कुँवर कलेवा के गीत : बुन्देली लोकगीत

Kunwar Kaleva Ke Geet : Bundeli Lok Geet

	

लाला करो कलेवा जल्दी

लाला करो कलेवा जल्दी हो रई तुम्हें अबेर। जो कछु तुमें दै नई पाये दैहें अगरी बेर।

कुँअर कलेऊ खों चलौ

कुँअर कलेऊ खों चलौ स्वामी भीतर चलौ देखो दूल्हा मचलौ। न माँगे वौ हाथी घोड़ा न माँगे वौ ऊँट न जाने वौ का चाहत है ऐसो पड़ गऔ ढीठ। वौ माँगे न माल खजानौ न सोनौ चाँदी अरे मैं तो हड़ गई समझा समझा मेरी एक न मानी। न माँगे वौ हीरा मोती न पन्ना जवरात दिन भर हो गऔ बैठे बैठे अब तौ हो गई रात। स्वामी भीतर चलौ अरे कुँअर कलेऊ खों चलौ देखो दूल्हा मचलौ। स्वामी आकें हाथ जोड़ कें विनती करन लागे अरे कहा लाला अब तुम खों चहिये मुख में थोड़ौ बोल। जब दूल्हा बोलौ है मुख सें बोले मीठी बानी। गडुआ लैकें घीऊ परसत है उनके दर्शन देओ कराय। स्वामी भीतर चलौ कुँअर कलेऊ खों चलौ देखो दूल्हा मचलौ।

साइकिल कों मचल रए दुलारी

साइकिल कों मचल रए दुलारी जे करत कलेऊ नइयाँ। मड़वा तरै भीड़ है भारी जुर मिल आये सरज औ सारी सारे ससुर सभी समुझावें लड़का मानत नइयाँ।। साइकिल कौं।। ठाड़ी समुझा रई हैं सास कैसे बेटा होत उदास, साइकिल नइयाँ मेरे पास। घर बर आत्मा सौंपी सब तुम खों छिपौ कछु नइयाँ।। साइकिल कौं।। सखियाँ करे मंगलाचार, लड़का बोलौ बचन उचार, मुदरी पहिरे नगीनादार कह रई फूला कलेऊ कर लेऔ लाल फिर गये हैं भुइयाँ ।। साइकिल कौं।। तुमसे लाला कहै न झूठी, नइयाँ कौड़ी पास में फूटी, लेलो सानेदार अँगूठी। लड़का बिटियाँ बूढ़े हो जायें दैवे बूढ़ी बइयाँ ।। साइकिल कौं।। करौ कलेऊ खुशी भई भारी, छुअई चरन सरज औ सारी, घर की होन लगी तैयारी गोटीराम और रामकिसुन की रखियो लाज गुसइयाँ ।। साइकिल कौं।।

जुर आई ललाजू की सारियाँ

जुर आई ललाजू की सारियाँ, बैठी मीठी गावें गारियाँ। तुम नृप दशरथ लाल कहाये, ब्याहन काज जनकपुर आये, तुम हो कौशल्या के जाये, सुनियत पति बिन सुत उपजाये, इनकी माता को हैं बलिहारियाँ, बैठी मीठी गावें गारियाँ। नईयाँ भरत भोग अनुरागी, इनके बहनोई बैरागी, बहना शृँगी ऋषि संग लागी, अपनी कुल मर्यादा त्यागी, सुन नारी हँस दैबे तारियाँ बेठी मीठी गावें गारियाँ। इनकों देखत त्रिया ताड़का आई, ताखों देखत गये रिसाई, बाकौ मारौ है खिसयाई, जौ करतूत सुनौ मेरी माई, सुनै नारी हँस दैवे तारियाँ, बैठी मीठी गावें गारियाँ। आखिर अबला आये बिचारी, जिन खों बिन हथियारन मारी, हम है जनकपुर की नारी, सबरी सारीं लगें तुमारी, दुल दुर्गा हैं बलिहारियाँ, बैठी मीठी गावें गारियाँ।

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