कन्यादान : बुन्देली लोकगीत

Kanyadan : Bundeli Lok Geet

	

इड़ियन छिड़ियन उतरीं मोरी लाड़ली

इड़ियन छिड़ियन उतरीं मोरी लाड़ली हार दये सरकाय हो रम्मा। घरियक हार सकेलो मोरी बेटी आई है धरम की बेर हो रम्मा। चन्द्रग्रहण नित होय राजा बाबुल सो सूरज ग्रहण नहिं होय हो रम्मा। गौऊन दान नित होंय राजा बाबुल धियरि दान नहिं होंय हो रम्मा। कन्या दान मड़वे के नीचे सो जो कोऊ विधि से लैवे हो रम्मा। काहे कों बाबुल मोरे गंगा को जैहो सो काहे कों तीरथ पिराग हो रम्मा। मड़वा के नीचे बाबुल गंगा बहतीं सो उतई करौ अस्नान हो रम्मा। बाबुल के हाथन कुश की डारी मैया के हाथन सोने की झारी हो रम्मा। सो गंगा जल धार बहाओ मोरे बाबुल जनम के पाप कटाऔ हो रम्मा। धरमहि धरमहि पुकारे मोरी लड़नदे धन बिन धरम न होय हो रम्मा। तिल बिन तर्पण न होय मोरी लाड़ली सो घिया बिन होम न होय हो रम्मा। जनम कौ इड़रो बिड़रो काड़ौ राजा बाबोला सो विलसो मड़वन माझ हो रम्मा। मुठियक मुतिया सकेलो मोरे बाबोला सो लेऔ कन्या के दान हो रम्मा।

आजुल उपासे होंय धिया के

आजुल उपासे होंय धिया के चरनन कों आजी उपासे होंय धिया के चरनन कों बाबुल उपासे होंय बेटी के चरनन कों, मैया उपासं होय बेटी के कन्यादान लैवें कों। काकुल उपासी होंय बेटी के चरनन कों, काकी उपासी होंय बेटी के कन्यादान लेवें कों। मामा उपासे होंय बेटी के चरनन कों, मायीं उपासीं होंय बेटी के कन्यादान लैवें कों।

सुनो गउअन की अरज मुरारी हो

सुनो गउअन की अरज मुरारी हो मोरी प्रभु कीजिये सहाय। बम्बई कलकत्ता औ झाँसी मक्का औ मदीना कासी लगतीं जाँ गउअन की फाँसी जहाँ हो रये हैं कत्ल अपार हो मोरी प्रभु... मोरे गोबर कामें आवै दूध से पित्त शान्त हो जावै घीव सें कमजोरी कम जावै इन तीनों सें जीवें सकल नर नारी हो। मोरी प्रभु... बछड़ा दाँये हर में जुताई इनकी खाई खूब कमाई बेचन ले गये मोल कसाई उनकी गरदन छुरी चलाई वे तो रोवत हैं अँसुअन ढार हो। मोरी प्रभु... हिन्दू मुसलमान औ इसइया मोरे कोउ नई हैं रखवइया मो कों भारत रोज कसइया डूबत अब भारत की नैया दैया मैया दीन तुम्हार हो। मोरी प्रभु कीजिये सहाय हो।

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