कुंडलिया दिवस - 19 नवम्बर Kundaliya Divas - 19 November

19 नवम्बर को कुंडलिया दिवस के रूप में मनाया गया


सुपरिचित कुण्डलियाकार और साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला के आह्वान पर साहित्यकारों द्वारा 19 नवम्बर को 'कुण्डलिया दिवस' के रूप में मनाया गया। कुण्डलिया छंद के विस्तार और प्रचार प्रसार के उद्देश्य से निर्धारित किये गये कुण्डलिया दिवस पर साहित्यकारों द्वारा फेसबुक, एक्स सहित विभिन्न सोशल साइट्स पर कुण्डलिया पोस्ट की गयीं। कुण्डलिया दिवस के अवसर पर साहित्य रत्न ई पत्रिका के प्रधान सम्पादक सुरजीत मान जलईया सिंह एवं दि ग्राम टुडे के सम्पादक सुभाष चंद्र पांडे ने अपनी अपनी पत्रिकाओं के कुण्डलिया दिवस परिशिष्ट प्रकाशित किये। 19 नवम्बर को प्रज्ञालय संस्थान, बीकानेर द्वारा कुण्डलिया छंद को समर्पित साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दिन इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिन्दी साहित्यिक पत्रिका 'भारत दर्शन' और 'लेखनी' समूह ने स्थापित एवं समकालीन रचनाकारों की कुण्डलियाँ प्रकाशित कीं। यह सर्वविदित है कि कुण्डलिया एक लोकप्रिय छंद है और लोकविधा के रूप में चर्चित है। कुण्डलिया छंद को आधार बनाकर अनेक रचनाकारों द्वारा नैतिक मूल्यों और लोक व्यवहार की उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन किया गया है। इन रचनाकारों में गिरिधर, संत गंगादास, दीनदयाल गिरि एवं राय देवी प्रसाद 'पूर्ण' प्रमुख हैं।

वर्तमान समय में त्रिलोक सिंह ठकुरेला ने कुण्डलिया छंद के उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने अपने कुण्डलिया संग्रह के अतिरिक्त अनेक कुण्डलिया संकलनों का सम्पादन किया है। कुण्डलिया छंद को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से त्रिलोक सिंह ठकुरेला ने अनेक पत्रिकाओं के कुण्डलिया विशेषांकों का सम्पादन किया है। त्रिलोक सिंह ठकुरेला के अतिरिक्त डा. बिपिन पाण्डेय, परमजीत कौर 'रीत', सौम्या पाण्डेय सहित अनेक साहित्यकारों ने कुण्डलिया दिवस की आवश्यकता और उपयोगिता को प्रतिपादित करते हुए इसके महत्व पर बल दिया और सुनिश्चित किया कि 19 नवम्बर को प्रति वर्ष कुण्डलिया दिवस के रूप में मनाते हुए कुण्डलिया छंद के उत्थान के लिए और अधिक कार्य किया जायेगा।