मड़वा : बुन्देली लोकगीत

Madva : Bundeli Lok Geet

	

कंधा कुल्हाड़ी लेओ राजा आजुल

कंधा कुल्हाड़ी लेओ राजा आजुल सो चलो नंदन वन डाँग हो रम्मा। काना उपजें धिया मोरी अजगर खम्मा काना हरे चोखे बाँस हो रम्मा। कंधा कुल्हाड़ी लेओ राजा बाबुल, लेओ राजा वीरन, सो चलो नंदन वन डाँग हो रम्मा। कजली वन उपजें आजुल अजगर खम्मा बागन बाबुल हरे चोखे बाँस हो रम्मा। काये सें काटों धिया अजगर खम्मा काये सें बेटी हरे चोखे बाँस हो रम्मा। कुल्हड़ियन काटो आजुल अजगर खम्मा कुदरन बाबुल हरे चौखे बाँस हो रम्मा। कंधा कुल्हाड़ी ... काये पै आवें धिया अजगर खम्मा औ काये पै हरे चोखे बाँस हो रम्मा। गड़लन आवें बाबुल अजगर खम्मा रथलन आवें वीरन हरे चोखे बाँस हो रम्मा। कंधा कुल्हाड़ी ... काना उतारौ धिया अजगर खम्मा काना उतारौ हरे चौखे बाँस हो रम्मा। जाये जो उतारो आजुल जू के अँगना सो जिन घर नातिन कुँआरी हो रम्मा। जाये जो उतारौ बाबुल जू के अँगना सो जिन घर बेटी कुँआरी हो रम्मा। जाये जो उतारौ वीरन जू के अँगना सो जिन घर बहिना कुँआरी हो रम्मा। कंधा कुल्हाड़ी ... सुघड़ से बढ़ई बुलाओ राजा आजुल बुलाओ राजा बाबुल सो रूच रूच मड़वा बनाओ हो रम्मा। आस पास चारु खम्म लगाओ राजा बाबुल सो बिच कौ सुन्दर खम्म बनाओ हो रम्मा। चारु ओर फुलवर लगाओ राजा बाबुल सो बिच कौ सुन्दर खम्म सजाओ कंधा कुल्हाड़ी ... सुरन गौ कौ गोबर मँगाओ राजा बाबुल सो ढिक धर अंगन लिपाओ हो रम्मा। गज मोतिन के चौक पुराओ राजा बाबुल सो कंचन कलश धराओ हो रम्मा। चंदन पटली डराओ राजा आजुल सो अमरित अरग दिवाऔ हो रम्मा। पाँच सुपारी हरदी की गाँठें राजा बाबुल सो मुहर अढ़ाई डराऔ हो रम्मा। कंधा कुल्हाड़ी लेओ राजा आजुल, लेओ राजा बाबुल लेऔ राजा वीरन सो चलो नंदन वन डाँग हो रम्मा।

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