Kya Yeh Parivartan Sahi Hai ? : Bindesh Kumar Jha

क्या यह परिवर्तन सही है ? : बिंदेश कुमार झा

मनुष्य और प्रकृति का संबंध इतना सीधा है अगर मनुष्य प्रकृति को प्रभावित करती है तो उसी रूप से प्रकृति भी मनुष्य को प्रभावित करती है । इन दोनों के परस्पर संबंध से ही जो भी बदलाव आए हैं, मनुष्य मन ही मन इन बदलाव के परिणाम को सुनिश्चित कर चुका है। लेकिन इन बदलावों को सही रूप से समझने के लिए हमें अभी भी विज्ञान के उच्च कोटि का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। शायद हम सामान्य ज्ञान के आधार पर ही इसके परिणामों की कल्पना कर रहे हैं ‌। शायद यह परिणाम हमारे कल्पना से भी परे हो। इस तथ्य को प्रकृति ने कई बार साबित करने का प्रयास किया है, परंतु मनुष्य ने अपनी आंख बंद कर ली है ।शायद विकास की इमारत इतनी लंबी है कि उसके पीछे इसके परिणाम का सूरज दिखाई नहीं दे रहे है। परंतु अब ऐसा लग रहा है कि हमें अपने व्यस्त जीवन शैली में से कुछ समय निकालकर अपने आप से पूछना चाहिए कि है ,जो निरंतर बदलाव आ रहा है क्या यह सही है क्या यह इंसानियत को उस दिशा में लेकर जा रही है जिसकी कल्पना हम मन ही मन कर रहे हैं। आज अगर हम अपने गांव जा रहे हैं ,तो हम वह पाएंगे कि वहां पहले से भी बहुत कम वृक्ष बचे हुए हैं । शायद उतनी ही कम हरियाली में भी हम आनंदित हो जाते हैं क्योंकि उसका कण मात्र भी हमें शहर में प्राप्त नहीं होता है। आज भी गांव में पानी का स्तर इतना कम नहीं है ,जितना कि शहरों में जमीन के अंदर होता है शायद कुछ साल बाद हम यही शिकायत गांव में भी रहकर करेंगे। लेकिन हम इस प्रकार के बदलावों का विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं, क्योंकि शायद हमारे हाथ आवश्यकताओं की जंजीर से बंधे हो।लेकिन क्या हो अगर हम अपनी जंजीर से भी दूसरों के हाथ में बंध दे । अर्थात हम हम अपने आवश्यकताओं पर नियंत्रण रखें। शायद प्रयास का यह सक्षम सरुप हमारे लिए वरदान साबित हो।