कंकन-बंद छोड़ना : बुन्देली लोकगीत

Kankan-Band Chhodna : Bundeli Lok Geet

	

कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें

कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें राजा राम सखी रे। काये खों बिरजीं जानकी औ कायें खों राजा राम सखीरे। कंकन न छोरें जानकी... झूमर खों बिरजीं जानकी औ मुकुट खों राजा राम सखी रे। कंकन न छोरें जानकी... झुमकी खों बिरजीं जानकी औ कुण्डल खों राजा राम सखी रे। कंकन न छोरें जानकी... हार खों बिरजी जानकी औ कंठा कों राजा राम सखी रे। कंकन न छोरें जानकी... कंगन कों बिरजी जानकी औ कड़ा कों राजा राम सखी रे। लच्छा कों बिरजी जानकी औ तोड़ा कों राजा राम सखी रे। कंकन न छोरें जानकी बंद न खोलें राजा राम सखी रे।

हँसी खेल नगई कंकन कौ छोरबौ

हँसी खेल नगई कंकन कौ छोरबौ लला हँसी खेल नई। कंकन की गाँठ कठिन लागी मजबूत, देखें हम जायँ लला तुमरी करतूत, कैसे दशरथ के पूत, परे तुम खों अब कूत येई कठिन कला येई कठिन कला। कंकन कौ छोरबौ लला... कंकन कौ छोरबौ कौ बैसो न हाल, जैसो शिव धनुष तोड़ डारौ तत्काल, ऐसौ करयो न ख्याल, जाकौ महा कठिन जाल यहाँ चले नई चला चले नई चला। कंकन कौ छोरबौ लला... कंकन कौ छोरबौ न समझौ आसान, हमरौ कहौ मान, देखें हम जायँ लला तुमरो पुरूषान, कैसो माता ने आन दयौ तुम्हें दूध पिला दयौ तुम्हें दूध पिला। हँसी खेल नई कंकन कौ छोरबौ लला हँसी खेल नई।

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