐसा काम किया बेरंग बेनाम प्रेम को तुमने राधा-मोहन नाम दिया मन फीकी बन्धेज चुनर, प्रेम तुम्हारा रंगरेज बना रंग मुझे राधा दिवानी, खुद को तुमने श्याम किया 58. इन गालो को तेरी अँजुरी का स्पर्श मिल जाये तो होली है गीत-धमालो को मेरे संग मे तू भी आकर गाए तो होली है ना जाने कितने ही रंगो का संसार सजाए बैठे है आंगन मे मेरे घर के रंगो मे तेरे भी रंग आकर मिल जाए तो होली है 59. और एक शाम तुमसे जुदा मन को तन्हा होना होता है और फिर सारी रात आंखो का भी कहां सोना होता है जरूरी नही हर बार किसी दर्द की हूक़ सुनाई देती है कुछ पागल से गीतो को हंसते-हंसते भी रोना होता है ।